खेल

जो रूट ने केविन पीटरसन की करिश्माई पारी याद दिलाई
07-Feb-2021 1:05 PM
जो रूट ने केविन पीटरसन की करिश्माई पारी याद दिलाई

चेन्नई टेस्ट में जो रूट ने शानदार दोहरा शतक बनाया. उनकी इस पारी को किसी भी इंग्लिश बल्लेबाज़ की भारत में बेहतरीन पारियों में गिना जाएगा.

लोग इसकी तुलना इंग्लैंड की ओर से भारत में खेली गई एक पारी से ज़रूर करेंगे जिसे अब तक भारत में किसी भी इंग्लिश बल्लेबाज़ी की सबसे बेहतरीन पारी कहा जाता है.

ये पारी केविन पीटरसन ने 2012 के मुंबई टेस्ट में खेली थी. उनकी 186 रनों की शानदार पारी के चलते ही इंग्लैंड इस सिरीज़ में पिछड़ने के बाद ना केवल वापसी करने में कामयाब रहा था बल्कि 27 सालों में पहली बार भारतीय ज़मीन पर टेस्ट सिरीज़ जीतने में भी कामयाब हुआ था. ये सिरीज़ इसलिए भी लोगों को याद रहती है क्योंकि इसके बाद भारत अपनी ज़मीन पर टेस्ट सिरीज़ नहीं हारा है.

केविन पीटरसन के लिए यह पारी इसलिए भी ख़ास थी क्योंकि टीम के तत्कालीन कप्तान एंड्रूय स्ट्रॉस के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाड़ियों के साथ टेक्स्ट संदेशों वाले विवाद के बाद उन्होंने टीम के लिए बेहतरीन योगदान दिया था.

उस पारी की कहानी
बीबीसी के टेस्ट मैच स्पेशल पॉडकास्ट में पीटरसन ने बताया कि किस तरह से मुंबई में उन्होंने वह शानदार पारी खेली थी.

दक्षिण अफ्ऱीका में अंतिम टेस्ट से पहले पीटरसन को बाहर कर दिया गया था और वे श्रीलंका में खेले गए वर्ल्ड टी-20 में भी हिस्सा नहीं ले पाए थे. लेकिन भारत के ख़िलाफ़ सिरीज़ से एक महीने पहले उन्हें टीम में शामिल किया गया और टीम की कमान एलिस्टर कुक को थमाई गई थी.

इस सिरीज़ के बारे में पीटरसन ने बताया, "वह एक बड़ा दौरा था, जिसमें सभी बड़े खिलाड़ियों से अच्छे प्रदर्शन की ज़रूरत थी. हमारी टीम काफ़ी मज़बूत थी और हमारा मनोबल काफ़ी बढ़ा हुआ था. हर कोई अपनी भूमिका को समझ रहा था. हमारी टीम ने अपना स्तर ऊंचा कर लिया था. हम ऑस्ट्रेलिया को घर और बाहर दोनों जगहों पर हरा चुके थे लेकिन भारत को भारत में हराना बेहद मुश्किल चुनौती साबित होने वाला था."

इंग्लैंड ने अभ्यास मैचों में अच्छा खेल दिखाया. पीटरसन सहित पांच बल्लेबाज़ों ने शतक जमाया. इसके बाद सिरीज़ का पहला टेस्ट मैच अहमदाबाद में खेला गया.

वीरेंद्र सहवाग ने 117 रन बनाए जबकि चेतेश्वर पुजारा ने दोहरा शतक बनाया. इसके जवाब में इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 191 रनों पर सिमट गई थी. पीटरसन ने पहली पारी में 17 रन और दूसरी पारी में दो रन बनाए थे और दोनों पारी में बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने उन्हें अपना शिकार बनाया था. इस बारे में पीटरसन ने बताया, "मेरी आलोचना होने लगी थी. लेकिन यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी. जब भी मैं रन बनाता तब मैं अच्छा हो जाता, जब भी रन नहीं बनते मैं ख़राब. यह ऐसा कुछ नहीं था जिस पर मैं हैरान होता."

"मैं अपनी तकनीक को लेकर चिंतित था. छोटी छोटी ग़लतियां करने पर खुद पर अचरज हो रहा था. मैं ये सोच रहा था कि क्या मेरा पांव उस तरह नहीं चल रहा है, जैसे चलना चाहिए? क्या मैं गेंद को उन क्षेत्रों में हिट नहीं कर पा रहा था, जिनमें अभ्यास के दौरान कर पाता था?"

"जब मैं दूसरी पारी में आउट हो गया तो मैं कोच एंडी फ्लावर और स्पिन गेंदबाज़ी कोच मुश्ताक अहमद के साथ नेट्स पर गया और एक घंटे तक प्रैक्टिस करता रहा, हालांकि तब मैच चल रहा था. लेकिन मैं एक घंटे तक नेट्स पर प्रैक्टिस करता रहा क्योंकि मैं अपने दिमाग़ को सही दिशा में रखना चाहता था. मैं केवल यह सोच रहा था कि यहां जो ग़लती पांच मिनट पहले की है वो अगले मैच में नहीं करूंगा."

