ताजा खबर
जालसाजी के रोज नए तरीके
ऑनलाईन जालसाजी की खबरें थमने का नाम नहीं लेती हैं। अब ताजा जालसाजी पुलिस की वर्दी वाली एक प्रोफाइल फोटो का एक वॉट्सऐप नंबर है जो कि किसी को यह धमकी दे रहा है कि वह दिल्ली एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन का अफसर है, और वह उसके नाम से आई हुई एक पार्सल पर सरकारी टैक्स देने से इंकार कर रही है इसलिए उसे 12 घंटे बाद गिरफ्तार कर लिया जाएगा। कई लोग ऐसे झांसे में आ जाते हैं, और ऑनलाईन भुगतान करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसे ही एक वॉट्सऐप जालसाज के नंबर को जब ट्रूकॉलर पर डालकर देखा गया तो कई लोगों ने उसका नाम फ्रॉड लिखकर रखा था। ट्रूकॉलर एप्लीकेशन लोगों के फोनबुक में किसी नंबर के साथ दर्ज नाम देखकर उसे बताता है। ऐसा झांसे वाला कोई भी संदेश आने पर सबसे पहले तो ठंडे दिमाग से ट्रूकॉलर जैसे किसी एप्लीकेशन पर उस नंबर का नाम देख लेना चाहिए, उसके बाद भी हड़बड़ाना शुरू नहीं करना चाहिए। लोगों को ऐसी जालसाजी के बारे में आसपास के लोगों को बताना भी चाहिए।
छत्तीसगढ़ के अफसरों का बढ़ता प्रभाव
छत्तीसगढ़ के अफसरों को लगातार महत्व मिल रहा है। राज्य के पूर्व मुख्य सचिव रहे एक आईएएस, और रमन सरकार में प्रभावशाली अफसर को एक टीवी चैनल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। इसी तरह छत्तीसगढ़ कैडर के साल 2008 बैच के आईएएस नीरज कुमार बंसोड़ को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पीएस बनाया गया है। हालांकि छत्तीसगढ़ के कई और आईएएस अफसर केन्द्रीय मंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं, लेकिन अमित शाह जैसे ताकतवर गृहमंत्री के पीएस के रूप में छत्तीसगढ़ के अधिकारी की नियुक्ति के मायने निकाले जा रहे हैं। राज्य के आईएएस अफसरों के बीच चर्चा का विषय है कि छत्तीसगढ़ के अधिकारी को गृहमंत्री का पीएस नियुक्त करना केवल संयोग नहीं है, बल्कि यह रणनीति का हिस्सा हो सकता है। नीरज छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिला पंचायत के सीईओ, सुकमा और जांजगीर-चांपा जिले के कलेक्टर सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा के चुनाव हैं। ऐसे में दिल्ली में उन अफसरों को महत्व दिया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ में काम कर चुके हैं और उन्हें राज्य की सियासी भूमि की अच्छी समझ है। खैर, कारण जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि छत्तीसगढ़ में माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बढ़ रहा है।
नीरज बंसोड़ के कलेक्टर रहे, और अब भाजपा नेता ओ पी चौधरी ने लिखा- नीरज बंसोड़ को अमित शाह जी का पीएस बनने की हार्दिक बधाईज्नीरज को उनके पिताजी ने बड़े मेहनत से आगे बढ़ाया था,चंद महीनों पहले उनके पिता जी का निधन हो गया था,काश इस जंप को वे देख पाते....
मेरे कलेक्टर रहते हुये मेरे साथ नीरज स्ष्ठरू और ष्टश्वह्र के रूप में काम किये और उन्हें थोड़ा नजदीक से जाना..साइलेंट एंड हार्ड वर्किंग उनकी शैली रही आगे और ऊँचाईयों को छुयें...
बचपन से भेदभाव
बच्चों को बचपन से ही जिस तरह का भेदभाव सिखाया जाता है, उसी का नतीजा रहता है कि बड़े होने तक लडक़ों को लगने लगता है कि वे घर पर अपनी बहनों के मुकाबले अधिक अधिकार संपन्न हैं। यह हाल उन देशों की बच्चों की किताबों का भी है जहां पर लैंगिक समानता अधिक मानी जाती है। अब तस्वीरों वाली एक किताब जो कि पश्चिम के एक बड़े प्रकाशक से आई है, खासी महंगी है, वह भी छोटे बच्चों को एक कहानी में कुत्ते के बच्चों के सारे जिक्र में बस नर-पिल्लों का जिक्र करते हुए उनके लिए ‘ही’ का ही इस्तेमाल करती है। दस पिल्लों में भी एक भी मादा पिल्ले का जिक्र नहीं होता, हर जगह बस मर्द पिल्लों का ही जिक्र होता है।
श्रेय लेने की चिंता
छत्तीसगढ़ में इस महीने कांग्रेस का बड़ा कार्यक्रम होने वाला है। इसमें पार्टी के तमाम नीति निर्धारक नेताओं के साथ आम कार्यकर्ताओं का जमावड़ा रहने वाला है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के इस कार्यक्रम से साल 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव का रोड मैप निकलेगा। इस आयोजन की मेजबानी मिलने को लेकर राज्य कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी उत्साहित हैं। उनको इस बात की खुशी है कि देश का निर्णय छत्तीसगढ़ की जमीन पर होगा, लेकिन इतने बड़े कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन भी कम चुनौती नहीं है। हालांकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है, तो आयोजन की व्यवस्था में दिक्कत आने की आशंका नहीं है, लेकिन सत्ता और संगठन को व्यवस्था से ज्यादा श्रेय लेने की चिंता सता रही है। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कौन किसमें बाजी मारता है।
कहीं आतिशबाजी, कहीं अंधेरा
सरकार में कई किस्म के संस्थान होते हैं, और उनमें उन संस्थानों पर सरकार मेहरबान होती है जहां की चकाचौंध में सत्ता को भी शोहरत मिल सके। इसलिए कार्यक्रम करवाने वाले सरकारी संस्थानों को खूब बढ़ावा मिलता है, और पीछे के कमरे में चुपचाप बैठकर काम करने वाले संस्थान दम तोड़ते रहते हैं। छत्तीसगढ़ में ग्रंथ अकादमी बनाई गई, तो उससे सत्तारूढ़ लोगों को शोहरत मिलने की अधिक गुंजाइश नहीं थी, इसलिए उसकी कुर्सियां खाली पड़ी हैं, बिजली कटते रहती है, कम्प्यूटर रहता नहीं, बजट है नहीं, और छपी हुई पुरानी किताबों दीमकों का इंतजार करती रहती हैं। किताबों से जुड़ा हुआ यह संस्थान खत्म होने से भी बुरे हाल में है, और राजधानी रायपुर में रविशंकर विश्वविद्यालय के अहाते में एक कोने में पड़ा हुआ है। दूसरी तरफ संस्कृति, साहित्य, और पर्यटन से जुड़े संस्थानों के लिए दसियों लाख रूपये के बजट वाले कार्यक्रम होते रहते हैं। अगर सरकार को ग्रंथ अकादमी बंद ही करनी है, तो दिल कड़ा करके यह काम भी कर देना चाहिए। मध्यप्रदेश की तर्ज पर एक-एक करके संस्थान तो बना दिए गए, लेकिन उनमें से जिन्हें दुहा जा सकता था, उन्हें ही जिंदा रखा गया है, और सींचा जा रहा है। और कुछ न सही, साहित्य अकादमी के किसी कार्यक्रम में एक सत्र छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी की चर्चा पर भी रखना चाहिए ताकि बाहर से आए हुए लोगों को साहित्य और पुस्तकों से जुड़े हुए इस संगठन का हाल भी पता लग सके।
पॉलिटिक्स में जायज!
छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर काफी तेज हो गया है। खासकर मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच रोजाना जुबानी जंग होती है। ट्वीटर पर भी दोनों नेताओं की जंग खूब सुर्खियां बटोरती है। स्थिति यह है कि दिन की शुरूआत के साथ ही ट्वीटर वार शुरू हो जाता है। अब तो व्यक्तिगत और पारिवारिक हमले भी तेज हो गए हैं। पहले घरेलू मामलों पर सियासी लोग टीका-टिप्पणी करने से बचते थे, लेकिन लगता है कि अब यह लिहाज़ भी खत्म हो गया है। सियासत के इस नए दौर में हमला करने का कोई भी मौका मिले तो उसे लपकने की परंपरा शुरू हो गई है। कुछ लोग इस परिपाटी के पक्ष में प्रसिद्ध अंग्रेजी कहावत, ऑल इज फेयर इन लव एंड वॉर, का जिक्र करते हुए कहते हैं कि सियासत भी युद्ध भूमि की तरह ही है, और वहां भी सब कुछ जायज है, लेकिन कुछ तो इस कहावत को यह कहकर खारिज करते हैं कि प्यार पाने के गलत तरीके को कैसे जायज ठहराया जा सकता है? क्योंकि प्यार जोर जबरदस्ती से हासिल नहीं किया जा सकता। खैर, यह चर्चा या बहस लंबी हो सकती है,लेकिन इसका सार यह निकला कि कहावत में पॉलिटिक्स को जोड़ दिया जाना चाहिए, तो यह कुछ हद तक जायज हो सकता है।
टिकट का गणित
कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में कई तरह के प्रस्ताव भी पारित होने की संभावना है। इन प्रस्तावों पर चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं की नजर टिकी हुई है। कहा जा रहा है कि पारित प्रस्ताव के आधार पर ही टिकट का वितरण किया जाएगा। संभावित प्रस्तावों के संबंध में अटकलबाजी भी खूब हो रही है। कहा जा रहा है कि चुनाव लडऩे के इच्छुक निगम-मंडल के पदाधिकारियों को लाल बत्ती का मोह छोडऩा पड़ेगा। इसी तरह संगठन में काबिज नेताओं को भी टिकट नहीं दी जाएगी। कहने का आशय है कि नए चेहरों तथा किसी भी पद में नहीं रहने वालों को ही टिकट मिलने की संभावना है। इन चर्चाओं से वे लोग तो खुश हैं, जो फिलहाल सत्ता-संगठन से दूर हैं, लेकिन सत्ता-संगठन की कुर्सी पर कब्जा जमाए नेता इसका तोड़ निकालने में लगे हैं।
-दीपाली जगताप
"हमारे घर से स्कूल बहुत दूर है. हमें जंगल से होकर जाना होता है. फिर हमें प्लास्टिक वाले राफ्ट से झील पार करनी होती है. यह काफ़ी हद तक हवा के बहाव पर निर्भर होता है. हमारे पास पकड़ने के लिए कुछ भी नहीं होता. इसलिए डूबने का डर होता है. अगर जंगल से गुज़रते हुए सांप आ जाए तो क्या होगा, ये चिंता भी होती है."
सोनाली चिमड़ा बीबीसी मराठी से जब अपने रोज़मर्रा के संघर्ष बयान कर रही थीं, तब उनके चेहरे पर डर की लक़ीरें साफ़ देखी जा सकती थीं.
सोनाली शाहापुर तालुका के सावरदेव ज़िला परिषद स्कूल में पढ़ती हैं.
इतने ख़तरों को उठाकर स्कूल जाने वाली सोनाली अकेली नहीं, बल्कि उनके परिवार में ही दो और बच्चे हैं. उनके भाई कैलाश और बहन कृतिका.
तीनों भाई बहन को हर दिन ऐसे जानलेवा ख़तरों से खेलते हुए स्कूल जाना पड़ता है.
सोनाली सावरदेव स्कूल में पांचवीं कक्षा की छात्रा हैं. जबकि भाई कैलाश और बहन कृतिका चौथी कक्षा में पढ़ते हैं. यह क्षेत्र तानसा बांध के जल जमाव वाले इलाके में है और घने जंगल से घिरा हुआ है.
जल जमाव वाले क्षेत्र के एक तरफ़ सात से आठ आदिवासी बस्तियां हैं. इनमें से सोनाली, कृतिका और कैलाश बोरालेपाड़ा की आदिवासी बस्ती में अपने परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन ये तीनों के स्कूल कैचमेंट एरिया की दूसरी तरफ़ हैं. इसलिए छात्रों को स्कूल जाने के लिए तानसा बांध के पानी से होकर गुज़रना पड़ता है.
घर से स्कूल 4 किलोमीटर है, जिसमें से 1.5 किमी हाथ से बनी नाव से जाना पड़ता है
'अगर नाव डूबे तो...'
पांच घंटे की इस यात्रा के लिए छात्रों और उनके माता-पिता के पास नाव या लाइफ जैकेट जैसे कोई अन्य सुरक्षा उपकरण नहीं हैं. ये तीनों छात्र रोज़ाना अपने पिता के साथ स्थानीय लोगों द्वारा घर में बनाए गए प्लास्टिक के राफ्ट में सफ़र करते हैं.
