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कुछ सालों पहले, 2011 में मुझे झांसी के मेंढकी गांव में रहने और वहां के निवासियों के साथ वक्त बिताने का अवसर मिला था। वहां एक खास मुलाकात मुझे हमेशा याद रहेगी, और वो मुलाकात थी कुंजीलालजी और उनके परिवार से।
उनके घर पर भोजन करने का मौका और कल्पना से परे प्यार और सत्कार मिला था। ऐसे अनुभव आपके जहन में घर कर जाते हैं। आज कुंजीलालजी के बेटे, लालचंद से यात्रा के दौरान मुलाकात हुई तो पुरानी यादें ताजा हो गईं।
प्रतिबद्धता तब भी गरीबों के उत्थान की थी, उनके रोजगार की थी, हर वर्ग के बराबरी के अधिकार की थी, और यह एक निरन्तर चलने वाला संघर्ष है - एक लंबी लड़ाई है।
भारत जोड़ो यात्रा इसी संघर्ष को सार्थक रूप देता एक आंदोलन है, जहां हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर विचारधारा के लोगों का स्वागत है। कोशिश कीजिए कि हर पूर्वाग्रह को घर छोड़ कर आएं, दिल में बस देश और देशवासियों के लिए प्यार ले कर आएं।