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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। कोरोना संक्रमण पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज दोपहर बाद सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में संक्रमण रोकने के उपायों पर चर्चा होगी। चर्चा है कि कुछ जगहों पर लॉकडाउन भी किया जा सकता है। सांसद सुनील सोनी ने सुझाव दिया है कि कम से कम एक हफ्ते का लॉकडाउन किया जाए, ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन उसी अनुपात में मरीज भी ठीक हो रहे हैं। इसलिए अभी बहुत ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं है। इन सबके बावजूद संक्रमण को रोकने के लिए हरसंभव उपाए किए जा रहे हैं।
दूसरी तरफ, सीएम श्री बघेल ने अपने निवास पर बैठक रखी है। यह बैठक शाम 4 बजे होगी। इसमें कोरोना को लेकर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि लॉकडाउन भी किया जा सकता है। हरेली पर्व के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इससे परे सांसद सुनील सोनी ने सुझाव दिया है कि पूरे प्रदेश में एक हफ्ते का लॉकडाउन किया जाए। इसके अलावा कनेंटमेंट जोन में अभियान चलाकर टेस्टिंग की जाए। ताकि मरीजों की पहचान कर इलाज किया जा सके।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर किसान व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने इस पर नोटिस जारी करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
ज्ञात हो कि कोविड-19 के दौरान राहत पैकेज की घोषणा करते हुए केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिये इस अध्यादेश को जारी किया था। इसमें कहा गया था कि किसान इसके बाद अब अपनी उपज को देश के किसी भी हिस्से में बेच सकेंगे जिससे उन्हें अपने उत्पादन की अच्छी कीमत मिले।
छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा अधिवक्ता अमन सक्सेना की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 246, 23 तथा 14 का उल्लंघन है। यह अध्यादेश कृषि उत्पादों को विनियमित करने के राज्य सरकार के अधिनियम को निरस्त करता है। इस अध्यादेश से राज्य की कृषि उपज मंडियों के लिये बनाये गये नियमों विशेषकर कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के कानून को दबाने का प्रयास है। संविधान के अनुच्छेद 246 (3) के अनुसार कृषि पर कानून बनाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है। दूसरी तरफ यह अध्यादेश कृषि सुधारों की आड़ में एक केन्द्रीयकृत बाजार बनाने के लिये है जो संघवाद की तरफ ले जा रहा है। इस कानून को राष्ट्रपति के माध्यम से किसी भी सदन में चर्चा किये लागू कर दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश गरीब, असंगठित, सीमान्त और छोटे किसानों की रक्षा करने में विफल साबित होगा जो संविधान के अनुच्छेद 23 में उन्हें दिये गये अधिकार का उल्लंघन है। राज्य के कानूनों में इन्हें जो ठोस सुरक्षा पहले से दी गई है इस अध्यादेश से वह समाप्त हो जायेगी। यह अध्यादेश मंडियों के अधिकार को खत्म करने का प्रयास है, जो देश भर में एपीएमसी कानून (कृषि उपज मंडी कानून) के अंतर्गत हजारों की संख्या में छोटे किसानों के हित संरक्षण के लिये स्थापित किये गये हैं। नया अध्यादेश व्यापारियों को अनेक तरीकों से किसानों के शोषण का अवसर देगा। व्यापारियों को बाहर व्यापार करने की अनुमति देने से सौदेबाजी की हैसियत नहीं रखने वाले कम उपज वाले सीमांत और छोटे किसानों का अहित होगा। अध्यादेश में बेईमान व्यापारियों से इन किसानों को बचाने का कोई उपाय नहीं किया गया है।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पी.आर.रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच ने की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। भिलाई के कुम्हारी के सबसे बड़े शीतला तालाब को पाटने के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए राज्य शासन और कुम्हारी नगरपालिका से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
कुम्हारी तालाब को पाटकर नगरपालिका ने यहां चौपाटी तैयार करने की योजना बनाई है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। सैकड़ों वर्ष पुराना यह तालाब निस्तारी के काम आता है और श्रद्धालु यहां पूजा-पाठ करने आते हैं। इस तालाब के चलते कुम्हारी का भू-जल स्तर बना रहता है। गहरीकरण का नाम लेकर तालाब को पाटना छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विरुद्ध भी है। याचिका में कहा गया है कि तालाब को पाटने के विरुद्ध जिला प्रशासन और नगरपालिका से कई बार जापन दिया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता निश्चय बाजपेयी की ओर से अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने पैरवी की और शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा उपस्थित हुए।
‘अमित पर एफआईआर दर्ज हो, मरवाही चुनाव लडऩे से रोका जाए’
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके बेटे अमित जोगी की जाति को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे संतकुमार नेताम ने कहा है कि सन् 2013 की रिपोर्ट को लेकर हाईकोर्ट के आदेश से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि जोगी के आदिवासी होने को मान्यता दी गई है। सन् 2019 की दूसरी संशोधित रिपोर्ट में उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जा चुका है। स्व. जोगी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त होने के बाद अमित जोगी का भी प्रमाण पत्र निरस्त किया जाना चाहिये और उन्हें मरवाही चुनाव लडऩे का मौका नहीं दिया जाना चाहिये।
हाईकोर्ट ने पिछले दिनों याचिकाकर्ता संतकुमार नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने सन् 2013 में जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट को वापस लेने के तत्कालीन सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी। इसके खारिज होने के बाद अमित जोगी ने ट्वीट कर कहा था कि सत्य की जीत होती है, मरवाही के गौरव व जोगी के आदिवासी होने के हक को कोई नहीं छीन सकता।
अमित जोगी के इस बयान पर नेताम ने कहा है कि सन् 2013 की रिपोर्ट को तब की सरकार ने प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने के कारण वापस लिया था पर जाति छानबीन समिति ने सन् 2019 में दूसरी संशोधित व स्पष्ट रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट को किसी अदालत ने खारिज नहीं किया गया है, जिसमें जोगी के कंवर जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का आदेश है। पिता के आधार पर ही बेटे की जाति तय होती है इसलिये स्व. अजीत जोगी की तरह ही उनके पुत्र अमित जोगी का प्रमाण पत्र निरस्त किया जाना चाहिये, साथ ही उनके ऊपर भी एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिये। जाति प्रमाण पत्र के लिये अमित जोगी ने गलत जन्मस्थान और जन्मतिथि दर्ज कराई और इसी प्रमाण-पत्र के आधार पर मरवाही अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा। पिता का प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद अब उन्हें इस प्रमाण पत्र के आधार पर मरवाही से नामांकन दाखिले का अवसर नहीं मिलना चाहिये। सन् 2013 की रिपोर्ट वापस लेने को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद उनकी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है।
मुंबई, 18 जुलाई । सीमा सुरक्षा बल ने गुरुवार को एक ऐसे युवक को पकड़ा है जो पाकिस्तान में रह रही अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करने की कोशिश कर रहा था। सिद्दीकी मोहम्मद जिशान नाम के इस युवक की उम्र 20 साल है और वह महाराष्ट्र के उस्मानाबाद का रहने वाला है।
मोहम्मद को भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर कच्छ के रण से पाकिस्तान जाने की कोशिश में देर रात पकड़ा गया।
मोहम्मद ने कहा कि उसने पाकिस्तान के कराची के शाह फैसल शहर की एक लडक़ी से मिलने के लिए लगभग 1200 किलोमीटर की यात्रा की थी। उसने बताया कि उसने फेसबुक पर एक पाकिस्तानी लडक़ी से दोस्ती की थी और फिर दोनों फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए लगातार कॉन्टैक्ट में थे। उसने कहा कि वह पाकिस्तान जाना चाहता था और नेविगेशन के लिए उसने गूगल मैप्स का इस्तेमाल किया था।
बीएसएफ कर्मियों ने उसे निर्वस्त्र हालत में पाया और बताया कि कच्छ के रण को पार करने की कोशिश में वह बेहोश हो गया था। युवक के पास से उसका एटीएम कार्ड, आधार और पैन कार्ड जैसे अन्य डॉक्युमेंट्स बरामद किए गए हैं, जिनसे उस युवक की पहचान हो सकी। इसी के साथ बीएसएफ को एक बाइक भी मिली है, जिसे सीमा के करीब पहुंचने पर युवक ने छोड़ दिया था। उसने इस बाइक का इस्तेमाल महाराष्ट्र में अपने शहर से आने-जाने के लिए किया था।
बताया जा रहा है, महाराष्ट्र पुलिस ने गुजरात पुलिस को एक लापता व्यक्ति की सूचना दी थी जो उस युवक के माता-पिता ने दर्ज कराई थी। इसके बाद गुजरात पुलिस ने बीएसएफ के जवानों को इस बात की खबर दी और युवक के मोबाइल फोन को ट्रैक करने के बाद धोलावीरा के पास के इलाके में उसकी तलाश की गई। बीएसएफ ने युवक को आगे की जांच के लिए पुलिस को सौंप दिया है।(tv9bharat)
जम्मू, 17 जुलाई (वार्ता)। पाकिस्तान की सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए शुक्रवार रात को जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के गुलपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित गांवों को निशाना बनाकर गोलीबारी की जिसमें एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई।
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए गुलपुर सेक्टर के खारी-करमारा क्षेत्र के गांवों को निशाना बनाकर गोलीबारी की। इस गोलीबारी में मोर्टार का एक गोला मोहम्मद रफीक नामक एक ग्रामीण के घर पर आकर गिरा। मोर्टार का गोला गिरने से घर में विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई, जिसके कारण मोहम्मद रफीक (58) उनकी पत्नी रफिया बी (50) और बेटे इरफान (16) की मौके पर ही मौत हो गयी।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यहां बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए आज रात करीब नौ बजकर 20 मिनट पर पुंछ जिले के गुलपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के नजदीक छोटे हथियारों से गोलीबारी की और मोर्टार भी दागे।
भारतीय सेना भी पाकिस्तान की इस गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इससे पहले पाकिस्तान ने 14 जुलाई को संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा के नजदीक सेना की अग्रिम चौकियों को निशाना बनाकर गोलीबारी की थी।
