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अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रतिबंधों की तलवार
22-Feb-2021 10:03 PM
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रतिबंधों की तलवार

ईयू के विदेश मंत्रियों ने क्रेमलिन विरोधी अलेक्सी नावाल्नी के मामले में रूसी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. उन्होंने प्रतिबंधों पर सैद्धांतिक रुख भी तय किया ताकि मानवाधिकारों के हनन पर कार्रवाई की जा सके.

       डॉयचे वैले पर महेश झा​ की रिपोर्ट- 

रूस के साथ यूरोपीय संघ का शीतयुद्ध के खात्मे के बाद रुका प्रतिबंधों का खेल बहुत पहले ही दोबारा शुरू हो गया. खासकर यूक्रेन में रूसी दखल और क्रीमिया के अधिग्रहण के बाद प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई चारा नहीं था. ये प्रतिबंध रूस और उसके राष्ट्रपति को झुकाने में नाकाम रहे हैं. एक ओर रूस ने प्रतिबंधों का दबाव मानने से इंकार कर दिया तो दूसरी ओर अपनी ओर से यूरोपीय संघ पर प्रतिबंध लगाकर अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों को कमजोर करने की कोशिश की है.

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रतिबंधों की आंच अब सरकारों के बाद उन अधिकारियों तक पहुंचने लगी है जो विवादों से जुड़े होते हैं. नावाल्नी मामले में भी चार अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो नावाल्नी को कैद की सजा के लिए जिम्मेदार हैं. इन प्रतिबंधों में यूरोप में उनकी जायदाद को सील करना और उनकी यात्रा पर रोक शामिल होगा.

रूस और यूरोप के संबंध
यूरोपीय संघ पहली बार प्रतिबंधों के कानूनी अधिकार का इस्तेमाल मानवाधिकारों के हनन के मामले में करेगा. ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री अलेक्जांडर शालेनबर्ग ने पुलिस विभाग और अदालत के अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की वकालत की थी. यूरोपीय संघ का यह फैसला रूस और दूसरे देशों के अधिकारियों में खलबली मचा सकता है. इसकी वजह यह है कि अक्सर गैरलोकतांत्रिक देशों के अधिकारी अपने यहां मनमानी करते हैं और मानवाधिकारों को रौंदते हैं, लेकिन छुट्टियां बिताने और जायदाद खरीदने यूरोपीय देशों का रुख करते हैं.

शीत युद्ध खत्म होने के बाद रूस और यूरोपीय संघ एक दूसरे के करीब आ गए थे. रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब से सत्ता पर अपना शिकंजा कसना शुरू किया है, दोनों के संबंधों में लगातार गिरावट आ रही है. एक ओर पुतिन ने लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत सत्ता छोड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो दूसरी ओर विपक्ष को लगातार कमजोर करते गए हैं. विरोध करने वाले को जहर देकर मारने की कोशिश भी पुतिन समर्थकों का ही एक हथियार रहा है.

विपक्ष का दमन
अलेक्सी नावाल्नी हालांकि देश में उतनी बड़ी ताकत नहीं हैं, लेकिन उन्हें भी बार बार गिरफ्तार करके और कैद में रखकर विरोध की उस आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है. पिछले साल उन्हें मारने की भी कोशिश हुई. जर्मनी में इलाज के बाद जब वो वापस लौटे तो उन्हें 2014 के एक मुकदमे में सजा के नियमों के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार कर फिर से जेल में डाल दिया गया है. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा है कि ईयू ने नावाल्नी को जहर दिए जाने के समय ही कह दिया था कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन को सहने के लिए तैयार नहीं है.

यूरोपीय संघ के विदेश नैतिक आयुक्त जोसेप बोरेल का कहना है कि रूस यूरोप संघ के साथ टकराव चाहता है. नावाल्नी के मामले में उसने यूरोपीय अदालत के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है. यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने नावाल्नी को जेल से फौरन रिहा किए जाने का आदेश दिया था. मॉस्को इसे अपने घरेलू मामले में हस्तक्षेप बताता है. नावाल्नी पर हमले के मामले में यूरोपीय संघ ने पिछले साल राष्ट्रपति पुतिन के नजदीकी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया था. (dw.com)

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