राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 मई। शंति, प्रेम, एकता एवं भाईचारा का प्रतीक ईदुल फितर का पर्व 3 मई को परंपरागत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। पिछले दो वर्षों में कोविड़ के संक्रमण के चलते ईदुल फितर की नमाजे कोविड गाईड लाइन के अनुसार मस्जिदों में अदा की जाती रही, परन्तु इस वर्ष कोविड संक्रमण से मिली छूट के कारण परम्परा अनुसार मठपारा स्थित ईदगाह में सुबह 7.30 बजे ईदुल फितर की सामूहिक नमाज अदा की जाएगी। जामा मस्जिद के पेशईमाम हाफिस मोहम्मद कासीम रजा बरकाती यह विशेष नमाज अदा कराएंगे। इसके पूर्व इस पर्व की पृष्ठ भूमि विशेषता एव महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे।
देर शाम ईद का चांद आसमान पर दिखाई देने की तस्दीक के साथ ही एक माह तक नियमित रूप से जारी रमजानूल मुबारक के रोजे और ईशा मे पढ़ी जाने वाली तरावीह की नमाज पर आज विराम लग गया। आज ज्यो ही ईद का बहु प्रतिक्षित चांद आसमान पर नजर आने की तस्दीक की गयी, वैसे ही मस्जिदों से इस संबंध में सायरन के माध्यम से सूचनाएं प्रसारित की जाने लगी।
साथ ही बाजारों में चहल-पहल काफी बढ़ गई तथा मुस्लिम भाई-बहन, बच्चे, बड़े व बूढे सभी बड़ी संख्या में खरीददारी करते देखे गए। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों रातभर चहल-पहल रही और लोग ईद की तैयार में मशगूल देखे गए। बाजार में सेवाईयां, मेवे, मिष्ठान फलों और नए कपड़ों की अच्छी खासी बिक्री हुई। शहर के सभी मुतवल्लीयान व ओहदेदारों द्वारा गत् दिनों लिए गए निर्णय के अनुसार ईद-उल-फितर की विशेष नमाज मठपारा स्थित ईदगाह में प्रात: 7.30 बजे अदा की जाएगी। नमाज के पूर्व जामा मस्जिद के पेशईमाम नमाज के पूर्व इस पर्व की पृष्ठभूमि विशेषता एवं महत्व पर विशेष रूप से प्रकाश डालेंगे तथा नमाज के पश्चात् कौम और मुल्क में अमन चैन, तरक्की और खुशहाली के लिए रब से दुआएं मांगी जाएगी।
इस अवसर पर शहर में कई स्थानों पर ईद मिलन के कार्यकम के आयोजित भी किए गए हैं।
ईद के मुबारक मौके पर जामा मस्जिद के मुतवल्ली मन्नान खान रिजवी, गोल बाजार मस्जिद के दावेद अंदारी, नूरी मस्जिद गौरीनगर के मुतवल्ली वफीद यासिनी, तुलसीपुर मस्जिद कन्हारपुरी मस्जिद, शांतिनगर मस्जिद के मुतवल्ली साहबों के साथ ही समाजसेवी और उद्योग पति सुल्तान अली, बहादुर अली, हाजी डॉ. केबी गाजी, पूर्व राज्य मंत्री अकरम कुरैशी, एड्व्होकेट हलीम बख्श गाजी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शाहिद भाई, अल्प संख्यक आयोग के सदस्य हफीज खान, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आसिफ अली, अंजुम अल्वी, जलालुद्दीन निर्वाण, रज्जाक बडगुजर, हाजी मसुर अंसारी, डॉ. सलीम सिद्दीकी, डॉ. आफताब आलम, रईस अहमद शकील, एडव्होकेट रहीम मेमन, आसीम कुरैशी, पार्षद समद खान ने भी लोगों को ईद की मुबारकबाद देते यह पर्व परंपरागत रूप से भाईचारे के साथ मनाने की अपील की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी हलीम बख्श गाजी ने बताया कि ईद-उल-फितर अरबी भाषा का शब्द है। ईद का तात्पर्य है खुशी। फितर का अभिप्राय है दान। ईद ऐसा दान पर्व है। जिसमें खुशियां बांटी जाती है और जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उन्हें फितरा ‘दान’ दिया जाता है। पवित्र रमजान माह में भूखे-प्यास रहकर खुदा की ईबादत करने वाले मुसलमानों के लिए ईद से बड़ा कोई त्यौहार नहीं। बुखारी शरीफ की हदीस नं. 1793 के मुताबिक ये संदेश खुद ईस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने उम्मत को दिया था । ऐतिहासिक जंग-ए-बद्र बाद 1 शव्वाल 2 हिजरी में मुसलमानों ने पहली ईद मनाई। यानी 1440 साल से शुरू हुआ ईद मनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ईद जिसका तात्पर्य ही खुशी है, तो फिर खुशियां बांटने का इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है। ये त्योहार न केवल समाज को जोडऩे का मजबूत सूत्र है, बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौर्हाद के संदेश को भी पूरअसर तरीके से हरेक तक पहुंचाता है। इसमें कोई शक नहीं कि अरब के सेहरा से आई मीठी ईद सदियों से भारतीय समाज की सब्ज गंगा.जमूनी तहजीब मे घुल-मिलकर हिन्दूस्तानी भाईचारे की वाहक बनी हुई है ।
श्री गाजी ने बताया है कि ईद अल्लाह का वह ईनाम है जो उनके बंदो को रमजान मे रोजा रखने, तराबीह की नमाजे पढऩे, दान फितरा, जकात-खैरात करने और की गई अन्य ईबादतों के बदले मिलता है। ईदुल फितर वस्तुत: नए जीवन के आरंभ का दिन है। उन्होंने बताया कि उसके पूर्व रमजान का महीना आध्यामिक प्रशिक्षण, आत्म.समीक्षा, पापों से मुक्ति तथा ईश्वरीय कृपा एवं स्वर्ग प्राप्ति के साधन जुटाने का महीना है। जिसके बदले अल्लाह ने अपने बंदो को ईद का दिन ईनाम मे दिया है