लेकिन अगर ये डूब जाए तो क्या होगा? इसकी आशंका इन छात्रों और अभिभावकों को हर दिन सताती है.
इन बच्चों के पिता मारुति चिमड़ा ने बीबीसी मराठी को बताया, "ख़तरा है, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. कोई भी सरकारी वाहन हमारे घर के पास नहीं आ सकता. कोई पक्की सड़क नहीं है. मेरे पांच बच्चे हैं. उनमें से दो ग्रामीण इलाकों में रह गए. वे पढ़ नहीं पाए. अब मुझे लगता है कि इन बच्चों को पढ़ना लिखना सीखना चाहिए."
इस सवाल पर कि इतने ख़तरे के बावजूद आप अपने बच्चों को इसी स्कूल में ही क्यों भेजते हैं, मारुति बताते हैं, "दूसरा स्कूल, इस स्कूल से आगे है. वहां एक और नदी है और ख़तरा अधिक है. इसलिए हम इस स्कूल में बच्चों को भेजते हैं. बांध में पानी गहरा है. हमने प्लास्टिक के पाइपों से अपनी नाव बना ली है. नाव कहां से लाएंगे?"
इस बस्ती में मारुति चिमड़ा पिछले 31 साल से रह रहे हैं. उनका परिवार धान और केले की खेती का काम करता है. लेकिन इससे गुज़ारा नहीं होता. परिवार की माली स्थिति दयनीय है. पढ़ाई के लिए इतने जोख़िम वाला सफ़र क्यों?
इस सवाल पर मारुति कहते हैं, "मुझे भी डर लगता है. आखिर मेरे साथ बच्चे हैं. अगर बेड़ा डूब जाए तो मैं एक को पकड़ूँ या दूसरे को? किस बच्चे को बचाऊँ? अगर दो को पकड़ लिया, तो तीसरे बच्चे का क्या? ऐसे में डर होता है कि तीसरा चला जाएगा. लेकिन यह जोख़िम तो लेना ही पड़ता है."
कृतिका, कैलाश और सोनाली चिमड़ा (दाएं)
स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर जंगल-जंगल
छात्रों के लिए स्कूल तक का जानलेवा सफ़र सिर्फ बांध के पाने से गुजरने तक नहीं रुकता. बल्कि तट पर पहुंचने से पहले और राफ्ट से दूसरी तरफ़ पहुंचने के बाद भी छात्रों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है.
बांध के कैचमेंट एरिया के किनारे तक पहुंचने के लिए छात्रों को घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल के रास्ते पैदल चलना पड़ता है. उसके बाद किनारे पर पहुंचकर गहरे पानी में राफ़्ट से सफ़र करते हैं.
बांध के उस पार उतरने के बाद एक बार फिर से इन्हें जंगल में चलना पड़ता है. जंगल के रास्ते दो किलोमीटर का सफ़र है.
कृतिका और सोनाली दोनों के पास चप्पल नहीं है. इसलिए वे नंगे पैर चलते हैं. चूंकि जंगल में कोई पक्की सड़क नहीं है, इसलिए वे बजरी, पत्थर, गोबर और जानवरों के गोबर के बीच ही चलते हैं.
एक दिन स्कूल जाने के लिए ये पूरी दूरी इन छात्रों को दिन में दो बार तय करनी होती है. सोनाली बताती हैं, ''हमें स्कूल में पढ़ना अच्छा लगता है. मैं 12वीं तक पढ़ना चाहती हूं. घर के पास कोई दूसरा स्कूल नहीं है."
10 और 11 साल के ये बच्चे प्राथमिक शिक्षा पाने के लिए काफ़ी कष्ट उठा रहे हैं. इसे लेकर इनके चेहरों पर मायूसी साफ़ झलकती है.
नाव से बांध पार करने से पहले और बाद में जंगल के रास्ते जाना होता है स्कूल
'सरकार हमारी मदद करे'
इस जलग्रहण क्षेत्र के एक तरफ़ सात-आठ आदिवासी बस्तियों में क़रीब 200 परिवार रहते हैं.
चूंकि परिवहन के लिए कोई अन्य सुविधाजनक विकल्प नहीं है, इसलिए न केवल छात्र बल्कि गर्भवती महिलाओं और अन्य रोगियों के पास जंगलों और राफ्ट्स के माध्यम से यात्रा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
इसके लिए यहां रहने वाले कई लोगों ने घर में ही ये राफ्ट तैयार कर लिए हैं.
क़रीब 17 फीट ऊंचे पांच प्लास्टिक के पाइप और थोड़े-थोड़े अंतराल पर तीन से चार लकड़ी के टुकड़ों को रस्सियों से बांधा गया है. पाइप के दोनों किनारों को ढका किया गया है. राफ्ट पर बैठने के लिए लकड़ी के छोटे-छोटे तख्ते होते हैं.
एक राफ्ट पर दो से तीन यात्री ही बैठ सकते हैं.
चूंकि बेड़ा प्लास्टिक का बना होता है, तेज़ हवा चलने पर यह काफ़ी हिलता है और इसके पानी में पलटने की आशंका होती है. छोटे बच्चे इतने गहरे पानी में तैर भी नहीं सकते.
मारुति चिमड़ा बताते हैं, "हमें ही बच्चों को छोड़ने आना पड़ता है, क्योंकि घर की औरतों को भेजा नहीं जा सकता. उन्हें तैरना नहीं आता. कुछ हो गया तो वे या तो खुद को बचाएंगी या बच्चों को. इसलिए हम अपनी काम छोड़ देते हैं. और बच्चों के साथ दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम आने-जाने में निकल जाते हैं."
प्लास्टिक पाइप और लकड़ी से बनाई नाव पर दो से तीन लोग ही बैठ सकते हैं.
मारुति चिमड़ा आगे कहते हैं, "तीन साल हो गए हैं हमें केले उगाए. लेकिन हमारा घर उसी से चलता है, जो हमें मिलता है. हमारी एक ही मांग है कि सरकार को हमें कुछ योजना देनी चाहिए. आने-जाने की व्यवस्था करनी चाहिए."
बीबीसी मराठी की टीम ने इस बारे में स्कूल के शिक्षकों से भी बात की. इनका कहना है कि इस तरह की जानलेवा और ख़तरनाक़ यात्रा से सिर्फ इन तीनों बच्चों की सेहत पर ही असर नहीं पड़ता है बल्कि उनकी पढ़ाई का भी नुकसान होता है.
