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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिवीर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) समेत चार दवाओं को कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों के इलाज में बहुत कम प्रभावी बताया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के इलाज में चार ख़ास दवाएं कितनी कारगर हैं इसे लेकर विस्तृत परीक्षण किया था.
रेमडेसिवीर वो पहली दवा थी जिसे कोरोना वायरस के इलाज के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था. ये दवा हाल में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी इस्तेमाल हुई थी.
रेमडेसिवीर की निर्माता कंपनी गिलिएड ने डब्ल्यूएचओ के अध्ययन में आए परिणामों को खारिज किया है.
गिलिएड ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अध्ययन के निष्कर्ष दूसरे अध्ययनों से मेल नहीं खाते और इन परिणामों की समीक्षा किया जाना बाकी है.
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ का अध्ययन
डब्ल्यूएचओ ने सॉलिडैरिटी ट्रॉयल के दौरान कुल चार दवाओं का परीक्षण किया. जिनमें रेमडेसिवीर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, ऑटो-इम्यून ड्रग इंटरफ़ेरॉन और एचआईवी की दवाओं का संयोजन लोपिनावीर और रिटोनावीर शामिल हैं.
ब्रिटेन में कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे कम कीमत वाले स्टेरॉइड डेक्सामेथासोन को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया है.
30 अलग-अलग देशों के 500 अस्पतालों में 11,266 व्यस्क मरीज़ों इन चार दवाओं का परीक्षण किया गया था.
डब्ल्यूएचओ के नतीजों में पाया गया है कि ये दवाएं मरीजों की जान बचाने और संक्रमण के दिनों को कम करने में भी कारगर साबित नहीं हुई हैं. हालांकि, इन नतीज़ों की अभी समीक्षा किया जाना बाकी है.
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार को कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनावीर और रिटोनावीर दवाओं का परीक्षण जून में ही रोक दिया गया था क्योंकि वो पहले ही अप्रभावी साबित हो गई थीं. हालांकि, अन्य दवाओं पर परीक्षण जारी रखे गए थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नतीजे पिछले महीने गिलिएड के अध्ययन में आए नतीज़ों से बिल्कुल अलग हैं. गिलिएड ने कहा था कि प्लेसेबो दिए जाने वाले मरीज़ों की तुलना में रेमडेसिवीर से कोरोना वायरस से ठीक होने का समय पांच दिन कम हो जाता है. गिलिएड के परीक्षण में 1000 मरीज़ शामिल थे.
गिलिएड की प्रतिक्रिया
गिलिएड सांइसेज़ ने डब्ल्यूएचओ के नतीजों को खारिज करते हुए कहा है, ''ये डाटा असंगत लग रहा है. रेमडेसिवीर के फायदे कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके आक्समिक और नियंत्रित अध्ययनों से मिले ज़्यादा ठोस प्रमाणों से प्रमाणित होते हैं.''
''हमें चिंता है कि ये ओपन (खुले) लेबल वाला वैश्विक परीक्षण प्राप्त डेटा कठोर समीक्षा से नहीं गुजरा है जो कि इस तरह की उपयोगी वैज्ञानिक चर्चा के लिए ज़रूरी है.''
अमरीका में एक मई से आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिवीर के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. इसके बाद कई और देशों में भी इसके इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी गई थी.
वहीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर के निर्देश पर इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये कितनी कारगर है इसका भी अब तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है.
इन नतीजों को देखते हुए डॉक्टर स्वामीनाथन कहती हैं, ''हम मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ और कुछ नई एंटी-वायरल दवाओं पर विचार कर रहे हैं जो पिछले कुछ महीनों में विकसित की गई हैं.'' (bbc)