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बस कंडक्टर से हास्य अभिनेता बने जॉनी वाकर
28-Jul-2020 4:59 PM
बस कंडक्टर से हास्य अभिनेता बने जॉनी वाकर

29 जुलाई पुण्यतिथि 
मुंबई, 28 जुलाई (वार्ता)। बॉलीवुड में अपने जबरदस्त कॉमिक अभिनय और मजाकिया भाव-भंगिमाओं से सिनेप्रेमियों को गुदगुदाने वाले जॉनी वाकर को बतौर अभिनेता अपने सपनों को साकार करने के लिये बस कंडक्टर की नौकरी भी करनी पड़ी थी।

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर मे एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्में बदरूदीन जमालुदीन काजी उर्फ जॉनी वाकर बचपन से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। इंदौर में वह अक्सर लोगों की नकल उतार कर सबको हंसाया करते थे। उनके पिता जमालुदीन काजी एक कपड़ा मिल में मजदूर थे। कपड़ा मिल बंद हुई तो पूरा परिवार मुंबई आ गया। पिता के लिए अपने 15 सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा था। मुंबई में उनके पिता के एक जानने वाले पुलिस निरीक्षक थे जिनकी सिफारिश पर बदरूदीन को बंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) बसों में एक कंडक्टर की नौकरी मिल गयी। बदरूदीन का बस कंडकटरी करने का अंदाज काफी निराला था। वह अपने विशेष अंदाज मे आवाज लगाते माहिम वाले पेसेन्जर उतरने को रेडी हो जाओ लेडिज लोग पहले।

बदरूदीन इस नौकरी को पाकर काफी खुश हो गये क्योंकि उन्हे मुफ्त में ही पूरी मुंबई घूमने को मौका मिल जाया करता था। इसके साथ ही उन्हें मुंबई के स्टूडियो में भी जाने का मौका मिल जाया करता था। बदरूदीन यात्रियों का टिकट काटने के अलावा अजीबोगरीब किस्से-कहानियां सुनाकर यात्रियों का मन बहलाते रहते। इसके पीछे उनका मकसद यही था कि कोई उनकी अदाकारी को पहचान ले।

इसी दौरान बदरूदीन की मुलाकात फिल्म जगत के मशहूर खलनायक एन.ए.अंसारी और के.आसिफ के सचिव रफीक से हुयी। लगभग सात-आठ महीने के संघर्ष के बाद बदरूदीन को फिल्म अखिरी पैमाने में एक छोटा सा रोल मिला। इस फिल्म में उन्हें पारश्रमिक के तौर पर 80 रुपये मिले, जबकि बतौर बस कंडकटर उन्हें पूरे महीने के मात्र 26 रुपये ही मिला करते थे।

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