रायपुर

कांग्रेस ने जीएसटी आबकारी और खनिज को बनाया अपनी आय का जरिया-ओपी
02-Jan-2024 8:09 PM
कांग्रेस ने जीएसटी आबकारी और खनिज को बनाया अपनी आय का जरिया-ओपी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 2 जनवरी। प्रदेश के नए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि  हम प्रदेश की वित्तीय हालत सुधारेंगे। और गुड गव्हर्नेंस स्थापित कर मोदी की गारंटी पूरी करेंगे।

 सोमवार को पदभार लेने के बाद चौधरी ने आज वित्त विभाग के अफसरों के साथ रैप अप बैठक कर वित्तीय स्थिति की समीक्षा की। इसके बाद मीडिया से चर्चा मेंं  कांग्रेस सरकार पर हमले किए। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ को कर्ज में डुबोया। कांग्रेस ने चारों तरफ माफिया राज फैला रखा था। यहां के संसाधनों से आमदनी हो सकती थी, लेकिन कांग्रेस ने कमाई का जरिया बनाया। कांग्रेस ने स्टेट जीएसटी एक्साइज माइनिंग सभी जगह माफिया राज स्थापित किया था। कांग्रेस ने आय को रोककर प्रदेश को दिवालियापन की ओर धकेलने का काम किया। और छत्तीसगढ़ कर्ज में डूबा। हम वित्तीय हालत सुधारेंगे।

यहां बता दें कि राज्य पर इस समय 86 हजार करोड़ का कर्ज है। और बजट 1.27लाख करोड़ का है। कुल  कर्ज में से 43 हजार करोड़ रमन सरकार ने  लिया था और बीते पांच वर्ष में बघेल सरकार 43 हजार करोड़ रूपए लिए।

पूरे एक माह बाद फिर बजट की बैठकें

वर्ष 24-25 के बजट के लिए विभागाध्यक्षों( डायरेक्टर) से चर्चा पूरी करने के पूरे एक माह  बाद वित्त विभाग ने एक बार तैयारी शुरू कर दी है।

संचालक बजट शारदा वर्मा ने 8, 9 जनवरी को विभागीय एसीएस, पीएस और सचिवों के साथ बैठक तय कर दी है। सभी विभागों के लिए आधे-आधे घंटें की बैठक में नए प्रस्ताव मंजूर किए जाएंगे। इसके बाद वित्त मंत्री, सीएम समेत अन्य सभी 11 मंत्रियों से नए मद के प्रस्तावों को अंतिम रूप देंगे।

चार फीसदी डीआर देने मध्यप्रदेश से तुरन्त सहमति लें- नामदेव

बुजुर्ग पेंशनर्स ने वित्त मंत्री ओ पी चौधरी से मांग की है कि  छत्तीसगढ़ के पेंशनर्स को 4त्न डीआर देने मध्यप्रदेश शासन से तुरन्त सहमति लेने वित्त सचिव को निर्देश दें।

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने कहा कि  छत्तीसगढ़ राज्य सरकार में हमेशा से यही होता रहा है कि कर्मचारियों का डीए आदेश जारी करने के बाद मध्यप्रदेश शासन से सहमति लेने देने की कवायद शुरू की जाती है। अलग अलग पार्टी की राज्य सरकारें होने के कारण सहमति देने लेने में जानबूझकर विलम्ब से इसका खामियाजा दोनो राज्य में पेशनरों को भुगतना पड़ा है।  चूंकि इस समय दोनों राज्यों में  भाजपा की सरकारें है इसलिए अब विलम्ब की गुंजाइश नहीं है परन्तु ब्यूरोक्रेट का रहमोकरम होना भी जरूरी है वरना प्रकरण पर कार्यवाही लम्बित हो सकता है। जैसे भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में होता रहा है। इसलिए प्रक्रिया को संज्ञान में लेकर वित्त मंत्री ओ पी चौधरी को वित्त विभाग के सचिव अंकित आनंद को निर्देश देकर तुरन्त सहमति हेतु मध्यप्रदेश से पत्राचार करने को कहना चाहिए।

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