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वापसी के लिए राज्यपाल और जीएडी को पत्र
रायपुर, 8 जुलाई। कॉलेज के नियमित सहायक प्राध्यापकों के नए सत्र से पहले प्रतिनियुक्ति से वापस न लौटने का मुद्दा फिर गर्मा रहा है। इनमें लगभग सभी विश्वविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक, सहायक कुलसचिव और लिपिक वर्गीय कर्मचारी भी वर्षों से जमे हुए हैं। इस बार तो कुलसचिव ने ही पत्र लिखा है।
इस पत्र के हवाले से आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने कुलाधिपति हरिचंदन से ऐसे लोगों की वापस बुलाने कहा है ।
चौबे के मुताबिक ठाकरे प विश्वविद्यालय में एक मात्र स्थाई सहायक प्राध्यापक (मैंनेजमेट स्टडीज) के पिछले 6 वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर होने के कारण पढ़ाई बंद है। और विवि अतिथि शिक्षक पदस्थ कर उसके वेतन भत्ते के नाम पर अतिरिक्त व्यय कर रहा है । इस पर कुलसचिव ने 4 जुलाई को ही सचिव साप्रवि विभाग को पत्र लिखा है। यह प्रथा राज्य में प्रचलन में आ चुकी है कि भले ही कालेजों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान है। उन्हें अनुभवी और विशेषज्ञों शिक्षकों के मार्गदर्शन से वंचित होना पड़े, स्थाई और विशेषज्ञ प्राध्यापकों को छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों और निकायों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है जो कि गंभीर मामला है।
अतः इस ओर ध्यानाकर्षण कर यह निवेदन है कि राजभवन ऐसे समस्त सरकारी, निजी कालेजों एवं विश्वविश्वालय से उपरोक्त संबंधी मामलों में प्रतिनियुति में गये लोगों की सूची/अन्य जानकारी मंगवाकर समस्या का निराकरण हो, आदेश जारी करेंगे। सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिषेक दुबे पिछले 6 सालो से छत्तीसगढ़ शासन जीएडी में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे है। एक वर्ष पूर्व भी विश्वविद्यालय ने उन्हें वापस करने पत्र लिखा पर आज तक उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया हैं।
दूसरी ओर अन्य राजकीय विश्वविद्यालयों, कॉलेजों को प्राध्यापक भी विभागों में पदस्थ हैं। जबकि इसी विवि के एक सहायक कुलसचिव भी कांग्रेस सरकार के अंतिम दिनों में विधानसभा में प्रतिनियुक्ति हासिल करने में सफल रहे। इनके जाने से विस में वरिष्ठता क्रम को लेकर मूल कर्मचारियों में नाराजगी है।