खेल

वेटलिफ्टिंग चैंपियन कोरोना मृतकों की अंतिम यात्रा में कर रहे मदद
18-Jul-2020 7:35 PM
वेटलिफ्टिंग चैंपियन कोरोना मृतकों की अंतिम यात्रा में कर रहे मदद

बेंगलुरु, 18 जुलाई। भारत के इस चैंपियन वेटलिफ्टर को इतना दर्द तो कभी 295 किलोग्राम के डेडलिफ्ट उठाते हुए भी नहीं महसूस हुआ, जितना अब हो रहा है। मोहम्मद अजमत ने दो साल पहले इंटरनैशनल पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में इतना ही वजन उठाकर अपना दमखम दिखाया था। लेकिन इन दिनों अजमत कोविड- 19 के कारण मरन वाले लोगों के शवों को उठा रहे हैं और यह काम उन्हें अपने वेटलिफ्टिंग प्रफेशन से ज्यादा भारी दिख रहा है।

समाज में शवों को उनकी अंतिम यात्रा तक पहुंचाने को भले ही सम्मान की नजर से देखा जाता है। लेकिन इनदिनों कोविड-19 वायरस के खतरे को देखते हुए लोग मृतकों की अंतिम यात्रा से दूर ही रहते हैं। कई शवों के तो अंतिम संस्कार के लिए भी कोई नहीं है। अजमत ने ऐसे कई शवों को कब्रिस्तान ले जाकर उन्हें अपने दो साथियों के साथ दफनाया है। वह कहते हैं कि मृतकों को दफनाने अब कोई नहीं आता है। हम तीन लोग ही कई शवों को दफना चुके हैं। अजमत इस गंभीर वायरस से पूरी तरह सावधान हैं और वह अपनी सुरक्षा के सभी जरूरी उपाय इस्तेमाल में लाकर इस काम को अंजाम देते हैं। इसके अलावा उन्होंने खुद को परिजनों से दूर आइसोलेशन में रखा हुआ है।

43 वर्षीय अजमत ने कहते हैं, मैंने कई बार प्रैक्टिस में और कॉम्पिटीशन में भी 300 किलो के करीब वजन उठाया है। लेकिन जब मैंने अपने दो साथियों के साथ एक बुजुर्ग व्यक्ति के शव को क्रिश्चिन कब्रिस्तान मैदान में जाकर दफनाया, मुझे जो दर्द महसूस हुआ उसे मैं शब्दों में भी बयां नहीं कर सकता। 5 फीट 8 इंच लंबे 108 किलो वजनी अजमत बताते हैं, उस बुजुर्ग के शव को दफनाने के लिए हम तीन ही लोग कब्रिस्तान में थे, जो उनकी अंतिम प्रार्थना कर रहे थे।

अजमत बेंगलुरु में एक आईटी फर्म से जुड़े हैं, जिन्होंने हाल ही में एक एनजीओ मर्सी एंजिल्स जॉइन किया है। यह एनजीओ इस शहर में कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों को शवों को उनकी अंतिम यात्रा तक पहुंचाने का काम कर रहा है।

कोविड- 19 से पहले अजमत अपने वेटलिफ्टिंग स्पोर्स्टस में पूरे मन से मेहनत कर रहे थे। बीते साल दिसंबर में वह वल्र्ड पावर लिफ्टिंग कांग्रेस में हिस्सा लेने मॉस्को गए थे, जहां उन्होंने क्लासिर रो कैटिगरी 110 किलो भारवर्ग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

इसके बाद मार्च में कोविड-19 का संक्रमण दुनिया भर में फैल गया और अजमत को भी अपने अगले कॉम्पीटीशन की तैयारियां छोडऩी पड़ीं। इसके बाद उन्होंने लॉकडाउन हटने के बाद अपने दो दोस्तों से शवों को कब्रिस्तान तक न पहुंच पाने की बात सुनी तो उन्होंने इस नेक काम के लिए यह एनजीओ जॉइन किया। अजमत अब तक 15 शवों को पूरे रीति-रिवाज के साथ दफनाने का काम कर चुके हैं। (navbharattimes.indiatimes.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news