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इस समय 209 देश 14 इस हालत में हैं
कुछ देश लॉकडाउन में लगातार ढील दे रहे हैं, तो दूसरे देशों से नए मामलों की रिपोर्ट आ रही है. वैश्विक स्तर पर मिल रहे आंकड़े दिखाते हैं कि महामारी का फिलहाल अंत नहीं दिख रहा. डॉयचे वेले लेकर आया है आपके लिए ताजा आंकड़े.
कोरोना वायरस का वैश्विक रुझान क्या है?
सभी देशों का लक्ष्य है चार्ट के नीले हिस्से की ओर जाना और वहां बने रहना. इस सेक्शन के देशों ने पिछले सात दिनों में और उससे पहले के एक हफ्ते में किसी नए संक्रमण की सूचना नहीं दी है.
इस समय 209 देशों में 14 इस हालत में हैं.
पिछले हफ्तों में कोविड-19 का रुझान किस तरह बदला है?
स्थिति थोड़ी बिगड़ी है: पिछले हफ्ते के मुकाबले इस हफ्ते 87 देशों ने संक्रमण के ज्यादा मामलों की रिपोर्ट दी है.
मेरे देश में कोविड-19 की मौजूदा हालत क्या है?
पिछले 14 दिनों में कोविड-19 के मामलों के नए आंकड़ों के आधार पर देशों और क्षेत्रों का क्लासिफिकेशन:
इस हफ्ते यहां देखे गए पिछले हफ्ते की तुलना में दोगुने से ज्यादा नए मामले:
एशिया: साइप्रस, फिलीपींस, वियतनाम
अफ्रीका: बेनिन, जीबूती, गाम्बिया
अमेरिका: अरूबा, बरबाडोस, बेलीज, गुयाना, टर्क्स एंड केकोस आइलैंड्स, यूएस वर्जिन आइलैंड्स
यूरोप: एस्तोनिया, फिनलैंड, ग्रीस, जर्सी, माल्टा, नॉर्वे
ओशिआनिया: गुआम, न्यूूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी
इस हफ्ते पिछले हफ्ते की तुलना में ज्यादा नए मामले:
एशिया: भारत, ईरान, इराक, जापान, लेबनान, माल्दीव,
नेपाल, सिंगापुर, सीरिया, तिमोर लेस्ट, तुर्की, उज्बेकिस्तान
अफ्रीका: अंगोला, केप वैर्डे, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो,
इक्वेटोरियल गिनी, घाना, गिनी बिसाउ, केन्या, लीबिया, मोरक्को,
मोजांबिक, नामीबिया, नाइजर, सेशेल्स, दक्षिण सूडान, सूडान, ट्यूनीशिया, जिम्बाब्वे
अमेरिका: अर्जेंटीना, बहामस, बोलिविया, बोनेयर, ब्रिटिश वियतनाम आइलैंड,
कोलंबिया, क्यूबा, अल सल्वाडोर, जमैका, मेक्सिको, पाराग्वे, पेरू,
पुएर्तो रिको, सेंट विंसेंट, सूरीनाम, ट्रिनिडाड और टोबैगो, वेनेजुएला
यूरोप: अल्बानिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड,
इटली, लाटविया, लिथुएनिया, मोल्दोवा, नीदरलैंड्स, पोलैंड, सान मरीनो,
स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम
ओशिआनिया: ऑस्ट्रेलिया
इस हफ्ते भी पिछले हफ्ते जितने नए मामले (कोई बदलाव नहीं या प्लस माइनस 7 मामले):
एशिया: भूटान, मंगोलिया, म्यांमार, ताइवान, थाइलैंड
अफ्रीका: बुरकिना फासो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, माली, यूगांडा
अमेरिका: बैरमुडा, कुरासाव, निकारागुआ, सिंट मार्टिन
यूरोप: जिब्राल्टर, मोनक्को
ओशिआनिया: नदर्न मारियाना आइलैंड्स
यहां देखे गए पिछले हफ्ते के मुकाबले कम नए मामले:
एशिया: अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबाइजान, बहरीन, बांग्लादेश, चीन, जॉर्जिया,
इंडोनेशिया, इस्राएल, जॉर्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, मलेशिया, पाकिस्तान,
फलीस्तीन, कतर, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, ताजिकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, यमन
अफ्रीका: अल्जीरिया, बोत्स्वाना, कैमरून, कॉन्गो, एस्वातिनी, इथियोपिया,
गाबोन, गिनी, लेसोथो, लाइबेरिया, मैडागास्कर, मलावी, नाइजीरिया,
सेनेगल, सियरा लियोने, दक्षिण अफ्रीका, टोगो, जाम्बिया
अमेरिका: ब्राजील, कनाडा, चिली, कोस्टा रिका, डोमिनिकन रिपब्लिक,
इक्वाडोर, गुआतेमाला, हैती, होंडुरास, पनामा, संयुक्त्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे
यूरोप: अंडोरा, ऑस्ट्रिया, बेलारूस, बेल्जियम, बोसनिया हैर्जेगोविना, बल्गारिया,
क्रोएशिया, चेक रिपब्लिक, फेरो आइलैंड्स, हंगरी, कोसोवो, लक्जेमबुर्ग,
मोंटेनेग्रो, नॉर्थ मैसेडोनिया, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सर्बिया, स्लोवेनिया
यहां देखे गए पिछले हफ्ते के मुकाबले आधे से कम नए मामले:
एशिया: कंबोडिया, लाओस, ओमान, श्रीलंका
अफ्रीका: बुरूंडी, चाड, कोमोरोस, कोट डिवुआ, मिस्र, एरिट्रिया,
मौरितानिया, मॉरीशस, रवांडा, साओ टोमे एंड प्रिंसिपे, सोमालिया
अमेरिका:अंटीगुआ और बारबुडा, ग्रीनलैंड, ग्रेनेडा, सेंट लूशिया
यूरोप: लिष्टेनस्टाइन
यहां देखे गए इस हफ्ते और पिछले हफ्ते जीरो मामले:
एशिया: ब्रूनेई
अफ्रीका: तंजानिया, पश्चिमी सहारा
अमेरिका: अंगुइला, केमैन आइलैंड्स, डोमिनिका, फाल्कलैंड्स, सेंट किट्स
यूरोप: गर्नजी, होली सी, आइल ऑफ मैन
ओशिआनिया: फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, न्यू कैलेडोनिया
ये चार्ट और आर्टिकल हर शुक्रवार 11 बजे से 1 बजे यूटीसी के बीच अपडेट किया जाता है.
यदि अनेलिसिस के बारे में आपके कोई सवाल हैं, तो कोड और मेथेडोलॉजी के लिए प्रोजेक्ट के गिटहब रिपोसिटरी को इस्तेमाल करें. चार्ट पर फीडबैक के लिए [email protected] से संपर्क करें.(dw)
वाशिंगटन, 8 अगस्त (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनियाभर में कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 1.92 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या 719,000 से अधिक हो गई हैं।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि शनिवार की सुबह तक, कुल मामलों की संख्या 19,295,350 थी और इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 719,805 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका संक्रमण के सबसे अधिक 4,940,939 मामलों और 161,328 मौतों के साथ दुनिया का सर्वाधिक प्रभावित देश है।
ब्राजील 2,962,442 संक्रमण और 99,572 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (2,027,074) स्थान पर है, और उसके बाद रूस (875,378), दक्षिण अफ्रीका (545,476), मेक्सिको (469,407), पेरू (455,409), चिली (368,825), कोलम्बिया (357,710), ईरान (322,567), स्पेन (314,362), ब्रिटेन (310,667), सऊदी अरब (285,793), पाकिस्तान (282,645), बांग्लादेश (252,502), इटली (249,756), तुर्की (238,450), अर्जेंटीना (235,677), फ्रांस (235,207), जर्मनी (216,196), इराक (144,064), फिलीपींस (122,754), इंडोनेशिया (121,226), कनाडा (120,901) और कतर (112,383) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश मेक्सिको (51,311), ब्रिटेन (46,596), भारत (41,585), इटली (35,190), फ्रांस (30,327), स्पेन (28,503), पेरू (20,424), ईरान (18,132), रूस (14,698) और कोलम्बिया (11,939) हैं।
वीडियो पोस्ट किया है विश्वविख्यात रेतकलाकार सुदर्शन पटनायक ने...
Jai Jagannath.......???? pic.twitter.com/9dyZiAY8Ug
— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) August 8, 2020
अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अब कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के दो अहम मुद्दे पूरे कर लिए हैं. पहला-जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाना और दूसरा-राम मंदिर के निर्माण की राह प्रशस्त करना.
राम मंदिर के शिलान्यास के अगले ही दिन सोशल मीडिया पर लोगों ने बीजेपी का ध्यान तीसरे वादे, यानी समान नागरिक संहिता यानी 'यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड' लागू करने की तरफ़ खींचा.