नांदगांव के औंधी में आज सुबह मुठभेड़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 जुलाई। राजनांदगांव के औंधी इलाके में लंबे समय बाद पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। दोनों पक्ष में जोरदार गोली-बारी हुई। घटना दोपहर 12 बजे के आसपास की है। गश्त पर निकली राजनांदगांव पुलिस की अलग-अलग टीमों के साथ औंधी क्षेत्र के बोगाटोला-नंदेली के बीच फायरिंग हुई। बताया गया है कि फायरिंग स्थल में पूर्व से मौजूद मवेशियों में से एक मवेशी की गोली लगने से मौत हो गई है।
सूत्रों का कहना है कि यह गोली नक्सलियों की ओर से लगी है। पुलिस को मौके से बड़े पैमाने में नक्सल सामान मिले हैं। घटना की पुष्टि करते एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि औंधी इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की खबर के बाद सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा था। इसी बीच आज यह मुठभेड़ की घटना हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक करीब दर्जनभर सशस्त्र नक्सलियों ने गश्ती दल पर हमला किया। जवाबी फायरिंग और पुलिस के बढ़ते दबाव के बाद नक्सली फरार हो गए। माना जा रहा है कि आगामी 28 जुलाई से शुरू हो रहे शहीद सप्ताह के चलते नक्सली संभवत: मीटिंग कर रहे थे। 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सलियों द्वारा शहीद सप्ताह मनाया जाता है।
नक्सली इस दौरान पुलिस पार्टियों पर हमला करने के साथ-साथ अन्य हिंसक वारदात को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं। औंधी इलाके में पिछले कुछ सालों में पुलिस की जंगल में दखल बढ़ी है। नक्सलियों को हाल ही के महीनों में काफी नुकसान हुआ है। इस बीच आज हुई घटना में पुलिस को दैनिक वस्तुओं के साथ-साथ नक्सल साहित्य भी मिले हैं। फायरिंग में मवेशियों का आड़ लेकर नक्सली भागने में कामयाब हो गए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। प्रदेश में कोरोना की तेज रफ्तार पर नियंत्रण के लिए सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला लिया है। इस कड़ी में दूकानों-व्यावसायिक संस्थानों में सामाजिक दूरी का उल्लंघन करने पर मालिकों को दो सौ रूपए जुर्माना देना होगा। साथ ही मास्क नहीं पहनने पर सौ रूपए जुर्माना भरना होगा। यही नहीं, होम क्वॉरंटीन का उल्लंघन करने पर एक हजार रूपए का जुर्माना देना होगा।
सरकार ने महामारी रोग कानून के प्रावधानों के अनुरूप कोरोना के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए और रक्षात्मक उपायों को अपनाने के अलावा उसका पालन कराए जाने को अनिवार्य घोषित किया है। इस कड़ी में सार्वजनिक स्थलों, बाजारों, अस्पतालों और भीड़ भाड़ वाले जगहों, गलियों में आने-जाने वाले लोगों को फेसकवर अनिवार्य रूप से धारण करना जरूरी है।
इस सिलसिले में जारी अधिसूचना में कहा गया कि सार्वजनिक स्थलों पर थूकना प्रतिबंधित है। होमक्वॉरंटीन में रहने वाले लोगों को समय-समय पर जारी सभी दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी होगा। कोरोना संक्रमण के रोकथाम और नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जुर्माना तय किया गया है। इसके मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर मास्क-फेसकवर नहीं लगाने पर सौ रूपए जुर्माना भरना होगा। यही नहीं क्वॉरंटीन की दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने पर एक हजार रूपए और सार्वजनिक स्थलों पर थूकते हुए पाए जाने पर सौ रूपए जुर्माना देना होगा।
आदेश में यह भी कहा गया है कि दुकानों-व्यावसायिक संस्थानों के मालिकों द्वारा सामाजिक दूरी और शारीरिक दूरी का उल्लंघन करने पर दो सौ रूपए जुर्माना देना होगा। जुर्माना अदा नहीं करने पर संबंधित लोगों के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
कांग्रेस राज्यसभा सदस्य और मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस छोडक़र भाजपा गए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ट्वीट करते हुए कुछ तंज कसे हैं।
उन्होंने लिखा है-महाराज, आपको काँग्रेस ने जब इतना मौका दिया तो फिर बिना सोनियाजी, राहुलजी, डॉ मनमोहन सिंहजी से मिले आप कॉंग्रेस छोड़ भाजपा में क्यों चले गए, जिसने आपको लोकसभा चुनाव में पराजित किया? क्या आपने हार स्वीकार कर दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण नहीं कर दिया? बहादुर लोग तो ऐसा नहीं करते।
उन्होंने लिखा- महाराज, भाजपा के कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं ‘किसानों का कर्ज माफ करना पाप है’। क्या आप उनके बयान से सहमत हैं? यदि शिवराज चौहान कॉंग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की जो प्रक्रिया शुरू की थी वह उसे पूरा नहीं करते हैं तो क्या आप मप्र सरकार के खिलाफ सडक़ों पर उतरेंगे?
दिग्विजय ने लिखा- मोदीजी के बारे में महाराज साहब के पूर्व में और अब दिए गए वक्तव्य में कितना अंतर है। क्या मोदीजी ने इन्हें माफ कर दिया? वैसे मोदीजी के मिज़ाज में किसी को माफ करना नहीं है। फिर भी अभी तक तो मुझे प्रसन्नता है महाराज को काफी इज़्जत दी जा रही है।
बीजिंग/जिनेवा/नई दिल्ली, 18 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है और दुनियाभर में इससे अब तक 1.40 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं तथा छह लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
कोविड-19 के संक्रमितों के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है जबकि भारत मृतकों की संख्या के मामले में आठवें स्थान पर है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,40,60,402 हो गयी है जबकि अब तक इस महामारी के कारण 601820 लोगों ने जान गंवाई है।
विश्व महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 36,41539 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,39,176 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 20,46,328 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 77851 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 34884 नये मामले सामने आये हैं और इसके साथ ही यहां इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या
10,38,716 हो गयी है। देश में अब तक कुल 6,53,751 मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि 26,273 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है। देश में वर्तमान में 3,58,692 सक्रिय मामले हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 7,58,001 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 12,106 लोगों ने जान गंवाई है। पेरू में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवें नम्बर पर पहुंच गया है। यहां संक्रमितों की संख्या 3,45,537 हो गई तथा 12,799 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से संक्रमित होने के मामले में दक्षिण अफ्रीका सातवें स्थान पर पहुंच गया है। यहां इससे अब तक 3,37594 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4804 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं मैक्सिको में कोरोना से अब तक 3,31298 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 38310 लोगों की मौत हुई है। कोविड-19 से संक्रमित होने के मामले चिली अब छठे नंबर पर पहुंच गया है। यहां इससे अब तक 3,26,439 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 8347 है।
ब्रिटेन संक्रमण के मामले में नौवें नंबर पर है। यहां अब तक इस महामारी से 2,94,803 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 45,318 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
वहीं खाड़ी देश ईरान में संक्रमितों की संख्या 2,69,440 हो गई है और 13,791 लोगों की इसके कारण मौत हुई है। वहीं स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,60,255 है जबकि 28,420 लोगों की मौत हो चुकी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 2,59,999 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 5475 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण से अब तक 2,45,851 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 2407 लोगों की मौत हो चुकी है। यूरोपीय देश इटली में इस जानलेवा विषाणु से 2,43,967 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 35,028 लोगों की मौत हुई है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,17,799 हो गयी है और 5458 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,11,943 हैं और 30,155 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 2,02,045 लोग संक्रमित हुए हैं और 9088 लोगों की मौत हुई है।
बंगलादेश में 1,99,357 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2547 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से नीदरलैंड में 12295, बेल्जियम में 9795, कनाडा में 8884, स्वीडन में 5619, इचडोर में 5250, मिस्र में 4188, इंडोनेशिया में 3957, इराक में 3616, स्विट्जरलैंड में 1969, रोमानिया में 1988, अर्जेंटीना में 2178, बोलीविया में 20, आयरलैंड में 1752 और पुर्तगाल में 1682 लोगों की मौत हो चुकी है।
नई दिल्ली, 18 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है और गत तीन दिनों से लगातार 30 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और संक्रमितों का आंकड़ा अब तक 10.38 लाख से अधिक हो चुका है। इससे पहले गुरुवार को 32,695 और शुक्रवार को 34,956 मामलों की पुष्टि हुई थी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 34,884 मामले सामने आये और संक्रमितों की कुल संख्या 10,38,716 हो गयी। मृतकों की संख्या 671 बढक़र 26,273 हो गयी है। अब तक कुल 6,53,751 कोरोना से मुक्ति पा चुके हैं तथा अब कोरोना संक्रमण के 3,58,692 सक्रिय मामले हैं।
दस लाख का अंकड़ा पार करने वाला भारत तीसरा देश है। पहले स्थान पर अमेरिका है जहां सबसे अधिक 36,41,539 मामले और दूसरे स्थान पर स्थित ब्राजील में 20,46,328 मामले हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने के कारण स्थिति में सुधार होता दिख रहा है लेकिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या जहां 2.92 लाख , तमिलनाडु में 1.60 लाख और दिल्ली में 1.20 लाख से अधिक हो गयी है, वहीं कर्नाटक 55 हजार से अधिक संक्रमण के मामलों के साथ चौथे स्थान पर है।