ऐसे ही एक शिक्षक हैं शिवलिंग जैनार, जो पिछले तीन साल से जिला परिषद स्कूल सावरदेव में पढ़ा रहे हैं.
जैनार बताते हैं, "स्कूल में कुछ परेशानी होती है. हम भी समझते हैं और मदद करने की कोशिश करते हैं. लेकिन जो परेशानी इन्हें होती है, उससे हम इनकार नहीं कर सकते. स्कूल पहुंचने के बाद भी उन्हें दूसरे बच्चों के साथ एडजस्ट करने के लिए समय चाहिए होता है. अगर उन्हें सुरक्षा किट भी मिल जाए तो बहुत अच्छा होगा."
कहां जाता है करोड़ों रुपये का फंड?
हमने इस मामले को लेकर ठाणे के कलेक्टर अशोक शिंगारे से संपर्क किया.
अशोक शिंगारे ने कहा, "हम इस मामले का संज्ञान ले रहे हैं. हमने उन गांवों या आदिवासी बस्तियों के लिए व्यापक योजना तैयार की है, जहां सड़कें नहीं हैं. आदिवासी विकास विभाग, ज़िला परिषद, ग्राम विकास विभाग और लोक निर्माण विभाग के माध्यम से उन बस्तियों को सड़क मार्ग से जोड़ने का फ़ैसला हुआ है."
स्थानीय कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि चूंकि यह वन विभाग की ज़मीन है, इसलिए विकास कार्यों में दिक़्क़त आ रही है.
इस क्षेत्र में काम कर रही प्रहार जन शक्ति पार्टी के शाहपुर अध्यक्ष वसंत कुमार पानसरे ने कहा, "तानसा झील जलग्रहण क्षेत्र में वन भूमि के पट्टे के कारण कई आदिवासी परिवार इस क्षेत्र में रह रहे हैं. लेकिन अगर बिजली कनेक्शन, सड़क या यहां तक कि यहां साधारण बोरवेल बनाने में भी वन भूमि के कारण दिक़्क़तें हैं. शासन स्तर पर योजनाएं स्वीकृत होने के बावजूद वन भूमि के कारण योजना काग़ज़ों पर ही रह जाती हैं."
आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र और राज्य में सरकार की कई योजनाएं हैं. इसके लिए करोड़ों रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है.
शाहापुर तालुका का सावरदेव ज़िला परिषद, जहां तीनों बच्चे पढ़ने आते हैं.
राज्य सरकार 2022-23 के बजट में आदिवासी समाज कल्याण के लिए 11 हज़ार 199 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. ग्रामीण विकास विभाग को सात हज़ार 718 करोड़ रुपये और स्कूल शिक्षा विभाग को दो हज़ार 354 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.
हर सरकार यह विश्वास दिलाती है कि आदिवासी समुदाय को शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक सुविधाएं मुहैया कराकर उन्हें मुख्यधारा में लाना उनकी नीति है. तो यह करोड़ों रुपये का फंड जाता कहां है? यह सवाल भी उठता है.
इसके अलावा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि पहली से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है. लेकिन हक़ीक़त में ऐसे कई आदिवासी छात्र आज भी शिक्षा और विकास से वंचित हैं. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 11 फरवरी । टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने केएल राहुल को टेस्ट क्रिकेट में दिए जा रहे मौकों पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "केएल राहुल की प्रतिभा और क्षमता के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है, लेकिन दुख की बात है कि उनका प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. 46 टेस्ट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आठ सालों से ज्यादा रहने के बाद 34 की टेस्ट एवरेज साधारण है."
"बहुत लोगों को ऐसे मौके नहीं दिए गए हैं. खासकर तब जब टॉप फॉर्म में बहुत सारे खिलाड़ी इंतजार कर रहे हैं. शुभमन गिल शानदार फॉर्म में हैं, सरफराज एफसी क्रिकेट में धुंआदार रन बना रहे हैं और कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो राहुल से पहले मौके के हकदार हैं. कुछ लोग किस्मत वाले होते हैं जिन्हें तब तक मौके दिए जाते हैं जब तक वे कामयाब न हो जाएं जबकि कुछ लोगों को मौके ही नहीं दिए जाते."
वेंकटेश प्रसाद ने लिखा, "इससे भी बुरा है कि राहुल को उप-कप्तान बना दिया. अश्विन को उप-कप्तान होना चाहिए था क्योंकि उनके पास क्रिकेट के लिए शानदार दिमाग है. अगर अश्विन भी नहीं तो पुजारा और जडेजा को ये भूमिका दी जानी चाहिए थी. राहुल से कहीं अच्छा मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी हैं."
उन्होंने लिखा, "राहुल का चयन प्रदर्शन के आधार पर नहीं बल्कि पक्षपात के आधार पर हुआ है. उन्होंने आठ साल में कोई क्षमता नहीं दिखाई है. उनकी कंसिस्टेंसी लगातार बिगड़ी हुई है."
वेंकटेश ने लिखा, "इस तरह के पक्षपात को देखने के बावजूद भी कई पूर्व क्रिकेटर इस लिए नहीं बोल रहे हैं क्योंकि उन्हें आईपीएल के शो से बाहर होने का डर है. वे किसी फ्रैंचाइजी के कैप्टन को लेकर गलत नहीं बोलना चाहते."
आज के समय में ज्यादातर लोग हां में हां मिलाने वालों को पसंद करते हैं. अक्सर शुभचिंतक आपके सबसे अच्छे आलोचक होते हैं लेकिन समय बदल गया है और लोग सच नहीं बोलना चाहते." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 11 फरवरी । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दावे से असहमति जताते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि केद्र पर जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में उसका क़रीब 2,400 करोड़ रुपये बक़ाया है.
इससे पहले निर्मला सीतारमण ने पश्चिम बंगाल सरकार के दावे के जवाब में संसद में शुक्रवार को कहा था कि राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति तभी मिलती है, जब वे ऑडिटेड आंकड़े केंद्र सरकार के पास ज़मा करते हैं
निर्मला सीतारमण ने दिसंबर में भी ऐसी ही बात कही थी.
पीटीआई के अनुसार, उन्होंने यह भी बताया है कि पश्चिम बंगाल ने 2017 से अब तक ये आंकड़े केंद्र को नहीं सौंपे हैं.
