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![अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के मामले में क़ानून क्या कहता है? अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के मामले में क़ानून क्या कहता है?](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1604634110rnb.jpg)
महाराष्ट्र की रायगढ़ पुलिस ने बुधवार सुबह अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों को 52 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
उन पर आईपीसी की धारा 306 के साथ धारा 34 भी लगाई गई है.
अर्नब को मुंबई से गिरफ़्तार किया गया था और बाद में उन्हें रायगढ़ ज़िले के अलीबाग़ ले जाया गया. दोपहर एक बजे उन्हें अलीबाग़ के ज़िला न्यायालय में पेश किया गया.
अदालत ने छह घंटे की सुनवाई के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का फ़ैसला सुनाया.
लेकिन अर्नब को जिस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया, उस पर सोशल मीडिया पर बहस चल रही है.
कई केंद्रीय मंत्री इसे इमरजेंसी कह रहे हैं, कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ कह रहे हैं, तो कई लोग इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बता रहे हैं. कई लोग लिख रहे हैं कि बंद पड़े केस को दोबारा राजनीतिक बदले की भावना से खोला गया है.
लेकिन एक तबक़ा ऐसा भी है, जो ये कहता है कि मामला आत्महत्या के लिए उकसाने का है, जिसे प्रेस की आज़ादी या अभिव्यक्ति की आज़ादी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
इसलिए ये समझना ज़रूरी है कि आईपीसी की धारा 306 क्या है, जिसके तहत अर्नब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया गया है.(bbc)