राष्ट्रीय
जयपुर, 21 अप्रैल। मानव अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज (पीयुसीएल), राजस्थान ने गुजरात के बड़गाँव के विधायक और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक जिग्नेश मेवानी की असम पुलिस द्वारा की गई गिरफ़्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की है. एक बार फिर स्पष्ट हो गया है की नफरत के खिलाफ बोलने वालों की आवाज़ पर ये सरकार लगातार हमले कर रही हैl जबकि नफरत फैलाने वालों को केवल खुली छूट ही नही बल्किi संरक्षण दिया जा रहा हैI
पीयूसीएल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिग्नेश द्वारा किए गए ट्वीट से शांति, सौहार्द और भाईचारे को बनाये रखने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री की गुजरात यात्रा के मद्देनज़र प्रदेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने सम्बंधी अपील करने के बारे में लिखा है|
गोडसे के पुजारी होने सम्बंधी बात देश की दक्षिणपंथी विचारधारा के लिए अकसर कही जाती रही हैं, इसमें नया कुछ भी नहीं है और अगर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को इस उपमा से दिक्कत थी तो मानहानि का केस वे खुद करते l
इस ट्वीट में कुछ भी नही है जो आपराधिक धाराओं को जोड़ा जाए | ना यह FIR आईटी एक्ट की धारा 66 का मामला बनता है, क्योंकि यह धारा कंप्यूटर हैकिंग की है, और न ही भारतीय दंड संहिता की नफरत और समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने की IPC की धाराओं में अपराध बनता है, जो उनके ख़िलाफ़ लगाई गई है|
जो बहुत गंभीर बात है वह यह की जिग्नेश मेवानी के एक ट्वीट को आधार बनाकर गुजरात से बहार करने की योजना के तहत है, मेवानी को गिरफ़्तार करके असम के कोकरझार ले ज़ाया गया हैl
स्पष्ट है की गुजरात में चुनाव आने वाले है, जिग्नेश को संघ व भाजपा गुजरात से बाहर करना चाहते हैं.ताकि वह अपने इलाक़े में समय नहीं दे सके, लोगों के बीच में नही रह सके, उसकी सक्रियता गुजरात में नहीं रह पाये, इसके लिए जिग्नेश के ख़िलाफ़ यह साज़िश रची गई है.l यह सिर्फ एक जिग्नेश के व्यक्तिगत स्वातंत्रता का मसला नही है बल्कि गुजरात के नागरिकों का अपने चुने हुए प्रतिनिधि के साथ सम्पर्क बनाये रखने का भी मामला है, जो लोकतंत्र की नींव है l
पीयूसीएल मांग करता है की जिग्नेश की रिहाई तुरंत हो, मिथ्यतामक और गलत इरादों से फर्ज़ी कैस बनाने वाली पुलिस के खिलाफ कार्यवाही की जाएl