राज्य सरकार ने कहा, "केंद्रीय वित्त मंत्री ने बयान दिया है कि पश्चिम बंगाल ने अकाउंटेंट जनरल के सर्टिफिकेट के साथ वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक के जीएसटी क्षतिपूर्ति दावे केंद्र को नहीं भेजा है. राज्य सरकार उनके इस बयान से सहमत नहीं है.''
उसके अनुसार, ''अभी तक केवल दो वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान की 'नेट' क्षतिपूर्ति का भुगतान हुआ है. बाक़ी समय की क्षतिपूर्ति का भुगतान 'ग्रॉस' आधार पर हुआ है.'' (bbc.com/hindi)
विधायक मांग करती रहीं, ट्रैफिक के दबाव के बावजूद नहीं बना फोरलेन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 फरवरी। बेलपान मेला जा रहे बाइक सवारों को पीछे से आ रही मेटाडोर ने टक्कर मार दी। घटना में बाइक सवार उसकी पत्नी और एक बेटी की मौत हो गई जबकि दूसरी घायल है।
तिफरा मन्नाडोल का 35 वर्षीय मोहनलाल साहू प्राइवेट ड्राइवर का काम करता था। आज सुबह वह बाइक से अपनी 32 साल की पत्नी ईश्वरी साहू और दो बेटियों 13 वर्षीय तृप्ति और 8 वर्षीय भगवती के साथ बेलपान मेला जाने के लिए निकला था। बेलपान मुंगेली रोड पर तखतपुर से 9 किलोमीटर दूर है। बाइक सवार ने शहर के उसलापुर ओवरब्रिज को पार किया था। सकरी के पहले पीछे से आ रही मेटाडोर ने उनको जबरदस्त टक्कर मारी, जिससे सभी बाइक सवार घिसकते हुए कई फीट दूर जाकर गिरे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मेटाडोर ने बाइक को ओवरटेक करने की कोशिश की जिसके चलते यह दुर्घटना हुई। दुर्घटना के बाद ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गया। राहगीरों ने घायलों को बचाने की कोशिश की और डायल 112 में फोन किया। पुलिस घटना स्थल पर पहुंची तब पाया कि बाइक चालक मोहन साहू और उसकी बड़ी बेटी तृप्ति की घटनास्थल पर ही मौत हो चुकी है। डायल 112 की जीप से सकरी के अस्पताल में ईश्वरी साहू और उसकी छोटी बेटी भगवती साहू को ले जाया गया। यहां ईश्वरी की भी मौत हो गई। घायल भगवती को सिम्स मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में इलाज के लिए दाखिल कराया गया है।
उक्त दुर्घटना सकरी विधानसभा क्षेत्र के तखतपुर में हुई है, जहां मुंगेली, अचानकमार और जबलपुर के लिए ट्रैफिक का भारी दबाव है। स्थानीय विधायक रश्मि सिंह सन् 2018 में चुनाव जीतने के बाद से लगातार बिलासपुर से 10 किलोमीटर तक फोरलेन बनाने की मांग उठा रही हैं लेकिन आज तक यह नहीं बन सकी है। हाल ही में दावा किया गया है कि इस सड़क को मंजूरी मिली है।
नई दिल्ली, 11 फरवरी । आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेशों और संविधान का 'पूरा मज़ाक' बना दिया है.
पार्टी ने उपराज्यपाल के निजी बिजली वितरण कंपनियों के बोर्ड से दो 'सरकारी नॉमिनी' को हटाने के आदेश को 'अवैध' और 'असंवैधानिक' करार दिया है.
हटाए गए ये दोनों शख़्स आम आदमी पार्टी के नेता हैं. एक पार्टी के प्रवक्ता जैस्मीन शाह हैं और दूसरे पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता हैं.
बताया जा रहा है कि पार्टी के नेता रहते हुए किसी कंपनी के लिए काम करने के कारण यह फ़ैसला लिया गया है.
उपराज्यपाल कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि ये दोनों अवैध तरीक़े से इस पद पर बैठे हैं.
उन्होंने इन दोनों पदों पर सरकारी अधिकारियों को बिठाने का आदेश दिया है.
इस पर आम आदमी पार्टी ने कहा है, ''जैस्मीन शाह और नवीन गुप्ता को बिजली वितरण कंपनियों के बोर्ड से हटाने का एलजी का आदेश अवैध और असंवैधानिक है. एलजी को ऐसे आदेश देने का अधिकार नहीं है.''
पार्टी के अनुसार, ''बिजली के मामले में ऐसे आदेश जारी करने का अधिकार केवल चुनी हुई सरकार का है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेशों और संविधान का पूरा मज़ाक बना दिया है. वो खुलेआम घूमकर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश उन पर लागू नहीं होते.'' (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 11 फरवरी । नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट मैच के तीसरे ही दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों के अंतर से हरा दिया है.
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 91 रनों पर ऑलआउट कर दिया. पहली पारी के बाद भारत की ऑस्ट्रेलिया पर 223 रनों की बढ़त थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया इस विशाल स्कोर को पार नहीं कर सका.
गुरुवार को शुरू हुए मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया था और पहले ही दिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 177 रनों पर ऑलआउट हो गई थी.
पहली पारी में बैट और बॉल से जडेजा का जलवा
ऑस्ट्रेलिया को 177 रनों पर समेटने का पूरा श्रेय रविंद्र जडेजा और आर. अश्विन को जाता है. पहली पारी में जडेजा और अश्विन ने किसी भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ को क्रीज़ पर टिकने ही नहीं दिया.
रविंद्र जडेजा ने 47 रन देकर 5 विकेट लिए थे जबकि अश्विन ने 42 रन देकर 3 विकेट लिए थे. मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज जैसे तेज़ गेंदबाज़ों ने सिर्फ़ एक-एक विकेट लिया था.
ऑस्ट्रेलिया की ओर से पहली पारी में मार्नस लाबूशाने ने 49 रन और स्टीवन स्मिथ ने 37 रन बनाए थे. इन दोनों के अलावा पीटर हैंड्सकॉम्ब ने 31 रन और एलेक्स करी ने 36 रन बनाए थे. इन चार बल्लेबाज़ों के अलावा कोई भी बल्लेबाज़ दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका था.