विभिन्न राज्यों में पिछले 24 घंटों के दौरान स्थिति पर नजर डालें तो सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में इस दौरान संंक्रमण के 8308 नये मामले सामने आये और 258 लोगों की मौत हुई। यहां अब संक्रमितों का आंकड़ा 2,92,589 और मृतकों की संख्या 11,452 है, वहीं 1,60,357 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर तमिलनाडु में इस दौरान संक्रमण के 4518 मामले सामने आये और 79 लोगों की मौत हुई जिससे संक्रमितों की संख्या 1,60,907 और मृतकों का आंकड़ा 2315 हो गया है। राज्य में 1,10,807 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,20,107 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3571 हो गयी है। यहां अब तक 99,301 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक संक्रमितों की संख्या के मामले में गुजरात को पीछे छोडक़र चौथे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में 55,115 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1147 लोगों की इससे मौत हुई है, वहीं 20,757 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। देश का पश्चिमी राज्य गुजरात संक्रमण के मामले में पांचवें स्थान पर आ गया है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु के बाद चौथे स्थान पर है। गुजरात में 46,430 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2106 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 32,973 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
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आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 45,163 मामले सामने आए हैं तथा इस महामारी से 1084 लोगों की मौत हुई है जबकि 27,634 मरीज ठीक हुए हैं। एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।
तेलंगाना में कोरोना संक्रमितों की संख्या 42,496 हो गयी है और 403 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 28,705 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल से ऊपर आ गया है। राज्य में 40,646 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 534 हो गई है, जबकि 20,298 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में 38,011 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं तथा 1049 लोगों की मौत हुई है, वहीं अब तक 22,253 लोग स्वस्थ हुए हैं। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 27,789 हो गयी है और अब तक 546 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20,626 लोग पूरी तरह ठीक हुए हैं। हरियाणा में 24,797 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 327 लोगों की मौत हुई है।
-अनिल गोस्वामी
उन्हें किसी भी दिन बनारस शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा नि:शुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ. लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है।
लोगों का नि:शुल्क इलाज करने वाले बीएचयू के जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन पद्म डॉ. टी.के. लहरी (डॉ. तपन कुमार लहरी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके घर पर जाकर मिलने से इंकार कर दिया है। योगी को वाराणसी की जिन प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करनी थी, उनमें एक नाम डॉ. टी के लहरी का भी था। मुलाकात कराने के लिए अपने घर पहुंचने वाले अफसरों से डॉ. लहरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मिलना है तो वह मेरे ओपीडी में मिलें। इसके बाद उनसे मुलाकात का सीएम का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री चाहते तो डॉ. लहरी से उनके ओपीडी में मिल सकते थे लेकिन वीवीआईपी की वजह से वहां मरीजों के लिए असुविधा पैदा हो सकती थी।
जानकार ऐसा भी बताते हैं कि यदि कहीं मुख्यमंत्री सचमुच मिलने के लिए ओपीडी में पहुंच गए होते तो डॉ. लहरी उनसे भी मरीजों के क्रम में ही मिलते और मुख्यमंत्री को लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता। बताया जाता है कि इससे पहले डॉ. लहरी तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी इसी तरह न मिलने का दो टूक जवाब देकर निरुत्तरित कर चुके हैं। सचमुच धरती के भगवान जैसे डॉ. लहरी वह चिकित्सक हैं, जो वर्ष 1994 से ही अपनी पूरी तनख्वाह गरीबों को दान करते रहे हैं। अब रिटायरमेंट के बाद उन्हें जो पेंशन मिलती है, उसमें से उतने ही रुपए लेते हैं, जिससे वह दोनो वक्त की रोटी खा सकें। बाकी राशि बीएचयू कोष में इसलिए छोड़ देते हैं कि उससे वहां के गरीबों का भला होता रहे।
उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा नि:शुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ. लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है। वह इतने स्वाभिमानी और अपने पेशे के प्रति इतने समर्पित रहते है कि कभी उन्होंने बीएचयू के बीमार कुलपति को भी उनके घर जाकर देखने से मना कर दिया था।
ऐसे ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। तमाम चिकित्सकों से मरीज़ों के लुटने के किस्से तो आए दिन सुनने को मिलते हैं लेकिन डॉ. लहरी देश के ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों का नि:शुल्क इलाज करते हैं। अपनी इस सेवा के लिए डॉ. लहरी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. लहरी ने सन् 1974 में प्रोफेसर के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपना करियर शुरू किया था और आज भी वह बनारस में किसी देवदूत से कम नहीं हैं। बनारस में उन्हें लोग साक्षात भगवान की तरह जानते-मानते हैं। जिस ख्वाब को संजोकर मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना की, उसको डॉ. लहरी आज भी जिन्दा रखे हुए हैं।
वर्ष 2003 में बीएचयू से रिटायरमेंट के बाद से भी उनका नाता वहां से नहीं टूटा है। आज, जबकि ज्यादातर डॉक्टर चमक-दमक, ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं, लंबी-लंबी मंहगी कारों से चलते हैं, मामूली कमीशन के लिए दवा कंपनियों और पैथालॉजी सेंटरों से सांठ-गांठ करते रहते हैं, वही मेडिकल कॉलेज में तीन दशक तक पढ़ा-लिखाकर सैकड़ों डॉक्टर तैयार करने वाले डॉ. लहरी के पास खुद का चारपहिया वाहन नहीं है। उनमें जैसी योग्यता है, उनकी जितनी शोहरत और इज्जत है, चाहते तो वह भी आलीशान हास्पिटल खोलकर करोड़ों की कमाई कर सकते थे लेकिन वह नौकरी से रिटायर होने के बाद भी स्वयं को मात्र चिकित्सक के रूप में गरीब-असहाय मरीजों का सामान्य सेवक बनाए रखना चाहते हैं। वह आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते हैं। उनकी बदौलत आज लाखों गऱीब मरीजों का दिल धडक़ रहा है, जो पैसे के अभाव में महंगा इलाज कराने में लाचार थे। गंभीर हृदय रोगों का शिकार होकर जब तमाम गरीब मौत के मुंह में समा रहे थे, तब डॉ. लहरी ने फरिश्ता बनकर उन्हें बचाया।
डॉ. लहरी जितने अपने पेशे के साथ प्रतिबद्ध हैं, उतने ही अपने समय के पाबंद भी। आज उनकी उम्र लगभग 75 साल हो चुकी है लेकिन उन्हें देखकर बीएचयू के लोग अपनी घड़ी की सूइयां मिलाते हैं। वे हर रोज नियत समय पर बीएचयू आते हैं और जाते हैं। रिटायर्ड होने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें इमेरिटस प्रोफेसर का दर्जा दिया था। वह वर्ष 2003 से 2011 तक वहाँ इमेरिटस प्रोफेसर रहे। इसके बाद भी उनकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए उनकी सेवा इमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर अब तक ली जा रही है। जिस दौर में लाशों को भी वेंटीलेटर पर रखकर बिल भुनाने से कई डॉक्टर नहीं चूकते, उस दौर में इस देवतुल्य चिकित्सक की कहानी किसी भी व्यक्ति को श्रद्धानत कर सकती है।
रिटायर्ड होने के बाद भी मरीजों के लिए दिलोजान से लगे रहने वाले डॉ. टी के लहरी को ओपन हार्ट सर्जरी में महारत हासिल है। वाराणसी के लोग उन्हें महापुरुष कहते हैं। अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1974 में वह बीएचयू में 250 रुपए महीने पर लेक्चरर नियुक्त हुए थे। गरीब मरीजों की सेवा के लिए उन्होंने शादी तक नहीं की। सन् 1997 से ही उन्होंने वेतन लेना बंद कर दिया था। उस समय उनकी कुल सैलरी एक लाख रुपए से ऊपर थी। रिटायर होने के बाद जो पीएफ मिला, वह भी उन्होंने बीएचयू के लिए छोड़ दिया। डॉ. लहरी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े हॉस्पिटल्स से ऑफर मिला, लेकिन वह अपने देश के मरीजों की ही जीवन भर सेवा करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। वह प्रतिदिन सुबह छह बजे बीएचयू पहुंच जाते हैं और तीन घंटे ड्यूटी करने के बाद वापस घर लौट आते हैं। इसी तरह हर शाम अपनी ड्यूटी बजाते हैं। इसके बदले वह बीएचयू से आवास के अलावा और कोई सुविधा नहीं लेते हैं।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के बांकीमोंगरा, हल्दीबाड़ी में बीटगार्ड ने अवैध बांस कटाई करते अपने से बड़े अफसर, रेंजर, डिप्टी रेंजर और 11 मजदूरों को रंगे हाथों पकड़ लिया, जिसके बाद उसने सबको जमकर फटकार लगाईं, और वन अधिनियम के तहत सभी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. सच की ताकत और हौसला देखें !
यह फारेस्ट बीट गार्ड अवैध कटाई पर अपने सीनियर को कैसे नाप रहा है ! (जगह बांकीमोंगरा, फेसबुक )
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 जुलाई। कोरोना मरीजों का संपर्क सूत्र तलाशने का काम नहीं करने वाले दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है। कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग दल के अनुपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों से 3 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
जिन अधिकारी-कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है उनमें एचआर यादव, अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग रायपुर, विक्रांत देव वर्मा, सहायक अभियंता, कार्यपालन अभियंता, लोक निर्माण विभाग यांत्रिकी संभाग सिरपुर भवन परिसर रायपुर, राकेश तिर्की, डॉ. दिखर नाथ खुटे और डॉ. बंसो नरुटी, सहायक प्राध्यापक, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, नरेन्द्रधर बडग़इया, व्याख्याता, उच्चतर माध्यमिक शाला अटारी, शिव कुमार वर्मा, नेत्र सहायक अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरगांव, विनय पटेल, उप अभियंता, कार्यपालन अभियंता, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल, संभाग क्रमांक-3, मदन मनहर, उप अभियंता, लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक-2 रायपुर, मोनिका सार्वा, सहायक अभियंता, कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन विभाग और संदीप कुमार साहू, कार्यपालन अभियंता, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल संभाग क्रमांक-1 का नाम शामिल है।
उल्लेखनीय है कि जिले में नोबेल कोरोना वायरस की रोकथाम, नियंत्रण एवं किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से बचाव के लिए कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया गया है। इन संक्रमित लोगों की जानकारी प्राप्त होने के पश्चात यथाशीघ्र तथा किसी भी दशा में 6 घंटे के भीतर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग कर हाई रिस्क व्यक्तियों की जांच हेतु दल को प्रभारी अधिकारी को सूचित किया जाना है।
..पुण्यतिथि 18 जुलाई के अवसर पर ..
