खेल
-आदेश कुमार गुप्त
भारत के स्टार बल्लेबाज़ रोहित शर्मा इन दिनों एक ऐसी पहेली बने हुए हैं, जिसका हल और कारण किसी को समझ नहीं आ रहा है.
ऑस्ट्रेलियाई दौरे के बाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेली गई चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ में उन्होंने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था, जिसकी बदौलत भारत पहले टेस्ट मैच में हारने के बाद भी 3-1 से सिरीज़ जीतने में कामयाब रहा. उसके बाद किसी को भी इस बात को लेकर कोई रत्तीभर संदेह नही था कि वह इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पाँच मैचों की टी-20 सिरीज़ खेलेंगे या नहीं.
क्रिकेट में वैसे भी उस खिलाड़ी के चयन पर कोई सवाल नहीं होता, जो ज़बरदस्त फ़ॉर्म में हो, क्योंकि दुनिया की कोई भी टीम मैच विनर खिलाड़ी को टीम से बाहर रखने का ख़तरा मोल नहीं लेती. खेल समीक्षक भी कहते हैं कि अगर ऐसा खिलाड़ी 70-80 फ़ीसदी भी फ़िट हो तो उसे मौक़ा मिलना चाहिए.
लेकिन जब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले टी-20 मैच में टॉस हारने के बाद विराट कोहली ने कहा कि रोहित शर्मा की जगह शिखर धवन केएल राहुल के साथ सलामी बल्लेबाज़ होंगे, तो हर कोई हैरान रह गया. आख़िरकार एक दिन पहले ही तो कप्तान विराट कोहली ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि रोहित शर्मा को टीम से बाहर नहीं रखा जा सकता और वह केएल राहुल के साथ बतौर ओपनर खेलेंगे. ऐसे में शिखर धवन तो इंतज़ार करना पड़ेगा.
रोहित शर्मा के ना खेलने से सभी इसलिए भी हैरान थे कि कहीं से यह ख़बर भी नहीं आई कि वह अनफ़िट हैं. आश्चर्य की हद तो तब हो गई, जब पहले मैच में कप्तान विराट कोहली समेत भारत का टॉप ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया और भारत आठ विकेट से हार गया.
इसके बावजूद दूसरे मैच में भी रोहित शर्मा को खेलने का मौक़ा नहीं दिया गया. कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट की तरफ़ से भी कोई ब्यान नहीं आया कि आख़िरकार रोहित शर्मा क्यो नहीं खेल रहे हैं?
कुछ ऐसा ही रोहित शर्मा के साथ ऑस्ट्रेलियाई दौरे में भी हुआ था, जब किसी को पता नहीं था कि वह क्यों टीम के साथ नहीं जा रहे हैं. अगर वह चोटिल थे, तो कैसे वह आईपीएल का सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल खेल गए?
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दूसरे टी-20 मैच में शिखर धवन की जगह ईशान किशन को केएल राहुल के साथ सलामी जोड़ीदार के रूप में आज़माया गया. केएल राहुल तो छह गेंदों पर खाता खोने बग़ैर आउट हो गए, लेकिन ईशान किशन ने अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में तूफ़ान लाते हुए केवल 32 गेंदों पर 56 रन ठोक दिए.
उन्होंने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में पहली गेंद से ही ऐसे बल्लेबाज़ी की, जैसे वह बहुत अरसे से टीम का हिस्सा हैं या फ़िर उन्हें वैसी गारंटी दी गई है, जैसी कभी सौरभ गांगुली ने वीरेंदर सहवाग को दी थी कि जाओ और खुलकर खेलों, अगर नहीं भी चले, तो कोई बात नहीं, सिरीज़ से बाहर नहीं होगे.
लेकिन इन सबके बावजूद रोहित शर्मा का शुरूआती दो मैच में टीम से बाहर रहना सबको खल रहा है.
इस उहापोह की स्थिति को लेकर क्रिकेट समीक्षक अयाज़ मेमन कहते हैं कि अब जबकि टी-20 वर्ल्ड कप से पहले भारत को केवल पाँच टी-20 मैच खेलने हैं, तो उससे पहले रोहित शर्मा को ना खिलाना ताज्जुब की बात तो है ही, साथ ही हैरानी की बात भी है कि एक दिन पहले कप्तान विराट कोहली कहते हैं कि वह खेलेंगे और अगले दिन टॉस पर कहते हैं कि उन्हें आराम दिया गया है.
