राष्ट्रीय
महबूबा मुफ़्ती (ANI)
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती को 14 महीने बाद प्रशासन ने रिहा कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि पीडीपी अध्यक्ष को हिरासत से रिहा किया जा रहा है.
रिहा होने के बाद महबूबा मुफ़्ती ने अपने लोगों के लिए एक छोटा सा बयान जारी किया है.
महबूबा ने अपने संदेश में कहा है, "मैं आज एक साल से भी ज़्यादा अर्से के बाद रिहा हुईं हूं. इस दौरान पाँच अगस्त, 2019 के काले दिन का काला फ़ैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा. और मुझे एहसास है कि यही कैफ़ियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी. हम में से कोई भी शख़्स उस दिन की डाकाज़नी और बेइज़्ज़ती को क़त्तई भूल नहीं सकता.
After being released from fourteen long months of illegal detention, a small message for my people. pic.twitter.com/gIfrf82Thw
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 13, 2020
"अब हम सबको इस बात का इरादा करना होगा कि दिल्ली दरबार ने जो पाँच अगस्त को ग़ैर-संवैधानिक, ग़ैर-लोकतांत्रिक, ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हमसे छीन लिया, उसको वापस लेना होगा. बल्कि उसके साथ-साथ कश्मीर समस्या जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में हज़ारों लोगों ने अपनी जानें निछावर की, उसको हल करने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी. मैं मानती हूं कि यह राह क़त्तई आसान नहीं होगी. लेकिन मुझे यक़ीन है कि हम सब का हौसला और इरादा यह दुश्वार रास्ता तय करने में हमारा मददगार होगा. आज जबकि मुझे रिहा किया गया है, मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के जितने भी लोग मुल्क के अलग-अलग जेलों में बंद पड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए."
इससे पहले महबूबा की रिहाई की ख़बर मिलते ही उनकी बेटी इल्तिजा ने ट्वीट किया था, "अब मुफ़्ती की ग़ैर-क़ानूनी हिरासत आख़िरकार ख़त्म हुई. इस मुश्किल घड़ी में जिन लोगों ने मेरा साथ दिया, उनका शुक्रिया. मैं कई लोगों की क़र्ज़दार हूं."
महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने अपनी मां को बंदी बनाए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि केंद्र सरकार किस आदेश के तहत और कब तक महबूबा मुफ़्ती को हिरासत में रखना चाहती है.जस्टिस किशन कॉल और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने मेहता से इल्तिजा मुफ़्ती की याचिका पर एक हफ़्ते में जवाब दाख़िल करने के लिए कहा था.उस समय मेहता ने सर्वोच्च अदालत के सामने कुछ समय माँगते हुए कहा था कि केंद्र सरकार एक सप्ताह के अंदर इन मामलों पर अदालत में जवाब दाख़िल करेगी.तुषार मेहत के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर तक टाल दी थी. सुप्रीम कोर्ट में पेशी से पहले ही सरकार ने महबूबा को रिहा कर दिया.
उमर अब्दुल्लाह ने किया स्वागत
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने महबूबा मुफ़्ती की रिहाई का स्वागत किया है.
उन्होंने ट्वीट किया, "मुझे यह सुनकर बहुत ख़ुशी हुई कि एक साल से भी ज़्यादा दिनों तक हिरासत में रखने के बाद महबूबा मुफ़्ती साहिबा को रिहा कर दिया गया है. उनको लगातार हिरासत में रखना एक मज़ाक़ था और लोकतंत्र की बुनियादी उसूलों के ख़िलाफ़ था. महबूबा आपका स्वागत है."
कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी महबूबा मुफ़्ती की रिहाई का स्वागत किया है.
चिदंबरम ने हिंदी में ट्वीट किया और लिखा कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की सभी पार्टियों को केंद्र सरकार के अत्याचार से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए.
महबूबा मुफ़्ती की चुनौती
रिहाई के बाद नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह और फ़ारूक़ अब्दुल्लाह केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सख़्त रवैया अपनाए हुए हैं.
