राजनांदगांव

कृषि विज्ञान केन्द्र में सह कृषक प्रशिक्षण
09-Mar-2024 4:03 PM
कृषि विज्ञान केन्द्र में सह कृषक प्रशिक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 9 मार्च। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान रायपुर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव में सूत्रकृमि जागरूकता दिवस - सह कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने सूत्रकृमि का नियंत्रण से मृदा में गहरी जुताई एवं प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से वातावरण एवं मृदा की उपजाऊ क्षमता, मृदा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव एवं देशी केचुओं की संख्या में वृद्धि होती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान रायपुर के वैज्ञानिक श्री मल्लिकार्जुन ने फसलों में सूत्रकृमि की पहचान, उसके लक्षण, उससे होने वाले हानि तथा सूत्रकृमि से फसलों को नियंत्रण के लिए विभिन्न भौतिक, जैविक व रासायनिक प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण में मृदा वैज्ञानिक अंजली घृतलहरे द्वारा प्राकृतिक खेती अतंर्गत कृषि में बीजों के उपचार के लिए बीजामृत एवं मृदा में पोषक तत्व एवं उर्वरकता बढ़ाने घनजीवामृत व खड़ी फसलों में पोषक तत्व के छिडक़ाव के लिए जीवामृत बनाने व फसलों के विभिन्न अवधि के अनुसार उपयोग करने की विधि के बारे में बताया गया। प्रक्षेत्र प्रबंधक आशीष गौरव शुक्ला द्वारा दलहनी फसलों को बढ़ावा देने बीजोत्पादन कार्यक्रम अंर्तगत ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की उन्नत किस्म शिखा (आईपीएम-4103) एवं विराट (आईपीएम-205-7) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

 

 जिससे दलहनी फसलों के रकबा के साथ-साथ उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके। इस अवसर पर  मनीष कुमार, डॉ. योगेन्द्र श्रीवास एवं अन्य कर्मचारी सहित प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।

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