राजनांदगांव
राजनांदगांव, 3 अगस्त। भाजपा नेता अशोक चौधरी ने कहा कि दिल्ली अध्यादेश को कांग्रेस का समर्थन एक भारी गलती और नासमझी मानी जाएगी, क्योंकि 18 अक्टूबर 1948 को बाबा साहब अंबेडकर ने दिल्ली को पूर्ण राज्य की तरह सभी तरह के अधिकार नहीं देने की बात कही थी । उसी तरह 1951 में जब गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने संवैधानिक स्थिति सभी राज्यों के लिए घोषित किया था, तब दिल्ली को इससे वंचित रखा था। बाद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी दिल्ली में शासकों को सभी तरह के वे अधिकार, जिसकी मांग आज संपूर्ण विपक्ष आप पार्टी मांग रही है, देने से मना किया था बाद के शासकों में नरसिम्हा राव भी इसके खिलाफ थे इसके पीछे का कारण है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और इस पर पूरे देश का समान अधिकार है।
केंद्रीय शासन की दिल्ली में ही कार्य करती है, ऐसे में दिल्ली को सभी तरह के अधिकार देने से टकराव उत्पन्न होगा। इसी कारण आजादी के बाद से आज तक किसी ने भी यह अधिकार दिल्ली प्रदेश को नहीं दिया है। अब आप पार्टी जो कि अपने भ्रष्ट आचरण के कारण चारो दिशा से फंस चुकी है और दिल्ली के अधिकारी उसकी जांच कर रहे हैं, उन्हीं अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार मांग रही है, इसलिए कांग्रेस पार्टी जिसके पूर्वज नेताओं ने देश हित में जो कार्य किया था, उसके विपरीत जाकर दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ आप पार्टी को समर्थन देने जा रही है।
जो कि एक नासमझी वाला निर्णय है, यहां यह भी सोचना चाहिए कि पिछले 70 सालों में सभी पार्टियों की सरकार दिल्ली पर शासन की है, किसी भी शासन के मुख्यमंत्री और नेतागण कि कभी भी एलजी के साथ इतना घमासान नहीं हुआ है।