राजनांदगांव

उपकेंद्र ऊर्जीकृत, 76 गांव होंगे लाभान्वित
05-Feb-2022 3:29 PM
उपकेंद्र ऊर्जीकृत, 76 गांव होंगे लाभान्वित

कुम्ही में 132 केव्ही अति उच्चदाब उपकेंद्र क्रियाशील

राजनांदगांव, 5 फरवरी। राज्य शासन की मंशानुरूप समूचे छत्तीसगढ़ में गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा पारेषण व वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण युद्ध स्तर पर जारी है।  इसी कड़ी में प्रदेश के 125वें अति उच्चदाब उपकेंद्र को प्रबंध निदेशक एसडी तेलंग द्वारा ऊजीकृत किया गया। इसके साथ ही अति उच्च दाब उपकेंद्रों की संख्या 125 तथा ईएचटी लाइन की लंबाई 13,390 सर्किट किलोमीटर हो गई है। राज्य निर्माण के समय ईएचटी उपकेंद्रों की संख्या 27 एवं लाइन की लंबाई 5205 सर्किट किलोमीटर ही थी। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशकगण कैलाश नारनवरे, पीसी पारधी, डीके  चावड़ा एवं टीके मेश्राम आदि उपस्थित थे।
40 करोड़ की लागत से खैरागढ़ के ग्राम कुम्ही में 23.5 किमी लंबाई 132 केव्ही डीसीडीएस ठेलकाडीह खैरागढ़ कुम्ही पारेषण लाइन एवं 132/33 केव्ही का उपकेंद्र पूर्ण कर ट्रांसमिशन कंपनी के द्वारा ऊर्जीकृत किया गया।

उक्त कार्य कोरोनाकाल के विषम परिस्थितियों के बीच अधीक्षण अभियंता, अति उच्चदाब (निर्माण एवं संधारण) वृत्त भिलाई के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में पूर्ण हुआ। इस उपकेन्द्र के ऊर्जीकृत होने से खैरागढ़ शहर सहित लगभग 76 गांव एवं लगभग बीस हजार उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण निर्बाध बिजली आपूर्ति का लाभ मिलेगा। अति उच्चदाब उपकेन्द्र कुम्ही खैरागढ़ में 40 एमव्ही क्षमता का ट्रांसफार्मर भी  ऊर्जीकृत किया गया। नवनिर्मित कुम्ही 132/33 केव्ही  उपकेन्द्र से मुड़ीपार, छुईखदान, बैहाटोला, मंडला, बाजार अतरिया, गंडई एवं ईटार फीडऱ के माध्यम से विद्युत सप्लाई प्रदाय की जाएगी।

राजनांदगांव क्षेत्र के मुख्य अभियंता टीके मेश्राम ने बताया कि इस उपकेन्द्र की मांग लंबे समय से इस क्षेत्र के लोगों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही थी। इस उपकेन्द्र के क्रियाशील हो जाने से इन क्षेत्रों में किसी प्रकार का विद्युत अवरोध होने पर सुधार कार्य में कम समय लगेगा। साथ ही 76 गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में भूमि एवं उद्योग जगत का विकास होगा। इसके पूर्व खैरागढ़ क्षेत्र में विद्युत प्रदाय गंडई और ठेलकाडीह से 33 केव्ही लाइन के माध्यम से किया जाता था। लंबी लाइन होने के कारण लो-वोल्टेज एवं लाइन में व्यवधान की संभावना बनी रहती थी।

इस कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में  मुख्य अभियंता टीके मेश्राम, सलिल कुमार खरे, रंजीत घोष, पीपी सिंह, सुनील भुआर्य,  छगन शर्मा, अखिलेश गजपाल, एसके उइके, बरखा दुबे, एसके लोनहारे, एसके साहू, रूबी चंद्राकर, सहायक अभियंता संदीप सोनी, सीआरण्  चंद्रवंशी, डॉ. राजेन्द्र हरमुख, हेमंत बारंगे, डीके साहू आदि की भूमिका रही।

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