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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर| राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को हल्की धुंध छाने के कारण इस सप्ताह दूसरी बार क्षेत्र की वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। पूर्वी दिल्ली जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक दोपहर के समय 320 पर दर्ज की गई, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में आने वाले सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने 0-50 रेंज में हवा की गुणवत्ता को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 400 से अधिक को गंभीर श्रेणी में वर्गीकृत किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली के 36 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 25 स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई है, आठ स्टेशनों ने सूचकांक को 'खराब' श्रेणी में दर्ज किया है, एक ने 'मध्यम' श्रेणी में दर्ज किया गया, जबकि दो काम नहीं कर रहे थे।
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में प्रदूषण निगरानी स्टेशन ने 373 पर सबसे अधिक प्रदूषित हवा दर्ज की, इसके बाद शादीपुर में 361 और पटपड़गंज और मुंडका क्षेत्र में 357 सूचकांक दर्ज की गई। लोधी रोड में सबसे कम वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया।
दिल्ली के पड़ोसी क्षेत्रों, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। वर्तमान में ग्रेटर नोएडा की हवा इन सभी में सबसे अधिक प्रदूषित रही। (आईएएनएस)
देशभर में 15 शहरों में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब है। सूची में उत्तर प्रदेश का बागपत सबसे ऊपर है, इसके बाद राजस्थान का भिवाड़ी, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद आदि हैं।
नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि खेत में आग लगाने की परंपरा न सिर्फ पंजाब, हरियाणा तक सीमित है, बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी व्यापक तौर पर पराली जलती हुई देखी जाती है।