"कई बार जब आप बड़े मुक़ाबले के लिए उतरते हैं तो अत्यधिक उत्साहित हो जाते हैं. ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ. अत्यधिक उत्साह में मैं आउट भी हो जाता था. मैंने इस प्रक्रिया को धीमा करना चाहता था. मूमेंटम को बनाए रखना चाहता था."

"मैंने अपने डिफेंस पर ध्यान दिया और यह सुनिश्चित किया कि स्पिनरों के ख़िलाफ़ यह ठोस रहे. मैंने इसके बाद अपने डिफेंस पर ही अभ्यास किया. पांव के मूवमेंट पर ध्यान दिया. शाट्स खेलने के लिए कहां तक पांव पहुंचता है, इस पर काम किया. मुंबई टेस्ट से तीन दिन पहले तक मैं यही करता रहा."
इंग्लैंड ने पहले टेस्ट की दूसरी पारी में थोड़ा बेहतर खेल दिखाया. एलिस्टर कुक ने 176 रन बनाकर कुछ संघर्ष ज़रूर दिखाया लेकिन इंग्लैंड ये टेस्ट नौ विकेट से हार गया था. मुंबई में खेले दूसरे टेस्ट में भारत की पहली पारी 327 रनों पर समाप्त हुई. इसके बाद पीटरसन जब क्रीज पर कुक का साथ देने उतरे तब इंग्लैंड का स्कोर दो विकेट पर 68 रन था.

पीटरसन ने बताया, "टेस्ट से पहले कुछ दिनों तक मैं लगातार अभ्यास कर रहा था. इंग्लिश बल्लेबाज़ के तौर पर वह अभ्यास के सबसे बेहतरीन दिन थे. मैं अपने पांव के मूवमेंट को बेहतर करना चाहता था, मैं अपने डिफेंस को बेहतर करना चाहता था, मैं यह जान गया था कि मैं यहां रन बना सकता हूं."

"कुछ दिन ऐसे होते हैं जब क्रीज पर उतरते ही मुझे मालूम चल जाता था कि मैं रन बनाऊंगा. बल्ले के साथ क्रीज़ पर उतरने और गार्ड लेने के साथ मैं शुरू हो जाता था. कई दिन ऐसे में होते थे जब गार्ड लेने के बाद मुझे लगता था कि दस रन तक पहुंचने के लिए भी मुझे संघर्ष करना पड़ेगा."

"मुंबई में क्रीज़ पर उतरते ही मुझे नेट्स जैसा महसूस होने लगा था, मुझे लग गया कि मैं यहां रन बनाऊंगा. हालांकि कितने रन बनाऊंगा, इसका अंदाज़ा नहीं था."

मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में उस गर्मी और उमस में केविन पीटरसन अपनी लय में थे और उन्होंने तीसरे विकेट के लिए कुक के साथ 206 रन जोड़ दिए.
इस पार्टनरशिप के बारे में पीटरसन ने बताया, "कुक के साथ हुई बातचीत मुझे याद नहीं है. लेकिन हमलोग एक दूसरे को वेलडन और कीप गोइंग कह रहे थे. लेंथ वाली गेंदों पर शाट्स खेलना है, इसे बारे में भी बात हुई थी. कुक अपने हिसाब से गेंदबाज़ों और फील्डरों को परेशान कर रहे थे. दूसरी तरफ मैं भी अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रहा था. हमारी साझेदारी इसलिए भी लंबी चली क्योंकि गेंदबाज़ों को दोनों बल्लेबाज़ों के लिए अलग अलग रणनीति अपनानी पड़ रही थी."

शानदार फुटवर्क का प्रदर्शन
पीटरसन ने अपनी पारी में शानदार फुटवर्क दिखाया. क्रीज के आगे पीछे होकर उन्होंने लगातार रन बटोरे. रिवर्स स्वीप के जरिए उन्होंने अपना शतक पूरा किया. ये टेस्ट करियर में पीटरसन का 22वां टेस्ट शतक था. उस वक्त उन्होंने कुक, कोलिन काउड्रे, वाली हैमंड और जेफ्री बॉयकॉट की बराबरी की थी.

पीटरसन याद करते हुए कहते हैं, "जब लोग इतने बड़े खिलाड़ियों के साथ नाम जोड़ते हैं तो अजीब लगता है. आप मेरे आँकड़े देखें, रिकॉर्ड्स देखें तो मुझे यह वास्तविक नहीं लगता. लेकिन इस तरह की बातें सुनकर खुशी होती है. अब तो ऐसे दौर में हूं जहां टेस्ट शतक बनाने की बात एकदम अलग दुनिया लगती है, ऐसा लगता है कि वे उपलब्धियां किसी और की हैं."

