राष्ट्रीय

MP में शिवराज और कमलनाथ के बीच सिमटता मुकाबला
15-Oct-2020 7:45 PM
MP में शिवराज और कमलनाथ के बीच सिमटता मुकाबला

भोपाल 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के उप-चुनाव में अब मुकाबला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच सिमटता नजर आने लगा है। दोनों ही एक-दूसरे पर हमलावर हैं और यही कारण है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया कहीं पीछे छूटते नजर आ रहे हैं।

राज्य में विधानसभा चुनाव की शुरूआत में कांग्रेस के निशाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। यही कारण था कि कांग्रेस ने कई नारे बनाए थे और सिंधिया को घेरने की हर संभव कोशिश की थी। चुनावों की तारीख करीब आने के साथ धुरी भी बदल चली है और अब सीधे तौर पर कांग्रेस के निशाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आ गए हैं, तो भाजपा कमलनाथ पर निशाना साध रही है।

राज्य में जिन 28 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें 16 सीटें ग्वालियर चंबल इलाके से हैं और यह सिंधिया का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने सिंधिया पर सीधे हमले बोले तो दूसरी ओर सिंधिया के पक्ष में भाजपा खड़ी नजर आई, मगर अब स्थितियां बदल चली हैं।

भाजपा द्वारा निकाले गए चुनाव प्रचार के लिए वीडियो रथ पर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरें होने और सिंधिया की तस्वीर नजर न आने को लेकर कांग्रेस ने हमला बोला तो वहीं पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया का नाम 10वें नंबर पर है, इस पर भी कांग्रेस चुटकी ले रही है।

भाजपा के प्रचार रथ और स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया के नाम को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वय नरेंद्र सलूजा ने कहा, "सिंधिया कांग्रेस में चुनाव अभियान समिति के प्रमुख थे। क्या हालत हो गयी भाजपा में? पहले भाजपा के डिजिटल रथ से गायब थे। और अब भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची देख समझ में आ गया कि भाजपा ने गद्दारी करने वालों को बना दिया दस नंबरी।"

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा का कहना है कि, "भाजपा में संगठन व्यवस्था प्रमुख है, वीडियो रथ में चार लोगो की तस्वीरें हैं, प्रधानमंत्री, राष्टीय अध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री की। इसमें अन्य किसी की नहीं है।"

राजनीतिक के जानकार अरविंद मिश्रा का मानना है कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही सिंधिया को ज्यादा समय तक चर्चाओं में रखकर बड़ा नेता नहीं बनाना चाहते। यही कारण है कि शुरुआत में सिंधिया को कांग्रेस ने घेरा, अब शिवराज उसके निशाने पर हैं, तो भाजपा ने भी कमल नाथ को निशाना बनाया है। कुल मिलाकर दोनों ही राजनीतिक दलों की योजना सिंधिया को सीमित करने की है। कांग्रेस जहां चंबल में सिंधिया को शिकस्त देना चाहती है, तो वहीं भाजपा के कई नेता नहीं चाहते कि ग्वालियर-चंबल में पार्टी की जीत से सिंधिया का प्रभाव बढ़े। उसी का नतीजा है कि चुनाव की धुरी बदल रही है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news