ताजा खबर

रायगढ़ में मुकाबला महल और राज्य की सत्ता के बीच...
05-May-2024 7:02 PM
रायगढ़ में मुकाबला महल और राज्य की सत्ता के बीच...

  रायगढ़ दौरे से लौटकर शशांक तिवारी की विशेष रिपोर्ट  

रायपुर, 5 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। रायगढ़ में इस बार ‘महल’ और ‘हल’ के बीच मुकाबला है। ‘महल’ यानी सारंगढ़ रियासत की सदस्य कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मेनका सिंह इस सीट को हथियाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। वैसे तो डॉ. मेनका सिंह की टक्कर छोटे किसान भाजपा प्रत्याशी राधेश्याम राठिया से है, लेकिन यहां सीएम विष्णुदेव साय के साथ ही रायगढ़ के विधायक और वित्त मंत्री ओपी चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर है। दिग्गजों के साथ रहने से छोटे किसान राठिया भी दमदार नजर आ रहे हैं। 

राज्य गठन के बाद से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है। आखिरी बार कांग्रेस को वर्ष-98 में जीत हासिल हुई थी। तब अजीत जोगी यहां से चुनाव जीते थे। रायगढ़ से सारंगढ़ राजपरिवार की सदस्य  और अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राजा नरेशचंद्र की पुत्री पुष्पा देवी सिंह दो बार सांसद रही हैं। इस बार उनकी बहन श्रीमती डॉ. मेनका सिंह को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारा है। 

डॉ. मेनका सिंह की पहचान एक प्रतिष्ठित चिकित्सक के रूप में भी है। उन्होंने सारंगढ़, और जशपुर इलाके में काफी काम किया है। भाजपा ने धरमजयगढ़ के राधेश्याम राठिया की टिकट काफी पहले ही घोषित कर दी थी। राठिया आरएसएस के पसंदीदा हैं। वो विधानसभा टिकट के दावेदार थे। खास बात यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र की कुनकुरी सीट से सीएम विष्णुदेव साय विधायक हैं। इसके अलावा साय सरकार में ताकतवर मंत्री ओपी चौधरी रायगढ़ विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से राठिया एक प्रत्याशी के रूप में गौण हो गए हैं। 

रायगढ़ लोकसभा की विधानसभा सीटों में से जशपुर जिले की तीनों सीट जशपुर, कुनकुरी, और पत्थलगांव के साथ ही रायगढ़ सीट भी भाजपा के पास है। कांग्रेस के पास धरमजयगढ़, लैलूंगा, सारंगढ़ और खरसिया सीट है। लोकसभा की बात करें, तो यहां कांग्रेस-भाजपा को मिलाकर कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 

रायगढ़ विधानसभा के शहरी इलाके में अभी भी भाजपा की पकड़ बरकरार दिख रही है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की चर्चा है। मतदान में दो दिन बाकी रह गए हैं, और शहर में चुनाव का माहौल नजर नहीं आता है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता मायूस है, और यह मायूसी अब तक नहीं गई है। 

रायगढ़ से आगे खरसिया के डोमनारा गांव में ग्रामीण चुनाव में चर्चा से परहेज करते हैं। थोड़ा कुरेदने पर स्थानीय विधायक उमेश पटेल को लेकर नाराजगी दिखती है। उनका कहना था कि चुनाव जीतने के बाद से उमेश पटेल अब तक नहीं आए हैं। भाजपा प्रत्याशी भी गांव में नहीं आए, लेकिन भाजपा के लोग घर-घर वोट मांगने पहुंचे हैं। डोमनारा से फरकानारा गांव के एक चाय दुकान में इस संवाददाता की दुर्गेश राठिया से मुलाकात हुई। 

निर्दलीय प्रत्याशी दुर्गेश राठिया वोट मांगते हुए

दुर्गेश बी.कॉम तक शिक्षित हैं, और वो खुद भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। उन्हें एयरकंडीशनर चुनाव चिन्ह मिला है, जो कि आसपास गांव के किसी के घर में भी नहीं है। दुर्गेश ने बताया कि वो इसी गांव के रहने वाले हैं, और गांव में राठिया समाज के लोग सबसे ज्यादा संख्या में हैं। शर्मीले स्वभाव के दुर्गेश का कहना है कि वो विकास के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें अपने समाज के लोगों पर भरोसा है। 

भाजपा ने राठिया समाज से प्रत्याशी उतारा है। इसका फायदा उन्हें कई जगहों पर मिलता दिखता है। राठिया बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में थोड़ा माहौल नजर आता है। यद्यपि खरसिया सीट भाजपा अब तक जीत नहीं पाई है, लेकिन लोकसभा चुनाव में कई बार बढ़त मिल चुकी है। इस बार भी दोनों ही पार्टी यहां बढ़त के लिए भरसक कोशिश कर रही है। 

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद धर्मांतरण को लेकर कानून  बनाने की बात कही गई है। इससे विशेषकर मतांतरित आदिवासियों में नाराजगी दिख रही है। जशपुर इलाके में आदिवासी और मतांतरित आदिवासियों के बीच कई बार संघर्ष की स्थिति बन चुकी है। ऐसे में संभावना दिख रही है कि मतांतरित आदिवासी कुछ हद तक कांग्रेस के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं। 

कुनकुरी में ईसाई आदिवासियों की संख्या सर्वाधिक है। मगर यह सीएम का विधानसभा क्षेत्र भी है। भाजपा को मतांतरित आदिवासियों की नाराजगी का भी अंदाजा है। लिहाजा, लुंड्रा के विधायक प्रबोध मिंज को इस इलाके में विशेष तौर पर भेजा गया था। मिंज भी ईसाई आदिवासी समाज के हैं। यही नहीं, कांग्रेस और कई संगठनों ने संविधान बदलने की आशंका जताई है। और इसे चुनाव में प्रचारित किया है। इसका भी असर देखने को मिल रहा है। फिर भी सीएम का विधानसभा क्षेत्र होने की वजह से भाजपा यहां बड़ी बढ़त की उम्मीद से है। जशपुर में भाजपा बेहतर है, लेकिन पत्थलगांव में कांग्रेस मजबूत स्थिति में हैं। यही वजह है कि प्रचार खत्म होने के पहले तक भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंकी है। 

दूसरी तरफ, लैलूंगा और सारंगढ़ में कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में है। दोनों ही दलों के स्टार प्रचारक यहां दौरा कर चुके हैं। चुनाव शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की न्याय यात्रा ओडिशा से खरसिया, रायगढ़ होते हुए आगे निकली थी। भाजपा के राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए आ चुके हैं। ऐसे में मतदान नजदीक आते तक भाजपा के लिए सीट आसान नहीं रह गई है। 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news