पीटरसन ने मुंबई टेस्ट में बल्ला उठाकर शतक पूरा होने का जश्न मनाया था, कुक ने उन्हें गले से लगाया. इसके बाद उन्हें कुछ बेहतरीन शाट्स खेले. जब पीटरसन ने 150 रन पूरे किए तो उन्होंने बल्ला उठाया तो टेस्ट मैच स्पेशल कमेंटेटर हेनरी ब्लोफेल्ड ने उनकी तुलना स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी से की थी.

पीटरसन उन पलों के बारे में याद करते हैं, "मुझे नहीं मालूम कि उस वक्त क्या लग रहा था. टीम में वापसी का भाव था या नहीं, लेकिन वह भावनात्मक पल था. मुझे लग रहा था कि टीम के साथ जो दूरी बन गई थी, वह भी भर चुकी थी."

"मैं तो केवल बल्लेबाज़ी करना चाहता था, रन बनाना चाहता था, इंग्लैंड के लिए मैच जीतना चाहता था. मुझे लगता है कि और मैं सही भी हूं कि अब तक इंग्लैंड के लिए सबसे ज़्यादा मैन ऑफ़ द मैच अवार्ड्स मैंने ही जीते हैं. इससे जो आनंद मिलता है, वह मैं बता नहीं सकता. जब आप पीछे मुड़कर देखते और मैच विनिंग प्रदर्शन को याद करते हैं तो बहुत आनंद महसूस होता है."

"मैं बहुत बार भारत जाता रहा हूं. ढेरों ब्रॉडकास्टर मेरी उस पारी को भारतीय पिचों पर किसी विदेशी बल्लेबाज़ी की सबसे बेहतरीन पारी बताते हैं. यह मुझे सही नहीं लगता. मैं ने ऐसा सोच कर वो पारी खेली भी नहीं थी. मैं चीजों को लुत्फ उठाने में कामयाब रहा था."

जब प्रज्ञान ओझा ने पीटरसन को अपना शिकार बनाया तब तक वे इंग्लैंड को उस स्थिति में पहुंचा चुके थे जहां से इंग्लैंड ने वह टेस्ट 10 विकेट से जीत लिया था. इसके बाद इंग्लैंड ने भारत को कोलकाता टेस्ट में सात विकेट से हराया और नागपुर का टेस्ट ड्रॉ रखकर सिरीज़ जीत ली.

पीटरसन की पारी से सिरीज़ की दिशा बदली थी लेकिन वे खुद इस पारी को अपनी सबसे बेहतरीन पारी नहीं मानते. उनके मुताबिक 2012 में श्रीलंका के कोलंबो में 151 रनों की पारी उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी है.

करियर के तीन सबसे अहम पलों में
पीटरसन अपनी सर्वश्रेष्ठ टेस्ट पारी के बारे में बताते हैं, "मानसिक तौर पर श्रीलंका में मैं 40-50 से ज़्यादा रन बनाने की स्थिति में नहीं था. जाड़े के मौसम में भी मेरे घर में एयरकंडीशनर चलता है क्योंकि मुझे पसीने बहुत आते हैं. डरबन से आने के बाद यह कहना थोड़ा अलग होगा कि मुझे गर्मी बर्दाश्त नहीं होती. लेकिन मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता हूं और नमी से और भी मुश्किल होती है."

"इसलिए श्रीलंका में बनाए गए रन मेरे लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर भी असंभव थे लेकिन मैं केवल खेलता गया. मैंने श्रीलंका में यही अप्रोच अपनाई. भारत में रन बनाना मेरे लिए कभी मुश्किल नहीं रहा. मैंने भारत में हमेशा रन बनाए हैं."

भारत के ख़िलाफ़ सिरीज़ के करीब एक साल बाद ही ऐशेज सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली हार के बाद पीटरसन को टीम से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने सात साल पहले अंतिम बार इंटरनेशनल क्रिकेट में हिस्सा लिया था. लेकिन भारत के ख़िलाफ़ वह टेस्ट सिरीज़ उनके करियर के तीन सबसे अहम पलों में शामिल है.

पीटरसन ने कहा, "2005 की ऐशेज़ की जीत सबसे ख़ास है. इसके बाद इंग्लैंड के लिए 2010 की वर्ल्ड टी20 जीतना ख़ास है. इसके बाद 2012 में भारत के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज की जीत, ये तीनों मेरे करियर के लिए टॉप थ्री अचीवमेंट हैं."

केविन पीटरसन ने मुंबई टेस्ट की पहली पारी में 186 रनों की धमाकेदार पारी नहीं खेली होती तो पहले टेस्ट में ज़ोरदार जीत हासिल कर चुकी टीम इंडिया पर शायद ही ब्रेक लग पाता. (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news