राजनांदगांव
हाईकोर्ट ने सात साल बाद स्टे पर सुनाया फैसला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 जनवरी। राजनांदगांव हाउसिंग बोर्ड राजनांदगांव में कार्यपालन अभियंता के रूप में पदस्थ चंद्रशेखर बेलचंदन को वापस अपने मूल विभाग जाना होगा। सात साल तक स्टे के बूते अपनी प्रतिनियुक्ति को न्यायालय में चुनौती देते हाईकोर्ट से स्टे पाकर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते आखिरकार बिलासपुर उच्च न्यायालय में अपने पक्ष को रख पाने में नाकामयाब हुई।
वहीं उच्च न्यायालय ने रिट पिटिशन को खारिज कर दिया। भारतीय सेवा के तकनीकी विभाग में पदस्थ रहते छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति के आधार पर महज दो वर्षों के लिए आए थे, पर वह अपने मूल विभाग जाना ही नहीं चाहते थे। उन्होंने न्यायालय के समक्ष अपने अनेक तर्क रखें और मामला भी सात साल चला, तब कहीं जाकर अब फैसला आया है। वर्ष 2015 जब से हाऊसिंग बोर्ड राजनांदगांव में पदस्थ है, तब से ही विवादों में रहे। वे मंडल में प्रतिनियुक्ति में पदस्थ थे। उनके खिलाफ अनेक शिकायत पत्र अधिकारी कर्मचारी ने वरिष्ठ अधिकारियों यहां तक कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी किए। जिले के कलेक्टर ने भी उनको हटाने शासन को ज्ञापन दिए।
बेलचंदन का प्रतिनियुक्ति अवधि 11/2015 में समाप्त हो चुका था, परन्तु वह अपने मूल विभाग बीआरओ वापस जाने को तैयार नहीं थे। अनेक शिकायतों और प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के कारण शासन और मंडल आयुक्त ने उनको मंडल से मूल विभाग में जाने के लिए वर्ष 2017 में भारमुक्त कर दिया था। आदेश का पालन नहीं करते हुए उच्च न्यायालय का शरण बेलचंदन्न द्वारा लिया गया तथा उस आदेश पर स्टे ले लिया गया। लगभग 6 वर्ष तक स्टे के आधार पर विवादित अधिकारी मंडल में जमा रहा, लेकिन कहावत है न्याय होने में देर हो सकता है, अंधेर नहीं।
आखिरकार स्टे केस 5439/2017 में अनेक सुनवाई के बाद 23 जनवरी 2024 को उच्च न्यायालय द्वारा ऑर्डर जारी किया गया। ऑर्डर में चंद्रशेखर बेलचंदन के स्टे को खारिज कर दिया गया। अंतत: हाउसिंग बोर्ड उनके अधिकारी कर्मचारियों को न्याय मिला। ऑर्डर के आधार पर बेलचंदन को अब वापस अपने मूल विभाग जाना पड़ेगा। अब देखना यह है कि कोर्ट के आदेश के तहत आयुक्त हाऊसिंग बोर्ड कब आदेश जारी करते हैं।