मुंबई 18 जुलाई (वार्ता) हिंदी फिल्म जगत में अपने अभिनय से लोगों को दीवाना बनाने वाले अभिनेता तो कई हुये और दर्शकों ने उन्हें स्टार कलाकार माना लेकिन सत्तर के दशक में राजेश खन्ना पहले ऐसे अभिनेता के तौर पर अवतरित हुये जिन्हें दर्शको ने सुपरस्टार की उपाधि दी।
पंजाब के अमृतसर में 29 दिसंबर 1942 को जन्में जतिन खन्ना उर्फ राजेश खन्ना का रूझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे। हांलाकि उनके पिता इस बात के सख्त खिलाफ थे। राजेश खन्ना अपने करियर के शुरूआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में यूनाईटेड प्रोड्यूसर ऐसोसियेशन द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कान्टेस्ट में भाग लिया जिसमें वह प्रथम चुने गये। राजेश खन्ना ने अपने सिने करियर की शुरूआत 1966 में चेतन आंनद की फिल्म .आखिरी खत ..से की।
वर्ष 1966 से 1969 तक राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। राजेश खन्ना के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत की क्लासिकल फिल्म ‘अराधना’ से चमका। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की ‘गोल्डन जुबली’ कामयाबी ने राजेश खन्ना को ‘स्टार’ के रूप में स्थापित कर दिया। फिल्म की सफलता के बाद राजेश खन्ना शक्ति सामंत के प्रिय अभिनेता बन गये। बाद में उन्होंने राजेश खन्ना को कई फिल्मों में काम करने का मौका दिया। इनमें कटी पतंग, अमर प्रेम, अनुराग, अजनबी, अनुरोध और आवाज आदि शामिल है।
फिल्म अराधना की सफलता के बाद राजेश खन्ना की छवि रोमांटिक हीरो के रूप में बन गयी ।इस फिल्म के बाद निर्माता -निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी रूमानी छवि को भुनाया।
सत्तर के दशक में राजेश खन्ना लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुंचे और उन्हें हिंदी फिल्म जगत के पहले सुपरस्टार होने का गौरव प्राप्त हुआ। फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी। ऊपर आका और नीचे काका। यूं तो उनके अभिनय के कायल सभी थे लेकिन खासतौर पर टीनएज लड़कियों के बीच उनका क्रेज कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया। लड़कियां काका की इस कदर दीवानी थी कि उन्हें अपने खून से प्रेम पत्र लिखा करती थी और उससे ही अपनी मांग भर लिया करती थी।
सत्तर के दशक में राजेश खन्ना पर यह आरोप लगने लगे कि वह केवल रूमानी भूमिका ही निभा सकते है। राजेश खन्ना को इस छवि से बाहर निकालने में निर्माता -निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने मदद की और उन्हें लेकर 1972 में फिल्म ‘बावर्ची’ जैसी हास्य से भरपूर फिल्म का निर्माण कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया।
1972 में ही प्रदर्शित फिल्म .आनंद .में राजेश खन्ना के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। ऋषिकेश मुखर्जी निदेर्शित इस फिल्म में राजेश खन्ना बिल्कुल नये अंदाज में देखे गये । फिल्म के एक दृश्य में राजेश खन्ना का बोला गया यह संवाद बाबूमोशाय ..हम सब रंगमंच की कठपुतलियां है जिसकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों से बंधी हुई है कौन कब किसकी डोर खिंच जाये ये कोई नही बता सकता ..उन दिनों सिने दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था और आज भी सिने दर्शक उसे नहीं भूल पाये।
1969 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेश खन्ना ने जिन फिल्मों में काम किया उनमें अधिकांश फिल्में हिट साबित हुयी लेकिन अमिताभ बच्चन के आगमन के बाद परदे पर रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता से दर्शकों ने मुंह मोड़ लिया और उनकी फिल्में असफल होने लगी ।अभिनय में आयी एकरूपता से बचने और स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिये और दर्शकों का प्यार फिर से पाने के लिये राजेश खन्ना ने अस्सी के दशक से खुद को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया।इसमें 1980 मे प्रदर्शित फिल्म .रेडरोज. खास तौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म में राजेश खन्ना ने नेगेटिव किरदार निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
1985 में प्रदर्शित फिल्म..अलग अलग .के जरिये राजेश खन्ना ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया।राजेश खन्ना के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ काफी पसंद की गयी।राजेश खन्ना को उनके सिने कैरियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्मों में अनेक भूमिकाएं निभाने के बाद राजेश खन्ना समाज सेवा के लिए राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 में कांग्रेस के टिकट पर न्यू दिल्ली की लोकसभा सीट से चुने गए ।
राजेश खन्ना अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 125 फिल्मों में काम किया। अपने रोमांस के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले किंग आफ रोमांस 18 जुलाई 2012 को इस दुनिया को अलविदा कह गये। राजेश खन्ना अपने चार दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 125 फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में है। दो रास्ते, सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, अंदाज, दुश्मन, अपना देश, आप की कसम, प्रेम कहानी,सफर,दाग ,खामोशी, इत्तेफाक,महबूब की मेहदी, मर्यादा, अंदाज, नमकहराम, रोटी, महबूबा, कुदरत, दर्द, राजपूत, धर्मकांटा, सौतन, अवतार, अगर तुम ना होते, आखिर क्यों, अमृत, स्वर्ग ,खुदाई, आ अब लौट चले आदि।
-प्रेम सतीश
आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2020 है!
कोविड-19 की वजह से साल भर में होने वाली सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं और शेड्यूल पर काफी प्रभाव पड़ा है। कितनी ही बार परीक्षा के लिए आवेदन करने की तारीख से लेकर परीक्षा की तारीख में बदलाव किए गए हैं। यूपीएससी को भी इन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
योजना को बदलना पड़ा। परीक्षाओं की तारीख को आगे बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासन को कुछ पदों के लिए फिर से आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी पड़ रही है। यूपीएससी ने 94 पदों के लिए फिर से आवेदन मंगाए हैं। पहले ये आवेदन मई और अप्रैल में मंगाए गए थे, लेकिन तब लॉकडाउन की वजह से छात्र अप्लाई नहीं कर सके थे।
यूपीएससी ने विज्ञापन नंबर 05/20 और 06/20 के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है।
इच्छुक उम्मीदवार यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट https://upsconline.nic.in/ora/VacancyNoticePub.php पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जुलाई है।
विज्ञापन नंबर 05/20 के तहत इन पदों के लिए कर सकते हैं आवेदन:
1. चीफ डिजाइन इंजीनियर, नेशनल सुगर इंस्टीट्यूट, कानपुर डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन, मिनिस्ट्री आफ कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन- 01 पद
2. डिप्टी सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मिनिस्ट्री आफ कल्चर- 02 पद
3. असिस्टेंट इंजीनियर क्वालिटी एश्योरेंस, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस, डिपार्टमेंट आफ डिफेंस प्रोडक्शन, मिनिस्ट्री आफ डिफेंस- 02 पद
4. असिस्टेंट इंजीनियर क्वालिटी एश्योरेंस स्मॉल आर्म, डायरेक्टोरेट जनरल आफ क्वालिटी एश्योरेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन, मिनिस्ट्री आफ डिफेंस- 05 पद
5. असिस्टेंट इंजीनियर क्वालिटी एश्योरेंस स्टोर्स केमिस्ट्री, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस- 05 पद
6. असिस्टेंट इंजीनियर क्वालिटी एश्योरेंस स्टोर्स जेनटेक्स, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस- 30 पद
7. असिस्टेंट इंजीनियर क्वालिटी एश्योरेंस व्हीकल, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस- 12 पद
8. असिस्टेंट वेटरनरी ऑफिसर, नेशनल जूलॉजिकल पार्क नई दिल्ली, मिनिस्ट्री ऑफ एनवायर्नमेंट, फोरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज- 01 पद
9. असिस्टेंट डायरेक्टर आफिशियल लेंग्वेज, एम्पलॉई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन, मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड एंप्लायमेंट- 13 पद
10. असिस्टेंट एंम्पालयमेंट ऑफिसर, नेशनल करियर सर्विस सेंटर फॉर एससी एसटी, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ एम्पलायमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड एम्पलायमेंट- 02 पद
11. डिप्टी डायरेक्टर एग्जामिनिशेन रिफॉर्म, यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन- 01 पद
12. असिस्टेंट इंजीनियर, डिपार्टमेंट ऑफ इरिगेशना एंड फ्लड कंट्रोल, गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली- 09 पद
13. डिप्टी डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ प्लानिंग, गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली- 02 पद
विज्ञापन नंबर 06/20 के तहत इन पदों के लिए कर सकते हैं आवेदन:
1. जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर, नेशनल सेटर ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग गाजियाबाद, डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, कूपरेशन एंड फार्मर्स वेलफेयर, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर- 02 पद
2. रीजनल होम इकोनॉमिस्ट, डायरेक्टोरेट ऑफ एक्सटेंशन, डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, कॉपरेशन एंड फार्मर्स वेलफेयर, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर- 01 पद
3. साइंटिस्ट बी सिविल इंजीनियरिंग, सेंट्रल सॉइल एंड मैटीरियल्स रिसर्च स्टेशन नई दिल्ली, डिपार्टमेंट ऑफ वॉटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रीजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 07 पद
4. साइंटिस्ट बी सिविल इंजीनियरिंग, सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ वाटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रीजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 24 पद
5. साइंटिस्ट बी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ वाटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रीजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 02 पद
6. साइंटिस्ट बी एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग, सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ वाटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रीजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 02 पद
7. साइंटिस्ट बी मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ वाटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रीजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 02 पद
8. साइंटिस्ट बी जियो फिजिक्स, सेंट्रल सॉइल एंड मैटीरियल रिसर्च स्टेशन नई दिल्ली, डिपार्टमेंट ऑफ वॉटर रिसोर्स, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रिजुवेनेशन, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति- 01 पद
आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जुलाई 2020 है। आप आज ही https://upsconline.nic.in/ora/VacancyNoticePub.php पर क्लिक करके आवेदन कर सकते हैं।
(hindi.thebetterindia.com)
आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2020 है!
कंपनी ने 250 इंजीनियर पदों व 25 अस्सिस्टेंट केमिस्ट पदों के लिए आवेदन मांगे हैं
-निशा डागर
नैशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) 62, 110 मेगावाट क्षमता के साथ भारत का सबसे बड़ा विद्युत समूह है। कंपनी ने हाल ही में इंजीनियर और असिस्टेंट केमिस्ट के 275 पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की है। योग्य एवं इच्छुक उम्मीदवार अपनी योग्यता अनुसार भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं।
एनटीपीसी भर्ती योग्यता / पात्रता शर्तें, आवेदन कैसे करें और अन्य नियम नीचे दिए गए हैं। आवेदन करने व अधिक जानकारी के लिए आप आधिकारिक वेबसाइट www.ntpc.co.in देख सकते हैं!
1. इंजीनियर (250 पद)
शैक्षिक योग्यता: न्यूनतम 60% अंकों और न्यूनतम 03 वर्षों के अनुभव के साथ इलेक्ट्रिकल / मैकेनिकल / इलेक्ट्रॉनिक्स / इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग डिग्री।
आयु सीमा: 30 वर्ष
वेतनमान: 50000 – 1.60,000/- (प्रति माह)
2. असिस्टेंट केमिस्ट (25 पद)
शैक्षिक योग्यता: केमिस्ट्री विषय में एम. एससी (M. Sc.) और तीन वर्षों का अनुभव
आयु सीमा: 30 वर्ष
वेतनमान: 50000 – 1.60,000/- (प्रति माह)
चयन प्रक्रिया: चयन ऑनलाइन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार पर आधारित होगा।
आवेदन शुल्क: जनरल /EWS / ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 300 / – डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग या चालान (पे-इन-स्लिप) के माध्यम से परीक्षा शुल्क का भुगतान करें, एससी / एसटी / PWD / XSM उम्मीदवारों के लिए कोई शुल्क नहीं
इच्छुक और योग्य उम्मीदवार वेबसाइट www.ntpccareers.net के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं!
ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 है।
महत्वपूर्ण लिंक:
विज्ञापन पूरा पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें!
ऑनलाइन आवेदन कीजिए : https://ntpccareers.net/et20/hm.php
आधिकारिक वेबसाइट: https://www.ntpc.co.in/
महत्वपूर्ण निर्देश: अप्लाई करने से पहले जरूरी है कि फुल नोटिफिकेशन / विज्ञापन पढ़ लें।
(क्लिक करें और यह भी देखे : UPSC ने 94 पदों के लिए फिर से आवेदन प्रक्रिया शुरू, आज ही करें आवेदन!)