वहीं भारतीय बल्लेबाज़ों की बात करें तो उन्होंने पहली पारी में 400 रन का विशाल स्कोर खड़ा करते हुए ऑस्ट्रेलिया पर 223 रनों की बढ़त बनाई थी. भारत की ओर से कप्तान रोहित शर्मा ने 120 रनों की शतकीय पारी खेली थी.
अक्षर पटेल ने 84 रन और रविंद्र जडेजा ने 70 रनों की शानदारी पारी खेली थी.
दूसरी पारी में अश्विन का कमाल
मैच के तीसरे दिन जब ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी शुरू की तो एक तरह से अश्विन का क़हर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों पर टूटने लगा.
उन्होंने 12 ओवर डाले और सिर्फ़ 37 रन देकर 5 विकेट झटक लिए. वहीं रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी ने भी 2-2 विकेट लिए जबकि अक्षर पटेल ने एक विकेट लिया.
ऑस्ट्रेलिया की ओर से सबसे अधिक नाबाद 25 रन स्टीवन स्मिथ ने बनाए. उनके बाद मार्नस लाबूशाने ने सबसे अधिक 17 रन बनाए. (bbc.com/hindi)
आदिवासियों से जुड़े एक ट्विटर पेज पर एक गरीब की तस्वीर और खबर पोस्ट हुई है। ओडिशा के कोरापुट के रहने वाले सामुलु पांगी ने अपनी बीमार पत्नी को विशाखापत्तनम में एक अस्पताल में भर्ती कराया था। उसका गांव वहां से करीब सौ किलोमीटर दूर था। वापस ले जाते समय पत्नी की रास्ते में मौत हो गई तो ऑटो वाले ने शव को ले जाने से मना कर दिया। ऐसे में यह आदमी कंधे पर पत्नी के शव को लिए 33 किलोमीटर पैदल गया। ट्राइबल आर्मी नाम के इस ट्विटर पेज पर इस बात का खुलासा नहीं है कि यह आदमी आदिवासी था या नहीं, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वह गैरआदिवासी गरीब भी है, तो भी आदिवासियों की हमदर्दी उसके साथ होगी, क्योंकि आदिवासी दूसरे समुदायों के मुकाबले अधिक इंसानियत रखते हैं। वे कुदरत के करीब रहते हैं, और जाहिर है कि उनमें संवेदनशीलता अधिक होगी। एक दूसरी खबर यह कहती है कि पुलिस ने इस आदमी को अपनी पत्नी को कंधे पर ले जाते देखा तो आधे रास्ते से उसकी मदद की, और उसे गांव तक पहुंचाया। सच इन दो खबरों के बीच कहीं भी हो सकता है, और हो सकता है कि 33 किलोमीटर पैदल चलने के बाद बचा रास्ता पुलिस की मदद मिली हो।
ट्विटर पर बहुत से लोगों ने इस खबर पर लिखा है। एक ने लिखा आखिर लोग कौन सी जाति, धर्म, संस्कृति, परंपरा, प्रथा की आस्था में डूबे हुए हैं जहां इंसान के लिए इंसान की कोई आस्था नहीं है, ज्ञान-विज्ञान संविधान का तर्क व वैज्ञानिक दृष्टिकोण मर गए हैं। कुछ लोगों ने याद दिलाया कि इसी ओडिशा की एक आदिवासी आज देश की राष्ट्रपति है। सैकड़ों लोगों ने इस नौबत को धिक्कारा है, और अलग-अलग सरकारों को अलग-अलग जिम्मेदार तबकों को कोसा है। लोगों ने यह भी हैरानी जाहिर की है कि 33 किलोमीटर के ऐसे पैदल सफर में कोई इंसान नहीं मिला। कुछ लोगों ने यह भी लिखा कि यही असली भारत है, जरूरतमंद को मदद नहीं मिलती, और अरबों-खरबों रूपये अडानी, मेहुल चौकसी जैसे लोग हड़प जाते हैं। एक ने लिखा कि मनुवादियों ने मानवता को खत्म कर दिया एक ऐसी मनुवादी व्यवस्था बनाकर जो लोगों में भेदभाव रखती है। किसी ने लिखा कि इंसान जानवरों से ज्यादा गिर गए हैं, एक ने लिखा हम ऐसे भारत में रहते हैं बिलियन और ट्रिलियन की बात के बीच कोई शव को कंधे पर 25-50 किलोमीटर ढो रहा है। एक ने लिखा है जब देश का मीडिया दलाली में व्यस्त हो तो इस भारत की बात कौन करेगा? किसी ने सही कहा है, दो भारत हैं, एक गरीबों का, दूसरा अमीरों का। एक ने लिखा कि जिस देश में लोग ऐसे मर रहे हैं उस देश में हम हिन्दू-मुस्लिम कर रहे हैं, शर्म आना चाहिए सरकार को। एक ने लिखा इस पर भी कुछ लोग कहते हैं कि यह अमृतकाल है। किसी ने आदिवासियों के संदर्भ में लिखा कि ये बेचारे वहीं के वहीं हैं क्योंकि इनका हक कोई और खा रहे हैं। एक का कहना है कि सरकारें तो सभी जगह मरी हुई हैं, पर लोगों की इंसानियत कहां मर गई है?
