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जम्मू, 8 जुलाई। आम तौर पर मानव दूध बैंक के तौर पर पहचाने जाना वाला पहला ‘कॉम्प्रीहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (सीएलएमसी) इस साल के अंत तक यहां एक सरकारी अस्पताल में कार्य करना शुरू करेगा। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि सीएलएमसी बीमार, कमजोर और समय-पूर्व जन्मे बच्चों को बेहतर उपचार मुहैया कराने में मदद करेगा।
इस केंद्र का निर्माण जम्मू के गांधी नगर इलाके में सरकारी मातृत्व एवं शिशु देखभाल अस्पताल में 47.20 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इस परियोजना को मंजूरी दी थी।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अरुण शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सीएलएमसी के लिए अस्पताल की तीसरी मंजिल पर जगह की पहचान की गई है और हमें पिछले महीने धन प्राप्त हुआ है। दूध बैंक को उचित तरीके से संचालित करने के लिए चिकित्सकों, परामर्शकों और प्रबंधकों समेत विभिन्न कर्मियों की भर्ती की जाएगी।’’
शर्मा ने बताया कि इस केंद्र को स्तनपान कराने वाली माताओं के सहारे चलाया जाएगा या ऐसी माताएं इसमें दूध का दान कर सकती हैं जिन्होंने अपने नवजात बच्चे को खो दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘दूध एकत्र कर उसकी वैज्ञानिक रूप से जांच की जाएगी और केंद्र में उसे पाश्चरीकृत किया जाएगा तथा फिर नवजातों को पिलाया जाएगा।’’
अस्पताल में हाल में एक बच्चे को जन्म देने वाली कंचन ने ऐसा केंद्र बनाए जाने का स्वागत किया और कहा कि यह सुविधा उन नवजातों के लिए काफी फायदेमंद होगी जिनकी मां जन्म के समय उन्हें दूध नहीं पिला पाती। उन्होंने कहा, ‘‘मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है।’’(भाषा)