राष्ट्रीय
-अनिरुद्ध शुक्ल
बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील परिसर में बनी मस्जिद को पुलिस-प्रशासन ने ढहा दिया. मस्जिद ढहाने की खबर जंगल में आग की तरह फैली और मुस्लिम संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मौके पर मस्जिद पुनर्निर्माण की मांग की है. इस संबंध में मंगलवार को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री के सचिव को एक ज्ञापन भी सौंपा.
मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद साबिर अली रिजवी ने कहा कि बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में स्थित एक सदी पुरानी मस्जिद को ढहा दिया गया है. उन्होंने कहा कि तहसील में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी औचित्य के सोमवार रात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया. यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इसका इंद्राज भी है. इस मस्जिद के सिलसिले में किसी किस्म का कोई विवाद भी नहीं है. उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की.
सोशल एक्टिविस्ट ने कही यह बात
सोशल एक्टिविस्ट ने बताया कि मार्च के महीने में रामसनेहीघाट के उपजिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद के आराजी से संबंधित कागजात मांगे थे. इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और अदालत ने समिति को 18 मार्च से 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने की मोहलत दी थी. इसके बाद 1 अप्रैल को जवाब दाखिल कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद बगैर किसी सूचना के एकतरफा तौर पर जिला प्रशासन ने मस्जिद शहीद करने का जालिम कदम उठाया है, जो कि सरासर गलत है. हमारी मांग है कि जिन अफसरों ने यह गैरकानूनी हरकत की है, उनको निलंबित किया जाए. साथ ही मस्जिद के मलबे को वहां से हटाने की कार्रवाई रोकी जाए और यथास्थिति बरकरार रखी जाए. मस्जिद की जमीन पर कोई दूसरी तामीर करने की कोशिश न की जाए. यह हुकूमत का फर्ज है कि वह इस जगह पर मस्जिद तामीर कराकर मुसलमानों के हवाले करे.
डीएम ने दी सफाई
प्रशासन की इस कार्रवाई पर डीएम डॉ आदर्श सिंह का कहना है कि तहसील परिसर में उपजिला मजिस्ट्रेट के आवास के सामने अवैध रूप से बने आवासीय परिसर के संबंध में कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों को 15 मार्च 2021 को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया था. नोटिस तामील होते ही परिसर में निवास कर रहे लोग परिसर छोड़कर फरार हो गए, जिसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से 18 मार्च 2021 को तहसील प्रशासन द्वारा अपना कब्जा प्राप्त कर लिया गया. डीएम ने कहा कि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ खंडपीठ) द्वारा इस मामले को निस्तारित करने पर यह सिद्ध हुआ कि आवासीय निर्माण अवैध है. इसी आधार पर उपजिला मजिस्ट्रेट रामसनेहीघाट न्यायालय में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारित आदेश का अनुपालन 17 मई 2021 को कराया गया है.
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