खेल
photo FB/RAVIKISHAN
आईपीएल के मैच एह बेरी क्रिकेट के साथे भोजपुरी कमेंट्री के खातिर भी चर्चा में बाटे.
समझे? अगर नहीं तो लीजिए अब हिंदी में पढ़िए- इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के मैच इस बार क्रिकेट के साथ-साथ भोजपुरी कमेंट्री की वजह से भी चर्चा में है.
आईपीएल मैच दिखाने के डिजिटल राइट्स जियो सिनेमा के पास हैं. इस प्लेटफ़ॉर्म पर आईपीएल मैचों की कमेंट्री 12 भाषाओं में सुनी और देखी जा सकती है.
ये 12 भाषाएं हैं- इंग्लिश, हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, उड़िया, बंगाली, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ और भोजपुरी.
मगर जिस भाषा की कमेंट्री सबसे ज़्यादा ध्यान खींच रही है वो है भोजपुरी. पंजाबी और भोजपुरी भाषा ने पहली बार आईपीएल कमेंट्री में अपनी जगह बनाई है.
आईपीएल मैचों की कमेंट्री जो लोग भोजपुरी में कर रहे हैं, उनमें बीजेपी सांसद और अभिनेता रवि किशन अहम नाम हैं. रवि किशन की भोजपुरी कमेंट्री की सोशल मीडिया पर चर्चा है.
कुछ लोग रवि किशन समेत भोजपुरी कमेंटेटर्स की कमेंट्री पर ख़ुशी जता रहे हैं और कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं. रवि किशन के साथ भोजपुरी में कमेंट्री करते हुए ग़ुलाम हुसैन भी दिखे हैं.
भोजपुरी कमेंट्री पर रवि किशन क्या बोले?
रवि किशन ने कहा, ''मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा फ़ैन हूं. भोजपुरी टीम में अपने साथी मनोज तिवारी के साथ क्रिकेट खेला भी हूं. ऐसे में अपनी मातृभाषा में क्रिकेट कमेंट्री इसे और ख़ास बनाती है. ये मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं अपनी मातृभाषा के लिए हर संभव कोशिश करूं.''
आईपीएल मैचों में भोजपुरी कमेंट्री को मिली प्रतिक्रियाओं पर रवि किशन ने कहा, ''भोजपुरी में कमेंट्री करने को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली. भोजपुरी बोलने वाले सभी लोगों को धन्यवाद. जय भोजपुरी. बड़ा आनंद आया. आप लोग ऐसे ही आनंद लेते रहिए, भोजपुरी कमेंट्री का.''
साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में तक़रीबन पांच करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं.
हालांकि अलग-अलग मौक़ों पर लोग भोजपुरी बोलने वालों की संख्या अलग बताते हैं. बीजेपी सांसद रवि किशन ने हाल ही में एक वीडियो में पूरी दुनिया में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या 25 करोड़ बताई थी.
दुनिया के 15 से ज़्यादा देशों में भोजपुरी बोली जाती है. इन देशों में मॉरीशस, फ़िज़ी, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नेपाल और दक्षिण अमेरिका के कई द्वीप शामिल हैं.
भोजपुरी भारत में मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बोली जाती है. इसके अलावा भोजपुरी बोलने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी अच्छी ख़ासी संख्या में मौजूद हैं.
ऐसे में जब आईपीएल की कमेंट्री भोजपुरी में करवाने का फ़ैसला हुआ तो इसकी एक वजह भोजपुरी का एक बड़ा बाज़ार होना भी है.
भोजपुरी कमेंट्री के कुछ उदाहरण
...और इ गेंदा गइल छपरा रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर प
ई तो दु तल्ला, तीन तल्ला पर चल जाई. आरा छपरा चल जाई
ई का हो, मुहवां फोड़ब का? नो बाल
गंगा के तीरे, ई शॉट नाही बा हो धीरे
अरे उठाके हेलिकप्टर घुमाइ देला. बहरा जाता छक्का. जियो रे बाबू. जियो जवान
भोजपुरी कमेंट्री की तारीफ़
आईपीएल टूर्नामेंट 74 दिनों का है और दो अप्रैल तक आईपीएल के अभी पांच मैच ही हुए हैं. मगर जो प्रतिक्रियाएं भोजपुरी कमेंट्री को मिल रही हैं, वो अपेक्षाकृत ज़्यादा हैं.
कुछ लोग भोजपुरी कमेंट्री की तारीफ़ कर रहे हैं और कुछ आलोचना. पढ़िए सोशल मीडिया पर कुछ लोग क्या लिख रहे हैं?
