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राजपथ-जनपथ : बिना जुर्म काम मुमकिन
01-May-2024 2:26 PM
राजपथ-जनपथ : बिना जुर्म काम मुमकिन

बिना जुर्म काम मुमकिन

छत्तीसगढ़ में एक ताजा गिरफ्तारी भारतीय संचार सेवा के एक बड़े अफसर, मनोज सोनी, की हुई है, जिन्हें ईडी ने 140 करोड़ के कस्टम राईस मिलिंग घोटाले में गिरफ्तार किया है। मनोज सोनी मार्कफेड में एमडी थे, और यह घोटाला उसी समय का बताया जा रहा है। उनके पहले कुछ आईएएस अफसर भी अलग-अलग घोटालों में ईडी के गिरफ्तार किए हुए जेल में हैं। इनमें कोरबा में कलेक्टर रही रानू साहू भी एक हैं। कोरबा में किरण कौशल भी कलेक्टर थीं, और बाद में वे मार्कफेड में एमडी भी रहीं। इन दोनों ही कुर्सियों पर उनके बाद बैठने वाले लोग जेल में हैं, लेकिन किरण कौशल पर आंच नहीं आई है। ये सारी ही नियुक्तियां भूपेश सरकार के समय की है, मतलब यह कि मुख्यमंत्री के नाम पर सौम्या चौरसिया राज चल रहा था। लेकिन न तो कोरबा कलेक्टर रहते, और न ही मार्कफेड एमडी रहते किरण कौशल ने अपने हाथ जलाए। नतीजा यह है कि जब उनके बाद इन कुर्सियों पर आने वाले लोग जेल में हैं, वे ईडी के छापों से मुक्त अपना सामान्य कामकाज कर रही हैं। यह समझने की जरूरत है कि सत्ता के किसी दबाव के बाद भी अफसर बिना जुर्म किए भी काम कर सकते हैं। 
मार्कफेड की कुर्सी पर बैठे एमडी की लिस्ट देखें, तो किरण कौशल के बाद के दोनों एमडी अब जेल में हैं।

शादी समारोह में बच्चे की मौत

मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली से सटे गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट में डिनर के बाद माउथ फ्रेशनर खाने से पांच लोगों का मुंह जलने लगा और खून बहने लगा। उन्हें खाने के लिए ड्राई आईस दी गई थी। इस मामले में रेस्टोरेंट के मैनेजर की गिरफ्तारी हुई और दो अन्य लोगों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया गया। दक्षिण भारत के दावणगेरे का एक वीडियो बीते महीने वायरल हुआ था जिसमें एक बच्चे को धुएं वाला पदार्थ परोसा गया। पीने के बाद वह दर्द से चीखने लगा। उसे अस्पताल में इलाज के बाद बचा लिया गया था। एक आनंद मेले में बच्चे को स्मोक बिस्किट के नाम पर इसे खाने के लिए दिया गया था। अब राजनांदगांव के एक शादी समारोह में एक बच्चे ने ड्राई आईस खा ली। उसकी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत ही हो गई। पता चला है कि दूल्हा-दूल्हन की एंट्री के दौरान वीडियोग्राफी करते समय धुआं निकालने के लिए ड्राई आईस का इस्तेमाल किया गया था, जिसे बाद में खुले में फेंक दिया गया। गुरुग्राम और दावणगेरे के मामलों में कुछ नया और एक्साइटिंग आइटम खिलाने के उद्देश्य से ड्राई आइस का इस्तेमाल किया गया। राजनांदगांव में इंवेट मैनेजरों तथा समारोह की व्यवस्था देख रहे लोगों की लापरवाही सामने आई है। ड्राई आईस खाने की चीज नहीं है। यह पानी से नहीं बनता। बर्फ का तापमान सामान्य तौर पर माइनस 4 डिग्री सेल्सियस होता है तो ड्राई आइस का माइनस 80 डिग्री। बर्फ पिघलती है तो पानी बन जाती है लेकिन यह पिघले तो कार्बन डाय ऑक्साइड। वैसे तो औद्योगिक क्षेत्रों व मेडिकल स्टोर में इसका अधिक उपयोग है, पर शादी समारोहों में जहां फ्रिज नहीं होते, भोजन को ताजा रखने के लिए काम लाया जाता है। फोटोशूट में भी इसका उपयोग होता है जैसा राजनांदगांव में हुआ। शायद यह नई तरह की दुर्घटना अब आयोजकों को जिम्मेदार और मेहमानों को सतर्क रहने की सीख देगी।

एक प्रवेश की तैयारी?

