गरियाबंद
गैस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगाने मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 28 सितंबर। डेढ़ माह पहले 3 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास में गेल इंडिया के अधिकारियों व किसानों के बीच बैठक हुई थी। इसमें मुआवजे सहित विभिन्न बिंदुओं पर सहमति बनी थी मगर गेल इंडिया अधिकारियों ने सहमति के अनुरूप अब तक प्रभावित किसानों को मुआवजा के संबंध में प्रक्रिया शुरु नहीं की। इसे लेकर प्रभावित किसानों में फिर रोष बढऩे लगा है। इससे आक्रोशित किसानों ने मामले में कलेक्टर को सौंपा। ज्ञापन में गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा मुंबई नागपुर झारसुगड़ा गैस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगाने मांग की।
ज्ञापन सौंपने वाले किसानों का कहना है कि उक्त बैठक में इन किसानों ने अपनी समस्या बताई जिसके पश्चात जमीन का मुआवजा देने तथा वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-2024 का फसल नुकसान का मुआवजा भी साथ में देने का वादा गेल (इंडिया) के अधिकारियों द्वारा दिया गया था। मुआवजा दिए जाने के बाद काम शुरु करने का निर्णय लिया गया था। परन्तु उक्त बैठक के एक माह बाद भी आज तक गेल (इंडिया) के अधिकारी उनके गांव में नहीं आए और न ही मुआवजा के संबंध में भी आज तक कोई सूचना या जानकारी उन्हें दी जा रही है।
किसानों का कहना है कि गेल (इंडिया) द्वारा दो बार मुआवजा निर्धारित किया गया है। सर्वप्रथम वर्ष 2023 में मुआवजे का अवार्ड जारी हुआ था। उक्त मुआवजे के राशि से किसान संतुष्ट नहीं थे। जिसके विरोध में उनके द्वारा कई बार जिला प्रशासन को भी ज्ञापन दिया गया है। इस पर उक्त निर्धारित मुआवजा को दिसम्बर 2023 में शून्य कर दिया गया। इसके पश्चात 2024 में पुन: मुआवजा का अवार्ड जारी किया गया, जिसमें उनको मिलने वाले मुआवजा को वर्ष 2023 की तुलना के कम कर दिया गया है। इसलिए वे इस मुआवजा राशि से संतुष्ट नहीं है।
किसानों ने मांग की है कि मुआवजे के सम्बन्ध में सभी गांव में शिविर लगा कर मुआवजे निर्धारण की प्रक्रिया को उन्हें समझाया जाए तथा सहमति बनने के बाद ही मुआवजा का अवार्ड जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि उक्त परियोजना से हमें पिछले 2 साल से फसल नुकसान हो रहा है परन्तु फसल नुकसान का पंचनामा एक ही बार बना है। उक्त पंचनामा में राजस्व विभाग के पटवारी उपस्थित नहीं थे, जबकि दिसम्बर 2023 में दुर्ग स्थित सर्किट हाउस में आयोजित बैठक में यह स्पष्ट बताया गया था कि पंचनामा के दौरान पटवारी भी उपस्थित रहेंगे परन्तु ऐसा कही नहीं हुआ है। यह भी ज्ञात हुआ है कि कुछ गांव (नवागांव/ तेमरी रौता/ पथरिया) में केवल एक साल का ही फसल नुकसान का मुआवजा निर्धारित कर नोटिस बाटा जा रहा है, जो उन्हें मंजूर नहीं है।
किसानों ने कहा कि दुर्ग जिले के गैस पाइपलाइन प्रभावित समस्त 21 गांव में शिविर लगाया जाए इसमें जिला प्रशासन और गेल (इंडिया) के अधिकारी मौजूद रहे।