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किसान आंदोलन को जमीनी स्तर के अलावा डिजिटली मजबूत करने की कवायद जारी
09-Mar-2021 8:45 PM
किसान आंदोलन को जमीनी स्तर के अलावा डिजिटली मजबूत करने की कवायद जारी

गाजीपुर बॉर्डर, 9 मार्च | गाजीपुर बॉर्डर पर हो रहे कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को किसान जमीनी स्तर के अलावा शोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं। इसके लिए आंदोलन स्थल पर एक ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। जिसका उद्देश्य आंदोलन को सोशल मीडिया पर मजबूत करना और लोगों तक हर एक बात पहुंचाना है। आंदोलन स्थल पर आज इसपर चर्चा की गई, वहीं एक सूची भी तैयार की गई है, जिसके तहत इस काम के लिए जरूरती सामानों के अलावा क्या लोगों को भी इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाए, इसपर भी मंथन हुआ।

सोशल मीडिया मैनेजर, वीडियो एडीटर, डिजिटल कंटेंट को मॉनिटर करने के अलावा प्रोग्रामिंग, बूस्टिंग आदि जरूरती लोगों की एक सूची तैयार हुई है। इसके अलावा कुछ टेक्निकल सामान मंगाने पर भी चर्चा की गई।

बॉर्डर पर यह कोशिश भी की जा रही है कि किस वक्त कौन सा कंटेंट डाला जाए, ताकि उसे सही समय पर बूस्ट कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके और आंदोलन को मजबूत किया जा सके।

यानी बॉर्डर पर किसान आंदोलन को डिजिटली लोगों तक पहुंचाने के लिए किसान कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते, जिसके चलते आने वाले समय में इसके लिए लोगों को रखा भी जा सकता है।

हालांकि भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी ने इसपर जानकारी देते हुए कहा कि, "लाखों लोग आंदोलन स्थल पर पहुंचे और अपने नम्बर साझा करके गए, जो राकेश टिकैत से सीधे जुड़ना चाहते हैं, उनतक आंदोलन की एक खबर कैसे पहुंचाई जाए ? फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब जो व्यक्ति जिस शोशल मीडिया को चलाना पसन्द करता है, उसको सारी जानकारी उसी माध्यम से दी जाए और आंदोलन को और मजबूत किया जाए।"

"इसके अलावा इस बैठक में ये चर्चा हुई कि सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर के मीडिया प्लेटफॉर्म को कैसे आपस मे लिंक किया जाए।"

"सुबह के वक्त हैशटैग चलता है, इसी तरह हर बॉर्डर से कुछ न कुछ चले और उसका आपस में कॉर्डिनेशन कैसे बनाया जाए, जिससे इस पूरे मूवमेंट की बात जन जन तक पहुंचे। इसको लेकर एक छोटी सी बैठक थी कि वॉलेंटियर सर्विस कैसे बढ़ाई जाए, कितने लोगों की आवश्यकता है।"

क्या इसके लिए लोग हायर किए जाएंगे? इसके जवाब में मलिक कहते हैं कि, "ये सब वॉलेंटियर्स होंगे। पैसा हमारे पास है नहीं, चंदा हम लेते नहीं। जो चल रहा है ये जनता का है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी मजबूत करेगी तो उसे जनता करेगी या किसान पुत्र करेंगे।"

दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं। (आईएएनएस)

 

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