दोनों बाप-बेटे मोदी सरकार के ख़िलाफ़ कई बयान दे चुके हैं. कुछ ही दिन पहले फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने तो एक निजी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कश्मीरियों को विश्वास है कि चीन की मदद से धारा 370 और 35ए फिर से बहाल होगी.
उनके इस बयान पर उनकी काफ़ी आलोचना भी हुई.
अब ऐसे में महबूबा के सामने मुश्किल यह है कि वो अब्दुल्लाह बाप-बेटे से भी ज़्यादा सख़्त तेवर दिखाएं या फिर दिल्ली से किसी तरह की सुलह-सफ़ाई की कोशिश करें.
एक साल के बाद महबूबा मुफ़्ती रिहा तो हो गईं हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी को दोबारा खड़ा करने की है. जब वो नज़रबंद थीं तो उनकी पार्टी के दर्जन भर नेता और पूर्व मंत्री बाग़ी हो गए थे और उन्होंने पूर्व मंत्री अलताफ़ बुख़ारी के नेतृत्व में एक नई पार्टी 'अपनी पार्टी' बना ली है.
पीडीपी के प्रवक्ता ताहिर सईद कहते हैं, "लंबी हिरासत के बाद महबूबा मुफ़्ती रिहा हो रहीं हैं. उन्हें अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी मिलने का मौक़ा नहीं मिला. वो निहायत सुलझी हुईं नेता हैं, वो पार्टी को दोबारा संगठित करेंगी."
धारा 370 ख़त्म करने का फ़ैसला
पाँच अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने न केवल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया था, बल्कि जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा ख़त्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था.
केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के कुछ ही घंटे पहले उमर अब्दुल्लाह, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, राज्य की एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती समेत सैकड़ों नेताओं को नज़रबंद या गिरफ़्तार कर लिया गया था.
इन सभी नेताओं का कहना था कि बिना किसी आरोप के उन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. फ़रवरी में उमर, महबूबा और कई दूसरे नेताओं पर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया गया था.
सात महीनों के बाद 24 मार्च को उमर अब्दुल्लाह को रिहा कर दिया गया था. उसके एक हफ़्ते पहले उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह को भी रिहा कर दिया गया था.
उमर पहले भी महबूबा के पक्ष में बोलते रहे हैं
महबूबा मुफ़्ती की हिरासत जारी रही और मई में उन पर दोबारा पीएसए लगाया गया था, जिसे जुलाई में तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था.
महबूबा मुफ़्ती की हिरासत बढ़ाए जाने पर उमर अब्दुल्लाह ने सख़्त टिप्पणी की थी.
उमर ने कहा था कि, "जो सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात के सामान्य होने के लंबे दावे कर रही है, उसके लिए पिछले कुछ दिनों की घटना और महबूबा मुफ़्ती की नज़रबंदी का बढ़ाया जाना इस बात के सबूत हैं कि मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने अकेले जम्म-कश्मीर को दशकों पीछे धकेल दिया है."
उमर ने कहा था कि ये एक अमानवीय और क्रूर फ़ैसला है जिसपर यक़ीन करना मुश्किल है. उमर ने कहा था कि 'महबूबा मुफ़्ती ने ऐसा कुछ भी नहीं किया या कहा है जो कि भारत सरकार के उनके प्रति रवैये को जायज़ क़रार दिया जा सकता है.'
महबूबा मुफ़्ती के समर्थन में उमर ने उस समय कहा था कि "वो इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि भारत सरकार के इस फ़ैसले का औचित्य क्या है क्योंकि उनके अनुसार ये बदले की कार्रवाई के अलावा और कुछ नहीं."
महबूबा मुफ़्ती फ़िलहाल अपनी बेटियों के साथ इस साल अप्रैल से अपने घर पर ही नज़रबंद थीं. उनकी हिरासत पाँच नवंबर को ख़त्म होने वाली थी. उसके बाद सरकार को फ़ैसला करना था कि वो उनकी हिरासत को और बढ़ाएगी या फिर उन्हें रिहा कर देगी. इस बीच 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सरकार को बताना था कि वो मुफ़्ती को कब तक हिरासत में रखना चाहती है और किस आदेश के तहत.
लेकिन सरकार ने उससे पहले ही उन्हें रिहा कर दिया.(bbc)