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नीट परीक्षा में नाकाम रहने पर पहले बेटे और फिर पिता ने की आत्महत्या
17-Aug-2023 9:08 AM
नीट परीक्षा में नाकाम रहने पर पहले बेटे और फिर पिता ने की आत्महत्या

जगदीश्वर और उनके पिता सेल्वसेकर

-मुरलीधरन काशी विश्वनाशन

तमिलनाडु में नीट की परीक्षा देने और सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट न मिलने पर आत्महत्या करने वाले छात्रों की लिस्ट बहुत लंबी है.

लेकिन पहली बार ये हुआ कि एक छात्र के साथ-साथ पिता ने भी आत्महत्या कर ली.

चेन्नई के क्रोमपेट में रहने वाले पेशे से फ़ोटोग्राफ़र सेल्वसेकर ने बुधवार को अपने घर पर आत्महत्या कर लिया.

उनके घर के बाहर आंसुओं से डबडबाई आंखें लिए उनके दोस्त खड़े हैं.

ये दोस्त शनिवार को सेल्वसेकर के बेटे की आत्महत्या के बाद उन्हें सांत्वना देने पहुँचे थे, लेकिन अब वो अपने उसी दोस्त के अंतिम संस्कार में भी शामिल हो रहे हैं.

अपनी पत्नी से अलग हो चुके सेल्वसेकर अपने इकलौते बेटे के साथ रहते थे.

उनके बेटे जगदीश्वरन ने सीबीएसई स्कूल से 12वीं क्लास में 500 में से 424 अंक हासिल किए.

इसके बाद जगदीश्वरन ने पिछले दो सालों तक नीट की परीक्षा दी. चाहत थी एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाना. लेकिन उनका नीट स्कोर सरकारी कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए पर्याप्त नहीं था.

आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.

'मेडिकल की पढ़ाई करना उसका सपना था'
सेल्वसेकर ने अपने बेटे को दोबारा परीक्षा देने के लिए एक कोचिंग सेंटर में दाख़िला कराया था.

फ़ीस भी भर चुके थे लेकिन 12 अगस्त को जब जगदीश्वरन अकेले थे तो उन्होंने ख़ुदकुशी कर ली.

बेटे की ख़ुदकुशी ने पिता सेल्वसेकर को बड़ा झटका दिया.

रविवार को मीडिया से बात करते हुए सेल्वासेकर ने कहा था कि नीट परीक्षा को रद्द कर देना चाहिए.

उन्होंने कहा था, “नीट परीक्षा ख़त्म होने से ही सब कुछ बेहतर होगा. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा था कि वह नीट को ख़त्म कर देंगे. उन्हें ये करना चाहिए. मैंने अपने बेटे को अकेले पाला. अब नीट की वजह से मैंने उसे खो दिया. मेरे जैसा हाल किसी का न हो.”

अपने बेटे के अंतिम संस्कार के बाद, सेल्वसेकर के दोस्तों ने उन्हें सांत्वना दी और चले गए. उनकी छोटी बहन उनके साथ रुकी रहीं.

सोमवार सुबह सेल्वसेकर ने भी आत्महत्या कर ली. सेल्वसेकर के दोस्त मानते हैं कि वो अकेलेपन से घिर गए थे इसलिए उन्होंने ये क़दम उठाया.

चेन्नई के क्रोमपेट में रहने वाले फ़ोटोग्राफ़र सेल्वसेकर ने बुधवार को अपने घर पर आत्महत्या कर ली. उनके घर के बाहर आंसुओं से डबडबाई आंखें लिए उनके दोस्त खड़े हैं.

जगदीश्वरन और उनके कई दोस्तों का सपना था कि वो मेडिकल की पढ़ाई करें.

ये सभी 12वीं के बाद एक निजी नीट कोचिंग सेंटर में दाखिल हो गए. हालाँकि, जगदीश्वरन ने पिछले दो सालों में नीट परीक्षा पास तो की लेकिन उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए पर्याप्त अंक नहीं मिले.

जगदीश्वरन जानते थे कि उनके पिता की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ सकें.

इसलिए जगदीश्वरन ने फिर से परीक्षा देने का फ़ैसला किया और कोचिंग सेंटर की फ़ीस भरी.