अंधेरे में तलवार चलाकर नुकसान करने पर आमादा
-तथागत भट्टाचार्य
अतुल्य बागराबोंड उत्तरी कर्नाटक के एक किसानस के बेटे हैं। इस साल फरवरी तक उन्होंने मैंगलोर में एक बीपीओ ऑपरेशंस सेंटर में काम किया जहां वह महीने में 24,000 रुपये कमा लेते थे। लॉकडाउन में नौकरी जाती रही। अतुल्य पिछले तीन महीने से दोबारा किसी बीपीओ में नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हताश आवाज में वह कहते हैं, “कहीं कोई नौकरी नहीं। एक ऑफर मिला भी तो वह बेंगलुरू के लिए था और वे 18,000 रुपये देने की बात कर रहे थे। इतने से आप बेंगलुरू में तो नहीं रह सकते। मेरे कई पूर्व सहयोगियों को नौकरी से निकाल दिया गया, कई के वेतन में 30-30 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है।”
अतुल्य की दिक्कत यह है कि उन्होंने साइड बिजनेस करने की कोशिश पहले ही की थी, पर वह सफल नहीं हो पाए। अतुल्य को कुत्तों से बड़ा प्रेम है और उन्होंने हमेशा से एक केनेल (कुत्ताघर) और कुत्ते का प्रजनन केंद्र खोलने का सपना देखा था। पिछले दो वर्षों के दौरान उन्होंने धीरे-धीरे करके इसके लिए लगभग एक लाख रुपये जमा भी कर लिए थे। उन्होंने फरवरी में आठ पिल्ले लिए और मार्च में लॉकडाउन की घोषणा होने तक वह दो पिल्लों को बेच भी चुके थे। वह कहते हैं, “बता नहीं सकता कि यह सब कैसा रहा। मैंने अपनी सारी बचत पिल्लों पर तो खर्चकर ही दी, पिता से भी कुछ पैसे मांगने पड़े। 1 जून के बाद, मैंने एक पूर्व सहकर्मी से कहा कि वह हमें हमारे गांव तक छोड़ दे। तब से यहीं गांव में हूं। गांव आने से पहले मेरे दो पूर्व सहयोगियों ने मुझसे एक-एक कुत्ता खरीदा था। अब मैं चार कुत्तों के साथ अपने माता-पिता के घर ही रह रहा हूं।”
लेकिन यह सिर्फ अतुल्य का किस्सा नहीं है। इन दिनों आप लोगों से मिलें, तो लोग घुमा-फिराकर यही सब सुनाने लगते हैं। दरअसल, आम तौर पर कम उम्र के लोग कम स्किल, कम वेतन वाली नौकरियों पर कब्जा कर लेते हैं। कंपनियां इन्हें प्रशिक्षण देने पर बहुत कम खर्च करती हैं और जब मुश्किल समय आता है तो इन्हें हटा देना उनके लिए अपेक्षाकृत आसान होता है। जॉब्स पोर्टल नौकरी डॉट कॉम के अनुसार, पिछले साल मई की तुलना में इस साल मई में पूरे देश में भर्ती आधी रह गई। होटल, रेस्तरां, यात्रा-पर्यटन और एयरलाइंस उद्योगों में तो भर्तियों में 91 फीसदी की गिरावट आई। अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा, आतिथ्य और पर्यटन-जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों पर खास तौर पर इस महामारी के समय बहुत बुरा असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन(आईएलओ) ने मई में चेतावनी दी थी कि महामारी कई युवाओं को पीछे धकेल सकती है और उन्हें स्थायी रूप से नौकरी बाजार से बाहर कर सकती है। साथ ही आगाह किया था कि वायरस की विरासत अब हमारे साथ दशकों तक रहने वाली है।
आईएलओ का अनुमान है कि महामारी के बाद से दुनिया भर में हर छह में से एक व्यक्ति ने अपनी नौकरी खो दी है। भारत में हम इस बात को अपनी ताकत बताते हैं जिसमें काम करने वाले युवाओं की आबादी काफी अधिक है लेकिन महामारी के इस काल का दुष्प्रभाव भी इसी तबके पर सबसे ज्यादा पड़ा है। सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में 20-30 साल के बीच के 2.7 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 15 से 29 साल के 41 फीसदी लोगों के पास इस साल मई में काम नहीं था जबकि 2018-19 में इसी आयु वर्ग के केवल 17.3 प्रतिशत लोग काम से बाहर थे।
भारत में आईटी कंपनियों में भी जोर-शोर से छंटनी हो रही है, हालांकि यह मोटे तौर पर खराब प्रदर्शन से जुड़ी हुई है। कुछ को इसलिए हटा दिया गया कि कंपनी के पास प्रोजेक्ट नहीं रहा। पुणे में आईटी और आईटीईएस मैन पावर फर्म चलाने वाले प्रभात द्विवेदी ने कहा, “खास तौर पर आईबीएम और कॉग्निजेंट में जो छंटनी का दौर चला है, उसका कारण अनिश्चित कारोबारी माहौल में काम करने वालों की संख्या को न्यूनतम कर देना है।” टाटा समूह के एक सूत्र ने कहा कि उनके यहां भी ऑटोमोबाइल, विमानन, एयरोस्पेस और खुदरा डिवीजनों में काम करने वालों की संख्या को कम करने की योजना तैयार की जा रही है।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 30 अप्रैल को ही तेल और गैस डिवीजन के शीर्ष कर्मचारियों के वेतन में 50 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा कर दी। प्रति वर्ष 15 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों को 10 फीसदी कटौती का सामना करना पड़ा जबकि वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन में 30 से 50 प्रतिशत तक कटौती की गई। भारत में छंटनी करने वाली अन्य प्रमुख कंपनियां हैंः कैब चलाने वाली ओला और उबेर, फूड डिलीवरी क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां- स्विगी और जोमाटो और अंतरराष्ट्रीय कार्य क्षेत्र शेयरिंग फर्म- वेवकोर इत्यादि।
भारतीय मीडिया में भी बड़ी संख्या में लोगों को निकालने, वेतन में कटौती-जैसे कदम उठाए गए। कोविड-19 के प्रभाव पर द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा कराए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण के अनुसार, 3,074 लोगों में से 39 प्रतिशत ने कहा कि उनके वेतन में कटौती हो गई है जबकि 15 फीसदी ने बताया कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है। छंटनी और वेतन कटौती का दौर ऐसी अर्थव्यवस्था में चल रहा है जो पहले से ही मंदी की मार झेल रही थी, इसलिए जाहिर है इसका असर तो और बुरा होने जा रहा है। अब मांग में और कमी आएगी क्योंकि प्रभावित होने वाले घर न्यूनतम जरूरी सामान ही खरीद रहे हैं।
सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारत सरकार भी स्थिति को बेहतर बनाने में मदद नहीं कर रही है। एयर इंडिया में कर्मचारियों के वेतन में कटौती की घोषणा हुई। इसके बाद, भारत में सबसे अधिक नौकरियां देने वाले भारतीय रेलवे ने अब देश भर में कोई भी नई भर्ती नहीं करने का फैसला किया है। पिछले नवंबर में रेल मंत्री पीयूषगोयल ने घोषणा की थी कि रेलवे ने लगभग 2.93 लाख पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन लॉकडाउन के बाद खर्चे को कम करने की रणनीति के तहत रेलवे बोर्ड ने अब जोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों को अगले आदेश तक सुरक्षा श्रेणी को छोड़कर नए पद सृजित करने से मना कर दिया है। इतना ही नहीं, जोनल रेलवे को यह भी कहा गया है कि वे पिछले दो वर्षों के दौरान सृजित पदों की भी समीक्षा करें और अगर किन्हीं पदों पर अभी नियुक्ति नहीं हुई है तो उसे रोक दें। इसके अलावा, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और सिग्नल और दूरसंचार विभागों सहित गैर-सुरक्षा श्रेणियों में मौजूदा रिक्तियों को भी 50 प्रतिशत कम करने को कहा गया है। रेलवे कर्मचारी संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, “कई महत्वपूर्णपद जो पिछले कुछ महीनों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों से भरे गए थे, वे लॉकडाउन के दौरान पदों से मुक्त हो जाने के बाद खाली हो गए हैं। रेलवे को जल्द-से-जल्द रिक्तियों को भरने की कोशिश करनी चाहिए।”
केंद्र सरकार के कर्मचारी संघ से जुड़े हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें पता है कि शीर्ष स्तर पर हुई बैठक के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में फिलहाल 35 प्रतिशत की कमी करने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि उसके पास अभी पैसे नहीं हैं और जब भी सरकार के राजस्व की स्थिति सुधरेगी, कर्मचारियों का कटा हुआ वेतन एरियर के तौर पर उन्हें वापस दे दिया जाएगा। हम सेल, गेल, एलआईसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड, ओएनजीसी, एनटीपीसी और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं कि अगर सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो हम कैसे-क्या करेंगे”।
ऐसे समय सरकार को रोजगार सृजन योजनाओं में सरकारी खर्च में अच्छी-खासी वृद्धि करनी चाहिए, सरकारी पदों को भरना चाहिए और मांग को बढ़ाने के लिए मनरेगा के आवंटन में भी भारी वृद्धि करनी चाहिए। यही एकमात्र उपाय है। लेकिन लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार मौजूदा संकट से निकलने के लिए हरसंभव गलत उपाय ही कर रही है। ऐसे समयमें वह क्रेडिट रेटिंग के बारे में ज्यादा परेशान दिखती है जब उसका फोकस अर्थव्यवस्था में पैसे के प्रवाह और आर्थिक गतिविधियों को वापस पटरी पर लाने पर होना चाहिए था। इसका खामियाजा देश की श्रम शक्ति को उठाना पड़ रहा है और हर बीतते दिन के साथ स्थिति और खराब होती जा रही है।
यह बात बिल्कुल साफ नजर आ रही है कि बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से निपटने का कोई रोडमैप सरकार के पास नहीं है। वह अंधेरे में तलवार चलाकर सबका नुकसान करने पर आमादा है(navjivan)
बेंगलुरु, 18 जुलाई। कर्नाटक के बेंगलुरु में कोरोना संक्रमित युवक के अपने परिवार के साथ गुरुवार को चार किलोमीटर पैदल चलकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर मदद मांगने का मामला सामने आया है.
मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर युवक ने मदद की गुहार लगाई कि वह कोरोना संक्रमित हैं और उसका बेटा बीमार है लेकिन उन्हें न इलाज मिल पा रहा है और न ही एंबुलेंस.
युवक ने कहा कि उनकी पत्नी और बेटी का कोरोना टेस्ट भी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कोई भी अस्पताल उन्हें भर्ती नहीं कर रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, मुख्यमंत्री आवास के मेन गेट पर कोरोना संक्रमित युवक और उसके परिवार के पहुंचने पर सुरक्षाकर्मियों ने एंबुलेंस का इंतजाम कर उन्हें अस्पताल भेज दिया.
बनाशंकरी के रहने वाले कुमार (परिवर्तित नाम) का कहना है कि वह एक मेडिकल कॉलेज में बस ड्राइवर हैं. उन्हें 13 जुलाई को बुखार आया था, जिसके बाद उन्होंने एक मेडिकल कॉलेज में अपनी जांच कराई लेकिन सरकारी अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया.