इसको लेकर सुबह से ही लोगों ने ट्वीट करने शुरू कर दिए. इनमें से सबसे ज़्यादा ग़ौर करने वाला ट्वीट पत्रकार शाहिद सिद्दीक़ी का था जिन्होंने समान नागरिक संहिता के लागू होने की तारीख़ का भी अंदाज़ा लगा लिया और लिखा कि ये काम भी सरकार पांच अगस्त 2021 तक पूरा कर देगी.
भारत में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस आज़ादी के ज़माने से ही चल रही है.
भारत के संविधान के निर्माताओं ने सुझाव दिया था कि सभी नागरिकों के लिए एक ही तरह का क़ानून रहना चाहिए ताकि इसके तहत उनके विवाह, तलाक़, संपत्ति-विरासत का उत्तराधिकार और गोद लेने के अधिकार को लाया जा सके.
इन मुद्दों का निपटारा वैसे आम तौर पर अलग-अलग धर्म के लोग अपने स्तर पर ही करते रहे हैं.
हर धर्म के लिए समान क़ानून की बहस
इस पेशकश को 'डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी' यानी राज्य के नीति निदेशक तत्वों में रखा गया. फिर भी संविधान निर्माताओं को लगा था कि देश में समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए.
क़ानून के जानकार कहते हैं भारत में समाजिक विविधता देखकर अंग्रेज़ शासक भी हैरान थे. वो इस बात पर भी हैरान थे कि चाहे वो हिन्दू हों या मुसलमान, पारसी हों या ईसाई, सभी के अपने अलग क़ायदे क़ानून हैं.
इसी वजह से तत्कालीन ब्रितानी हुकूमत ने धार्मिक मामलों का निपटारा भी उन्हीं समाजों के परंपरागत क़ानूनों के आधार पर ही करना शुरू कर दिया.
जानकार कहते हैं कि इस दौरान राजा राममोहन रॉय से लेकर कई समाजसेवियों ने हिंदू समाज के अंदर बदलाव लाने का काम किया जिसमें सती प्रथा और बाल विवाह जैसे प्रावधानों को ख़त्म करने की मुहिम चलाई गयी.
आज़ादी के बाद भारत में बनी पहली सरकार 'हिंदू कोड बिल' लेकर आई जिसका उद्देश्य बताया गया कि ये हिंदू समाज की महिलाओं को उन पर लगी बेड़ियों से मुक्ति दिलाने काम करेगा. मगर हिंदू कोड बिल को संसद में ज़ोरदार विरोध का सामना करना पड़ा.
विरोध कर रहे सांसदों का तर्क था कि जनता के चुने गए प्रतिनिधि ही इस पर निर्णय ले सकेंगे क्योंकि यह बहुसंख्यक हिंदू समाज के अधिकारों का मामला है.
कुछ लोगों की नाराज़गी थी कि नेहरू की सरकार सिर्फ़ हिंदुओं को ही इससे बाँधना चाहती है, जबकि दूसरे धर्मों के अनुयायी अपनी पारम्परिक रीतियों के हिसाब से चल सकते हैं.
हिंदू कोड बिल पारित तो नहीं हो पाया मगर 1952 में हिन्दुओं की शादी और दूसरे मामलों पर अलग-अलग कोड बनाए गए.
कुछ प्रमुख कोड
1955 में 'हिंदू मैरिज एक्ट' बनाया गया जिसमें तलाक़ को क़ानूनी मान्यता देने के अलावा अंतरजातीय विवाह को भी मान्यता दी गई. मगर एक से ज़्यादा शादी को ग़ैरक़ानूनी ही रखा गया.
1956 में ही 'हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम', 'हिंदू दत्तक ग्रहण और पोषण अधिनियम' और 'हिंदू अवयस्कता और संरक्षकता अधिनियम' लाया गया.
हिन्दुओं के लिए बनाए गए कोड के दायरे में सिखों, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों को भी लाया गया.
अंग्रेज़ों की हुकूमत के दौरान भी भारत में मुसलमानों के शादी-ब्याह, तलाक़ और उत्तराधिकार के मामलों का फ़ैसला, शरीयत के अनुसार ही होता था.
जिस क़ानून के तहत ऐसा किया जाता रहा, उसे 'मोहम्मडन लॉ' के नाम से जाना जाता है. हालांकि इसकी ज़्यादा व्याख्या नहीं की गई है मगर 'मोहम्मडन लॉ' को 'हिंदू कोड बिल' और इस तरह के दूसरे क़ानूनों के बराबर की ही मान्यता मिली. यह क़ानून 1937 से ही चला आ रहा है.
शाह बानो मामले से आया मोड़
ये क़ानूनी व्यवस्था, संविधान में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार यानी अनुच्छेद-26 के तहत की गई. इसके तहत सभी धार्मिक संप्रदायों और पंथों को सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता के मामलों का स्वयं प्रबंधन करने की आज़ादी मिली.
इसमें मोड़ तब आया जब वर्ष 1985 में मध्य प्रदेश की रहने वाली शाह बानो को उनके पति ने तलाक़ दे दिया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने उनके पति को आदेश दिया कि वो शाह बानो को आजीवन गुजारा भत्ता देते रहें.
शाह बानो के मामले पर जमकर हंगामा हुआ और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद में 'मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स आफ डिवोर्स) एक्ट पास कराया जिसने सुप्रीम कोर्ट के शाह बानो के मामले में दिए गए फ़ैसले को निरस्त करते हुए निर्वाह भत्ते को आजीवन न रखते हुए तलाक़ के बाद के 90 दिन तक सीमित रख दिया गया.
इसी के साथ ही 'सिविल मैरिज एक्ट' भी आया जो देश के सभी लोगों पर लागू होता है. इस क़ानून के तहत मुसलमान भी कोर्ट में शादी कर सकते हैं.
एक से अधिक विवाह को इस क़ानून के तहत अवैध क़रार दिया गया. इस एक्ट के तहत शादी करने वालों को भारत उत्तराधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया और तलाक़ की सूरत में गुज़ारा भत्ता भी सभी समुदायों के लिए एक सामान रखने का प्रावधान किया गया.
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तीन तलाक़ और मुसलमान महिलाओं के हक़
यहाँ ग़ौर करने वाली बात ये है कि विश्व में 22 इस्लामिक देश ऐसे हैं जिन्होंने तीन बार तलाक़ बोलने की प्रथा को पूरी तरह ख़त्म कर दिया है. इनमें पकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, ट्यूनीशिया और अल्जीरिया जैसे देश शामिल हैं.
पकिस्तानी तीन तलाक़ की प्रथा में बदलाव लाने की प्रक्रिया 1955 की एक घटना के बाद शुरू हुई जब वहाँ के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने पत्नी के रहते हुए अपनी निजी सचिव से शादी की थी.
इस शादी का पकिस्तान में जमकर विरोध हुआ था जिसके बाद पकिस्तान की सरकार ने सात सदस्यों वाली एक आयोग का का गठन किया था.
अब जो प्रावधान पकिस्तान में बनाए गए हैं उनके तहत पहली बार तलाक़ बोलने के बाद व्यक्ति को 'यूनियन काउन्सिल' के अध्यक्ष को नोटिस देना अनिवार्य है. इसकी एक प्रति पत्नी को भी देना उसपर अनिवार्य किया गया है.
इन नियमों के उल्लंघन पर पकिस्तान जैसे इस्लामिक देश में एक साल की सज़ा और 5000 रुपये के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है. भारत में काफी बहस और विवाद के बाद आख़िरकार तीन बार तलाक़ बोलने के ख़िलाफ़ एक क़ानून बनाने में कामियाबी हासिल की गई.
केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी का दावा है कि नए क़ानून का लाभ हज़ारों मुस्लिम समाज की महिलाओं को मिला. उनका कहना था कि क़ानून की वजह से ही तलाक़ के मामलों में भी काफ़ी कमी आई है.
वर्ष 2016 में भारत के विधि आयोग ने 'यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड' यानी समान नागरिक संहिता को लेकर आम लोगों की राय माँगी थी. इसके लिए आयोग ने प्रश्नावली भी जारी की जिसे सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया था.
इसमें कुल मिलाकर 16 बिंदुओं पर लोगों से राय माँगी गयी थी. हालांकि पूरा फ़ोकस इस बात पर था कि क्या देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान संहिता होनी चाहिए?
अब समान नागरिक संहिता की बारी?
प्रश्नावली में विवाह, तलाक़, गोद लेना, गार्डियनशिप, गुज़ारा भत्ता, उत्तराधिकार और विरासत से जुड़े पूछे गए थे.
आयोग ने इस बारे में भी राय मांगी थी कि क्या ऐसी संहिता बनाई जाए जिससे अधिकार समान तो मिले ही साथ ही साथ, देश की विविधता भी बनी रहे. लोगों से यह भी पूछा गया था कि क्या समान नागरिक संहिता 'ऑप्शनल' यानी वैकल्पिक होनी चाहिए?
लोगों की राय पॉलीगेमी यानी बहुपत्नी प्रथा, पोलियानडरी (बहु पति प्रथा), गुजरात में प्रचलित मैत्री क़रार सहित समाज की कुछ ऐसी प्रथाओं के बारे में भी माँगी गयी थी जो अन्य समुदायों और जातियों में प्रचलित हैं.
