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संविदा नियुक्ति की चर्चा से हलचल
मंडी बोर्ड के प्रभारी एमडी महेन्द्र सिंह सवन्नी रिटायर हो रहे हैं। मंडी इंस्पेक्टर से प्रभारी एमडी तक सफर तय करने वाले सवन्नी को संविदा नियुक्ति मिलने की चर्चा मात्र से बोर्ड काफी हलचल है। कई अफसरों ने सवन्नी के खिलाफ पीएमओ तक शिकायत की है, और किसी भी दशा में उन्हें संविदा नियुक्ति नहीं देने की गुजारिश भी की है।
शिकायत में मंडी बोर्ड के कई घपले-घोटाले का भी जिक्र है, और इसमें सवन्नी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार चाहे कोई भी हो, सवन्नी का मंडी बोर्ड में दबदबा रहा है। जोगी सरकार में तत्कालीन कृषि मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और राज्य मंत्री विधान मिश्रा के करीबी रहे हैं। भाजपा सरकार में उन्हें कोई दिक्कत थी ही नहीं, उनके सगे भाई भूपेन्द्र सिंह सवन्नी प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं, और रमन सरकार में हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन रहे हैं।
कांग्रेस सरकार के आने के बाद महेन्द्र सिंह सवन्नी का रुतबा कम नहीं हुआ, और वो कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के करीबी हो गए। अब जब संविदा नियुक्ति की फाइल चली है, तो मंडी बोर्ड में सवन्नी विरोधी खेमे में नाराजगी देखी जा रही है। देखना है आगे क्या होता है।
तारीफ तो बनती है...
राज्य बनने के बाद दो लोकसभा सीट महासमुंद, और कांकेर में दो हजार से कम वोटों पर जीत हार का फैसला हुआ है। दोनों बार भाजपा को फतह हासिल हुई है। खास बात यह है कि दोनों सीटों पर भाजपा के चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर थे।
कांकेर में भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग को मात्र 1884 वोटों से जीत हासिल हुई है। यह मुकाबला कांटे का था। भाजपा तो इस सीट को काफी कठिन मानकर चल रही थी। मगर अजय चंद्राकर अकेले थे, जो पार्टी के हर फोरम में कांकेर से जीत का दावा कर रहे थे।
कुछ इसी तरह का मुकाबला वर्ष-2014 में महासमुंद सीट पर हुआ। उस वक्त कांग्रेस से दिग्गज पूर्व सीएम अजीत जोगी मुकाबले में थे। भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू ने करीब 12 सौ वोटों से अजीत जोगी को मात दी थी। तब भी भाजपा के रणनीतिकारों में अकेले अजय चंद्राकर को छोडक़र कोई भी चंदूलाल साहू की जीत का भरोसा नहीं कर पा रहा था।
कांकेर में इस बार कड़े मुकाबले में भाजपा की जीत के लिए अजय चंद्राकर की भूमिका को सराहा जा रहा है। अजय बस्तर, कांकेर और महासमुंद क्लस्टर के प्रभारी थे। तीनों सीट पर भाजपा जीत हासिल की है।
राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग के लिए गए बड़े पुलिस अफसरों में से बहुत से वहाँ टाई पहनने के नियम को अनदेखा करते हैं। इसलिए चेतावनी दी गई है कि जो लोग टाई नहीं पहने होंगे, उन्हें चाय के साथ समोसा नहीं दिया जाएगा।