इसके बाद गुरुवार सुबह उन्हें फोन करके बताया गया कि वह कोरोना संक्रमित हैं. उन्होंने विभाग की हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया लेकिन उन्हें एंबुलेंस का इंतजार करने को कहा गया.
कुमार बताते हैं कि वह एक कमरे के मकान में रहते हैं, उनके पास खुद को अपनी पत्नी और अपने बच्चों से आइसोलेट करने का कोई रास्ता नहीं है. उनका शहर में कोई रिश्तेदार भी नहीं है.
कुमार ने कहा, ‘मैंने अपने घर के पास अस्पताल का पता लगाने के लिए हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया लेकिन मेरे अनुरोध को ठुकरा दिया गया. जब मैंने एंबुलेंस हेल्पलाइन को फोन किया, उन्होंने बताया कि जितना भी समय लगे, मुझे इंतजार करना पडे़गा.’
कुमार ने कहा, ‘जब मैंने अपने बच्चों और पत्नी का टेस्ट कराने की बात कही तो हेल्पलाइन स्टाफ ने मुझे उन्हें अस्पताल ले जाने को कहा.’
उन्होंने बताया, ‘मैं अपनी पत्नी और बच्चों को ऑटोरिक्शा में लेकर मदद मांगने बनाशंकरी पुलिस थाने गया लेकिन उन्होंने यह कहकर मुझे भगा दिया कि मुझे अस्पताल जाना चाहिए. मैंने एक और एक और ऑटो किराये पर किया लेकिन कुछ दूरी के बाद ड्राइवर ने हमें ले जाने से मना कर दिया. बच्चों को गोद में लिए मैं और मेरी पत्नी चार किलोमीटर पैदल चलकर मुख्यमंत्री आवास तक गए.’
कुमार दोपहर लगभग एक बजे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और सुरक्षाकर्मियों को बताया कि वह कोरोना संक्रमित हैं और मदद के लिए आए हैं, जिसके बाद मुख्यमंत्री आवास के स्टाफ ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया.(thewire)
राशन की क़िल्लत ने बदतर किए हालात
दिसपुर, 18 जुलाई। "करीब 15 दिनों से बाढ़ के पानी में फंसे हुए है. घर पर दो छोटे बच्चे हैं और बूढ़ी मां है. इस बीच प्रशासन ने एक बार प्रति व्यक्ति एक किलो चावल और 200 ग्राम दाल दी थी. उसके बाद हमारी सुध लेने कोई नहीं आया. आगे घर का राशन कैसे चलेगा, क्योंकि खेत तो पानी में डूबे हुए है."
47 साल के मोहम्मद नयन अली बाढ़ से उत्पन्न अपनी परेशानी बताते हुए अचानक कुछ देर के लिए बिलकुल खामोश हो जाते है.
दरअसल इस समय असम के कुल 33 में से 27 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए है. असम राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ़ से गुरूवार शाम 7 बजे जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार 3218 गांवों में बाढ़ का पानी घुस आने से 39 लाख 79 हजार 563 लोग प्रभावित हुए है. बरपेटा ज़िले में सबसे अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आए है. इनमें मोहम्मद नयन अली का गांव सिधोनी भी एक है.
असम में हर साल बाढ़ के कारण जान-माल की भारी तबाही होती है. लेकिन जटिल सरकारी प्रक्रियाओं के तहत जबतक बाढ़ के नुकसान का आंकलन होता है तबतक प्रदेश में अगली बाढ़ आ जाती है. लिहाजा लोग तटबंध निर्माण तथा अन्य मरम्मत के काम को लेकर हमेशा सरकार पर सवाल उठाते है.
मोहम्मद नयन अली भी बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू नहीं करने का मुद्दा उठाते हुए कहते है, "इस गांव में बसे हमारे परिवार को सौ साल से ज्यादा हो गया है. हमारे पास 1919 का अस्थाई ज़मीनी पट्टा है. मैं बचपन से बाढ़ का क़हर देखते आ रहा हूं. लेकिन पहले चार-पांच सालों में एक बार भयंकर बाढ़ आती थी. लेकिन अब प्रत्येक साल बाढ़ की भारी तबाही झेलनी पड़ रही है."
तक़रीबन तीन हज़ार आबादी वाले सिधोनी गांव में ज्यादातर लोग खेती करके अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन हर साल बाढ़ के कारण इनकी फ़सल बर्बाद हो जाती है. यहां अधिकतर किसानों का आरोप है कि बाढ़ का पानी सूखने के बाद ज़िला प्रशासन के लोग नुक़सान का आंकलन करने ज़रूर आते हैं लेकिन नुक़सान के एवज में मिलता कुछ नहीं है.
अली कहते हैं, "हमारा परिवार गरीबी रेखा के नीचे आता है. हर साल इस उम्मीद से खेती करते है कि कुछ पैसा बचाएंगें तो घर के हालात सुधरेंगे. लेकिन बाढ़ सबकुछ बर्बाद कर देती है. सरकारी अधिकारी बाढ़ से हुए नुक़सान की जानकारी के लिए फार्म भरवाते है. लेकिन बीते चार साल में हमारे नुक़सान के एवज में एक रुपया भी नहीं मिला."
असम में इस साल यह दूसरी बार बाढ़ आई है जिसमें अबतक 71 लोगों की मौत हो गई है. राज्य में बाढ़ के कारण बरपेटा के बाद सबसे ज्यादा नुक़सान धुबड़ी, मोरीगांव, धेमाजी, दरंग और डिब्रूगढ़ ज़िले में हुआ है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के स्टेट प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर पकंज चक्रवर्ती ने बीबीसी से कहा, "अबतक बाढ़ में 71 लोगों की मौत हुई है और 26 लोगों की मौत भूस्खलन से हुई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल बाढ़ की स्थिति ज्यादा भयानक है. ऊपरी असम के कई इलाक़ों में बाढ़ का पानी कम हुआ है लेकिन निचले असम में पानी का स्तर ख़तरे के निशान से ऊपर है. कोविड के कारण राहत शिविरों में लाए गए बाढ़ पीड़ित लोगों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. राहत शिविरों में लोगों को एक निश्चित शारीरिक दूरी के तहत रखा जा रहा है. सबको मास्क, सेनिटाज़र दिए गए है और पहले के मुकाबले ज्यादा शौचालयों की व्यवस्था की गई है."
आपदा प्रबंधन विभाग की एक जानकारी के अनुसार 23 ज़िलों में 748 राहत शिविर और 300 राहत केंद्र खोले गए है. इन राहत शिविरों में 49 हज़ार 313 लोग ठहरे हुए है. कई ज़िलों में जहां पक्की सड़के बाढ़ के पानी में डूब गई हैं वहीं दो दर्जन से अधिक पक्के-कच्चे पुल टूट गए है. बरपेटा और ग्वालपाड़ा ज़िले में कई लोगों के लापता होने की रिपोर्ट लिखाई गई है.
केंद्रीय जल आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार जोरहाट, तेजपुर, गुवाहाटी, ग्वालपाड़ा, धुबड़ी, ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियां अपने ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहीं है. बरपेटा ज़िले में बाढ़ से ज्यादा तबाही का एक कारण भूटान के कुरिचू हाइड्रोपावर प्लांट से छोड़े गए पानी को भी बताया जा रहा है.
इस संदर्भ में बरपेटा ज़िला उपायुक्त मुनींद्र शर्मा कहते है, "हमारे ज़िले में करीब 739 गांव बाढ़ के कारण प्रभावित हुए है. अबतक 11 लाख 65 हजार 363 लोग बाढ़ की चपेट में आए है. बाढ़ के पानी में डूबने से कुल 15 लोगों की जान गई है. हमारे ज़िले में भारी बारिश हो रही है और भूटान बीते करीब 10 दिनों से लगातार पानी छोड़ रहा है. इसलिए यहां बाढ़ से हालात और बिगड़ गए है."
क्या भूटान अपने हाइड्रोपावर प्लांट का पानी छोड़ने से पहले आपको सीधे अलर्ट करता है? इस सवाल का जवाब देते हुए ज़िला उपायुक्त शर्मा कहते हैं, "हमे अपनी सरकार की तरफ़ से अलर्ट किया जाता है. लेकिन अगर भूटान रोज़ाना हज़ार से 1500 क्यूमेक्स पानी छोडेगा तो ज़ाहिर है कि यहां बाढ़ की स्थिति और ख़राब होगी."
बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत के नाम पर 15 दिनों में एक बार केवल एक किलो चावल देने के सवाल पर ज़िला उपायुक्त ने कहा कि कई इलाक़ों में बाढ़ का पानी घुसता है लेकिन वहां ज्यादा दिनों तक यह पानी नहीं ठहरता. ऐसे में ज़िला प्रशासन के लोग समूची स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद ज्यादा प्रभावित लोगों को तीन-चार बार राहत देते हैं और जो लोग बाढ़ का पानी सूखने के बाद फिर सामान्य तरह से अपने घर रहने चले जाते है उन्हें बाद में राहत नहीं दी जाती.
पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग की एक जानकारी के अनुसार बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में 76 जानवरों की मौत हो गई है. जबकि 121 अन्य जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान में बचाया गया है. इसके अलावा पार्क में मौजूद कुल 223 शिविरों में से 99 शिविर बाढ़ के पानी में डूब गए है और छह शिविर खाली करवाए गए है.
असम में साल-दर-साल भयानक बाढ़ आने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं. ब्रह्मपुत्र नदी पर अध्ययन करने वाले जानकार बताते है कि बढ़ते प्रदूषण और तापमान से तिब्बत के पठार पर जमी बर्फ़ और हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. इससे ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बांधों और नदी दोनों का जलस्तर बढ़ेगा.
दरअसल तिब्बत में नदी के उद्गम स्थल पर तलछट इकट्ठा होना शुरू हो जाता है, क्योंकि ग्लेशियर पिघलकर मिट्टी को नष्ट कर देते हैं.
