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महिला दिवस विशेष : बाल विवाह के खिलाफ लड़कियों ने ही थामा बगावत का झंडा
07-Mar-2024 10:27 PM
महिला दिवस विशेष : बाल विवाह के खिलाफ लड़कियों ने ही थामा बगावत का झंडा

रांची, 7 मार्च । झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच थाना क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है-टिकैत टोला। इस टोले की पहचान यहां रहने वाली 19 वर्षीया राधा पांडेय के नाम से होती है। वह अपने ब्लॉक और जिले के लिए जाना-पहचाना नाम हैं। नजदीक के शहर झुमरी तिलैया स्थित जेजे कॉलेज में ग्रेजुएशन की इस छात्रा ने अब तक करीब 30 बच्चियों को बाल विवाह के कुचक्र से बचाया है।

इसकी शुरुआत उन्होंने खुद से की थी। चार साल पहले 15 साल की उम्र में घरवालों ने उनकी शादी तय कर दी थी। उन्होंने इसके खिलाफ मुखर विद्रोह कर दिया था तब परिवार को फैसला वापस लेना पड़ा था।

राधा की बगावत की गूंज जिला प्रशासन और राज्य की सरकार तक पहुंची। इसके बाद जिला प्रशासन ने राधा का बाल विवाह विरोधी अभियान का ब्रांड एंबेसडर बना दिया। बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन ने उसे बाल पंचायत का मुखिया चुना। वह फाउंडेशन के बाल विवाह उन्मूलन अभियान के तहत गांव-टोलों में घूमती हैं और लड़कियों को बाल विवाह की बुराइयों के प्रति जागरूक करती हैं। उनके पिता सुरेंद्र पांडेय ने आईएएनएस से कहा, “राधा बिल्कुल सही थी। बाल विवाह विरोधी अभियान की वजह से उसे सभी जानते हैं। लोग मुझे भी राधा के पिता के नाम से पहचानते हैं।”

झारखंड देश के उन राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में 32.2 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की दर 36.1 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 19.4 फीसदी है।

लेकिन, पिछले कुछ सालों में सामने आई दर्जनों घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि हालात बदलने की मुहिम तेज हो रही है। राधा पांडेय जैसी कई लड़कियां बाल विवाह के खिलाफ घर-परिवार-समाज में बगावत का साहस दिखा रही हैं।

हजारीबाग जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच स्थित लोटे गांव की 15 छात्राएं सखी संगम नामक एक समूह बनाकर बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रही हैं। खास बात यह कि यह समूह किसी स्वयंसेवी संस्था की पहल पर नहीं बना, बल्कि स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों ने खुद यह कदम उठाया है। इस समूह ने हाल में एक नाबालिग बच्ची की शादी रुकवा दी।

समूह की सदस्य शीला हेंब्रम बताती हैं कि उनकी एक सहपाठी की शादी घर वालों ने तय कर दी थी। सखी संगम समूह की बच्चियों ने उसके माता-पिता से शादी रोकने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कहा कि शादी के कार्ड छप चुके हैं, मेहमान भी आ गए हैं। अब यह शादी रुक नहीं सकती। फिर, हमने गांव के मुखिया (ग्राम प्रधान) से शिकायत की, लेकिन उन्होंने भी हाथ खड़ा कर दिया। अंततः हम लोगों ने अपनी शिक्षिका के जरिए चाइल्ड हेल्पलाइन में शिकायत की। शादी रुकी और आज वह लड़की 11वीं क्लास में पढ़ाई कर रही है।

हजारीबाग की डीसी नैंसी सहाय ने दो दिन पहले इन बच्चियों को सम्मानित किया है। इस समूह ने इन दिनों उन लड़कियों को वापस स्कूल लाने का अभियान भी शुरू किया है, जिन्होंने किसी वजह से बीच में पढ़ाई छोड़ दी थी।

फरवरी महीने में धनबाद के झरिया के कोयरी बांध में नौवीं की एक 17 वर्षीया छात्रा की शादी घर वालों ने तय कर दी। लड़की ने मना किया पर घर वालों ने मंदिर में बारात बुला ली। इसी बीच लड़की ने चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल पर शिकायत कर दी। चाइल्ड लाइन ने पुलिस की मदद से उसका रेस्क्यू किया।

लड़की की बगावत के कारण घर वालों ने उसे अपने साथ वापस ले जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसे बालिका गृह भेजा गया। सीडब्ल्यूसी चेयरमैन उत्तम मुखर्जी ने बताया कि परिजनों की काउंसलिंग की जाएगी, ताकि वे उसे फिर से अपना लें और उसे आगे पढ़ने दें। अगर परिजन नहीं मानेंगे, तो लड़की को आगे पढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

कोडरमा के डोमचांच में बसवरिया गांव की छाया की शादी पिछले साल उसकी मर्जी के खिलाफ तय कर दी गई। छाया तब 12वीं की छात्रा थी। उसने पहले परिजनों को समझाने की कोशिश की। घरवालों ने उसकी एक न सुनी। आखिरकार छाया ने ब्लॉक के बीडीओ को इस बाबत पत्र लिखा। बीडीओ उदय कुमार सिन्हा ने नाबालिग के घर पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची की शादी रुकवाई। बीडीओ ने छाया को प्रखंड कार्यालय में बुलाकर उसके हौसले के लिए सम्मानित भी किया।

इसी तरह रांची के ठाकुरगांव थाना क्षेत्र के भांट बोड़ेया गांव के राजेश महतो की नाबालिग बेटी पायल कुमारी (14) की शादी रामगढ़ जिले के पतरातू थाना क्षेत्र में तय हुई थी। पायल राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय उरुगुट्टू में नौवीं कक्षा में पढ़ती है। लड़की ने स्वजनों से शादी न करने और आगे पढ़ाई करने की बात की थी, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। ऐसे में वह ठाकुरगांव थाना पहुंच गई। पुलिस की मदद से उसकी शादी रोकी गई।

इसी तरह का मामला अप्रैल के पहले हफ्ते में दुमका जिले में सामने आया। जिले के जरमुंडी थाना क्षेत्र के केराबनी गांव में 17 वर्षीया प्रियंका की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ तय कर दी गई। इनकार के बावजूद घरवाले मानने को तैयार न थे तो उसने खुद चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना देकर शादी रुकवाने की गुहार लगाई। इस पर जरमुंडी के बीडीओ फुलेश्वर मुर्मू ने गांव पहुंचकर घर वालों की काउंसलिंग की। आखिरकार उसकी भी शादी रोकी गई।

करीब डेढ़ साल पहले कोडरमा थाना क्षेत्र के बरसोतियावर गांव की 13 वर्षीय छात्रा ने चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर कॉल कर बताया था कि उसकी सहेली की जबरन शादी की जा रही है, लेकिन वह अभी शादी नहीं करना चाहती और अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। इसके बाद पुलिस ने नाबालिग बच्ची को बचाकर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से उसका दाखिला कस्तूरबा बालिका विद्यालय में कराया गया। यह खबर सामने आने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और स्थानीय प्रशासन को सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था। (आईएएनएस)

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