राष्ट्रीय

गीता: कहां है वो लड़की जिसे सुषमा स्वराज पाकिस्तान से लाईं थीं
21-Dec-2020 10:22 AM
गीता: कहां है वो लड़की जिसे सुषमा स्वराज पाकिस्तान से लाईं थीं

photo credit IANS

“एक नदी, उसके किनारे बना देवी का बड़ा सा मंदिर और रेलिंग वाला पुल”...ये गीता के बचपन की वो याद है जिसके सहारे वह बीस साल पहले बिछड़े अपने घरवालों को तलाश रही हैं.

बचपन से ही मूक-बधिर गीता साल 2000 के आसपास ग़लती से समझौता एक्सप्रेस पर चढ़कर पाकिस्तान पहुँच गई थीं.

साल 2015 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उन्हें वापस भारत ले आईं. इसके बाद से अब तक गीता अपने माँ-बाप की तलाश में हैं.

लेकिन अब तक उन्हें ये पता नहीं चल पाया है कि वह भारत के किस गाँव, किस ज़िले या किस राज्य से निकलकर पाकिस्तान पहुँच गई थीं.

आजकल क्या कर रही हैं गीता

बीते पाँच साल से गीता इस इंतज़ार में थीं कि जल्द ही कोई न कोई उनके घरवालों का पता चलने की ख़बर लेकर आएगा.

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत बड़ी बड़ी हस्तियों ने उनके घरवालों को ढूंढ़ने की भरसक कोशिशें कीं.

सुषमा स्वराज ने एक विदेश मंत्री के नाते और व्यक्तिगत स्तर पर भी ट्विटर पर उनके घरवालों को तलाशने की कई कोशिशें की.

लेकिन इसके बाद भी उनके घरवालों का कोई पता नहीं लग सका. इस बीच सुषमा स्वराज की मौत ने गीता को बेहद आहत किया.

कोविड महामारी के चलते अलग-थलग पड़ने से गीता के सब्र का बाँध टूट गया और पिछले कुछ महीनों से गीता ने अपनी भौगोलिक याद्दाश्त के दम पर अपने घर की तलाश शुरू कर दी है.

उनकी इस तलाश में इंदौर में रहने वाले ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित उनकी मदद कर रही हैं.

ज्ञानेंद्र और उनकी टीम गीता की बचपन की यादों के आधार पर महाराष्ट्र से लेकर छत्तीसगढ़, और तेलंगाना में सड़क मार्ग से होते हुए उन स्थानों तक पहुँच रही है जहां गीता का गाँव होने की संभावनाएं बनती हैं.

ज्ञानेंद्र ने बीबीसी को बताया कि जब गीता नदी किनारे पहुँचती हैं तो क्या होता है.

वह कहते हैं, “जब गीता किसी भी नदी के किनारे पहुँचती हैं तो बहुत खुश हो जाती है. उसकी आँखों में एक चमक सी आ जाती है और मन में एक उम्मीद जगती है. क्योंकि उसे लगता है कि उसका घर एक नदी के किनारे ही है.''

गीता बताती हैं कि उसकी माँ उसे भाप के इंजन के बारे में बताती थीं. ऐसे में जब हम औरंगाबाद के पास लातूर रेलवे स्टेशन पहुँचे तो गीता बहुत खुश हो गई. यहां बिजली नहीं है और ट्रेन डीज़ल इंजन से चलती है.

यहाँ आकर भी गीता के मन में उम्मीद इसलिए जागी क्योंकि गीता के बचपन की यादों में इलेक्ट्रिक इंजन नहीं था. गीता बताती हैं कि उनकी माँ उन्हें भाप के इंजन के बारे में बताती थीं.

धुंधली होती यादें और बदलता भारत

ज्ञानेंद्र की संस्था आदर्श सेवा सोसाइटी ने एक लंबे समय तक गीता के हाव भाव, खाने-पीने की शैली और उसकी बचपन की यादों का अध्ययन किया है.

गीता की बताई गई बातों को ध्यान में रखते हुए ज्ञानेंद्र और उनकी टीम इस नतीजे पर पहुँची है कि गीता संभवत: महाराष्ट्र से लगती सीमा वाले इलाकों की होंगी.

लेकिन इस लंबे सफर के बाद गीता के हिस्से जो कुछ यादें बची हैं. वे बेहद धुंधली हो चली हैं. कभी उनके मन में जिस गाँव की तस्वीर स्पष्ट होगी...अब उस याद के कुछ टुकड़े शेष हैं.

साइन लैंग्वेज समझने वाले ज्ञानेंद्र बताते हैं कि नदी देखकर उनके मुँह से निकल पड़ता है, “बिलकुल ऐसी ही नदी मेरे गाँव में है. और नदी के पास ही रेलवे स्टेशन है. एक पुल है जिसके ऊपर रेलिंग बनी हुई है. पास ही में एक दो मंजिला दवाखाना है. मैटरनिटी होम है. बहुत भीड़ लगी रहती है.”

ज्ञानेंद्र बताते हैं ‘गीता कहती हैं कि उनके खेत में गन्ना, चावल, और मूंगफली तीनों होते थे....चलते चलते कहीं पर खेत दिखता है तो तुरंत गाड़ी रुकवाकर खेत में उतर जाती हैं इस उम्मीद में कि काश खेत में काम करते हुए उन्हें उनकी माँ मिल जाएं.”

वे कहती हैं, “गीता को बहुत कुछ याद है. उसे एक रेलवे स्टेशन, अपना गाँव, एक नदी जैसी भौगोलिक चीजें याद हैं. लेकिन आप जानते हैं कि बीते 20 सालों में भारत कितना बदल गया है. आज अगर आप ऐसी जगह जाएं जहाँ आप बचपन में गए हों तो शायद आप उस जगह को न पहचान पाएं. ऐसे में ये संभव है कि वो मंदिर जिसे गीता तलाश रही हैं, वहां मंदिर के अलावा अन्य इमारतों का भी निर्माण हो गया हो. उनका परिवार उस जगह से कहीं चला गया हो....आदि आदि.”

उमर काटते बचपन के सदमे

मोनिका मानती हैं कि घर से बिछड़ने की त्रासदी और उन्हें वापस पाने की अंतहीन तलाश ने गीता को मानसिक रूप से आहत किया है.

वह कहती हैं, “जब हम कहते हैं कि गीता अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़े, शादी करे तो वो तुरंत मना कर देती है. वो कह देती है कि ‘वह अभी काफ़ी छोटी है, उसे अपनी माँ को ढूंढ़ना है. शादी कर लेगी तो उसके घर वाले काफ़ी नाराज़ होंगे.’ क्योंकि गीता को लगता है कि वह अभी सिर्फ 16 – 17 साल की बच्ची है. जबकि उसकी उम्र कम से कम 25 से 28 साल के बीच की होगी. गीता एक बहुत प्यारी बच्ची है लेकिन कभी कभी उसे ढाँढ़स बंधाना मुश्किल हो जाता है. वो बात बात पर रोने लगती है.”

इस ख़बर के लिखे जाने तक गीता ज्ञानेंद्र और उनकी टीम के साथ एक गाड़ी के बाईं ओर वाली पीछे की सीट पर बैठीं शीशे के पार पीछे छूट रहे खेतों को देख रही थीं.

ताकि कहीं किसी खेत से निकलती हुई उन्हें उनकी माँ दिख जाएं, उनके गाँव की नदी, वो मंदिर या उस पुल की रेलिंग दिख जाए जिसे उन्होंने आख़िरी बार अपने बचपन में देखा था. (bbc)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news