अयाज़ मेमन आगे कहते हैं कि रोहित शर्मा पिछले छह सात महीने से आईपीएल, ऑस्ट्रेलिया और उसके बाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भी शानदार प्रदर्शन करने में क़ामयाब रहे हैं. अगर भारत शुरूआती दो मैचों में उन्हें खिलाता और जीतकर बढ़त भी ले लेता, तो उसके बाद रोहित शर्मा को आराम दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्हें क्यों आराम दिया गया समझ से परे है.
अब अगर रोहित शर्मा को आराम दिया भी गया है तो उसकी वजह टीम मैनेजमेंट क्यों नहीं बताता. क्या यह बीसीसीआई की पुरानी आदत है?
इस सवाल को लेकर अयाज़ मेमन मानते हैं कि इसके लिए बीसीसीआई ज़िम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसकी चयन समिति तो 15-16 खिलाड़ियों का चयन कर देती है. उसके बाद अंतिम 11 में कौन खेलेगा, इसका फ़ैसला कप्तान और कोच करते हैं. हो सकता है यह एक प्रयोग हो जिसके तहत वह शिखर धवन और केएल राहुल को एक राइटहैंड-लेफ़्टहैंड जोड़ी को आज़माना चाहते हों.
केएल राहुल को पिछले काफ़ी समय से खेलने का मौक़ा नहीं मिला था, तो शायद उन्हें भी अवसर देना चाहते थे. अब वह विकेटकीपर के तौर पर भी नहीं खेल सकते, क्योंकि ऋषभ पंत भी टीम में शामिल है. लेकिन जो भी हो रोहित शर्मा को ना खिलाना या तो बड़े गुर्दे वाला काम है या फ़िर बेवक़ूफ़ी वाला.
क्या इससे रोहित शर्मा के मनोबल पर असर पड़ेगा? इसे लेकर अयाज़ मेमन मानते हैं कि रोहित शर्मा बेहद अनुभवी खिलाड़ी हैं और इस तरह की बातों से दो-चार होना जानते हैं. लेकिन रोहित शर्मा उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्हें लेकर सबको पता था कि उनकी जगह टीम में पक्की है. उनके अलावा विकेट कोहली और ऋषभ पंत ही ऐसे खिलाड़ी हैं, बाक़ी के खेलने को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता.
अयाज़ मेमन आगे कहते हैं कि आजकल पहले की तरह टीम में 15 खिलाड़ी नहीं होते, बल्कि 17-18 खिलाड़ी होते हैं, ऐसे में सबको मौक़ा मिलता रहता है. इसके फ़ायदे भी हैं और नुक़सान भी. अगर पहले की तरह 15 खिलाड़ी होते, तो शायद ईशान किशन को उनमें भी शामिल होने का मौक़ा नहीं मिलता और रोहित शर्मा ही खेलते. अब रोहित शर्मा को नहीं खिलाने का निर्णय लेकिन समझ में नहीं आया.
अयाज़ मेमन का एक और दिलचस्प तर्क ये है कि हो सकता है कि विराट कोहली ख़ुद इस सिरीज़ के बचे हुए मैचों से आराम ले ले और रोहित शर्मा कप्तान के तौर पर खेले. अयाज़ मेमन आगे कहते हैं कि यह भारतीय क्रिकेट है, जिसमें निर्णय गुगली की तरह आते हैं, जिनके बारे में पहले से कोई नहीं जानता.
पूर्व चयनकर्ता और आलराउंडर रहे मदन लाल कहते हैं कि रोहित शर्मा को शायद इसलिए नहीं खिलाया गया कि शायद टीम मैनेजमेंट कुछ ऐसे खिलाड़ियों को मौक़ा देना चाहता था, जो भविष्य में बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते है. अब विराट कोहली को ईशान किशन के रूप में ऐसा खिलाड़ी मिल गया है, जो लंबे समय तक टीम में खेल सकता है.
लेकिन इसके लिए रोहित शर्मा की बलि क्यो दी गई? इसे लेकर मदन लाल कहते हैं कि आजकल क्रिकेट बहुत अधिक हो रही है. इसके अलावा सफ़र भी बहुत होता है, खिलाड़ी को शारिरिक से अधिक मानसिक थकान होती है. इससे बचने के लिए खिलाड़ी को ब्रेक देना भी ज़रूरी है. पिछले तीन महीने से खिलाड़ी खेल रहे हैं और बायोबबल में रह रहे हैं. टीम से बाहर होकर वह थोड़ा तरोताज़ा हो जाते हैं. (bbc.com)