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एआई से जुड़े 50 हजार पेटेंट फाइल कर चुका है चीन
06-Jul-2024 2:37 PM
एआई से जुड़े 50 हजार पेटेंट फाइल कर चुका है चीन

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी खोजों के पेटेंट हासिल करने के मामले में चीन पूरी दुनिया को पीछे छोड़ चुका है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े दिखाते हैं कि चीन ने अमेरिका से छह गुना ज्यादा पेटेंट अर्जियां दाखिल की हैं.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-

चैटबॉट जैसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी खोजों के मामले में चीन ने अमेरिका और बाकी तमाम देशों को पीछे छोड़ दिया है. उसने अमेरिका से छह गुना ज्यादा पेटेंट फाइल किए हैं. इनमें जेनरेटिव एआई से जुड़ी खोजें शामिल हैं जो अपने आप टेक्स्ट, तस्वीरें, कंप्यूटर कोड और संगीत आदि बना सकती है.

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने पिछले एक दशक में 50 हजार से ज्यादा खोजों के पेटेंट फाइल किए हैं. इनमें से एक चौथाई तो पिछले साल ही फाइल किए गए. डब्ल्यूआईपीओ दुनिया की पेटेंट व्यवस्था की निगरानी करती है.

डब्ल्यूआईपीओ के पेटेंट एनालिटिक्स मैनेजर क्रिस्टोफर हैरिसन ने कहा, "यह तेजी से बढ़ता क्षेत्र है. इसकी बढ़ने की रफ्तार भी बहुत तेज है और हमें अनुमान है कि अभी इसमें और वृद्धि होगी.”

सबसे ज्यादा पेटेंट चीन से

रिपोर्ट कहती है कि 2014 से 2023 के बीच चीन ने जेनरेटिव एआई से जुड़े 38 हजार से ज्यादा पेटेंट फाइल किए. उसके मुकाबले अमेरिका के पेटेंट एप्लिकेशन मात्र 6,276 थे. ये पेटेंट सिर्फ एआई से जुड़े हैं और हर क्षेत्र की अर्जियों की संख्या कहीं ज्यादा है.

हैरिसन ने बताया कि चीन ने जिन खोजों के लिए पेटेंट दायर किए, उनका दायरा बहुत विस्तृत है. इन खोजों में बिना इंसानी मदद के ड्राइविंग से लेकर प्रकाशन और डॉक्युमेंट मैनेजमेंट तक हर तरह की तकनीक शामिल है.

एआई में पेटेंट की अर्जियों की संख्या के हिसाब से दक्षिण कोरिया दुनिया में तीसरे नंबर पर रहा. उसके बाद जापान और फिर भारत का नंबर है. रिपोर्ट कहती है कि भारत की वृद्धिदर सबसे तेज रही है.

पिछले एक दशक में जिन कंपनियों ने सबसे ज्यादा पेटेंट फाइल किए हैं उनमें चीन की बाइटडांस सबसे ऊपर है. बाइटडांस ही वीडियो ऐप टिकटॉक की मालिक है. चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का नंबर उसके बाद है. माइक्रोसॉफ्ट ही चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई की बैकर है.

हैरीसन ने कहा कि यूं तो कस्टमर सर्विस को बेहतर बनाने के लिए खुदरा विक्रेताओं से लेकर तमाम उद्योगों में चैटबॉट का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन जेनरेटिव एआई में विज्ञान, प्रकाशन, ट्रांसपोर्ट और रक्षा समेत तमाम आर्थिक क्षेत्रों को क्रांतिकारी रूप से बदल देने की क्षमता है.

उन्होंने कहा, "पेटेंट डेटा दिखाता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका भविष्य में बहुत से उद्योगों पर बड़ा असर होगा.”

भारत की रफ्तार बढ़ी

2023 में जिन कंपनियों ने सबसे ज्यादा पेटेंट फाइल किए उनमें चीन की ह्वावे टेक्नोलॉजीज सबसे ऊपर है. उसके बाद दक्षिण कोरिया की सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और फिर अमेरिका की क्वॉलकॉम का नंबर है.

2023 में भारत में पेटेंट दायर करने में लगभग 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि इसके पीछे एक वजह डब्ल्यूआईपीओ के नियमों में दी गई ढील भी बताई गई है. भारत के अलावा दक्षिण कोरिया और तुर्किये ही ऐसे देश थे जिनकी पेटेंट अर्जियों में सालाना आधार पर वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चीन और अमेरिका की पेटेंट अर्जियां 2022 के मुकाबले कम हुईं.

पेटेंट फाइल करने के लिए दुनिया में अलग-अलग संस्थाएं और व्यवस्थाएं हैं जैसे कि डब्ल्यूआईपीओ की पेटेंट कोऑपरेशन ट्रीटी (पीसीटी), इंटरनेशनल ट्रेडमार्क और द हेग सिस्टम. पीसीटी के तहत अर्जियां दाखिल करने के मामलों में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 14 साल में पहली बार इस संख्या में गिरावट आई है. इंटरनेशनल ट्रेडमार्क सिस्टम में भी 7 फीसदी की गिरावट हुई. इसकी मुख्य वजह ऊंची ब्याज दरों और आर्थिक अनिश्चितता को बताया गया.

मार्च में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि सभी तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में पीसीटी के तहत 2023 में 2,72,600 अर्जियां दाखिल हुईं. इनमें से 69,610 अर्जियां चीन की थीं, जो 2022 के मुकाबले 0.22 फीसदी कम थीं. ऐसा पहली बार है जब चीन की अर्जियां पिछले साल के मुकाबले कम हुईं.

अमेरिका ने 55,678 अर्जियां दाखिल कीं जो 2022 से 5.3 फीसदी कम थीं. जापान 48,879 अर्जियों के साथ तीसरे नंबर पर था. दक्षिण कोरिया ने 2022 से 1.2 फीसदी ज्यादा यानी 22,288 पेटेंट फाइल किए. जर्मनी की अर्जियों की संख्या 3.2 फीसदी घटी और उसने 16,916 अर्जियां दाखिल कीं.

पीसीटी के तहत सबसे अधिक पेटेंट फाइल करने वाले अन्य देशों में भारत, तुर्किये, नीदरलैंड्स और फ्रांस शामिल हैं. (रॉयटर्स) (dw.com/hi)

 

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