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पश्चिमी यूरोप में बाढ़ से तबाही, 150 की मौत और सैकड़ों लापता
18-Jul-2021 8:16 AM
पश्चिमी यूरोप में बाढ़ से तबाही, 150 की मौत और सैकड़ों लापता

पश्चिमी यूरोप में आई भीषण बाढ़ में अब तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

बचाव कर्मियों के सामने अब लापता लोगों को खोजने की चुनौती है.

रिकॉर्ड बारिश के बाद जर्मनी और बेल्जियम में आई भीषण बाढ़ में सैकड़ों लोग लापता हैं.

स्विट्ज़रलैंड, लग्ज़मबर्ग और नीदरलैंड्स में भी भारी बारिश हुई है.

नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूटे ने देश के दक्षिणी प्रांत में आपातकाल घोषित कर दिया है.

यूरोपीय नेताओं ने इस त्रासदी के लिए जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार बताया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मूसलाधार बारिश की संभावना बढ़ जाती है.

औद्योगिक युग की शुरुआत की बाद से दुनिया का तापमान अब तक 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है.

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टेनमायर ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा किया.

जर्मनी में अब तक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वॉल्टमायर ने कहा कि वो बर्बादी देखकर हैरान हैं.

लापता लोगों के लिए बढ़ रही है आशंका
स्टेनमायर ने कहा, "पूरे के पूरे इलाक़ों पर बर्बादी के निशान हैं. बहुत से लोगों ने वो सब खो दिया है, जो उन्होंने ज़िंदगी भर कमाया था."

शुक्रवार को भारी बारिश की वजह से पैदा हुए हालात से बचाव कार्य भी प्रभावित हो रहा है. लापता लोगों के परिजन आशंकाओं से घिरे हैं.

फ़ोन नेटवर्क टूट गया है. सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और एक लाख से अधिक घरों में बिजली नहीं हैं.

बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित उत्तरी प्रांत हुए हैं. राइन वेस्टफालिया, राइनलैंड-पालाटिनेट और सारलैंड बुरी तरह प्रभावित हैं.

अधिकारियों के मुताबिक़ राइनलैंड-पालाटिनेट के अर्हवीलर ज़िले में शुक्रवार को 1300 लोग लापता हुए.

हालांकि अधिकारियों का कहना था कि हर घंटे ये आँकड़ा कम हो रहा है.

एक स्थानीय नागरिक ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से बताया, "यहां का दृश्य किसी युद्धक्षेत्र जैसा है, पानी गाड़ियों को बहा ले गया है, मकान टूट गए हैं. हर तरफ बर्बादी का मंज़र है."

प्रांतीय गृह मंत्री ने स्थानीय मीडिया से कहा है कि यहाँ मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.

बेल्जियम में देश के दस में से चार प्रांतों में सेना को राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है.

20 जुलाई को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया गया है.

बेल्जियम में बाढ़ से कम से कम बीस लोग मारे गए हैं और ये यहाँ हाल के दशकों की सबसे बड़ी त्रासदी है.

दक्षिणी शहर मास्टराइक्ट और आसपास के शहरों में जलस्तर घट रहा है और लोग अपने घरों को लौट रहे हैं.

वैज्ञानिक कई सालों से ये चेतावनी देते रहे हैं कि इंसानों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मियों में होने वाली बारिश और हीटवेव भीषण होगी.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग में हाइड्रोलॉजी की प्रोफ़ेसर हाना क्लॉक कहती हैं, 'यूरोप में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से जो त्रास्दी हो रही है जानें जा रही हैं, इनसे बचा जा सकता था.'

'उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों में इस समय रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्मी पड़ रही है और आग लग रही है. ये इस बात का संकेत है कि लगातार गर्म होती हमारी धर्ती में मौसम किस हद तक ख़राब हो सकता है.'

वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकारों को कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहिए और साथ ही विकट मौसम के लिए तैयार भी रहना चाहिए.

इसी बीच ब्रिटेन में, जहां सोमवार को बाढ़ आई थी, सरकार की जलवायु परिवर्तन पर समिति ने बताया है कि ब्रिटेन खराब मौसम के हालात से निबटने के लिए पांच साल पहले के मुकाबले कम तैयार है.

और इसी सप्ताह ब्रितानी सरकार ने लोगों से कहा है कि उन्हें अपनी हवाई यात्राएं कम करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विज्ञान के ज़रिए कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निबटा जा सकता है.

अधिकतर वैज्ञानिक ये मानते हैं कि ये धारणा एक तरह का जुआ है, जिसमें जीत ही हो, ऐसा नहीं है. (bbc.com)

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