राष्ट्रीय

अंतरधार्मिक शादी का हर मामला लव जिहाद नहीं: कोर्ट
13-Oct-2020 6:07 PM
अंतरधार्मिक शादी का हर मामला लव जिहाद नहीं: कोर्ट

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । केरल हाईकोर्ट के लव जिहाद पर नए फ़ैसले से उस क़ानून को और बल मिल गया है जिसमें 18 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को अपनी पसंद से शादी करने की आज़ादी होती है..

साथ ही कोर्ट ने कहा है कि ऐसी शादियां देशहित में होती हैं. वी चिदंबरेश और सतीश निनान की न्यायिक खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सभी अंतरधार्मिक विवाह लव जिहाद की श्रेणी में नहीं आते.

एक वकील ने इस फ़ैसले को वक्त की मांग बताते हुए कहा, "इन मामलों को केरल हाईकोर्ट की ही अलग-अलग बेंच में अलग-अलग तरह से निपटाया गया है."

पिछले साल अदालत की कम से कम तीन बेंचों के सामने लव ज़िहाद का मामला उठा था, जिसमें से एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि अदालत किस तरह दो वयस्क लोगों की शादी ख़त्म कर सकती है.
श्रुति और अनीस की प्रेमकहानी

चेन्नई में वकालत करने वाली गीता रामाशेषन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "कोर्ट का यह निर्णय बेहद अहम है, इससे वयस्क अपनी पसंद से शादी करने के अधिकार का उपयोग कर सकेंगे."

जिस मामले में कोर्ट की बेंच ने यह फैसला सुनाया वह श्रुति मेलेदाथ और अनीस हमीद से जुड़ा है. श्रुति और अनीस एक दूसरे से प्यार करते हैं. जब श्रुति ने अनीस के साथ शादी करने की बात अपने घर में बताई तो उनके पिता ने अनीस के मजहब की वजह से इनकार कर दिया.

मई 2017 में श्रुति और अनीस केरल से भागकर हरियाणा के सोनीपत पहुंच गए. उनकी गुमशुदगी कि रिपोर्ट के आधार पर केरल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.

'योग केंद्र में श्रुति को दी गई यातनाएं'

श्रुति के परिजनों ने उन्हें एरनाकुलम के उडायमपेरूर स्थित एक योग केंद्र में भर्ती करवा दिया, ताकि वह दोबारा धर्मपरिवर्तन कर हिंदू बन सके. लेकिन श्रुति ने अपना धर्म परिवर्तन करवाया ही नहीं था.

श्रुति ने कोर्ट में बताया कि योग केंद्र में उसे यातनाएं दी जाती थीं. वहां उसके जैसे कम से कम 40 लोग और थे.

कोर्ट को दिए अपने बयान में श्रुति ने कहा, "योग केंद्र के अधिकारियों की बात न मानने पर थप्पड़ और पेट पर लात मारी जाती थी. जब मैंने अनीस के साथ जाने की इच्छा ज़ाहिर की तो मेरे मुंह पर कपड़ा ठूंसकर मुझे चुप करवाया गया."

'बंद हों धर्म बदलवाने वाले केंद्र'

अनीस के वकील, आर सुरेंद्रन ने बताया, "जबरदस्ती श्रुति का प्रेग्नेंसी टेस्ट भी करवाया गया, अगर वह पॉज़िटिव निकलता तो शायद वो उसका अबॉर्शन करवा देते."

कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर योग केंद्र में छापा मारा और वहां के अधिकारियों को हिरासत में लिया. इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि केरल में धर्मपरिवर्तन और पुनःधर्मपरिवर्तन केंद्र चल रहे हैं और इस काम में कई कट्टर संगठन शामिल हैं.

कोर्ट ने केरल पुलिस को यह आदेश भी दिया कि "राज्य में ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन और पुनः धर्मपरिवर्तन करवाने वाले केंद्रों को बंद किया जाए, चाहे वह किसी भी धर्म से जुड़े क्यों न हों. संविधान देश के सब नागरिकों को अपनी इच्छा से धर्म का चुनाव करने का अधिकार देता है."

कोर्ट की बेंच ने कहा, "हर अंतरधार्मिक विवाह को ज़बरदस्ती धार्मिक रंग देना उचित नहीं है. यह मामला पूरी तरह से प्रेम से जुड़ा हुआ था. यहां जिहाद जैसा कुछ भी नहीं था."

यहां तक कि इस मामले में श्रुति और अनीस अपने-अपने धर्म के साथ ही रहना चाहते थे.

कोर्ट ने कविता के साथ पढ़ा आदेश

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के उस वक्तव्य को भी दोहराया जिसमें उन्होंने लता सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार मामले में अंतरजातीय विवाह को देशहित में बताया था.

सरकारी वकील सुमन चक्रवर्ती ने कहा, "न्यायिक खंडपीठ का यह फैसला इस वक़्त की मांग है, कृपया हर शादी को बेवजह की सनसनी न बनाएं."

कोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत अमरीकी कवि माया एंजेलो की कविता की पंक्तियों से की, जो इस तरह हैं,

"प्रेम किसी प्रकार की बंदिशों को नहीं मानता,

वह सभी मुश्किलों को फांदकर,

बंदिशों से छलांग लगाकर, दीवारों को तोड़कर,

उम्मीदों की अपनी मंजिल तक ज़रूर पहुंचता है." (bbc)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news