भावना अरोड़ा लिखती हैं, ''आईपीएल की कमेंट्री कई भाषाओं में हो रही है. मगर क्षेत्रीयता की असल भावना भोजपुरी में देखने को मिल रही है. अरे बाप रे!''
सूर्या लिखते हैं, ''भारत पाकिस्तान मैच में कमेंट्री के लिए रवि किशन को लाइए.''
उज्जवल सिन्हा ने ट्वीट किया, ''आईपीएल की सबसे अच्छी चीज़ों में से एक है- भोजपुरी कमेंट्री.''
नबील ज़ैदी ने लिखा, ''आईपीएल के पहले मैच में चेन्नई के हारने से उदास था और फिर मैंने भोजपुरी कमेंट्री में स्विच किया. एकदम शुद्ध आनंद है.''
सागर नाम के यूज़र ने भी एक मीम शेयर किया. इस मीम में भोजपुरी कमेंट्री की दो लाइनें लिखी हैं- सट्ट से अंदर घुस गइल. बाप रे किल्ला उखड़ गइल.
भोजपुरी कमेंट्री की आलोचना
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भोजपुरी कमेंट्री की आलोचना कर रहे हैं.
नवीन तिवारी ने लिखा, ''बहुत बेकार भोजपुरी कमेंट्री है. किसी बेकार सिनेमा की भोजपुरी डबिंग लग रही है.''
भोजपुरी कमेंट्री में आरा, छपरा, गोपालगंज जैसी जगहों पर जाकर गेंद गिरने जैसी बातें भी कही जाती हैं.
इस पर नवीन लिखते हैं- इन बातों पर लहालोट वाली बात एक दो बार चल सकती है. बाद में ये सब बोर लगने लगेगा.''
अजीत यादव लिखते हैं, ''हर ज़िले में भोजपुरी बदलती है तो किसी को अच्छी लगेगी और किसी को ख़राब.''
प्रियांशु कुशवाहा ने ट्वीट किया, ''आईपीएल की भोजपुरी कमेंट्री सुन रहा हूँ. जियो सिनेमा ने अच्छा प्रयास किया है, लेकिन एक शिकायत है. जिन्हें भी भोजपुरी कमेंट्री के लिए चुना गया है. उन्हें पहले ट्यूशन भेज के भोजपुरी सिखाइए या फिर कालापानी की सज़ा दे दीजिए. अपनी मातृभाषा की इतनी बेइज़्ज़ती नहीं झेल पाएंगे.''
अभिनव मौर्या ने ट्वीट किया, ''जिन्हें क्रिकेट का ज़रा सा तजुर्बा नहीं. अगर उनसे कमेंट्री कराएंगे तो क्या उम्मीद कर सकते हैं? बिहार और यूपी से बहुत से क्रिकेटर रहे हैं जो भोजपुरी में अच्छी कमेंट्री कर सकते हैं. उन्हें आगे लाना चाहिए था.''
डॉक्टर देवेंद्र ने लिखा, ''भोजपुरी कमेंट्री के नाम पर कुछ भी बोला जा रहा है. उदाहरण देखिए. विराट कोहली खेलत नइखन, गेंदबाज़ के साथ खिलवाड़ करत बाड़े. पुअरा के पलानी बनावत बाड़े. ई शॉट ना ह, दाल भात चोखा ह.''
भोजपुरी का बढ़ता दायरा, नए तरह से पेश होती भोजपुरी
भोजपुरी भाषा में कुछ साल पहले तक जिस तरह के गाने या फ़िल्में आती थीं, उनकी अकसर आलोचना होती थी.
भोजपुरी सिनेमा और गानों पर भी अश्लीलता का आरोप लगता रहा है. हालांकि बीते कुछ वक़्त में भोजपुरी मुख्य धारा के सिनेमा और गानों में भी आई है.
कोरोना लॉकडाउन के बाद निर्देशक अनुभव सिन्हा और मनोज बाजपेई का गाना 'बंबई में का बा' काफ़ी चर्चा में रहा था. अभी कुछ दिन पहले अनुभव सिन्हा की फ़िल्म 'भीड़' में भी एक भोजपुरी गीत था. इस गीत को डॉक्टर सागर ने लिखा है.
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हैं. इस लिस्ट में लंबे वक़्त से भोजपुरी को शामिल करने की मांग भी उठती रही है.
भोजपुरी भाषा के जानकार और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर सदानंद शाही ने बीबीसी हिंदी से कहा था, "भोजपुरी का इतिहास क़रीब एक हज़ार साल पुराना है. कवि गोरखनाथ की कविता में भोजपुरी के शब्द या ध्वनियां मिलती हैं. संतों की एक लंबी परंपरा है, जिसमें भोजपुरी कविता की गूंज और गूढ़ रहस्य मिलते हैं.'' (bbc.com/hindi)