भाजपा ने कल राजधानी में बुद्धिजीवी सम्मेलन आयोजित किया है। इसमें दो दर्जन से अधिक पेशेवर सीए, वकील, डॉक्टर, जैसे प्रोफेशनल्स ग्रुप के लोगों को आमंत्रित किया गया है। इसे संबोधित करने महाराष्ट्र के दिग्गज नेता विनोद तावड़े आ रहे हैं। यह हुई सामान्य सूचनात्मक खबर। 

अब यह बता दें कि तावड़े राष्ट्रीय स्तर पर बनी उस समिति के संयोजक हैं जो भाजपा प्रवेश के इच्छुक अन्य दलों के राष्ट्रीय नेताओं की पड़ताल कर भगवा दुपट्टा पहनाती है। रायपुर आते ही उन्हें कांग्रेस की एक नेत्री राधिका खेरा को भगवा दुपट्टा पहनाने का अवसर मिलता दिख रहा है। कल ही अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद पार्टी छोडऩे की घोषणा कर चुकी हैं। और भाजपा ने प्रवक्ता केदार गुप्ता ने भी उन्हें कांग्रेसियों से बचने की सलाह देते हुए मोदी की गारंटी दी है कि छत्तीसगढ़ में उन्हें कुछ नहीं होगा।

एक हाथ दे दूसरे से ले

चुनाव में लाखों खर्च करने वाले नेता अब खर्च निकालने में जुट गए हैं। पिछले दिनों हमने इस जुगाड़ में सक्रिय रायपुर जिले के ही दो नेताओं की बात इसी कॉलम में की थी। इसी सिलसिले को  आगे बढ़ाते हुए पार्टी सूत्रों ने दुर्ग संभाग के नेताजी की जानकारी दी है। बताया गया है कि चुनाव में नेताजी को घर से तो एक लाख भी खर्च नहीं हुए होंगे। उनकी जीत में तन मन धन तीनों ही पार्टी ने ही लगाया था। लेकिन वे खर्च निकालने कोई चूक नहीं कर रहे। हाल में नेताजी एक सामाजिक कार्यक्रम में गए। समाज के जिला अध्यक्ष ने सामाजिक भवन निर्माण के लिए निधि से अनुदान मांगा। नेताजी मंच पर ही सौदेबाजी में उतर आए। हां, ना के बीच 50 हजार का सप्रेम भेंट मिलने के बाद ही 10 लाख के अनुदान की घोषणा कर मंच से उतरे। नेताजी ये लिए चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले यह अध्यक्ष अब बड़े नेताओं को सब बता रहा है।यह और कोई नहीं विधायक हैं। 

भ्रष्टाचार का बीज 

बीज निगम ने एक फर्म को हाइब्रिड बीज सप्लाई का काम दिया है, जिसके दस्तावेज ही संदिग्ध बताए जा रहे हैं। फर्म को उसके टर्नओवर से कई गुना अधिक का सप्लाई आर्डर दिया गया । इस फर्म का का तीन साल का टर्नओवर लगभग 31 लाख रुपये है और उसे 14 करोड़ का काम मिला है। इसे बीज निगम के निविदा विभाग में पदस्थ एक अधिकारी का कारनामा बताया जा रहा है। ये वही अधिकारी हैं, जो एक मामले में निलंबित हो  चुके हैं। 

जिस कंपनी को काम मिला है, उसके पास न ही कोई लाइसेंस है, न ही उसकी गुणवत्ता के लिए जरूरी मार्का का कोई अस्तित्व है  इस पूरे मामले में हॉर्टिकल्चर के अंबिकापुर, सूरजपुर, कोरिया, बलरामपुर, कोंडागांव, जगदलपुर, बालोद, गरियाबंद के जिला स्तर के अधिकारियों ने भी सप्लाई में खूब मदद की। मामले की शिकायत उच्च स्तर के अधिकारियों तक पहुंची है गड़बड़ी करने वाले अब इस मामले में बीज की सप्लाई दिखाकर भुगतान की तैयारी में भी जुटे हैं।

भेज रहे हैं स्नेह निमंत्रण...

सात मई को छत्तीसगढ़ की शेष सात लोकसभा सीटों पर होने जा रहे मतदान में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो, इसके लिए जागरूकता के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जशपुर जिले के प्रवासी मजदूरों को जिला प्रशासन की ओर से पोस्टकार्ड भेजा जा रहा है। इसमें काव्यमय निमंत्रण है। इन श्रमिकों से मतदान के लिए घर लौटने का आग्रह किया गया है। अब पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र और डाक विभाग के लिफाफे चलन में कम रह गए हैं। ऐसे में लगता है कि इसका अलग असर होगा। वरना श्रम विभाग के पास पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों के मोबाइल नंबर भी हैं। इस निमंत्रण पत्र से यह भी पता चल रहा है कि कभी 15 पैसे में मिलने वाले पोस्टकार्ड का दाम अब 50 पैसे हो चुका है।

विधायक का नाम वसूली में !

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूलों की उत्कृष्टता पर स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते सवाल तो पहले से ही उठने लगे थे लेकिन अभनपुर से जो मामला सामने आया है उसने तो रही-सही कसर पूरी कर दी है। पालकों ने प्राचार्य टी लाल के खिलाफ उच्चाधिकारियों से शिकायत की। नवमीं कक्षा में पूरक आए बच्चों को पास करने के लिए उनसे 15 से 20 हजार रुपये मांगे गए। रुपये नहीं देने पर फेल करने की धमकी दी गई। शिकायत के मुताबिक प्राचार्य ने फोन पे से भी रुपये लेने में कोई झिझक महसूस नहीं की। इसी से लेन-देन की बातें पुख्ता हुई। यह भी पता चल रहा है कि जांच अधिकारियों से प्राचार्य ने कहा कि उन्होंने विधायक के लिए यह वसूली की है। किस विधायक के लिए? अभनपुर विधायक को साफ कर देना चाहिए कि प्राचार्य गलत बोल रहे हैं, क्योंकि सबसे पहले लोगों का ध्यान तो स्थानीय विधायक की तरफ ही जाएगा। 

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