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![महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की राज्यों को एडवाइजरी- एफआईआर अनिवार्य, दो माह में पूरी हो जांच महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की राज्यों को एडवाइजरी- एफआईआर अनिवार्य, दो माह में पूरी हो जांच](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1602323070inistry_of_Home.jpg)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लडक़ी से कथित रूप से गैंगरेप और हत्या के मामले ने एक बार फिर महिला सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है। देश में इस बात को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को कैसे रोका जाए। देश में तेजी से बढ़ते महिला अपराध को देखते हुए गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
महिला अपराध के मामले में अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपराध होने के बाद भी थाने के चक्कर काटने को मजबूर होती हैं। सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा। मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें। गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गृहमंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में क्या है खास
सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में साफ किया गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है। जीरो एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो। आईपीसी की धारा 166 ए(सी) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है।
सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है। अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है।
सीआरपीसी के सेक्शन 164-ए के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीडि़ता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा।