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हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता के इरादे पर सवाल नहीं खड़ा किया है: राजनाथ सिंह
17-Dec-2022 12:13 PM
हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता के इरादे पर सवाल नहीं खड़ा किया है: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, 17 दिसंबर । फिक्की के 95वें वार्षिक सम्मेलन में रक्षा मंक्षी राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता के इरादे पर सवाल नहीं खड़ा किया है. हमने नीतियों को लेकर बहस की है.

उन्होंने कहा, "चाहे गलवान हो या तवांग, हमारी सेना ने जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है. मैं बहुत ही विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं, हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता की मंशा पर सवाल नहीं खड़ा किया है. हमने नीतियों को लेकर बहस की है. राजनीति सच बोलकर ही की जाती है, झूठ बोलकर राजनीति लंबे समय तक नहीं की जा सकती है."

"राजनीति दो शब्दों के मेल से बना है- राज और नीति. और नीति संस्कृत के नय धातु से बना है, जिसका अर्थ है 'ले जाना'. वह पॉलिटिकल सिस्टम जो समाज को सही रास्ते पर आगे ले जाने का काम करे, उसे ही हम राजनीति कहते हैं. हर समय राजनीति में किसी के इरादे पर संदेह करना क्यों ज़रूरी है, इसका कारण मुझे समझ में नहीं आता है."
इसस पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि चीन भारत के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा है. चीन हमारे ख़िलाफ़ युद्ध की तैयारी कर रहा है लेकिन हमारी सरकार इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, वो सच्चाई छिपा रही है."

राहुल गांधी ने इस दौरान चीन का ज़िक्र किया और कहा कि प्रेस उनसे चीन के बारे में सवाल नहीं करती. ये चीन के मसले पर राहुल गांधी का सरकार पर सबसे तीख़ा हमला कहा जा सकता है. उन्होंने मीडिया से भी शिकायत के लहज़े में कहा कि कोई उनसे चीन के बारे में नहीं पूछता है.

भारतीय सेना के जवानों की प्रशंसा में उन्होंने कहा, "चाहे गलवान हो या तवांग हो, मैं स्वयं इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि इस प्रकार का करिश्मा हमारी सेना कर सकती है. सेना की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वो कम है."
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री ने 'पंच प्रण' यानी पांच संकल्पों की बात की थी जिनमें पहला-विकसित भारत का निर्माण, दूसरा-गुलामी की हर सोच से मुक्ति, तीसरा-विरासत पर गर्व, चौथा-एकता और एकजुटता और पांचवा-नागरिकों द्वारा कर्तव्य पालन, ये पांच बातें शामिल हैं. इनमें से सबसे पहले संकल्प को पूरा किए बिना भारत विश्व की महा शक्ति नहीं बन सकता."

"इसका मतलब ये नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम किसी देश पर दबाना चाहते हैं या किसी देश की भूमि को दखल कर लेना चाहते हैं. हम विश्व कल्याण के लिए महाशक्ति बनना चाहते हैं."
भारत और चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, "साल 1949 में चीन की जीडीपी भारत से कम थी. 1980 तक भारत दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाओं में कहीं नहीं था. साल 2014 भारत विश्व अर्थव्यवस्थाओं में 9वें स्थान पर था और आज भारत की अर्थव्यवस्था 3.5 ट्रिलियन डॉलर के करीब है और ये दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है."  (bbc.com/hindi)

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