इन प्रथाओं को क़ानूनी मान्यता तो नहीं है मगर समाज में इन्हें कहीं-कहीं पर स्वीकृति मिलती रही है. देश के कई प्रांत हैं जहां आज भी इनमे से कुछ मान्यताओं का प्रचलन जारी है.
गुजरात में 'मैत्री क़रार' एकमात्र ऐसा प्रचलन है जिसकी क़ानूनी मान्यता है क्योंकि यह क़रार मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर से ही अनुमोदित होता है.
विधि आयोग ने पूछा था कि क्या ऐसी मान्यताओं को पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए या फिर इन्हें क़ानून के ज़रिए नियंत्रित करना चाहिए?
आयोग ने लोगों से मिले सुझाव के बिनाह पर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. मगर अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इस रिपोर्ट का आख़िर क्या हुआ.
वैसे, जानकारों को लगता है कि जिस तरह सरकार ने 'ट्रिपल तलाक़' पर क़ानून बनाया है, उसी तरह समान नागरिक संहिता पर भी कोई क़ानून भी आ सकता है.
एक नज़र डालते हैं समाज में चल रहीं कुछ प्रथाओं पर:
पॉलीगैमी (बहुपत्नी प्रथा)
वर्ष 1860 में भारतीय दंड विधान की धारा 494 और 495 के तहत ईसाइयों में पॉलीगैमी को प्रतिबंधित किया गया था. 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट में उन हिन्दुओं के लिए दूसरी शादी को ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया गया जिनकी पत्नी जीवित हो.
1956 में इस क़ानून को गोवा के हिन्दुओं के अलावा सब पर लागू कर दिया गया. मुसलमानों को चार शादियां करने की छूट दी गई क्योंकि उनके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ था. लेकिन हिन्दुओं में भी पॉलीगैमी का चलन काफी चिंता का विषय रहा है.
सिविल मैरिज एक्ट के तहत की गयी शादियों में सभी समुदाय के लोगों के लिए पॉलीगैमी ग़ैरक़ानूनी है.
पोलिऐंड्री (बहु-पति प्रथा)
बहुपति प्रथा का चलन वैसे तो पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. फिर भी कुछ सुदूर इलाक़े ऐसे हैं जहां से कभी कभी इसके प्रचलन की ख़बर आती रहती है.
इस प्रथा का प्रचलन ज़्यादातर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में ही हुआ करता था जो तिब्बत के पास भारत-चीन सीमा के आस-पास का इलाक़ा है.कई लोगों का मानना है कि महाभारत के मुताबिक इसी इलाक़े में पांडवों का पड़ाव रहा. इसीलिए कहा जाता है कि बहुपति प्रथा का चलन यहां रहा है.
इसके अलावा इस प्रथा को दक्षिण भारत में मालाबार के इज़्हावास, केरल के त्रावनकोर के नायरों और नीलगिरी के टोडास जनजाति में भी देखा गया है. विधि आयोग की प्रश्नावली में बहुपति प्रथा के बारे में भी सुझाव मांगे गए थे.
मुत्तह निकाह
इसका प्रचलन ज़्यादातर ईरान में रहा है जहां मुसलमानों के शिया पंथ के लोग रहते हैं. ये मर्द और औरत के बीच एक तरह का अल्पकालिक समझौता है जिसकी अवधि दो या तीन महीनों की होती है.
अब ईरान में भी यह ख़त्म होने के कगार पर है. भारत में शिया समुदाय में इसका प्रचलन नहीं के बराबर ही है.
चिन्ना वीडु
चिन्ना वीडु यानी छोटा घर का संबंध मूल रूप से दूसरे विवाह से जुड़ा हुआ है. इसे कभी तमिलनाडु के समाज में मान्यता मिली हुई थी. यहां तक कि एक बड़े राजनेता ने भी एक पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह किया था.
हालांकि तमिलनाडु में इस प्रथा को बड़ी सामाजिक बुराई के तौर पर देखा जाने लगा और अब ये पूरी तरह से ख़त्म होने के कगार पर है.
मैत्री क़रार
ये प्रथा गुजरात की रही है जिसे स्थानीय स्तर पर क़ानूनी मान्यता भी मिली हुई है क्योंकि इस 'लिखित क़रार' का अनुमोदन मजिस्ट्रेट ही करता है. इसमें पुरुष हमेशा शादीशुदा ही होता है.
यही कारण है कि ये आज भी जारी है. मैत्री क़रार यानी दो वयस्कों के बीच एक तरह का समझौता जिसे मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में लिखित तौर पर तय किया जाता है. ये मर्द और औरत के बीच एक तरह का 'लिव-इन रिलेशनशिप' है. इसीलिए इसे 'मैत्री क़रार' कहा जाता है.
गुजरात में सभी जानते हैं कि कई नामी-गिरामी लोग इस तरह के रिश्ते में रह रहे हैं. ये प्रथा मूलतः विवाहित पुरुष और पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला मित्र के साथ रहने को सामजिक मान्यता देने के लिए एक ढाल का काम करती रही है.
इस्लामी क़ानून वक़्त के साथ नहीं बदले?
बहुत सारे प्रगतिशील लोगों को लगता है कि अब समय के साथ बदलने का वक़्त आ गया है और बहुत सारे समाज सुधारों की आवश्यकता ज़रूरी हो गई है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संदीप महापात्रा बीबीसी से कहते हैं कि हिंदू समाज ने कई सुधारों का दौर देखा है. इसलिए समय समय पर कई प्रथाएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं. लेकिन मुस्लिम समाज में सामाजिक स्तर पर सुधार के काम नहीं हुए हैं और बहुत ही प्राचीन मान्यताओं के आधार पर ही सबकुछ चल रहा है.
उन्होंने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि अगर ये लागू होता है तो इसमें ज़्यादा लाभ हर समाज की महिलाओं को होगा जो पितृसत्ता का शिकार होने को मजबूर हैं.
पेशे से वकील महापात्रा कहते हैं कि जिस तरह भारतीय दंड संहिता और 'सीआरपीसी' सब पर लागू हैं, उसी तर्ज़ पर समान नागरिक संहिता भी होनी चाहिए, जो सबके लिए हो-चाहे वो हिंदू हों मुसलमान या फिर किसी भी धर्म को माननेवाले क्यों ना हों.
संदीप महापात्रा कहते हैं, "बहस वहाँ शुरू होती है जहाँ हम मुसलमानों की बात करते हैं. 1937 से मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोई सुधार नहीं हुए हैं. समान नागरिक संहिता की बात आज़ादी के बाद हुई थी, लेकिन उसका विरोध हुआ जिस वजह से उसे 44वें अनुच्छेद में रखा गया. मगर यह संभव है. हमारे पास गोवा का उदाहरण भी है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है."
समान नागरिक संहिता बाकी धर्मों पर 'थोपी' जाएगी?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव वाली रहमानी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि भारत विभिन्नताओं का देश है. धर्मों, यातियों और जनजातियों की अपनी प्रथाएं हैं. उनका कहना है कि समान नागरिक संहिता पर सिर्फ राजनीति हो सकती है मगर किसी का भला नहीं हो सकता.
उनका कहना था कि सभी धर्माविलाम्बी अपनी संस्कृति और परमपराओं के अनुसार चलने के लिए स्वतंत्र हैं.
सामजिक कार्यकर्ता जॉन दयाल कहते हैं कि वो हर उस क़ानून का समर्थन करते हैं जो महिलाओं को सशक्त करने वाला हो और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने वाला हो. मगर उनका आरोप है कि समान नागरिक संहिता का प्रारूप बहुसंख्यकवादी ही होगा और उसे बाक़ी सब पर थोप दिया जाएगा.
दयाल कहते हैं कि अगर सरकार समान नागरिक संहिता लाना चाहती है तो उसका प्रारूप एक छतरी जैसा होना चाहिए जिसमें सभी परम्पराओं और संस्कृतियों को साथ में लेकर चलने की बात हो. उसे थोपा नहीं जाना चाहिए क्योंकि भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक विभिनता है.
उनको लगता है कि ये बड़ी चुनौती होगी क्योंकि हिंदू धर्म में ही कई प्रचलित प्रथाएं हैं जिनको अवैध क़रार देने का जोख़िम सरकार नहीं उठा सकती है. मिसाल के तौर वो कहते हैं कि दक्षिण भारत में सगा मामा अपनी सगी भांजी से विवाह कर सकता है.
