राष्ट्रीय
मोहम्मद शोएब खान
नई दिल्ली, 28 फरवरी | इसे शौक कहा जाए, इसे धुन कहा जाए, इसे लगन कहा जाए या कुछ और। पटना के सयैद रुमानुल फैजी यूसुफ को पुराने सिक्के इकट्ठा करने का शौक है। उनके पास प्राचीन काल से लेकर अब तक के करीब 7000 से अधिक सिक्के मौजूद हैं।
यूसुफ ने विभिन्न देशों के दुर्लभ सिक्कों सहित मध्यकालीन और प्राचीन भारत के इतिहास को भी संजोकर रखा हुआ है। वहीं इन दुर्लभ सिक्कों के साथ उसके इतिहास को भी तलाश करने का प्रयास किया।
हर सिक्के के साथ उसके चालू होने का वर्ष, मूल्य और धातु आदि स्पष्ट रूप से लिख रखा है। सिक्कों को देखकर उस दौर के राजा, महाराजा, बादशाह और नवाब आदि की यादें ताजा हो जाती है।
दरअसल पुरानी मुद्रा हर कोई रखना चाहता है, मगर पटना निवासी यूसुफ नोट और सिक्के खरीदने का शौक भी रखते हैं। उन्हें कोई भी पुराना या कुछ अलग सिक्का मिला, तो खरीदने के लिए उसकी बोली लगा देते हैं।
महारानी विक्टोरिया के समय से लेकर आज तक के सभी सिक्के इनके संग्रह में हैं। अपने इस संग्रह को बढ़ाने के लिए वो हमेशा पुराने सिक्कों की तलाश में रहते हैं।
यूसुफ को सिक्के और नोट इकट्ठा करने का इतना ज्यादा शौक है कि मौजूदा वक्त में उनके पास चंद्रगुप्त सम्राट, मॉडर्न से लेकर मुगल और शिवाजी महाराज, ब्रिटिश पीरियड, रोमन ईम्पायर, इंडो-ग्रीक, इंडियन प्रिन्स्ली स्टेट्स, इंडो-फ्ऱेंच, इंडो-डच, इंडो-पॉचुर्गीज और ओटोमैन इंपायर के सिक्के एवं 20, 25, 50, 60, 75, 100, 125, 150, 200, 250, 350, 500, 550,1000 रुपए के सिक्कों के सेट का दुर्लभ कलेक्शन मौजूद है।
यूसुफ ने इस शौक के बारे में आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, "अब तक कुल 7000 से अधिक दुर्लभ सिक्कों का कलेक्शन है, वहीं करीब 200 देशों के ढाई हजार सिक्के मेरे पास है और 125 देशों के नोट का कलेक्शन है। भारतीय नोट में अब तक जितने नोट निकले हैं कुछ को छोड़ कर, सभी मौजूद हैं। वहीं जितने गवर्नर के सिग्नेचर से निकले हैं, वो सब मौजूद हैं। एक रुपए का नोट फाइनेंस सेक्रेट्री निकालते हैं, उनके द्वारा निकाले गए अलग अलग डिजाइन के नोट कलेक्शन में शामिल हैं।"
दरअसल सिक्कों को इकट्ठा करने के पीछे एक बड़ा ही दिलचस्प वाकया है। यूसुफ के बड़े भैया को सिक्के जमा करने का शौक था, उन्हीं में से एक सिक्के से यूसुफ ने टॉफी खरीद ली। इस बात पर यूसुफ के भाई इतने नाराज हुए कि उन्होंने अपने जमा सिक्के यूसुफ को सौंप दिया। जिसके बाद से वो सिक्के इकट्ठा करने का सिलसिला एक जिम्मेदारी और शौक के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। (आईएएनएस)