अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ईरान सरकार पर खुलकर आरोप लगाए हैं कि वो जिहादी नेटवर्क अल-क़ायदा को अपनी ज़मीन पर नया ठिकाना बनाने दे रही है.
पॉम्पियो ने अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब में कहा, "अफ़ग़ानिस्तान से अलग, जहाँ अल-क़ायदा पहाड़ों में छिपा था, ईरान में अल-क़ायदा वहाँ के शासकों की पनाह में सक्रिय है."
हालाँकि, अमेरिकी मंत्री ने अपने आरोपों के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं दिए.
ईरान ने उनके बयान पर सख़्त आपत्ति जताई है. ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने इसे "युद्धोन्मादी झूठ" बताया है.
पिछले साल नवंबर में ईरान ने अल-क़ायदा में दूसरे नंबर के नेता अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला उर्फ़ अबू मोहम्मद अल-मसरी के बारे में इस रिपोर्ट का खंडन किया था कि अमेरिका के आग्रह पर इसराइली एजेंटों ने तेहरान में मसरी को मार डाला.
From designating Cuba to fictitious Iran "declassifications” and AQ claims, Mr. “we lie, cheat, steal" is pathetically ending his disastrous career with more warmongering lies.
— Javad Zarif (@JZarif) January 12, 2021
No one is fooled. All 9/11 terrorists came from @SecPompeo's favorite ME destinations; NONE from Iran.
मंगलवार को अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि वो पहली बार इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि मसरी की 7 अगस्त को मौत हो गई. हालाँकि, उन्होंने इस बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि लोगों का ये मानना ग़लत है कि एक शिया ताक़त ईरान और सुन्नी चरमपंथी गुट अल-क़ायदा एक-दूसरे के दुश्मन हैं.
पॉम्पियो ने कहा, "ईरान में मसरी की मौजूदगी वो वजह है जिससे हम यहाँ बात कर रहे हैं. अल-क़ायदा का अब एक नया ठिकाना है - वो है ईरान."
"इसकी वजह से, ओसामा बिन लादेन के बनाए इस दुष्ट समूह की ताक़त बढ़ती जाएगी."
पॉम्पियो ने आरोप लगाया कि ईरान ने 2015 से देश में मौजूद अल-क़ायदा नेताओं को खुलकर दूसरे सदस्यों से बात करने और ऐसे कई काम करने की छूट दे रखी है जिनके निर्देश पहले अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से आया करते थे. इनमें हमले करना, प्रोपेगेंडा और पैसे जमा करने जैसे काम शामिल हैं.
उन्होंने कहा, "ईरान और अल-क़ायदा की धुरी दूसरे देशों और अमेरिका की सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा है और हम क़दम उठा रहे हैं."
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि अमेरिका अल-क़ायदा के दो नेताओं को विशेष ग्लोबल चरमपंथी घोषित करना चाहता है और ये दोनों ईरान में स्थित हैं.
उन्होंने उनके नाम ये बताए - मोहम्मद अबाटे उर्फ़ अब्दुल रहमान अल-मग़रेबी और सुल्तान यूसुफ़ हसन अल-आरिफ़.
पॉम्पियो ने कहा कि अमेरिका मग़रेबी का सुराग़ या पहचान बताने वाले को 70 लाख डॉलर का इनाम देगा.
अमेरिका कथित तौर पर ईरान में रह रहे अल-क़ायदा के दो अन्य नेताओं के लिए पहले ही इनाम की पेशकश कर चुका है. उनके नाम हैं सैफ़ अल-आदिल और यासीन अल-सूरी.
2001 में अफ़ग़ानिस्तान पर अमेरिका की अगुआई में हुए हमले के बाद अल-क़ायदा के कई चरमपंथी और ओसामा बिन लादेन के कई संबंधी पड़ोसी देश ईरान भाग गए थे.
ईरानी अधिकारियों का कहना है कि ये लोग अवैध रूप से चले आए थे और उन्हें गिरफ़्तार कर उनके अपने देशों में प्रत्यर्पित कर दिया गया है.
पिछले साल मसरी की मौत की ख़बर आने के बाद ईरान के विदेश मंत्री ने ज़ोर दिया कि उनकी ज़मीन पर अल-क़ायदा का कोई भी "आतंकवादी" मौजूद नहीं है.
मंगलवार को ईरान सरकार के एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, "ईरान, अमेरिका और उससे जुड़े समूहों के बरसों से चलाए जा रहे आतंकवाद का शिकार रहा है और उसका अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई में रिकॉर्ड स्पष्ट है."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिका के एक पूर्व वरिष्ठ ख़ुफ़िया अधिकारी के हवाले से लिखा है कि ईरान 9/11 के पहले या बाद, कभी भी अल-क़ायदा के क़रीब नहीं रहा है, और "उनके बीच अभी किसी तरह के सहयोग के दावे को सतर्क होकर देखना चाहिए".
आलोचकों ने पॉम्पियो के बयानों के समय पर भी सवाल उठाए हैं और कहा कि ऐसा लगता है कि वो जो बाइडन के लिए ईरान से दोबारा संपर्क करने और 2015 की ईरान की परमाणु संधि में दोबारा शामिल होने के प्रयासों में कठिनाई पैदा करने की कोशिश करना चाहते हैं. (bbc.com)