दयाल कहते हैं, "क्या सरकार इस पर प्रतिबन्ध लगाएगी? क्या सरकार, जाट और गुज्जरों या दुसरे समाज में प्रचलित प्रथाओं को समाप्त करने की पहल कर सकती है? मुझे नहीं लगता कि ये इतनी आसानी से हो पाएगा. ये एक टेढ़ी खीर है."(bbc)
-सलमान रावी
अयोध्या, 8 अगस्त (आईएएनएस)| श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ऐसा मंदिर बनेगा, जिसमें रामलला एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रहेंगे। फिलहाल रामलला मंदिर की नींव की ड्राइंग बनकर तैयार है। निर्माण के लिए एलएनटी कंपनी तैयार है। चंपत राय ने यहां शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का काम चंद रोज में शुरू हो जाएगा। राम मंदिर निर्माण कार्य के बारे में जानकारी देते हुए राय ने बताया कि अब तकनीकी काम है। यह मंदिर 1000 साल तक इस सृष्टि के आंधी-तूफान को सहता रहेगा। इसलिए निर्माण में उसी तरह की तकनीकी का इस्तेमाल भी होगा।
उन्होंने कहा कि लार्सन टूब्रो के लोग नींव की ड्राइंग तैयार करने आए थे। निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। अयोध्या विकास प्राधिकरण से 70 एकड़ भूमि में जितना निर्माण हो सकता है, उसका नक्शा पास होगा।
राय ने कहा कि निर्माण कंपनी ने अभी तक ट्रस्ट के सामने ड्राइंग पेश नहीं की है। ड्राइंग देखने के बाद नींव खोदाई और उसको भरने का कार्य शुरू होगा। मंदिर की नींव दो सौ फीट नीचे होगी।
उन्होंने कहा, "इसके साथ ही आप सभी को जानकारी दे दें कि इस मंदिर की नींव में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। इसकी नींव की खुदाई में जो भी कुछ मिलेगा, उसके लिए ट्रस्ट सतर्क रहेगा। ट्रस्ट अब विकास प्राधिकरण से यहां के संपूर्ण 70 एकड़ क्षेत्र का नक्शा पास कराएगा।"
चंपत राय ने कहा, "रामलला की जन्मभूमि पर बड़ी संख्या में प्राचीन अवशेष मिलने की उम्मीद है। हम उसको सहेज के रखेंगे।"
उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए बड़ी संख्या में दानदाता सामने आ रहे हैं। जब राम जन्मभूमि परिसर की जिम्मेदारी ट्रस्ट को सौंपी गई ती तो रामलला के पास मात्र 12 करोड़ रुपये की जमा पूंजी थी। अब यह 30 करोड़ के करीब पहुंच गई है। शिला-पूजन के दिन रामलला को 49,000 रुपये का दान मिला था।
राय ने स्पष्ट रूप से कहा कि "हम अभी विदेशों से दान नहीं लेंगे।"
ट्रस्ट के महासचिव ने कहा,कि ट्रस्ट में अब तक 30 करोड़ रुपये आ चुके हैं। इसमें से 12 करोड़ रुपये ट्रस्ट के पास पहले से ही थे। उन्होंने यह भी बताया कि "शिवसेना की पर्ची मिली है और एक करोड़ रुपये आ गए हैं, जिसको मैं समझता हूं कि उद्धव ठाकरे के सहयोग से आया होगा और उनका संदेश हमें प्राप्त हुआ है कि अभी और पैसा वे भेजेंगे।"
चंपत राय ने कहा कि मोरारी बापू के सहयोग से 4 दिन में 11 करोड़ रुपये ट्रस्ट में आए। गुजरात के एक बनवासी संत हैं, उन्होंने 51 लाख रुपये देने की बात कही है और 11 लाख रुपये 5 तारीख को दे भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि जगत गुरु रामभद्राचार्य ने भी एक करोड़ 51 लाख रुपये लिख लेने को कह दिया है, अभी प्राप्त नहीं हुआ है।
बाबा रामदेव ने कितना दिया? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा,"बाबा रामदेव हमारे घर के हैं, हमने अभी उनसे मांगा नहीं है, जल्द मांगेंगे।"
इतालवी मरीन मामला
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| इटली के दो नौसैनिकों द्वारा केरल के मछुआरों की हत्या मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि जब इटली की ओर से पीड़ितों को मुआवजा मिल जाएगा, तब वह मुकदमे को वापस लेने की अनुमति दे सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पीड़ितों के परिवार का पक्ष सुने बिना इस मामले को बंद नहीं करेंगे। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रह्मण्यन ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, चेक (मुआवजे की राशि) और पीड़ितों के परिजनों को यहां लाएं।
पीठ ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत तब तक इतालवी नौसैनिकों के लिए किसी राहत के बारे में नहीं सोच सकती है, जब तक कि उनके अभियोजन को केरल की अदालत में वापस नहीं लिया जाता है। मेहता ने कहा कि केंद्र दोनों नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए याचिका दायर करने को तैयार है।
प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया, लेकिन पीड़ितों के परिवार को एक समस्या होगी। उन्हें सुनना होगा।
मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि केंद्र भारत में इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के पक्ष में है, क्योंकि इटली उन पर मुकदमा चलाने के लिए तैयार है। पीठ ने कहा कि मृतक के परिजन को सुने बिना वह मामला बंद नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल मेहता को एक सप्ताह के भीतर पीड़ितों के परिवारों को मामले में शामिल करने के लिए आवेदन दायर करने के लिए कहा। शीर्ष अदालत ने दो इतालवी नौसैनिकों - मैसिमिलियानो लाटोरे और सल्वाटोर गिरोन द्वारा दायर लंबित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी, 2012 को मछली पकड़ने के जहाज सेंट एंटोनी में सवार दो भारतीय मछुआरों को कथित तौर पर केरल के तट से दूर इतालवी टैंकर 'एनरिका लेक्सी' में सवार दो इतालवी नौसैनिकों ने मार डाला था।
इसके बाद भारतीय नौसेना ने इतालवी टैंकर को रोक दिया और दोनों नौसैनिकों को हिरासत में ले लिया। इन नौसैनिकों में एक सैनिक दो साल और एक सैनिक चार बाद रिहा हुआ, जिसके बाद वह अपने देश इटली लौटे। यह मामला भारत की अदालत से होता हुआ अंतर्राष्ट्रीय अदालत तक भी पहुंचा।
बीजिंग, 8 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, अब तक 48 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि एक लाख 60 हजार लोगों की मौत हो गयी है। इस बीच एक चौकाने वाली अध्ययन रिपोर्ट की मानें तो यह वायरस अल्पसंख्यक जाति के बच्चों और कमजोर सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों को अपनी चपेट में ज्यादा ले रहा है। इस स्टडी के दौरान वाशिंगटन में 21 मार्च से 28 अप्रैल के बीच एक हजार बाल रोगियों का परीक्षण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि श्वेत बच्चों में से केवल 7.3 फीसदी ही कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए। जबकि 30 प्रतिशत अश्वेत बच्चे वायरस से संक्रमित पाए गए। वहीं हिस्पैनिक बच्चों में वायरस के संक्रमण की दर 46.4 फीसदी थी।
शोधकर्ताओं ने पेडियाट्रिक्स जर्नल में लिखा है कि अश्वेत बच्चों में श्वेत बच्चों की तुलना में वायरस का जोखिम तीन गुना ज्यादा था। इस बाबत सभी रोगियों की बुनियादी जनसांख्यिकीय जानकारी जुटाई गयी, उसके बाद अनुसंधान टीम ने उक्त लोगों के परिवार की आय का अनुमान लगाने के लिए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग किया।
परीक्षण किए गए रोगियों में से लगभग एक तिहाई अश्वेत थे, जबकि लगभग एक चौथाई हिस्पैनिक थे।
जिन एक हजार लोगों का टेस्ट किया गया, उनमें से 207 वायरस से संक्रमित हुए थे, उनमें से उच्च आय वर्ग के महज 9.7 फीसदी ही संक्रमित थे, जबकि सबसे कम आय वर्ग के 37.7 प्रतिशत लोग वायरस की चपेट में आए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के संक्रमण को लेकर इतनी असमानता की वजह स्वास्थ्य देखभाल और संसाधनों तक सीमित पहुंच, साथ ही पूर्वाग्रह और भेदभाव आदि के चलते हो सकती हैं। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा कि इसका सटीक कारण समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
वैसे यह बात जाहिर है कि अल्पसंख्यक और कमजोर सामाजिक आर्थिक वर्ग के लोगों की प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों तक कम पहुंच होती है, जिसका मतलब यह है कि इस अध्ययन में असमानता वास्तविकता से अधिक बड़ी हो सकती है।
जिस तरह से अमेरिका में कमजोर वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों में वायरस के संक्रमण के मामले ज्यादा देखे गए हैं, उससे पता चलता है कि विश्व के सबसे शक्तिशाली देश में सामाजिक असमानता बहुत बढ़ गयी है। क्योंकि इससे पहले भी अमेरिका में वयस्क नागरिकों को लेकर इसी तरह की रिपोर्ट सामने आयी थी जिसमें श्वेत लोगों में वायरस के संक्रमण की दर कम पायी गयी थी।
