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नई दिल्ली, 13 जुलाई। हार्दिक पटेल को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद कुछ अखबारों ने इसे सोनिया गांधी के करीबी कहे जाने वाले अहमद पटेल की गुजरात की राजनीति पर पकड़ कमजोर होने का संकेत बताया है।
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी ने इस पीढ़ीगत बदलाव के जरिए एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही यह नियुक्ति कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के पूर्व राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की गुजरात कांग्रेस की राजनीति पर पकड़ कमजोर होने का संकेत भी है।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच इस निर्णय से असंतोष का माहौल बना हुआ है जबकि प्रदेश बीजेपी के नेताओं को चिंता हो रही है कि हार्दिक पटेल ना सिर्फ पाटीदारों के, बल्कि सूरत के हीरा उद्योग से जुड़े प्रवासियों के भी वोट खींच सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हार्दिक पटेल की नियुक्ति का निर्णय राहुल गांधी ने लिया है जो पार्टी में एक नई ऊर्जा डालने का उनका प्रयास है।
दिल्ली के एक बड़े कांग्रेसी नेता ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला बहुत ही सधा हुआ फैसला है। वे बहुत ही सक्रिय नेता हैं और जमीनी स्तर पर कांग्रेस को खड़ा करने में सहायक साबित होंगे। इसलिए उन्हें एक महत्वपूर्ण पद दिया गया है, पर ये प्रदेश कांग्रेस का सबसे बड़ा पद नहीं है।
नियुक्ति के बाद हार्दिक पटेल ने कहा, मैंने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की। कुछ ने मुझे ख़ुद बुलाया और सभी मेरे इस पद पर नियुक्त होने से खुश हैं। हर किसी का मुझे समर्थन है। आखिरकार हम सब चाहते हैं कि गुजरात में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बने।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हार्दिक पटेल पिछले कुछ समय से लगातार कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिल रहे थे। हार्दिक ने गुजरात में जमीनी स्तर पर कांग्रेस के लिए काम करने की इच्छा भी जाहिर की थी।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस पार्टी हार्दिक पटेल को राष्ट्रीय स्तर का पद देना चाहती थी लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और कहा कि अभी वे राज्य स्तर पर ही काम करना चाहते हैं। (bbc.com/hindi)