जैसे-जैसे पानी असम की ओर बढ़ता है, यह अधिक तलछट इकट्ठा करके अपने साथ लेकर आता है. जबकि ब्रह्मपुत्र की अन्य सहायक नदियाँ इस तलछट को नष्ट करने में अप्रभावी बताई जाती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है और मिट्टी का कटाव होता है. अपने साथ तलछट लाने वाली दुनिया की शीर्ष पांच नदियों में ब्रह्मपुत्र एक है.(bbc)
नई दिल्ली , 18 जुलाई। एक बड़े फैसले के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी में एडमिनशन के लिए 12वीं बोर्ड में 75% अंक लाने की अनिवार्य शर्त में छूट दे दी है। इसके साथ ही टॉप 20 परसेंटाइल रैंकिंग की अनिवार्यता में भी छूट दे दी गई है। अब इस सरकार के इस फैसले से कई छात्रों को इस बार सुनहरा मौका मिल जाएगा।
इसका ऐलान खुद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक ट्वीट के जरिये किया। उन्होंने ट्वीट में कहा कि आईआईटी में एडमिशन के लिए क्लास 12 बोर्ड में कम से कम 75% मार्क्स या टॉप 20 परसेंटाइल रैंकिंग की अनिवार्यता में भी राहत होगी। निशंक ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस साल कोरोना महामारी की वजह से बच्चों के कई एग्जाम नहीं हो पाएंगे।
रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट में लिखा, "विभिन्न बोर्ड की 12वीं क्लास की परिक्षाएं आंशिक तौर से रद्द किए जाने की वजह से जॉइंट एडमिशन बोर्ड (JAB) ने जेईई (एडवांस्ड) क्वालिफाइड परीक्षार्थियों के लिए इस बार राहत देने का फैसला किया है। जेईई (एडवांस्ड) क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को 12वीं पास करने पर बिना उनके नंबर देखे एडमिशन के लिए योग्य माना जाएगा।
बता दें कि आईआईटी में एडमिशन के लिए 12वीं बोर्ड में कम से कम 75% अंक या टॉप 20 में रैंकिंग के अलावा जेईई (एडवांस्ड) में क्वालीफाई करना भी जरूरी होता है। लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते पढ़ाई पर पढ़े प्रभाव को देखते हुए अब इन शर्तों से छूट मिलने से कई छात्रों को राहत मिलेगी। बता दें कि इस जेईई मुख्य परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच दो शिफ्टों में होगी। जबकि जेईई (एडवांस्ड) 27 सितंबर को आयोजित होगा।(navjivan)
तिरुवनंतपुरम, 18 जुलाई। बीती सात जुलाई को केरल में सोने की तस्करी का एक हाई प्रोफ़ाइल मामला सामने आया. इसे लेकर हुए खुलासों ने केरल की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है. घोटाले के तार राज्य के बड़े नेताओं, अधिकारियों और यहां तक कि मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के कार्यालय तक पहुंचते दिख रहे हैं. पिनाराई विजयन ने घोटाले में नाम आने के तुरंत बाद अपने प्रधान सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम शिवशंकर को उनके पद से हटा दिया है. बीते बुधवार को मुख्यमंत्री ने शिवशंकर के निलंबन का आदेश भी जारी कर दिया. इस समय इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है. एनआईए की जांच में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं और सोने की तस्करी की आंच केरल सरकार के मंत्रियों तक भी पहुंचती दिख रही है.
घोटाला कैसे खुला?
बीती पांच जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग के अधिकारियों ने यूएई से आया एक पार्सल पकड़ा. यह राजनयिक पार्सल संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास के पते पर जाने वाला था. अधिकारियों को इस पार्सल में तस्करी का सामान होने की ख़ुफ़िया जानकारी मिली थी. कस्टम अधिकारियों ने बैग को खोलने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय से इजाजत ली. मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद यूएई के वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की मौजूदगी में जब इसे खोला गया तो इसमें घरेलू इस्तेमाल की कई चीजों के साथ उनमें भरा हुआ 30 किलो सोना भी मिला. इस सोने का मूल्य लगभग 15 करोड़ रुपए बताया जाता है.
इसके एक दिन बाद इस बैग को सरिथ कुमार नाम का एक व्यक्ति हवाई अड्डे पर लेने आया जिसने अपने आप को यूएई के वाणिज्य दूतावास का कर्मचारी बताया. कस्टम विभाग ने पूछताछ के बाद सरिथ कुमार को हिरासत में ले लिया. लंबी पूछताछ में उसने बताया कि वह करीब साल भर पहले तक यूएई के वाणिज्य दूतावास में बतौर जन संपर्क अधिकारी काम करता था, लेकिन अब वह दूतावास का कर्मचारी नहीं हैं. वह यूएई में भी काफी अरसे तक रहा है. सरिथ ने यह भी बताया कि वह बीते एक साल से तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे से यूएई से आने वाला इसी तरह का सामान ले जा रहा था. सरिथ कुमार ने इसके बाद एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया. उसने बताया कि उसकी एक सहयोगी केरल सरकार के आईटी विभाग की कर्मचारी है जिसका नाम स्वप्ना सुरेश है.
स्वप्ना सुरेश कौन हैं?
सरिथ कुमार के मुताबिक स्वप्ना सुरेश से उसकी मुलाकात यूएई के वाणिज्य दूतावास में हुई थी, जहां स्वप्ना कार्यकारी सचिव के पद पर कार्यरत थीं. यूएई के वाणिज्य दूतावास में नौकरी के बाद उसे केरल सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग के एक उपक्रम में नौकरी मिल गई.
यूएई के वाणिज्य दूतावास में नौकरी करने से पहले स्वप्ना तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर एयर इंडिया सैट्स (AISATS) में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर थी. एयर इंडिया सैट्स एयर इंडिया और सिंगापुर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज़ का संयुक्त उद्यम है. खबरों के मुताबिक इस कंपनी में उसने एक वरिष्ठ कर्मचारी के साथ मिलकर हवाई अड्डे के एक कर्मचारी एलएस सिबु के खिलाफ यौन शोषण की कम से कम 17 शिकायतें दर्ज कराई थीं. सिबु इन शिकायतों के खिलाफ केरल हाईकोर्ट पहुंचे, जहां यह साबित हुआ कि उनके खिलाफ दर्ज कराई गयी यौन शोषण की सभी शिकायतें पूरी तरह फर्जी हैं. एलएस सिबु ने इसके बाद स्वप्ना सुरेश के ख़िलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की शिकायत दर्ज करायी और इस साजिश की जांच की मांग की. बताते हैं कि इसके बाद स्वप्ना के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की, लेकिन वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंची. एयर इंडिया सैट्स में नौकरी जाने के बाद स्वप्ना को यूएई के वाणिज्य दूतावास में नौकरी मिल गई, यहां उसकी कई बड़ी हस्तियों से जान-पहचान हुई.
खबरों के मुताबिक 2019 में स्वप्ना सुरेश ने वाणिज्य दूतावास की नौकरी अचानक छोड़ दी. इसके कुछ रोज बाद ही उसे केरल सरकार के आईटी विभाग में नौकरी मिल गयी. बताते हैं कि स्वप्ना सुरेश अबू धाबी में पैदा हुई थी और यूएई में एक लंबा अरसा गुजारने की वजह से वह धारा प्रवाह अरबी बोलती है. इस वजह से उसकी यूएई के कई लोगों से भी जान पहचान थी. वह एयर इंडिया में अपने कार्यकाल के दौरान हवाई अड्डों और सीमा शुल्क विभाग के कई अधिकारियों के संपर्क में भी आ गई थी. उसे एयर इंडिया सैट्स और वाणिज्य दूतावास में काम करने की वजह से राजनयिक खेपों की आपूर्ति और हैंडलिंग की अच्छी-खासी जानकारी हो गई थी.
प्रधान सचिव एम शिवशंकर से करीबियां
कई जानकार यह सवाल पूछ रहे हैं कि स्वप्ना सुरेश के खिलाफ जालसाजी का मामला होने के बाद भी उसे केरल सरकार के आईटी विभाग के एक उपक्रम में नौकरी कैसे मिल गई? अब यह मामला सामने आने के बाद केरल के सूचना एवं प्रौद्यगिकी विभाग का कहना है कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि स्वप्ना के ख़िलाफ धोखाधड़ी का एक मामला भी लंबित है.
माना जा रहा है कि स्वप्ना को आईटी विभाग में नौकरी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एम शिवशंकर से करीबियों के चलते मिली थी. उसके पड़ोसियों का भी कहना है कि उसके फ्लैट पर शिवशंकर का आना-जाना लगा रहता था. स्वप्ना की नियुक्ति के समय एम शिवशंकर ही आईटी विभाग के इस उपक्रम के अध्यक्ष थे. केरल के कई अखबारों के मुताबिक शिवशंकर ने एक बहुराष्ट्रीय कंपनी प्राइसवाटरहाउसकूपर्स के जरिए स्वप्ना सुरेश की आईटी विभाग में नियुक्ति के लिए अनुशंसा की थी. विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह सुनियोजित साजिश थी और शिवशंकर स्वप्ना से मिले हुए हैं. विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के भी इस्तीफे की मांग की है. इनका कहना है कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन इसलिए भी इस मामले में नैतिक रूप से जिम्मेदार हैं क्योंकि केरल का आईटी विभाग वही संभालते हैं. मामले को बढ़ते देख मुख्यमंत्री विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस घोटाले की जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराने की मांग की. इसके बाद गृह मंत्रालय ने जांच को एनआईए को सौंप दिया.
एनआईए की जांच में बड़े खुलासे?
एनआईए ने जांच शुरू करने के दो दिन बाद ही स्वप्ना सुरेश और उसके एक और सहयोगी संदीप नायर को बेंगलुरु के एक होटल से गिरफ्तार किया. शुरूआती जांच के बाद सुरेश, सरिथ कुमार, फाजिल फरीद और संदीप नायर को इस मामले में मुख्य अभियुक्त बताया गया है. इनमें से फाजिल फरीद फरार है.
बीते बुधवार को एनआईए ने स्वप्ना सुरेश, सरिथ कुमार और संदीप नायर से पूछताछ की. एनआईए के मुताबिक स्वप्ना और सरिथ कुमार ने बीते साल एक साथ यूएई के वाणिज्य दूतावास की नौकरी छोड़ी थी. और इसके बाद ये दोनों ही यूएई के अपने सम्पर्कों की मदद से सोना तस्करी के काम में आ गये थे. स्वप्ना और उसके साथियों ने बीते साल जुलाई से अब तक विदेश से करीब 150 किलोग्राम से अधिक सोने की तस्करी की है. एजेंसी का यह भी कहना है कि सोना तस्करी मामले के सूत्र आतंकवाद से भी जुड़ रहे हैं और उसे शक है तस्करी से मिली अधिकांश रकम का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में किया गया है. एनआईए का यह भी कहना है कि तस्करी के इस मामले में यूएई के वाणिज्य दूतावास के कुछ अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं.
स्वप्ना सुरेश से पूछताछ के दौरान कई मंत्रियों और नौकरशाहों के साथ उसके संबंधों का भी पता चला है. स्वप्ना के मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) से पता चला है कि वह राज्य के उच्च शिक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री केटी जलील के बराबर संपर्क में थी. मीडिया रिपोर्ट्स में जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान जलील से स्वप्ना की 16 बार टेलीफोन पर बात हुई. इसके अलावा केटी जलील उसके आवास पर भी बार-बार आते जाते रहे हैं.