जिनेवा, 8 अगस्त (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैक्सीन पर राष्ट्रवाद के खिलाफ चेतावनी दी है। उन्होंने अमीर देशों को आगाह करते हुए कहा कि यदि वे खुद के लोगों के उपचार में लगे रहते हैं और अगर गरीब देश बीमारी की जद में हैं तो वे सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। डब्लूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम गेब्रेयसस के अनुसार, यह अमीर देशों के हित में होगा कि वे हर देश को बीमारी से बचाने में मदद करें।
गार्डियन के अनुसार, ट्रेडोस ने कहा कि वैक्सीन पर राष्ट्रवाद अच्छा नहीं है, यह दुनिया की मदद नहीं करेगा।
ट्रेडोस ने जिनेवा में डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय से वीडियो-लिंक के माध्यम से अमेरिका में एस्पन सिक्योरिटी फोरम को बताया, "दुनिया के लिए तेजी से ठीक होने के लिए, इसे एक साथ ठीक होना होगा, क्योंकि यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। अर्थव्यवस्थाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। दुनिया के सिर्फ कुछ हिस्से या सिर्फ कुछ देश सुरक्षित या ठीक नहीं हो सकते।"
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 तब कम हो सकता है जब वे देश जिसके पास धन है, वे इससे निपटने के लिए प्रतिबद्ध हों।
रिपोर्ट के अनुसार, कई देश कोरोनोवायरस के लिए वैक्सीन खोजने की दौड़ में हैं। इस बीमारी से वैश्विक स्तर पर 7,00,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली की जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में आजादी से पहले की दुकानें हैं, जहां आज भी उर्दू की किताबें मिलती हैं और शहर के कोने-कोने से लोग उर्दू की किताबें खरीदने आते हैं। हालांकि ये जान कर हैरानी होगी कि नई पीढ़ी के लोग उर्दू की किताबों में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं और यहां हर धर्म के युवक-युवतियां आते हैं।
नई पीढ़ी के लोगों में शायरी, उपन्यास, कहानियों में ज्यादा रुचि है। मशहूर शायरों का मानना है कि सोशल मीडिया ने उर्दू शायरी को जिंदा रखा हुआ है।
उर्दू की किताब बेचने वाले दुकानदारों का मानना है कि उर्दू भाषा हमेशा जिंदा थी और जिंदा रहेगी। उर्दू की किताबें पहले से ज्यादा अब बिकती हैं। यही नहीं, पहले लोग महंगी किताब नहीं खरीदते थे, लेकिन अब 3 हजार तक की किताब खरीदते हैं।
जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में आजादी से पहले की भी दुकाने हैं, लेकिन इस इलाके से उर्दू की किताबों वाली दुकानें धीरे-धीरे खत्म हो गईं या यहां से कहीं और जा बसीं। कई दुकानदारों ने तो यह कारोबार भी बंद कर दिया।
उर्दू बाजार में मकतबा जामिया लिमिटेड नाम की एक बहुत पुरानी दुकान है। यहां उर्दू भाषा में सभी किताब मिलती हैं। इस दुकान के ब्रांच इंचार्ज अली खुसरो जैदी ने आईएएनएस को बताया, "उर्दू एक सदाबहार जिंदा जुबान है, उर्दू जिंदा हौ ओर जिंदा रहेगी। उर्दू की अपनी मिठास है, अपनी चाशनी है, उसी के बलबूते पर यह जिंदा है और जिंदा रहेगी, चाहे जितना भी इसे मुसलमानों की जुबान बता दो, लेकिन ये एक हिंदुस्तानी जुबान है। एक मुल्क की जुबान है, उर्दू को आप बांट नहीं सकते।"
उन्होंने कहा, "आज भी हमारे पास सभी धर्म के लोग आते हैं, हिंदी के जरिये, अंग्रेजी के जरिये उर्दू को सीखने के लिए। उर्दू एक मुकम्मल तहजीब है। ये एक गुलशन है, जिसमें अहमद फराज, मुनव्वर राणा, गुलजार देहलवी सरीखे हर तरह के फूल हैं।"
जैदी ने कहा कि उर्दू की किताबें आज भी बिकती हैं और पहले से कहीं ज्यादा बिक रही हैं। नई पीढ़ी के लोग ज्यादा पसंद करते हैं, चाहे वो किसी भी धर्म से हों।
उन्होंने कहा कि शेर-ए-अदब, फिक्शन, पोएट्री, मुनव्वर राणा, जॉन एलिया, समाजी नॉवेल ये सभी आज की तारीख में नई पीढ़ी की पसंद हैं।
जैदी ने कहा कि वक्त के साथ उठक-पटक होती रहती है। जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में पहले सिर्फ उर्दू दुकानों से भरी हुई थी, लेकिन अब काफी दुकानें इधर-उधर हो गईं या किसी ने कारोबार ही खत्म कर दिया।
उन्होंने कहा, "मैं 1978 से यहां हूं, यहां से करीब 10 से 12 उर्दू किताबों की दुकानें खत्म हो गईं। इस बाजार में 70 साल से पुरानी दुकानें मौजूद हैं। लेकिन अब यहां से उठकर मटिया महल में सारी दुकानें बस गई हैं।"
जैदी ने कहा कि पहले लोगों में कुव्वत नहीं होती थी। छह रुपये की किताबें भी लोग नहीं खरीद पाते थे। लेकिन अब लोग हजारों की किताबें खरीकर ले जाते हैं। दरअसल, कानों को उर्दू के लफ्ज अच्छे लगते हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में उर्दू की ज्यादा किताबें छपती हैं, ज्यादा मुशायरे होते हैं, उर्दू की 12-13 अकादमियां हैं, गालिब अकादमी है, गालिब इंस्टीट्यूट है, साहित्य अकादमी भी उर्दू के लिए काम करती है, पब्लिकेशन डिवीजन भी उर्दू के लिए काम करता है।
उर्दू बाजार में 1939 से उर्दू किताबों की दुकान चलाने वाले निजामुद्दीन ने आईएएनएस से कहा, "मेरी दुकान आजादी से पहले की है। पहले मेरे पिताजी दुकान चलाते थे। हालांकि अभी फिल्मों की वजह से उर्दू जिंदा है। उर्दू के अब जब प्रोग्राम होते हैं तो नई उम्र के बच्चे आते हैं। लेकिन उर्दू की लिपि अब रोमन भी हो गई है। उर्दू को अब लोग रोमन भाषा में भी पढ़ते हैं। लाइब्रेरियों में उर्दू की किताबें न होने पर नई पीढ़ी अंग्रेजी में उर्दू पढ़ रही है।"
उर्दू शायरों में कुछ बड़े नाम जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता- मिर्जा गालिब, फैज अहमद फैज, राहत इंदौरी, मुनव्वर राणा, बशीर बद्र, निदा फाजली, दाग देहलवी, अकबर अलाहाबादी, कैफी आजमी और गुलजार वगैरह।
मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने आईएएनएस को बताया, "उर्दू ने अपनी लिपि बदल ली है, कुछ लोग अब नागरी में लिखते हैं। शायरी की बदौलत उर्दू की शोहरत ज्यादा हुई। फर्क ये हुआ कि लोग उर्दू जानते नहीं हैं, उर्दू बोलते हैं, लेकिन उर्दू लिख नहीं पाते। कहीं न कहीं ये नुकसान हुआ। लेकिन सोशल मीडिया ने उर्दू को एक नया मुकाम दिया। शायरी की तरफ रुख मोड़ दिया। अब शायरों को लोग जानने, पढ़ने लगे हैं।"
उन्होंने कहा, "उर्दू को 2 3 बार नुकसान उठाना पड़ा। कुछ लोगों द्वारा कहा गया कि उर्दू पाकिस्तान की जुबान है, लेकिन आज भी पाकिस्तान में जो उर्दू बोली जाती है वो बनावटी है। वो उर्दू नहीं है। असल उर्दू आज भी हिंदुस्तान में बोली जाती है।"
हाल ही में दिल्ली की मशहूर लेखिका सादिया देलहवी के निधन पर मुनव्वर राणा ने आईएएनएस को बताया, "ये बड़े घराने से ताल्लुकात रखती थीं। इनका और इनके परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जो भी महफिल हुआ करती थी, उनमें वो शामिल होती थीं। उनके रहने से, उनकी मौजूदगी में शेर सुनाने में मजा आता था। ये लोग शायरी की खूबसूरती, शायरी की महक को महसूस करते हैं। उनके इंतकाल से उर्दू शायरी को बहुत नुकसान हुआ है।"
मुंबई, 8 अगस्त (आईएएनएस)| कोझिकोड हवाईअड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक विमान के शुक्रवार शाम दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना में पायलट कैप्टन दीपक वी. साठे की मौत के बाद उत्तर पूर्व मुंबई के पवई उपनगर में मातम पसर गया है। इस दुर्घटना में कम से कम 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
एयर इंडिया एक्सप्रेस की यह उड़ान दुबई से वंदे भारत मिशन के तहत लौट रही थी।
कैप्टन साठे (58) पवई स्थित जलवायु बिल्डिग के निवासी थे।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, उनके परिवार में दो पुत्र हैं। एक पुत्र बेंगलुरू में रहता है, जबकि दूसरा अमेरिका में रहता है। वे जल्द ही केरल पहुंचने वाले हैं।
वायुसेना के पुरस्कार विजेता एक पूर्व अधिकारी कैप्टन साठे का 30 सालों का लंबा और दुर्घटनामुक्त उड़ान रिकॉर्ड रहा है, जिसमें से लगभग 18 साल उन्होंने एयर इंडिया को दिए थे।
रात 9 तक मिले थे, 298 पॉजिटिव, अब बढ़कर 378 !
