राजनांदगांव

मदनवाड़ा नक्सल हमले की असलियत जानने एक दशक से इंतजार
03-Feb-2022 1:04 PM
मदनवाड़ा नक्सल हमले की असलियत जानने एक दशक से इंतजार

बजट सत्र में जांच आयोग की रिपोर्ट से हटेगा रहस्यमयी पर्दा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 फरवरी।
मदनवाड़ा नक्सल हमले की असलियत जानने के लिए करीब एक दशक से राजनंादगांव के बाशिंदे इंतजार में है। 12 जुलाई 2009 को हुए मदनवाड़ा-कोरकोट्टी नक्सल घटना में तत्कालिन एसपी विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे। इस लोमहर्षक घटना से छत्तीसगढ़ समेत पूरा देश हिल गया था। वारदात के बाद पुलिस महकमे  ने अलग-अलग स्तर पर जांच की, लेकिन परिजन इससे संतुष्ट नहीं हुए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पदभार ग्रहण करने के बाद मदनवाड़ा हमले की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया। जस्टिस्ट शंभूनाथ श्रीवास्तव की एक सदस्यीय आयोग ने मामले की छानबीन करते हुए रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन को सौंप दी है।

मिली जानकारी के मुताबिक नक्सल हमले की असल वजह जानने के लिए जांच आयोग ने अलग-अलग पुलिस अफसरों और अन्य लोगों को तलब किया था। इस जानकारी के आधार पर आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट तैयार की है। दरअसल आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद से राजनंादगांव से लेकर मोहला-मानपुर के लोग वारदात के पीछे के तथ्यों को जानने के लिए उत्सुक हैं।

पूर्व एसपी विनोद चौबे और कुछ जवान 12 जुलाई 2009 को कोरकोट्टी में शहीद हुए थे। वहीं मदनवाड़ा इलाके में भी नक्सलियों ने इसी दिन एम्बुस लगाकर जवानों को मार दिया था। नक्सल हमले से तत्कालिन भाजपा सरकार भी सहम गई थी। इसके बाद पुलिस ने नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इसी के तहत पुलिस ने आपरेशन ग्रीन हंट चलाकर बस्तर और राजनंादगांव समेत अन्य नक्सल क्षेत्रों में कार्रवाई की।

सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद परिजनों ने पूर्ववर्ती सरकार से जांच की मांग की थी, लेकिन उच्च स्तरीय जांच करने से सरकार ने इन्कार कर दिया था। मुख्यमंत्री बघेल के पहल से जांच आयोग ने घटना से जुड़े दस्तावेज और तथ्यों को खंगाला है। बजट सत्र में आयोग की रिपोर्ट को पेश करने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि आयोग की रिपोर्ट में कई खुलासे हो सकते हैं।

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