खेल
-अभिजीत श्रीवास्तव
कप्तान हरमनप्रीत ने आगे बढ़ कर कमान संभाली, जेमिमा रॉड्रिग्स ने कंगारुओं को थिरकने पर मजबूर कर दिया.
वेल प्लेड इंडिया. बस पांच रन की कमी रह गई, लेकिन जीत के बावजूद कंगारुओं की नहीं टीम इंडिया की दो बेहतरीन महिला खिलाड़ियों की बात हो रही है.
इन दोनों महिलाओं ने सेमीफ़ाइनल में हार के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई टीम की पेशानी पर बल डाल दिया.
मैच के तीसरे ओवर में जेमिमा पिच पर थीं तो हरमनप्रीत चौथे ओवर में ही अपना बल्ला थामे मैदान में उतर चुकी थीं.
ऑस्ट्रेलिया के 172 रनों के पहाड़ के आगे टीम इंडिया की शुरुआती तीन बैटर अपने बल्ले से कुल 15 रन बना कर पवेलियन लौट चुकी थीं.
जेमिमा ने आते ही दो बाउंड्री लगा कर अपने इरादे जता दिए थे. तो हरमनप्रीत ने भी चौके, छक्के लगाकर संकेत दिया.
इन दोनों के पिच पर रहते रन गति की सुई साढ़े नौ के इर्दगिर्द घूमती रही. दूसरी टीम के गेंदबाज़ों पर ये दोनों इस कदर हावी थीं कि 10वें ओवर में रन रेट 9.30, तो आवश्यक रन रेट 8.00 था.
40 गेंदों पर 69 रनों की साझेदारी निभा कर जब जेमिमा (24 गेंदों पर 43 रन बना कर) आउट हुई तब इसमें गिरावट ज़रूर आई लेकिन 14वें ओवर और 15वें ओवर में चौके की बरसात कर हरमनप्रीत ने भी अपने इरादे जता दिए.
अभी उनका अर्धशतक (34 गेंदों पर 52 रन) बना ही था कि कप्तान हरमनप्रीत दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गईं.
सभी ने उनकी कप्तानी पारी की तारीफ़ें की तो कुछ ने ये भी कहा कि डाइव लगाना चाहिए था.
कसक रह गई कि कोई तीसरा बल्लेबाज़ विकेट पर टिक जाता.
बड़ा स्कोर करने के बावजूद कंगारुओं को अपनी हार दिखने लगी थी और वो भी अगर आसान कैच टपका रहे थे, तो इसके पीछे जेमिमा-हरमनप्रीत की वो बेदाग पारी थी.
मैच के बाद क्या बोलीं हरमनप्रीत कौर?
मैच के बाद हरमनप्रीत ने ख़ुद के आउट होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
हरमनप्रीत कौर ने कहा, "इससे ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण नहीं हो सकता था. जेमिमा ने मैच में हमें वापस ला दिया था. हम पूरी कोशिश कर रहे थे, हम मैच के आख़िरी गेंद तक जाने की उम्मीद कर रहे थे. हम आज बाद में ही बल्लेबाज़ी करना पसंद करते तो जब उन्होंने बैटिंग ली, तो हमारे लिए यह ठीक था."
"तेज़ी से दो विकेट गंवाने के बाद भी हमें अपनी लंबी बैटिंग लाइनअप का अंदाजा था. हमें लय में लाने के लिए श्रेय जेमिमा को दिया जाना चाहिए. हमने अच्छा क्रिकेट खेला."
हरमन ने बताया, क्या हुईगल़ती?
हरमनप्रीत भारत की लचर फील्डिंग पर भी बोलीं, "हालांकि हम में से कुछ ने मैदान में ग़लतियां भी कीं. हमने कुछ आसान कैच भी छोड़े. आप इन ग़लतियों से केवल सीख सकते हैं."
दरअसल ये तो कहना ही होगा कि इस तरह के बड़े मैच में आपकी फील्डिंग शानदार होनी ही चाहिए.