हालांकि, केटी जलील ने मीडिया से कहा है कि उन्हें स्वप्ना की संदिग्ध पृष्ठभूमि के बारे में पता नहीं था. उन्होंने स्वीकार किया कि स्वप्ना से उनकी बातचीत हुई थी, लेकिन बातचीत रमजान फूड राहत किट से संबंधित थी. जलील ने मीडिया से कहा, ‘मैंने यूएई के महावाणिज्य दूत को फोन किया था तो उन्होंने राहत किट वितरण के लिए स्वप्ना से संपर्क करने को कहा था. तब स्वप्ना यूएई कॉन्सूलेट में एक अधिकारी थीं.’ मंत्री ने स्वप्ना की केरल सरकार में नौकरी के बारे में बिल्कुल अनभिज्ञता जाहिर की है.(satyagrah)
गूगल ने शॉपलूप नामक एक इंटरैक्टिव वीडियो शॉपिंग प्लेटफॉर्म लान्च किया है, जिससे लोग बगैर दुकान में जाए उन उत्पादों की जांच परख कर सकते हैं जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं। कंपनी ने कहा, प्रायोगिक परियोजनाओं के लिए -एरिया 120- नाम गूगल के इन-हाउस लैब द्वारा इस ऐप को विकसित किया गया है, जो मोबाइल पर उपलब्ध है और इसके डेस्कटॉप वर्जन को जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इस ऐप की मदद से आप उत्पादों की समीक्षा कर सकते हैं, उसे ट्राय कर सकते हैं, उसके बारे में दूसरों को बता सकते हैं या वीडियोज से सीधे इन्हें खरीदने के लिए अन्य क्रेताओं की मदद भी कर सकते हैं। शॉपलूप के सभी वीडियोज की अवधि 90 सेकेंड से भी कम की है। यह एक मनोरंजक तरीके से नए-नए उत्पादों के बारे में जानने की दिशा में खरीददारों के लिए मददगार है।
एक फ़ार्म में कई ऊदबिलाव संक्रमित
कोरोना वायरस संक्रमण से एक ओर जहां हर रोज़ इंसानों की मौत हो रही हैं वहीं इसके असर से जानवर भी अछूते नहीं हैं.
स्पेन ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एक लाख ऊदबिलाव (मिंक) को मारने का आदेश दिया गया है.
उत्तर-पूर्वी स्पेन के एक फ़ार्म में कई ऊदबिलाव कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं जिसके बाद यह फ़ैसला किया गया है.
अरागॉन प्रांत के इस फ़ार्म में मई महीने में एक फार्म कर्मचारी की पत्नी का टेस्ट पॉज़ीटिव आया था. इसके बाद जब इस महिला के पति और अन्य छह फ़ार्म कर्मचारियों का टेस्ट किया गया तो वे सब भी पॉज़ीटिव पाए गए.
ऊदबिलाव का फ़र्र कई तरह की चीज़ें और गर्म कपड़े बनाने के काम में इस्तेमाल होते हैं और यह काफी क़ीमती भी होता है.
इन कर्मचारियों के संक्रमित पाए जाने के बाद से फ़ार्म के ऊदबिलावों को अलग रखा गया था और इन पर नज़र भी रखी जा रही थी.
लेकिन 13 जुलाई को एक बार फिर इन ऊदबिलावों का कोरोना टेस्ट किया गया जिसमें फ़ार्म के क़रीब 87 फ़ीसदी मिंक कोरोना पॉज़ीटिव पाए गए.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने फ़ार्म में मौजूद सभी 92,700 ऊदबिलावों को मारने का आदेश दिया है.
अधिकारियों का कहना है कि फ़ार्म के मालिक को फ़ार्म को चलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. यह फ़ार्म मैड्रिड शहर के पूर्व में क़रीब दो सौ किलोमीटर दूर एक गांव में स्थित है.
कैटेलोनिया और मैड्रिड के साथ-साथ अरागॉन प्रांत भी स्पेन में कोरोना का हॉटस्पॉट है. जहां संक्रमण के ढाई लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और महामारी के शुरू होने से लेकर अभी तक यहां क़रीब 28 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रांत के कृषि मंत्री जाओक्वीन ओलोना ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि यह फ़ैसला इंसानों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के लिए लिया गया है.
हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि जानवरों से इंसानों को संक्रमण का ख़तरा है या नहीं. या फिर यह इंसानों से जानवरों में होता है या नहीं.
लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि इस बात की संभावना से इनक़ार नहीं किया जा सकता है कि संक्रमित कर्मचारी की लापरवाही के कारण ही ऊदबिलाव संक्रमित हुए होंगे.
जानवरों से इंसानों के कोरोना संक्रमित होने के बारे में जो अब तक हम जानते हैं.
कई अध्ययनों से यह पता चला है कि कोरोना वायरस बिल्लियों और कुत्तों सहित कुछ अन्य जानवरों के बीच संक्रामक है.
शोधकर्ता इस संबंध में अभी इस तरह के संक्रमण की संभावनाओं को तलाशने के लिए शोध कर रहे हैं. स्पेन के अलावा डेनमार्क और नीदरलैंड में भी कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां मिंक फ़ार्म के कर्मचारी पॉज़ीटिव पाए गए हैं. मिंक या ऊदबिलाव मांस और फ़र्र के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल होते हैं.
महामारी के बाद से नीदरलैंड में अब तक के कुछ महिनों में दसियों हज़ार ऊदबिलावों को मारा जा चुका है. फ़ार्म के इन ऊदबिलावों को संक्रमण ना फैले इस डर से मार डाला गया.
यह फ़ैसला मई में दो संदिग्ध मामलों के आने के बाद डच सरकार की ओर से लिया गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हो सकता है कि संक्रमण के ये मामले जानवरों से इंसानों के संक्रमित होने का पहले मामले हों.
जून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विश्व स्वस्थ्य संगठन की एपिडिमियोलॉजिस्ट मारिया वान केरखोव का कहना था "ऊदबिलावों में संक्रमण लोगों से पहुंचा. ये ऊदबिलाव इंसानों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए और बाद में इन ऊदबिलावों से कुछ लोग संक्रमित हुए."
उन्होंने आगे कहा था कि इस दिशा में और जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है कि दरअसल इसके मायने क्या हैं और ऊदबिलाव इसमें किस लेवल तक शामिल हैं.(bbc)
नई दिल्ली , 18 जुलाई। किशनवीर पिछले 4 महीने से दाने-दाने को मोहताज हैं। वह 30 साल पहले उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से दिल्ली आए थे और लगभग 28 साल से एशिया की सबसे बड़ी अवैध कॉलोनी मानी जाने वाली संगम विहार में किराए के एक कमरे में रह रहे हैं। किशनवीर एक हाथ से अपाहिज हैं। वह रोज सुबह 7 बजे सब्बल, गैंती और फावड़ा लेकर संगम विहार के रतिया मार्ग में गली नंबर 12 की लेबर चौक पर पहुंच जाते हैं और करीब साढ़े 10 बजे तक काम के इंतजार में बैठे रहते हैं लेकिन अब ऐसे मौके कम ही आते हैं। काम न मिलने से उनके औजारों में जंग लग चुका है।
लॉकडाउन हटने के बाद किशनवीर रोज सुबह लेबर चौक पहुंच रहे हैं। उन्हें अब तक केवल दो दिन काम काम है।
किशनवीर के कंधों पर तीन बच्चों और पत्नी को पालने-पोसने की जिम्मेदारी है। जिस मकान में वह रहते हैं, उसका किराया 3,000 रुपए प्रतिमाह है। मकान मालिक 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल अलग से वसूलता है। वह पैसे उधार लेकर किसी तरह किराया दे रहे हैं। एक राहत की बात यह है कि कम से कम राशन उन्हें सरकार की तरफ से मिल रहा है। हालांकि यह राशन पूरे महीने नहीं चल पाता। ऐसी स्थिति में उनके परिवार को स्कूल में बंटने वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ा।
किशनवीर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद उन्हें महज दो दिन काम मिला है। नम आंखों और भरे गले से बताते हैं, “देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद मैं यह सोचकर गांव नहीं गया कि कुछ दिनों में हालात सुधर जाएंगे। लेकिन लॉकडाउन के लगातार बढ़ने और फिर लॉकडाउन खुलने के बाद स्थितियां बद से बदतर हो गईं। वैसे गांव जाकर भी मैं क्या करता? मेरे पास खेती नहीं है, इसलिए यहीं रुकने का फैसला किया।”
वर्तमान में दिल्ली की आबादी करीब 2 करोड़ है। इनमें आधे से ज्यादा आबादी झुग्गी झोपड़ियों, पुनर्वास कॉलोनियों और संगम विहार जैसी अवैध कॉलोनियों में रहती है। दिल्ली की आबादी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रवासियों की है। 50 प्रतिशत से अधिक प्रवासी अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। 2011 की जनगणना कहती है कि दिल्ली की 1.68 करोड़ की आबादी में 55.87 लाख मजदूर हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लाखों मजदूर इस समय अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। दिल्ली में बहुत से प्रवासी मजदूर पैसे की तंगी के कारण और गांव में रोजगार का साधन न होने के कारण शहर में ही रुक गए।
सभी मजदूरों की एक दुखभरी कहानी है। 27 साल की कमलावती को 12 जून-12 जुलाई के बीच केवल चार दिन ही काम मिला है। मकान मालिक रोज उनसे किराए का तकादा करता है। तीन महीने का किराए बकाया है। लॉकडाउन के बाद उनके पति जिस कंपनी में काम करते थे, वह बंद हो गई। कंपनी ने उन्हें दो महीने की सैलरी भी नहीं दी। मार्च में होली के बाद उनका परिवार बलिया जिले से दिल्ली आया था। उनके आने के कुछ दिनों बाद ही लॉकडाउन लग गया। वह बताती हैं कि अगर लॉकडाउन का पता होता तो वह कभी गांव से नहीं आतीं। वापस जाने के लिए पैसे न होने के कारण वह दिल्ली में फंस गईं। सरकार की कोई मदद उन तक नहीं पहुंची है। सरकार मुफ्त राशन दे रही है लेकिन इसका फायदा गरीब प्रवासी मजदूरों के बजाय मकान मालिक उठा रहे हैं। बिजली के बिल में राहत भी मकान मालिक, किराएदारों को नहीं दे रहे हैं।
मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले राजकुमार पेंट का काम करते हैं। वह बताते हैं, “मकान मालिक रोज किराएदार मजदूरों की बेइज्जती करते हैं। किराया न देने पर उनके बर्तन फेंक देते हैं और गालियां देते हैं। किसी भी मकान मालिक ने एक रुपए नहीं छोड़ा है।” लॉकडाउन के बाद राजकुमार के मन में गांव जाने का विचार आया था लेकिन जब उन्होंने हादसों में मजदूरों की मौत की खबरें सुनीं तो इरादा बदल दिया। राजकुमार का गांव दिल्ली से बहुत दूर नहीं है लेकिन उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि गांव जा सकें। वह दिल्ली और केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर मजदूरों पर ध्यान देने की विनती करते हैं। (downtoearth)