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। प्रदेश में आज रात 9 बजे तक 298 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी । रात 11 बजे के बढे आंकड़ों के लिए प्रेस बुलेटिन देखें.
जिला रायपुर से 118, दुर्ग 30, बिलासपुर 28, कांकेर 26, रायगढ़ 17, राजनांदगांव 16, बलौदाबाजार व नारायणपुर 9-9, महासमुंद 6, सूरजपुर, जशपुर व सुकमा 5-5, जांजगीर-चांपा व बस्तर 4-4, कोरिया व गरियाबंद 3-3, बालौद, बेमेतरा और दंतेवाड़ा 2-2, कोरबा, मुंगेली, जीपीएम, व सरगुजा 1-1 पॉजिटिव पाए गए।
प्रदेश में आज 7 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत भी हुई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। केंद्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के रात 10.30 बजे के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ 416 पॉजिटिव मिले हैं। इसमें तकरीबन आधे, 205 मरीज अकेले रायपुर में हैं। दूसरे नंबर पर 88 मरीजों के साथ बिलासपुर है। दुर्ग 42, रायगढ़ 19, गरियाबंद 10, जांजगीर-चांपा, राजनांदगांव, सुकमा, के साथ-साथ, जशपुर और सरगुजा के 6-6, बलौदाबाजार 5, मुंगेली 3, बेमेतरा व धमतरी से 2-2 पॉजिटिव निकले हैं। इनके अलावा बालोद, बस्तर, कबीरधाम, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा और कोरिया से 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
क्लिक करें और यह भी पढ़ें : रात 9 तक, 298 पॉजिटिव, रायपुर 118, दुर्ग 30
अभी इन आंकड़ों की पुष्टि करने के बाद राज्य सरकार के आंकड़े नहीं आए हैं। राज्य सरकार यह भी जांचती है कि आज के कोरोना पॉजिटिव लोगों में से कोई पुराने मरीज तो नहीं हैं जिनका रिपीट टेस्ट इसमें जुड़ गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। प्रदेश में आज रात 9 बजे तक 298 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की पुष्टि हुई है।
जिला रायपुर से 118, दुर्ग 30, बिलासपुर 28, कांकेर 26, रायगढ़ 17, राजनांदगांव 16, बलौदाबाजार व नारायणपुर 9-9, महासमुंद 6, सूरजपुर, जशपुर व सुकमा 5-5, जांजगीर-चांपा व बस्तर 4-4, कोरिया व गरियाबंद 3-3, बालौद, बेमेतरा और दंतेवाड़ा 2-2, कोरबा, मुंगेली, जीपीएम, व सरगुजा 1-1 पॉजिटिव पाए गए।
क्लिक करें और यह भी पढ़ें : रात 10.30 तक, 416 पॉजिटिव, 205 रायपुर से
प्रदेश में आज 7 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत भी हुई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 7 अगस्त। राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर सोशल मीडिया पर भडक़ाऊ पोस्ट डालने के आरोप में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पोस्ट डालने के बाद इसकी शिकायत पुलिस महानिरीक्षक से की गई थी और बाद में सिटी कोतवाली में प्रदर्शन किया गया।
आज दोपहर बिलासपुर के हैदर अली नाम के युवक ने फेसबुक और वाट्सएप पर एक पोस्ट डाला जिसमें मुम्बई आंतकी हमले के आरोपी अजमल कसाब की तस्वीर थी। इसमें उसने लिखा कि लिखकर रख लो 26/11 फिर होगा। देखते ही देखते उसकी पोस्ट शहर के कई वाट्सअप गु्रपों में वायरल होने लगे। राजपूत समाज के अरपांचल उप समिति के अध्यक्ष ठाकुर राजीव सिंह ने इस पोस्ट पर आपत्ति जताते हुए पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा को ट्वीट किया। काबरा ने उन्हें सलाह दी कि वे इस बारे में साइबर सेल से शिकायत करें।
आईजी की पोस्ट को देखते ही पुलिस अधिकारी खुद ही सक्रिय हो गये। उन्होंने हैदर नाम के तीन लोगों को लाकर थाने में बिठा लिया। जिस फोन नंबर से यह पोस्ट वाट्सएप वायरल हुई थी, उस हैदर अली खान को उन्होंने हिरासत में लिया। इस बीच बड़ी संख्या में राजपूत समाज और भाजपा से जुड़े लोग कोतवाली थाने पहुंच गये और उन्होंने आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। साइबर सेल तथा कोतवाली थाने के प्रभारी कलीम खान ने उन्हें बताया कि आरोपी को हिरासत में रख लिया गया है और उसकी गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है।
शिकायतकर्ता करण सिंह और राजीव सिंह का कहना है कि बिलासपुर सदैव शांत क्षेत्र रहा है। यहां पर सांप्रदायिक सद्भाव रहा है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों को माहौल खऱाब करने का प्रयास किया गया है जिसके चलते उन्होंने शिकायत की है।
रायपुर, 7 अगस्त। रायपुर के सांसद सुनील सोनी को केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय की संसदीय समिति में शामिल किया गया है।
बारह सदस्यीय संसदीय समिति में दो सदस्य लोकसभा के हैं। इनमें सांसद सुनील सोनी के साथ ही प्रतापराव चिखलिकर भी शामिल है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। राज्य सरकार के शाम 7 बजे तक के आंकड़े कुल 134 कोरोना पॉजिटिव पूरे प्रदेश में बता रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के 7.20 बजे के आंकड़े 370 कोरोना पॉजिटिव बता रहे हैं जिनमें से 184 अकेले रायपुर जिले के हैं। दूसरे नंबर पर बिलासपुर जिला 87 पॉजिटिव के साथ है। इसके बाद दुर्ग 29, गरियाबंद 10, राजनांदगांव और सुकमा-जांजगीर-चांपा 7-7, सरगुजा और जशपुर 6-6, बलौदाबाजार 5, और बेमेतरा, धमतरी 2-2, बालोद, बस्तर, कबीरधाम, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिलने की खबर है।
क्लिक करें और यह भी पढ़ें : शाम 7 तक 134 पॉजिटिव, रायपुर 41, बिलासपुर 28
राज्य शासन का स्वास्थ्य विभाग अभी आज के आंकड़ों की गिनती में लगा है और वह इनकी पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है।
पुराने मंत्रालय के पीछे बस्ती में थोक में कोरोनाग्रस्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। डीकेएस भवन पुराने मंत्रालय के पीछे बस्ती में बड़े पैमाने पर कोरोना पाजि़टिव मिलने की खबर है। यह इलाका हाटस्पाट बन गया है। दूसरी तरफ, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक भी कोरोना पाजिटिव हो गये हैं।
श्री कौशिक ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। कौशिक ने अपील की है कि जो लोग उनके संपर्क में आए हैं।वे स्वयं को आईसोलेट कर कोरोना जांच करवाएं।
रायपुर शहर के बीचों बीच डीकेएस भवन के पीछे अर्जुन नगर बस्ती में बड़ी संख्या में कोरोना पाजिटिव मिले हैं। इनमें से कुछ को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा कि संबंधित अधिकारियों को केंद्रशासित प्रदेश के चयनित क्षेत्रों में 4जी सेवा को बहाल करने की संभावना को लेकर एक निश्चित रुख के साथ सामने आना चाहिए। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि अब इस मामले में और ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। न्यायमूर्ति एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता से कहा, "जो निर्णय लिया गया, उसका आधार क्या है। क्या इस बात की संभावना है कि कुछ क्षेत्रों में 4जी सेवा को बहाल किया जा सकता है? क्या ऐसा कुछ है, जो कुछ किया जा सके?"