इस बीच, उनके साथ पढ़ने वाले उनके एक दोस्त ने सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पा ली और उसके बाद एक निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया.

जगदीश्वरन के दो और दोस्तों ने मेडिकल कॉलेज का सपना छोड़कर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया. उनके दोस्तों का कहना है कि जगदीश्वरन शायद अवसादग्रस्त थे.

उनके दोस्त संतोष का कहना है कि जगदीश्वरन की इच्छा डॉक्टर बनकर दूसरों की सेवा करने की थी.

वह कहते हैं, “वह नीट परीक्षा में असफल होने वाले सभी लोगों को सांत्वना दे रहा था, कहता था कि जल्दबाजी में कोई फ़ैसला न लेना.”

जदशीश्वरन के दोस्त आदित्य कहते हैं कि वो पढ़ने में अव्वल था, लेकिन उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला.

जगदीश्वरन के घर के पास रहने वाले उनके शिक्षक वरमथी कहते हैं कि डॉक्टर बनना जगदीश्वरन का सपना था.

वरमथी कहते हैं, “न तो उनके पिता और न ही किसी और ने जगदीश्वरन पर मेडिकल की पढ़ाई का दबाव डाला. मुझे नहीं पता कि उसने ये फ़ैसला क्यों लिया.”

नीट के कारण तमिलनाडु में होने वाली आत्महत्या
केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट यानी नेशनल एलिजिबीलिटी टेस्ट शुरू किया. तभी से तमिलनाडु इसका विरोध कर रहा है.

सितंबर 2017 में, तमिलनाडु के अरियालुर ज़िले की अनीता नाम की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उन्हें अच्छे अंक मिलने के बावजूद मेडिकल कॉलेज में जगह नहीं मिली.

उनकी मौत ने पूरे तमिलनाडु में नीट के ख़िलाफ़ लोगों की भावनाओं को मज़बूत किया.

इसके अगले साल यानी 2018 में, विल्लुपुरम ज़िले की प्रदीपा ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उन्हें 12वीं में अच्छे अंक मिलने के बावदूद नीट में केवल 39 अंक मिले थे.

इसके बाद त्रिची से सुभाश्री, चेन्नई से एंजेलिन श्रुति, तिरुपुर से रितु श्री, मराकनम कूनमेडु से मोनिशा, तिरुनेलवेली से थनालक्ष्मी, आर.एस. से सुभाश्री. पुरम से कोयंबटूर, मदुरै से ज्योति श्री दुर्गा, सेंचुराई से विग्नेश, धर्मपुरी से आदित्य, तिरुचेंगोट से मोतीलाल, कुलैयुर से धनुष, अरियालुर ज़िले के दुलरंगुरिची से कनिमोझी, वेल्लोर ज़िले के थलियारामपट्टू से सेलंदरिया सहित 16 से अधिक लोगों ने खुदकुशी की है.

साल 2019 में, एडीएमके के पलानीसामी के नेतृत्व वाली सरकार ने तमिलनाडु में नीट परीक्षा खत्म करने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पारित किया था.

इसे राष्ट्रपति की मुहर के लिए भेजा गया.

इसके बाद मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए सरकारी स्कूल के छात्रों को 7.5 फ़ीसदी इंटरनल रिज़र्वेशन देने वाला एक अध्यादेश लाया गया.

बाद में, जब डीएमके की सरकार आई तो नीट परीक्षा के ख़िलाफ़ एक नया विधेयक पारित किया गया और राज्यपाल आर.एन. रवि ने बिल वापस भेज दिया.

फिर तमिलनाडु सरकार ने विधेयक पारित किया और अब ये राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए गया है.

राज्य में बाप और बेटे के हालिया खुदकुशी ने एक बार फिर लोगों के बीच नीट परीक्षा को लेकर छाई गहरी निराशा और उदासी को उजागर कर दिया है.

यदि आपको आत्महत्या के विचार आ रहे हैं या आपकी जानकारी में किसी और के साथ ऐसा होता है, तो आप भारत में आसरा वेबसाइट या वैश्विक स्तर पर बीफ्रेंडर्स वर्ल्डवाइड के ज़रिए सहयोग ले सकते हैं. (bbc.com/hindi)

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