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जनहित याचिका में बैन हटाने की मांग
नई दिल्ली 30 जनवरी। साल 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में कहा गया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से 21 जनवरी 2023 को जारी आदेश मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है। याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई है कि बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री के दोनों भाग कोर्ट में मंगाकर उनमें मौजूद सामग्री की तथ्य आधारित गहन जांच-पड़ताल हो। इसके बाद कोर्ट उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे, जो 2002 के गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर जिम्मेदार थे।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने से नागरिकों के कुछ संवैधानिक अधिकारों से जुड़े प्रश्न खड़े हो गए हैं। कोर्ट यह तय कर दे कि क्या देश के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) और (2) के तहत दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या केंद्र सरकार प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार पर अंकुश लगा सकती है? क्या राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 352 का प्रयोग करते हुए आपातकाल घोषित किए बिना आपातकालीन प्रावधानों को लागू कर सकते हैं?
आवेदन में दावा किया गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में ऐसे तथ्य और सबूत है जिनका उपयोग पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किया जा सकता है।
शर्मा ने अपनी अर्जी में बताया है कि 21 जनवरी को केंद्र ने विवादास्पद बीबीसी डॉक्युमेंट्री इंडिया- द मोदी क्वेश्चन के लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और टि्वटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया है।