ऐसी खबरें हर कुछ दिनों में कहीं न कहीं से आती ही रहती हैं। कहीं सरकारी साधन-सुविधा रहने पर भी गरीबों की उन तक पहुंच नहीं रहती, तो कहीं रिश्वत दिए बिना सरकारी सुविधाओं का हक नहीं मिलता। बहुत सी खबरें ऐसी भी आती हैं कि रिश्वत देने से मना करने पर लाश चीरघर में पड़ी रहती है, और उसका पोस्टमार्टम भी तब तक नहीं होता, जब तक रिश्वत न दे दी जाए। सरकारी अस्पतालों में जान बचाने वाले इलाज के पहले भी रिश्वत मांगी जाती है, और कहीं कोई बीमार मुसाफिर रहे, तो भी उसे ट्रेन में बिना रिश्वत बैठने को जगह नहीं मिलती। इस तरह की और भी बहुत सी बातें हिन्दुस्तान में देखने मिलती हैं, और उनसे यही साबित होता है कि यहां लोगों की इंसानियत सच ही मर गई है, या कम से कम वह इंसानियत खत्म हो गई है जिसे लोग इंसानों की खूबी मानते हैं। इंसानों के भीतर की सारी नकारात्मक और हिंसक सोच को लोग इंसानों से परे की कोई बात साबित करना चाहते हैं, और उसके लिए हैवानियत जैसा एक शब्द गढ़ लिया गया है जो कि और कुछ नहीं है, इन्हीं इंसानों के भीतर की ही एक सोच है। हिन्दुस्तान इस कदर गैरजिम्मेदार और मतलबपरस्त देश हो गया है कि लोग गंदगी फैलाते यह नहीं सोचते कि उन्हीं की तरह के कुछ दूसरे इंसान अपनी जाति और गरीबी की वजह से पूरी जिंदगी इस गंदगी को साफ करते गुजार देंगे। लोग सार्वजनिक जगहों, सार्वजनिक चीजों को बर्बाद करते चलते हैं, और इस बात की तरफ से पूरी तरह बेपरवाह रहते हैं कि इसकी लागत उन्हीं पर आनी है।
ऐसा लगता है कि इस देश में मंत्री, अफसर, जज, कारोबारी, और बाकी तमाम चर्चित लोगों के भ्रष्टाचार को देखकर लोगों के मन में अब लोकतांत्रिक मूल्यों, नियम-कायदों, इंसानियत, इन सबके लिए एक बड़ी हिकारत घर कर गई है। लोगों को लगता है कि जब बड़े-बड़े लोग बलात्कार करके घूम रहे हैं, तो उनके कहीं थूक देने को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है? जब नेता, अफसर, ठेकेदार से सैकड़ों करोड़ रूपये का कालाधन बरामद हो रहा है, तो गरीबों से ईमानदारी से टैक्स पटाने की उम्मीद क्यों की जा रही है? जब हर सरकारी काम में परले दर्जे का भ्रष्टाचार दिख रहा है, तो फिर गरीब भी अपने-अपने स्तर पर कुछ बचाने की कोशिश क्यों न करें? ऐसा लगता है कि लोगों के सामने किसी किस्म की प्रेरणा नहीं रह गई है, नेक और अच्छा काम करने की जो बुनियादी इंसानियत लोगों में रहनी चाहिए थी, वह भी हिन्दू-मुस्लिम, सवर्ण-दलित, औरत-मर्द के तनाव खड़े करके खत्म कर दी गई है। लोग अब किसी धर्म के हैं, किसी जाति के हैं, किसी प्रदेश के हैं, और किसी संगठन के हैं, लेकिन इंसान नहीं हैं। यह नौबत इस देश को एक घटिया देश बना चुकी है, और झूठे आत्मगौरव से परे यहां गौरव के लायक इंसानियत कम से कम गैरगरीबों में नहीं रह गई है।
इस देश की पहचान एक बेरहम देश की हो गई है जो कि अपनी लड़कियों और औरतों को काट डाल रहा है। इस देश की पहचान एक हिंसक जाति व्यवस्था वाली जगह की हो गई है जहां पर दलित और आदिवासी कुचले जा रहे हैं। और चारों तरफ माहौल ऐसा बना दिया गया है कि लोगों के सामने इंसान बने रहना आखिरी प्राथमिकता रह गई है, या कि एक पूरी तरह से अवांछित बात बना दी गई है। इस देश में कहीं विश्वगुरू होने के दावे किए जा रहे हैं, कहीं इसका अमृतकाल आया हुआ बताया जा रहा है, कहीं गाय को गले लगाने का सरकारी फतवा जारी होता है, लेकिन दूसरे इंसानों से मोहब्बत करने का कोई सरकारी फतवा जारी नहीं होता, बल्कि नफरत को बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशें जरूर दिखती हैं। एक फर्जी आत्मगौरव में जीते हुए इस आत्ममुग्ध देश को अपनी हिंसा का आत्मविश्लेषण करना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
नई दिल्ली, 11 फरवरी । नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों से हरा दिया है.
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 91 रनों पर ऑलआउट कर दिया. पहली पारी के बाद भारत की ऑस्ट्रेलिया पर 223 रनों की बढ़त थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया इस विशाल स्कोर को पार नहीं कर सका.
गुरुवार को शुरू हुए मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया था और पहले ही दिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 177 रनों पर ऑलआउट हो गई थी. नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों से हरा दिया है. (bbc.com/hindi)
कार्यकर्ताओं की हत्या की वजह से आतिशबाजी नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर/रायपुर, 11 फरवरी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा शनिवार को रायपुर पहुंचे, और फिर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह को साथ लेकर एयरपोर्ट से जगदलपुर रवाना हो गए। जगदलपुर पहुंचने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव सहित अन्य नेताओं ने अगवानी कर स्वागत किया।
भाजपा ने नारायणपुर में भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू तथा हाल ही में भाजपा कार्यकर्ता बुधराम कारटाम और नीलकंठ कक्केम की हत्या के शोक स्वरूप स्वागत, ढ़ोल नगाड़े, आतिशबाजी जैसे कार्यक्रम निरस्त कर दिए थे। लिहाजा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की सामान्य रूप से अगवानी की गई।
इस अवसर पर भाजपा सहप्रभारी नितिन नबीन,अजय जमवाल,पवन साय,नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, सांसद संतोष पांडे, महामंत्री केदार कश्यप, दिनेश कश्यप,किरण सिंह देव , संतोष बाफना आदि भाजपा नेता विमानतल पर मौजूद रहे।
नई दिल्ली, 11 फरवरी । भारत के तजिंदर पाल सिंह तूर ने कज़ाख़स्तान की राजधानी अस्ताना में हो रही एशियाई इनडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 19.49 मीटर गोला फेंक कर गोल्ड मेडल जीता है.
भारत के ही करनवीर सिंह ने 19.37 मीटर गोला फेंक कर सिल्वर मेडल जीता है. पुरुषों की ट्रिपल जंप प्रतिस्पर्धा में प्रवीण चित्रवेल ने भी 16.98 मीटर कूद कर सिल्वर मेडल जीता है.
शुक्रवार को हुए इस प्रतिस्पर्धा में तूर ने तीसरे और पांचवें प्रयास में ये प्रदर्शन किया. हालांकि पहले प्रयास में वे फाउल कर बैठे थे.
एएनआई के अनुसार, इनडोर फॉर्मेट में यह तूर के करियर का सबसे बढ़िया प्रदर्शन है. वो आउटडोर फॉर्मेट में भारत के नेशनल रिकॉर्ड धारक भी हैं.
इस चैंपियनशिप में तूर का अब तक का पहला गोल्ड मेडल है. 2018 में आयोजित इस चैंपियनशिप के पिछले सत्र में तूर ने 19.18 मीटर गोला फेंक कर सिल्वर मेडल जीता था.
