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नई दिल्ली, 5 नवम्बर. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी और बच्चों को छोड़ देने वाले पतियों को उन्हें केस के पहले दिन से ही मुआवज़ा देना होगा.
कोर्ट के अनुसार जिस दिन पत्नी कोर्ट में इसके लिए गुहार लगाएगी, उस दिन से पति को मुआवज़ा देना होगा.
'द हिंदू' में छपी एक ख़बर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदु मल्होत्रा और आर सुभाष की बेंच ने एक महिला के मामले में सुनवाई के दौरान ये महत्वपूर्ण फ़ैसला सुनाया है.
कोर्ट ने कहा कि उन महिलाओं की स्थिति बेहद बुरी हो सकती है जिन्हें उनके पति छोड़ देते हैं. उनके और उनके बच्चों के पास ख़ुद के गुज़ारे के लिए संसाधन नहीं होते.
67 पन्ने के अपने जजमेंट में कोर्ट ने फैमिली कोर्ट और निचली अदालतों के जजों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश लिखे और कहा, "जिस दिन महिला पति से मेन्टेनेंस (मुआवज़े) की गुहार लगाए उसी दिन से उसे मुआवज़ा मिलना चाहिए क्योंकि ऐसा न होने पर उसके और उस पर निर्भर उसके बच्चों के लिए उसके लिए आजीविका का संकट पैदा हो सकता है. कोर्ट में मामला लंबा खिंच सकता है और इस कारण पीड़ित महिला को मुआवज़े से वंचित करना सही नहीं है."
कोर्ट ने कहा कि कोर्ट का आदेश न मानने पर पति को हिरासत में लिया जा सकता है या उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है.
कोर्ट ने ये भी कहा कि पति कह सकता है कि उसकी कोई आय नहीं है लेकिन अगर वो स्वस्थ है और शिक्षित है तो इससे उसकी ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हो जाती. (bbc)