राजनांदगांव
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सरहदी गांवों पर प्रशासन ने बढ़ाई चौकसी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 जनवरी। कोरोनाकाल के बीच पक्षियों पर आफत बनकर टूट रहे बर्ड फ्लू के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में बढ़ते संक्रमण के बाद राजनांदगांव जिले के सीमा पर हाईअलर्ट जारी किया गया है। राज्य सरकार से मिले गाईडलाईन और सुरक्षा संबंधी निर्देशों के बाद सरहदी गांवो और रास्तो पर प्रशासन अतिरिक्त चौकसी बरत रहा है।
बताया जाता है कि मध्यप्रदेश से जिले में प्रवेश वालो रास्तों में चौकसी बढ़ा दी गई है। मध्यप्रदेश में बर्ड फ्लू के चलते पक्षियों की मौत होने की पुष्टि हुई है। राजनांदगांव जिले के उत्तरी इलाके का एक बड़ा हिस्सा मप्र की सीमा से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि बर्ड फ्लू के खतरे से निपटने के लिए प्रशासन ने वन और स्वास्थ्य महकमें को संयुक्त रूप से ऐहतियात बरतने का निर्देश दिया है।
बताया जाता है कि बर्ड फ्लू पक्षियों के जरिए इंसानों तक पहुंच सकता है। इस बीमारी के वायरस से तेज संक्रमण फैलता है। बताया जाता है कि पोल्ट्री फार्म में भी प्रशासन ने स्वास्थ्य टीम को नजर रखने का निर्देश दिया है। इस संबंध में डीएफओं बीपी सिंह ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि वन क्षेत्रों में अमले को सतर्क रहने के निर्देश दिए है। जिले में अब तक बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सावधानी के साथ सीमा पर नजर रखी जा रही है।
बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग ने भी सीमा पर कार्यरत कर्मियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। राजनांदगांव जिले में दाखिल होने के लिए लांजी और साल्हेवारा प्रमुख मार्ग है। वही अंदरूनी जंगल के रास्ते में कई रास्ते जिले से जुड़े हुए है। बताया जाता है कि कोरानाकाल की मुसीबत से जहां इंसान पहले से ही जीवन-मृत्यु के लिए संघर्ष कर रहा है वही बर्ड फ्लू पक्षियों पर कहर ढ़ा रहा है।
अप्रवासी पक्षियों से बर्ड फ्लू का फैलाव
हर साल देश में बर्ड फ्लू से पक्षियों के मौत होने की बढ़ती समस्या में अप्रवासी पक्षियों से संक्रमण होना एक प्रमुख वजह मानी गई है। हर साल सर्द मौसम में सायबेरिया और दूसरे बर्फीले द्वीप के पक्षी मारी संख्या में भारत में अस्थाई रूप से पहुंचते है। बताया जाता है कि विदेशी की तुलना में भारत की सर्दी अप्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल मानी जाती है। बताया जाता है कि विदेशी पक्षियों के भारत आने के बाद बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ता है। इन पक्षियों के संपर्क में आने के कारण ही कौवों और दूसरी चिडिय़ा संक्रमित होकर मारी जाती है। बताया जाता है कि बर्ड फ्लू के दौरान पोल्ट्री जगत को भी शक की निगाह से देखा जाता है कि जबकि देश में चिकन और अंडे पकाने के लिए 100 डिग्री तापमान में पानी में उबाला जाता है। इसी स्थिति में चिकन-अंडे में किसी भी वायरस का जीवित रहना संभव नहीं है। बताया जाता है कि पोल्ट्री के चिकन और अंडे खानपान के लिहाज स्वास्थ्यवर्धक है।