वहीं जिस तरह ऑस्ट्रेलियाई टीम बैटिंग कर रही थी, उसे 200 से कम के स्कोर पर रोक देने के लिए (कुछ एक को छोड़ कर) भारतीय गेंदबाज़ों की भी तारीफ़ करनी होगी.
बेशक हरमनप्रीत और जेमिमा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और टीम को जीत की दहलीज तक ले गईं लेकिन इस मुक़ाबले में टीम इंडिया से कई मोर्चे पर चूक भी हुई.
पहली बड़ी चूक
कहते हैं 'कैचेज़ विन मैचेज़' और यहां एक नहीं कई कैच छोड़े गए. यह भारतीय टीम की इस बड़े मुक़ाबले की सबसे बड़ी चूक थी.
गेंदबाज़ों को कई अहम मौक़ों पर फील्डर्स का साथ नहीं मिला. चाहे वो विकेट के पीछे हो या आउटफ़ील्ड में, कुछ अहम कैच टपकाए गए.
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ी के 9वें ओवर में स्नेह राणा की गेंद कप्तान मेग लैनिंग के बैट से लग कर विकेट के पीछे गई लेकिन ऋचा घोष कैच नहीं पकड़ सकीं. लैनिंग तब केवल एक रन बना कर खेल रही थीं.
लैनिंग का विकेट कितना अहम था इसका इससे अंदाजा लगाइए- वे केवल 34 गेंदों पर 49 रन बना कर नाबाद रहीं.
इस मैच में जिन आख़िरी 7 गेंदों का उन्होंने सामना किया, उस पर 300 के स्ट्राइक रेट से 21 रन बनाए.
इसी तरह 10वें ओवर में ऑस्ट्रेलियाई ओपनर बेथ मूनी का 32 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर आसान कैच भी छूट गया.
राधा यादव की गेंद को मूनी ने लॉन्ग ऑन पर उछाल कर मारा लेकिन वहां खड़ी शेफाली वर्मा ने एक आसान कैच छोड़ कर उन्हें आगे आक्रामक बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा दिया. मूनी ने अर्धशतक जमाया और ऑस्ट्रेलिया की टॉप स्कोरर रहीं.
ये कितना बड़ा नुक़सान था इसका अनुमान इससे आसानी से लगता है कि जहां भारत ने शुरुआती 10 ओवरों में 93 रन बना लिए थे, वहीं ऑस्ट्रेलिया के केवल 69 रन ही बने थे.
अगर ये दोनों विकेटें गिर गई होतीं तो ऑस्ट्रेलिया का स्कोर संभवतः कुछ और ही होता.
सेमीफ़ाइनल में पहले गेंदबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम की स्टार गेंदबाज़ रेणुका सिंह इस टूर्नामेंट में अब तक के प्रदर्शन के कहीं आसपास भी नहीं दिख रही थीं.
सेमीफ़ाइनल में उतरने से पहले इस टूर्नामेंट के पहले चार मैचों में रेणुका सात विकेट ले चुकी थीं. उनकी गेंदों में तब दिखा पैनापन इस मुक़ाबले में कहीं नज़र नहीं आया.
रेणुका ठाकुर इस मैच से पहले तक ऑस्ट्रेलियाई ओपनर एलिसा हिली को पिछले सात मैचों में चार बार आउट कर चुकी थीं. लेकिन हिली इस मुक़ाबले में रेणुका पर पहली गेंद से ही हावी रहीं.
रेणुका के पहले दो ओवरों की पहली गेंद पर बाउंड्री लगा कर हिली ने हरमनप्रीत कौर को उन्हें गेंदबाज़ी से हटाने पर मजबूर किया.
इसी तरह मैच के आखिरी ओवर में रेणुका की गेंद पर कप्तान मेग लैनिंग ने दो छक्के और एक चौके समेत 18 रन बटोरे.
अकेली रेणुका की गेंदें नहीं पिटीं बल्कि स्नेह राणा के आख़िरी ओवर में 14 रन बने तो राधा यादव के आख़िरी ओवर में 13 रन.
