राजनांदगांव

आयुष्मान मित्रों को हटाने के विरोध में भाजयुमो करेगी प्रदर्शन
03-Feb-2022 3:07 PM
आयुष्मान मित्रों को हटाने के विरोध में भाजयुमो करेगी प्रदर्शन

जिलाध्यक्ष ने कहा - न्याय देने में राहुल करे पहल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 फरवरी।
राजनांदगांव समेत प्रदेश के हजार भर आयुष्मान मित्रों को अचानक हटाए जाने के आदेश का भाजयुमो ने विरोध किया है। भाजयुमो जिलाध्यक्ष मोनू बहादुर ने पत्रकारवार्ता में प्रदेश सरकार पर नाराजगी जाहिर करते लोकसभा सांसद राहुल गांधी से पीडि़तों को न्याय देने की मांग की है।

बुधवार को आयुष्मान मित्रों ने प्रेसवार्ता में कहा कि जिले में तकरीबन 18 आयुष्मान मित्र हैं, जो विभिन्न निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन जनवरी में उन्हें एक मेल के माध्यम से सूचना दी गई कि जनवरी के बाद से उनका काम बंद किया जा रहा है। उक्त आदेश को लेकर अब आयुष्मान मित्र व भाजयुमो अब सडक़ की लड़ाई लडऩे को आमादा हैं। प्रेसवार्ता में कुंदन राजपूत, राकेश साहू, भूपेन्द्र साहू, अजय साहू, खेमा देवांगन ने अपनी नौकरी की वापसी की मांग की। नौकरी वापस नहीं मिलने पर सडक़ तक की लड़ाई लडऩे की बात कही।

पत्रकारवार्ता में जिलाध्यक्ष मोनू बहादुर सिंह ने कहा कि आयुष्मान योजना केंद्र की है और सीधे तौर पर प्रधानमंत्री इसे देखते हैं, इसलिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार इसे पचा नहीं पा रही है और आयुष्मान मित्रों को नौकरी से हटाकर अपनी खीझ दर्शा रही है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े मामले में भी मुख्यमंत्री का मौन यह दर्शाता है कि हजारों लोगों की नौकरी जाने को लेकर उनकी सहमति है।

मोनू ने कहा कि निजी अस्पतालों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आपसी मिलीभगत के चलते ही सत्ता सरकार खामोश है और आयुष्मान मित्रों को लेकर कुछ कर नहीं रही है।  प्रेसवार्ता में युवा मोर्चा के गोलू सूर्यवंशी, पार्षद गगन आईच, मंडल अध्यक्ष सज्जन ठाकुर, प्रखर श्रीवास्तव, कमलेश लहरे, अंशुल श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

केंद्र की जनहितैषी योजना को रोकने आयुष्मान मित्रों को हटाया-किशुन
पत्रकारवार्ता के दौरान नगर निगम नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने कहा कि केंद्र की जनहितैषी योजना को रोकने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने आयुष्मान मित्रों को बेरोजगार किया है। निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए वहां से आयुष्मान मित्रों को हटा दिए जाने का आदेश दिया गया है। जबकि सरकारी अस्पतालों में अब भी आयुष्मान मित्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इससे यह साफ जाहरी होता है कि निजी अस्पतालों के चैन में प्रदेश सरकार की भी बराबर की मिलीभगत है और आम जनता भुगत रही है ।

निजी अस्पतालों पर धांधली का आरोप
आयुष्मान मित्र कुंदन राजपूत ने कुछ निजी अस्पतालों पर आरोप लगाते कहा कि आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी मरीजों से नगद पैसों की मांग की जाती है और कुछ लोगों का तो इलाज भी रोके जाने की बात कुंदन द्वारा कही गई। आयुष्मान मित्रों ने बताया कि उनके द्वारा सारा मामला स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया जाता था और उसके बाद आगे की कार्रवाई वहीं से होता है । कुछ निजी अस्पतालों द्वारा ज्यादा पैसों की मांग व नगद न मिलने पर मरीज का इलाज रोक दिए जाने का बड़ा खुलासा सिस्टम के खिलाफ  कई सवालों को जन्म देता है।
 

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