राष्ट्रीय
COURTESY - SAT SINGH
-सत सिंह
हरियाणा में कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया (केआईए) के ख़िलाफ़ प्रवासी मज़दूरों के लंबित वेतन के लिए आवाज़ उठा रहीं 24 साल की नवदीप कौर पिछले 11 दिनों से जेल में हैं. केआईए सिंघु बॉर्डर से सटा सोनीपत का इलाका है.
हरियाणा पुलिस ने उन पर 12 जनवरी को कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं.
एफआईआर के मुताबिक, नवदीप कौर मूल रूप से पंजाब की रहने वाली हैं, लेकिन वे केआईए में काम करती थीं. इसमें कहा गया है कि वे कथित रूप से अवैध धन वसूली का काम कर रही थीं और जब पुलिस अधिकारियों की एक टीम उनके पास पहुंची तो पुलिसवालों पर लाठियों से हमला किया गया.
पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस हमले में कई पुलिसवाले घायल हो गए थे. 12 फरवरी को पुलिस ने कौर को अरेस्ट कर लिया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को है.
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नवदीप की बड़ी बहन राजवीर कौर का कहना है कि पुलिस ने नवदीप के साथ मारपीट की थी. राजवीर कौर का कहना है कि नवदीप दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी किए हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी बहन केआईए में मौजूद एक यूनिट में काम कर चुकी हैं, लेकिन वे प्रवासी मजदूरों की आवाज़ भी उठा रही थीं.
राजवीर कौर ने कहा कि प्रवासी मज़दूर लॉकडाउन के दौरान संकट में फंस गए थे और इंडस्ट्रियल यूनिट्स ने उन्हें बकाया पैसों का भुगतान नहीं किया था. नवदीप मज़दूर अधिकार संघर्ष (एमएएस) का हिस्सा रह चुकी हैं और वे मजदूरों के बकाया वेतन के मसले पर यूनिट्स के गेट्स पर प्रदर्शनों में शामिल रही हैं.
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरना देने के बाद केआईए के मजदूरों ने भी इस विरोध को अपना समर्थन दे दिया. वे कहती हैं, "किसान आंदोलन को सपोर्ट करने की वजह से मेरी बहन की नौकरी चली गई."
राजवीर कौर कहती हैं कि बकाया भुगतान की मांग को लेकर मजदूरों के प्रदर्शन रोकने के लिए केआईए ने एक त्वरित कार्रवाई दस्ता (क्यूआरटी) बना लिया था.
बीते साल 28 दिसंबर को जब मज़दूर प्रदर्शन कर रहे थे, तब एक क्यूआरटी ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया.
इस बाबत क्यूआरटी के सदस्यों के ख़िलाफ़ एक शिकायत सोनीपत के एसएसपी से की गई थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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वो कहती हैं कि 12 जनवरी को नवदीप को पुलिस ने पकड़ लिया. पुलिस ने उन्हें जानबूझकर पकड़ा है क्योंकि वे मजदूरों की एक मुखर आवाज़ बनकर उभरी हैं.
उनका कहना है कि पुरुष पुलिसवालों ने उन्हें अरेस्ट किया और कस्टडी में पुरुष पुलिसवालों ने उनके साथ मारपीट की. नवदीप 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं.
दूसरी ओर सोनीपत के डिप्टी एसपी राव वीरेंदर ने बीबीसी को बताया कि अभियुक्त लड़की और 50 अन्य पुरुषों ने पुलिस पर हमला किया था.
डीएसपी वीरेंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अरेस्ट किए जाने के बाद महिला थाने ले जाया गया था और उसी शाम उन्हें जज के सामने पेश किया गया था.
पुलिस ने कहा है, "अगर उनके साथ मारपीट की गई थी तो उन्हें जज के सामने इस बात को बताना चाहिए था. सभी आरोप झूठे हैं."
'धमकियों के बावजूद पीछे नहीं हटी थीं नवदीप'
मज़दूर अधिकार संगठन की कार्यकर्ता रजीत ने बताया कि जिस दिन नवदीप कौर की गिरफ़्तारी हुई थी, उस दिन वो लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन पुलिस का एक दल आया और बेरहमी से पीटने लगा.
वो बताती हैं, "पुलिस वाले आए और तनख्वाह के लिए प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों को पीटने लगे. पुलिस वालों ने क्यूआरटी सदस्यों की मदद से प्रदर्शनकारियों का पीछा कर नवदीप कौर को पकड़ लिया."
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नवदीप कौर के साथ काम करने वाली रजीत बताती हैं कि नवदीप प्रवासी मज़दूरों के हक के लिए होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में काफी सक्रिय थीं. करीब छह सौ ऐसी शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि उन्हें तनख्वाह नहीं दी जा रही हैं.
वो कहती हैं, "नवदीप को मजदूरों की आवाज़ उठाने के लिए लगातार धमकियाँ मिल रही थीं लेकिन वो मजदूरों को न्याय दिलाने को लेकर संकल्पित थीं. इसकी क़ीमत उसे चुकानी पड़ी है."
कुंडली इंडस्ट्री में काम करने वाले एक मज़दूर राज कुमार ने बताया कि नवदीप मज़दूरों के पैसे दिलवाने के लिए दबाव डालने में अहम भूमिका निभा रही थीं.
वो बताते हैं कि, "सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के पहुँचने के बाद वो काफी सक्रिय हो गई थीं. किसान भी मजदूरों की मांग का समर्थन कर रहे थे. "
राज कुमार का कहना है कि कंपनी के मालिकों ने पुलिस को अपने साथ मिला रखा है ताकि मज़दूर उनके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठा सके. (bbc.com)