भारतीय गेंदबाज़ी और कमज़ोर फील्डिंग की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने आख़िरी 10 ओवर में 103 रन तो अंतिम पांच ओवरों में 31 जबकि आख़िरी दो ओवरों में 30 रन बनाए.
तीसरी बड़ी चूक
टॉप ऑर्डर का फेल हो जाना. ऐसा बहुत कम होता है कि बड़े मैच में आप इस कदर अपना शीर्षक्रम गंवा देते हैं.
अंडर-19 वर्ल्ड कप जीत कर आईं शेफाली वर्मा तो पूरे टूर्नामेंट में कोई ख़ास करामात नहीं दिखा सकीं. वहीं पिछले दो मैचों में अर्धशतक बना चुकीं स्मृति मंधाना भी दुर्भाग्यशाली रहीं और एलबीडब्ल्यू आउट हुईं.
वहीं तीसरे नंबर पर उतरीं यस्तिका भाटिया ने एक बार फिर अपने बल्ले से दर्शकों को निराश किया. मंधाना के चोटिल होने की वजह से उन्हें ग्रुप मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भी मौक़ा मिला था लेकिन वो तब भी उसे भुना नहीं सकी थीं.
वो तो जेमिमा रॉड्रिग्स और इस टूर्नामेंट में पहली बार कप्तान हरमनप्रीत के बल्ले से रन निकल पड़े... वरना जब तीन विकेट आउट हुए थे तब एक बड़ी हार सामने दिख रही थी.
चौथी बड़ी चूक
जब जेमिमा और हरमनप्रीत बहुत कम रनों के अंतराल पर आउट हो गईं तो वहां से अंत तक पिच पर टिक कर खेलने की क्षमता वाले खिलाड़ी का टीम में मौजूद न होना सबसे अधिक खटका.
15वें ओवर की चौथी गेंद पर हरमनप्रीत आउट हुईं. तब स्कोर 133 रन था और जीत के लिए 28 गेंदों पर 38 रन बनाने थे, यानी आवश्यक रन रेट आठ से भी कम था.
यहां पर ऋचा घोष को विकेट पर टिककर खेलने की ज़रूरत थी लेकिन उन्होंने अगली ओवर में ही अपना विकेट गंवा दिया. 14 रन बनाने के लिए 17 गेंदें लेने वालीं ऋचा कहीं से भी लय में नहीं दिख रही थीं.
ऐसा नहीं था कि यहां से मैच जीता नहीं जा सकता था. केवल पांच खिलाड़ी ही आउट हुए थे, यानी आधी टीम बची थी और पांच ओवर में 8 से भी कम औसत से 39 रन बनाने थे. लेकिन यहां नीचे के क्रम में एक निर्भीक स्ट्रोक प्लेयर का नहीं होना भारत के लिए महंगा सौदा साबित हुआ.
महिला क्रिकेट में महाशक़्तिशाली
मैच के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मेग लैनिंग ख़ुद स्वीकार किया कि भारतीय पारी के दौरान वे कई बार चिंतित हो गईं थीं. इसे वे अपनी बेहतरीन जीत में से एक बताती हैं.
वैसे ऑस्ट्रेलियाई टीम की जितनी भी तारीफ़ करें वो कम है. वो मज़बूत से और मज़बूत क्रिकेट टीम होती जा रही है.
इस साल यह उसकी सातवीं जीत है. और पिछले 27 मुक़ाबलों में से वो केवल एक में ही हारी है. ये हार भी सुपर ओवर में पिछले साल (11 दिसंबर, 2022 को) भारत से हुई थी.
तो क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम छठी बार टी20 वर्ल्ड कप की ट्रॉफ़ी उठाने जा रही है?
इसका पता तो फ़ाइनल में ही रविवार को चलेगा. फिलहाल ऑस्ट्रेलियाई टीम आज इंग्लैंड और दक्षिण अफ़्रीका के बीच दूसरे सेमीफ़ाइनल पर नज़र रखेगी. (bbc.com/hindi)