इसके जवाब में, "मेहता ने कहा कि मामले में समीक्षा के लिए निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल को बदल दिया गया है।"
मेहता ने कहा, "हमें आदेश प्राप्त करने के लिए और प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समय की जरूरत है।"
शीर्ष अदालत ने मेहता से कहा कि मामले को फिर से टालने का कोई मतलब नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि अटॉर्नी जनरल को मामले की अगली सुनवाई के वक्त केंद्र का पक्ष निश्चित ही रखना चाहिए।
इससे पहले, फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि मेहता जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने कहा, "सुनवाई के अंतिम दिन, उन्होंने कहा था कि वह याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल किए गए रिज्वांइडर के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इससे प्रतीत होता है कि वे समय ले रहे हैं।"
पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा दिए बयान पर निर्भर कर रहे हैं, लेकिन वे अब नहीं हैं। पीठ ने अहमदी से कुछ और दिन इंतजार करने के लिए कहा।
पीठ ने कहा, "हम यह देखना चाहते हैं कि सरकार क्या चाहती है। तब हम देखेंगे कि कोई अवमानना हुई है।"
अदालत ने मामले को अगले हफ्ते के लिए मुकर्रर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट दरअसल कोर्ट के आदेश की अवहेलना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी के लिए एक विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया था, जिसकी अवहेलना को लेकर कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही थी।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट-टिकटॉक सौदे को लेकर काफी समय से खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में सभी की नजर इस सौदे पर टिकी हुई है। इस बीच माइक्रोसॉफ्ट भारत की क्षेत्रीय (रीजनल) भाषा के सोशल मीडिया ऐप शेयरचैट में लगभग 10 करोड़ डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार है। इस मामले से परिचित लोगों ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि वार्ता शुरूआती चरण में है और माइक्रोसॉफ्ट का निवेश ऐप के मूल्य का लगभग तीसरा हिस्सा होगा। शेयरचैट अपने विस्तार के लिए नए सिरे से फंडिंग करने में जुटा हुआ है।
शेयरचैट के पास देश में 14 करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय (एक्टिव) उपयोगकर्ताओं का यूजर बेस है।
ऐप 15 भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तेलुगू, तमिल, बंगाली, ओडिया, कन्नड़, असमिया, हरियाणवी, राजस्थानी, भोजपुरी और उर्दू शामिल हैं।
शेयरचैट एक देसी ऐप है, जो कि कुल 15 स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है और काफी विख्यात भी हो चुकी है। यही कारण है कि माइक्रोसॉफ्ट से पहले ट्विटर भी शेयरचैट में 10 करोड़ डॉलर का निवेश कर चुका है।
शेयरचैट ने पिछले महीने कहा था कि उसके शॉर्ट वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म मोज (एमओजे) ने लगभग एक हफ्ते में ही गूगल प्ले स्टोर से 50 लाख डाउनलोड पार कर लिए हैं।
इस ऐप को टिकटॉक के प्रतिबंधित होने के बाद बाजार में उतारा गया था। क्षेत्रीय भाषा के इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने अपनी दक्षता में सुधार व लागत कम करने के लिए गूगल क्लाउड में अपने बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से स्थानांतरित या माइग्रेट कर दिया था।
इस ऐप के सक्रिय उपयोगकर्ताओ (एक्टिव यूजर्स) का एक बड़ा हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों से है, जिनमें से अधिकांश 2जी नेटवर्क पर निर्भर हैं।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब माइक्रोसॉफ्ट कथित तौर पर चीनी शॉर्ट-वीडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक का वैश्विक कारोबार हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है, जहां ऐप पर प्रतिबंध है।
द फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट आधिकारिक तौर पर उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में टिकटॉक के परिचालन को 50 अरब डॉलर में खरीदने के विचार में है।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टिकटॉक और वीचैट पर प्रतिबंध के आदेशों पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए हैं।
वहीं माइक्रोसॉफ्ट पहले ही पुष्टि कर चुका है कि वह टिकटॉक के अमेरिकी व्यापार को खरीदने के लिए बातचीत के साथ आगे बढ़ना चाहता है।
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच चर्चा के बाद 15 सितंबर के आसपास यह सौदा हो सकता है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। प्रदेश में आज शाम 7 बजे तक 134 कोरोना पॉजिटिव मिलने की पुष्टि राज्य के स्वास्थ्य विभाग से हुई है।
सर्वाधिक 41 पॉजिटिव रायपुर जिले के हैं। बिलासपुर 28, रायगढ़ और कांकेर 17-17, दुर्ग 13, जशपुर 5, सुकमा 4, बस्तर 3, और बेमेतरा, महासमुंद, कोरबा, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, जीपीएम 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
रात तक ये आंकड़े बढ़ सकते हैं क्योंकि राज्य शासन जिलों से आने वाले आंकड़ों को पिछले दिनों के मरीजों के नाम से भी मिलाकर देखता है कि किसी पुराने मरीज का नया टेस्ट तो नए नामों में शामिल नहीं हो गया है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार के संगठन आईसीएमआर में भी देश के हर जिले से आंकड़े पहुंचते हैं। वे आंकड़े राज्य शासन के आंकड़ों से आम तौर पर अधिक रहते हैं।
-पवन वर्मा
सात मई, 2011 दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के लिए एक ऐतिहासिक तारीख थी. इस दिन हम भारतीयों के ‘गुरुदेव’ रबींद्रनाथ टैगोर का 150वां जन्मदिवस था और इसी मौके पर सोल के सांस्कृतिक केंद्र देइहांग्रो में उनकी एक कांस्य प्रतिमा का अनावरण हुआ. दक्षिण कोरिया की राजधानी में यह किसी विदेशी हस्ती की पहली प्रतिमा थी.
सोल में इस प्रतिमा का अनावरण भारत की तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने किया था. अमूमन ऐसा होता है कि राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दो देश एक दूसरे की ऐतिहासिक हस्तियों की प्रतिमाओं को अपने यहां स्थापित करते हैं. लेकिन टैगोर की इस प्रतिमा के मामले में यह बात सीधे-सीधे नहीं कही जा सकती.
दक्षिण कोरिया में रबींद्रनाथ टैगोर को मिला यह सम्मान सिर्फ एक नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय कवि का सम्मान नहीं था. दरअसल इस देश की नई पीढ़ी तक टैगोर को जानती है और उन्हें एक मार्गदर्शक यानी गुरु की तरह ही आदर देती है. और यह तब है जब दुनिया के कई देशों की यात्रा करने वाले टैगोर सुदूर पूर्वी एशिया के इस देश में कभी नहीं गए!
तो फिर टैगोर कोरियाई लोगों के बीच इतने प्रतिष्ठित कैसे हो गए? दुनिया के और देशों की तरह कोरिया का प्रबुद्ध वर्ग भी गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर से 1913 में पहली बार परिचित हुआ था जब उन्हें ‘गीतांजलि’ के लिए नोबल पुरस्कार मिला. कोरिया की एक कवियत्री किम यांग शिक के मुताबिक 1916 में टैगोर के साहित्य का कोरियाई भाषा में अनुवाद शुरू हुआ और इस तरह वहां के लोगों ने भारत के इस महान लेखक-विचारक के काम को जाना-समझा. 1920 में ‘गीतांजलि’ का अनुवाद भी यहां प्रकाशित हो गया था. इसमें कोई दोराय नहीं कि टैगोर का यह साहित्य वहां सराहा जा रहा था, लेकिन सिर्फ इसकी वजह से उन्हें कोरिया में मार्गदर्शक या प्रेरणापुरुष का दर्जा हासिल नहीं हुआ.
1910 के बाद का यह वो दौर था जब कोरिया पर जापान का कब्जा था और वह विदेशियों की बर्बरता से हताश हो चुका था. इसी बीच 1916 में टैगोर पहली बार जापान की यात्रा पर गए. तब यहां उनकी कई कोरियाई छात्रों से मुलाकात हुई और उन्होंने भी पहली बार कोरिया की अद्भुत संस्कृति को करीब से जाना. इसी दौरान उन्हें कोरियाई लोगों के खिलाफ जापानी दमन का भी पता चला और उन्होंने खुलकर इसके खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए. इसके बाद गुरुदेव 1924 में फिर जापान गए और इस बार भी उन्होंने जापानी साम्राज्यवाद की सरेआम मुखालफत की.
टैगोर तीसरी और आखिरी बार 1929 में जापान पहुंचे थे. तब भी उनकी कई कोरियाई नागरिकों से मुलाकात हुई. इसी दौरान कोरिया के एक पत्रकार ने उनसे अपने देश आने का अनुरोध किया, हालांकि टैगोर वहां जा नहीं पाए पर उन्होंने उस पत्रकार को चार लाइन की एक छोटी सी कविता लिखकर दी और इसके जरिए कोरिया के प्रति अभी भावनाएं जताईं.
‘द लैंप ऑफ द ईस्ट’ (पूरब का दिया) नाम की यही वो कविता है जिसने बाद के दशकों में कोरियाई लोगों के बीच टैगोर को अमर कर दिया. इस कविता का अगर हम हिंदी मोटा-मोटा भावानुवाद करें तो वह होता है -
‘एशिया के स्वर्णकाल में,
दिया जलाने वाला एक देश कोरिया भी था,
और अब वह दिया फिर प्रतीक्षा में है, प्रकाशवान होने की,
ताकि वो फिर एक बार पूरब में उजियारा भर सके.’
उसी साल यह कविता कोरिया के सबसे लोकप्रिय अखबारों में से एक ‘डोंगा डेली’ में प्रकाशित हुई और इसने मानो कि जनता पर जादू-सा कर दिया. किम यांग शिक बताती हैं कि तब तक कोरियाई समाज जापान की बर्बरता से हताश हो चुका था, लेकिन टैगोर की इन चार पंक्तियों से उसे एक नया हौसला मिला और उसमें यह उम्मीद मजबूत हुई कि वह जल्दी ही जापानी शासन से मुक्त होकर फिर अपने देश का खोया गौरव हासिल करेगा. इस कविता के चलते जल्दी ही टैगोर कोरिया के घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन गए थे.
