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महिला दिवस : आंतरिक स्वच्छता को लेकर महिलाओं में जागरूकता फैलाना जरूरी
07-Mar-2021 7:54 PM
महिला दिवस : आंतरिक स्वच्छता को लेकर महिलाओं में जागरूकता फैलाना जरूरी

नई दिल्ली, 7 मार्च | अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय वैज्ञानिकों ने महिलाओं को संक्रमण से बचाने के लिए नई तकनीक विकसित की है। इसका कारण यह है कि कोरोना महामारी में सरकार लोगों से स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए जोर दे रही है। बार-बार हाथ धोने की आदत और चेहरे पर मास्क लगाना ही असली वैक्सीन है। ऐसे में महिलाओं में आंतरिक स्वच्छता को लेकर भी सवाल उठते हैं जिनकी वजह से उन्हें काफी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसीलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुथ वेदा को विकसित किया है। अक्सर रसायन युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से महिलाओं पर उल्टा असर पड़ता है। खासतौर पर अगर आंतरिक अंगों की स्वच्छता को लेकर बात करें तो और भी ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता है।

इन्हीं रसायनों से महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए एमिल फॉर्मा के वैज्ञानिकों ने पाया कि हर्बल उत्पादों में इस्तेमाल रसायनों की जगह औषधियों के इस्तेमाल से संक्रमण की आशंका को बेहद कम किया जा सकता है।

इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी और हल्दी का उपयोग कर आयुथ वेदा के तहत वेजिटोन हाइजीन वॉश को तैयार किया। सल्फेट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, सिलिकॉन और आर्टिफिशियल कलर इत्यादि को इससे दूर रखा गया। इसके लिए उन्होंने सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया।

एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि महिलाओं को उत्कृष्ट व्यक्तिगत अंतरंग स्वच्छता प्रदान करने के लिए पीएच फामूर्ला पर वेजिटोन को तैयार किया है। इसमें ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक अपने विशेष गुणों से जीवाणुओं को नष्ट करता है। साथ ही पीएच संतुलन को बनाए रखना भी जरूरी है।

जानकारी के अनुसार महिलाओं के आंतरिक अंगों की स्वच्छता के लिए बने वेजिटोन में ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक आदि हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण जीवाणुओं के संक्रमण को रोकते हैं।

दिल्ली स्थित आयुर्वेद अस्पताल के निदेशक डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि जरा सी लापरवाही से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आयुर्वेद और औषधियुक्त उत्पाद ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

आंकड़ों की मानें तो देश में प्रत्येक 10 में से आठ महिलाओं को योनि संक्रमण का खतरा बना रहता है। जबकि 80 फीसदी से भी ज्यादा महिलाओं अंतरंग स्वच्छता के महत्व को नजरअंदाज करती है जिसके कारण इन्हें कई तरह के संक्रमण का सामना करना पड़ता है। 18 से 45 वर्ष आयु की महिलाएं अपने कार्यों की व्यस्तता या संकोच के कारण नहीं बता पातीं। (आईएएनएस)
 

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