एकीकृत कोरिया का यह दुर्भाग्य रहा कि जापान से आजादी मिलने के बाद दक्षिण और उत्तर कोरिया के रूप में 1948 में उसके दो टुकड़े हो गए. इसके बाद उत्तर कोरिया तो एक अलग ही दिशा में बढ़ गया लेकिन दक्षिण कोरिया ने कभी टैगोर को नहीं भुलाया. इस नए देश ने तुरंत ही गुरुदेव की यह कविता अपने यहां हाई स्कूल के बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल कर दी थी. इसके अलावा यह दक्षिण कोरिया की इतिहास की किताबों का एक अहम हिस्सा तो है ही और यही वजह है कि हमारे गुरुदेव को कोरिया के आम लोग भी कुछ यही दर्जा देते हैं.(satyagrah)
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| सुशांत सिंह राजपूत मामले में भाजपा विधायक व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने मनोचिकित्सक सुसान वाकर मोफत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर मीडिया के साथ दिवंगत अभिनेता के मानसिक स्वास्थ्य की डिटेल साझा की थी। शेलार वकील भी हैं। उन्होंने न केवल सुसान के खिलाफगोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की, बल्कि जांच एजेंसियों से उनकी क्लिनिक के सीसीटीवी फूटेज प्राप्त करने, उनकी क्लाइंट सूची का सत्यापन करने और उनके वित्तीय रिकॉर्ड के माध्यम से यह पता लगाने का आग्रह किया कि क्या वह मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा रही हैं।
मुंबई पुलिस आयुक्त, सीबीआई के संयुक्त निदेशक, ईडी के संयुक्त निदेशक, आयकर के मुख्य आयुक्त के साथ ही मुंबई पुलिस के एक आईपीएस अधिकारी को की गई शिकायत में शेलार ने कहा, "सुशांत सिंह राजपूत जांच मामले और अभिनेता की मनोचिकित्सक सुसान वाकर मोफत के अनुचित आचरण के संबंध में मुझे मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से प्रतिनिधित्व मिला है। सुसान का आचरण जो पुलिस जांच की दिशा को प्रभावित करने का प्रयास करता है।"
यह शिकायत सुसान के मीडिया साक्षात्कार के बाद आई, जिसमें सुशांत के मानसिक स्वास्थ्य का खुलासा किया गया था, जो कि एक गोपनीय मामला है। भाजपा विधायक ने दावा किया, "उनका कृत्य प्रथम दृष्ट्या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 और भारत में रहने की उनकी वीजा शर्तों का उल्लंघन मालूम पड़ता है।"
शेलार ने यह भी सवाल किया कि क्या किसी ने सुसान को उनकी पेशेवर नैतिकता और गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए मजबूर किया है, जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
शेलार ने यह भी आरोप लगाया कि सुसान द्वारा सुशांत का कथित तौर पर भारत में वैध लाइसेंस के बिना इलाज किया जाना अवैध है। भाजपा नेता ने यह पता लगाने की मांग की है कि क्या फिल्म बिरादरी के लोग या राजनेता उनके ग्राहक हैं और उनकी ग्राहक सूची का सत्यापन करने की मांग की।
सुसान के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह एक क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट और हिप्नोथेरेपिस्ट हैं, जो मुंबई में प्रैक्टिस कर रही हैं।
सुसान ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि सुशांत कथित रूप से डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे और रिया उनका बड़ा सहारा थीं। हालांकि, सुशांत के पिता ने रिया के खिलाफ अपनी एफआईआर में अभिनेत्री पर कई संगीन आरोप लगाए हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 07 अगस्त। राज्य शासन ने दो जिलों के एसपी बदले हैं, और तीन अन्य पुलिस अधिकारियों के तबादले किए हैं। मुंगेली के एसपी दाऊलूरी श्रवण को राजनांदगांव का एसपी बनाया गया है। ईओडब्ल्यू के एसपी सदानंद कुमार को 16वीं बटालियन सीएएफ, नारायणपुर भेजा गया है। अरविंद कुजूर एआईजी, सीआईडी, पीएचक्यू को मुंगेली एसपी बनाया गया है। नांदगांव एसपी जितेन्द्र शुक्ला को 17वीं बटालियन सीएएफ, कबीरधाम भेजा गया है। जगदलपुर के एडिशनल एसपी संजय महादेवा को एडिशनल एसपी गौरेला-पेंड्रा-मरवाही बनाया गया है।
बाकियों के लिए आशा की किरण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अगस्त। एक 67 वर्षीय महिला रोगी जो 10 वर्षों से किडनी रोग से पीडि़त थी, 45 दिनों बाद कोरोना से उबर कर फिर से स्वस्थ हो गई हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टॉफ की मदद से उन्होंने इस चुनौती का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। उन्होंने न केवल 23 डायलिसिस सेशन तक अपने किडनी रोग का इलाज करवाया, बल्कि कोरोना के भी ठीक होने तक दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय भी दिया। इस महिला का केस कोरोना और को-मोर्बिडीटी वाले रोगियों की सफलता का अनूठा केस माना जा रहा है।
यह महिला मुंबई के एक अस्पताल में चार वर्षों से डायलिसिस करवा रही थी। तीन माह पूर्व जब उन्होंने नियमित डायलिसिस के लिए उक्त अस्पताल में संपर्क किया तो अस्पताल कोरोना 9 का अस्पताल बन चुका था अत: उन्होंने डायलिसिस के लिए मना कर दिया गया। परिजनों ने नागपुर के अस्पतालों में संपर्क किया तो उनके मुंबई से आने के कारण वहां भी डायलिसिस के लिए मना कर दिया गया। हारकर परिजनों ने रायपुर के एक निजी अस्पताल में संपर्क किया। यहां रोगी के कोरोना लक्षण होने पर डायलिसिस के लिए मना कर दिया गया।
अंत में इस परिवार ने एम्स, रायपुर से संपर्क किया। यहां चिकित्सकों ने उनकी डायलिसिस की आवश्यकता को देखते हुए इलाज करने का निर्णय लिया। कोरोना टेस्ट में यह परिवार पॉजिटिव पाया गया। ऐसे में महिला को एम्स में जबकि उनके पति और पुत्र को दूसरे अस्पतालों में एडमिट कर दिया गया। यह महिला रोगी के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से चुनौतीपूर्ण समय था क्योंकि वह कोरोना की वजह से घबरा रही थी और कोई परिजन भी सहायता के लिए उपलब्ध नहीं था। ऐसे में एम्स के चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ आगे आया और महिला को चिकित्सा के साथ मनोवैज्ञानिक संबल भी प्रदान किया, जिससे वह कोरोना की चुनौती का मुकाबला कर सके।
45 दिनों तक लगातार पॉजीटिव आने के बाद अभी हाल ही में इनके दो टेस्ट नेगेटिव आए हैं। इस बीच में नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने उन्हें 23 सेशन का डायलिसिस भी दिया। यह चिकित्सकों के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें आईसीएमआर के प्रोटोकॉल के अनुसार पीपीई किट और अन्य सावधानियों के साथ उपचार प्रदान करना था। अब यह महिला रोगी ठीक होने के बाद अपने परिजनों के साथ है। वह एम्स के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टॉफ का शुक्रिया कहना नहीं भूलती जिनकी वजह से उन्हें एक बार फिर परिजनों के साथ समय बिताने का मौका मिला है।
निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर का कहना है कि बुजुर्ग रोगियों में जिन्हें किडनी की गंभीर बीमारी भी है और वह कोरोना पॉजिटिव भी हैं, रिकवरी रेट अपेक्षाकृत काफी कम होता है। ऐसे में उक्त केस का पूरी तरह से स्वस्थ हो जाना नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों, तकनीकी कर्मचारियों और नर्सिंग स्टॉफ की प्रतिबद्धता को परिलक्षित करता है। उन्होंने इसके लिए नेफ्रोलॉजी विभाग को भी बधाई दी है।
बेरुत, 7 अगस्त (आईएएनएस)| लेबनान की राजधानी बेरुत में दो घातक विस्फोटों के मामले में राजधानी के बंदरगाह के 16 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। विस्फोटों में कम से कम 149 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग घायल हो गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, गुरुवार शाम को सैन्य न्यायाधिकरण के सरकारी आयुक्त जज फादी अकीकी ने कहा कि अब तक 18 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है, जिसमें बंदरगाह और सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ-साथ हैंगर में रखरखाव के प्रभारी लोग भी शामिल हैं जहां विस्फोटक सामग्री वर्षों से रखा हुआ था।
इस बीच, बेरुत के पहले इन्वेस्टिगेटिव जज गसान ओयुदैत ने बंदरगाह के सात अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय जारी किया।
दो बड़े विस्फोटों से मंगलवार शाम को बेरुत बंदरगाह दहल गया, जिसमें कम से कम 149 लोग मारे गए हैं और लगभग 5,000 अन्य घायल हुए हैं जबकि शहर में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ हैं।
प्रारंभिक जानकारी से पता चला है कि बंदरगाह के गोदाम नंबर 12 में 2014 से रखा अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटों का कारण हो सकता है।