ओलंपिक्सडॉटकॉम वेबसाइट के अनुसार, तूर 2018 के एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल विजेता और 2019 के एशियाई चैंपियन भी हैं. (bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 फरवरी। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के बेटे दुष्कर्म के आरोपी पलाश चंदेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पीडि़त युवती से जवाब मांगा है।
ज्ञात हो कि पलाश चंदेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। साथ ही केस पर निर्णय होते तक अंतरिम जमानत मांगी गई है। याचिका में कहा गया है कि शिकायतकर्ता युवती पहले से शादी शुदा है। उसका यह आरोप गलत है कि शादी का झांसा देकर उसके साथ आरोपी ने रेप किया। हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए पीडि़त युवती को जवाब दाखिल करने कहा है। नियम के अनुसार रेप के मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत तभी मिल सकती है जब पीडि़ता को इस पर आपत्ति न हो। याचिका पर अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
केस दर्ज होने के बाद से आरोपी पलाश चंदेल फरार चल रहा है।
पत्रकार सुरक्षा कानून बजट सत्र में आएगा-भूपेश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 फरवरी। सीएम भूपेश बघेल ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी के उस कथन पर तंज कसा है, जिसमें पीएम ने गांधी परिवार का नाम लिए बिना कहा था कि नाना (नेहरू) का सरनेम लिखने में शर्म आती है। सीएम ने आगे कहा कि भाजपा के नेताओं को दादा के बजाए नाना का सरनेम लिखना चाहिए।
बघेल ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में भारत टॉप टेन में नहीं है। ऐसे में कैसे विश्व गुरु बनेंगे? उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से जरूर हम आगे हैं, लेकिन भुखमरी, गरीबी, शिक्षा सब में हम लोग निचले पायदान पर हैं। जो पड़ोसी देश है नेपाल बांग्लादेश उससे भी निचले स्तर पर हैं, तो फिर विश्व गुरु कैसे बनेंगे?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर कहा निर्मला कभी प्याज नहीं खाती। प्रधानमंत्री कह रहे थे कि मैं कितनो पर भारी पड़ रहा हूं, सब पर भारी पड़ते अगर प्रधानमंत्री अडानी के बारे में बोल देते। अडानी ही सब पर भारी पड़ गए। सत्ता पर अदानी भारी पड़ गए इसलिए सत्ता पक्ष के लोग एक शब्द नहीं बोल पा रहे हैं। प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे तो नितिन गडकरी के अलावा सभी ने थपथपाया।
नड्डा के बस्तर दौरे पर सीएम ने कहा चुनाव आ रहे हैं तो दौरे पर आएंगे ही। बाकी समय पर तो नहीं आएंगे। चुनाव नजदीक आ रहे तो सभी आएंगे। हम लोग उत्तर प्रदेश जाते थे तो 144 धारा लग जाता था। छत्तीसगढ़ में हम लोग नहीं लगाएंगे। नड्डा जी अपने गृह प्रदेश को नहीं बचा पाए। यहां क्या कर लेंगे पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की बात पर कहा बजट सत्र में लाएंगे।
नई दिल्ली, 11 फरवरी । टेक कंपनी याहू आमूलचूल बदलाव की योजना के तहत अपने कुल स्टाफ़ के 20 फ़ीसदी से भी ज़्यादा बड़े हिस्से की छंटनी करने जा रहा है. कंपनी में 8600 लोग काम करते हैं.
याहू अपनी एडवर्टाइजिंग यूनिट को फिर से संगठित कर रही है और इस वजह से साल के आख़िर तक इस डिपार्टमेंट के आधे से से ज़्यादा लोगों की नौकरी ख़त्म हो जाएगी.
कंपनी के पुनर्गठन का काम पहले ही शुरू हो चुका है और इसी हफ़्ते के आख़िर तक नौकरियों में छंटनी से लगभग 1000 कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं.
मांग में कमी, तेज़ मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरों से संघर्ष कर रही कंपनियों में याहू का एलान इस सिलसिले में ताज़ा घोषणा है.
कंपनी के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, "ये फ़ैसले कभी आसान नहीं होते हैं लेकिन हमारा मानना है कि लंबे समय में ऐसे बदलाव से हमारा एडवर्टाइजिंग बिजनेस मजबूत होगा और याहू अपने ग्राहकों और साझीदारों को बेहतर वैल्यू दे पाएगी."
प्राइवेट इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने साल 2021 में पांच अरब डॉलर की लागत से याहू को खरीदा था. (bbc.com/hindi)
जम्मू-कश्मीर, 11 फरवरी । भारत ने कहा है कि उसे देश में लिथियम के बड़े और बेहद महत्वपूर्ण भंडार होने का पता चला है. लिथियम एक तरह का खनिज है जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों, मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप में लगने वाली बैटरियों में किया जाता है.
गुरुवार को सरकार ने ऐलान किया कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया को जम्मू-कश्मीर में लिथियम के 59 लाख टन के विशाल भंडार का पता चला है. ये भंडार रियासी ज़िले में मिले हैं.
लिथियम के लिए भारत अब तक ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसे देशों पर निर्भर था.
लिथियम का इस्तेमाल बार-बार रीचार्ज की जा सकने वाली बैटरियों में होता है. इन बैटरियों का इस्तेमाल स्मार्टफ़ोन और लैपटॉप से लेकर इलेक्ट्रिक कारों में किया जाता है. माना जाता है कि डीज़ल और पेट्रोल गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण कम करने की दिशा में ये बेहद महत्वपूर्ण है.
जानकार मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम का विशाल भंडार मिलने से ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेदार कार्बन उत्सर्जन को कम करने की भारत की कोशिशों को बड़ा बल मिलेगा. इसकी वजह से साल 2030 तक देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण में 30 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है.
जम्मू-कश्मीर में कहां मिला लीथियम भंडार?
भारत के खनिज मंत्रालय के मुताबिक़, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने लिथियम का ये भंडार जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में सलाल हेमना ब्लॉक में ढूंढा है.
यह इलाक़ा चिनाब नदी पर बने 690 मेगावाट की क्षमता वाले सलाल पावर स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है.सलाल इलाक़े में जहां लिथियम के भंडार पाए गए हैं, उसके आसपास के इलाक़े में कोई भी रिहायशी बस्ती मौजूद नहीं है. इलाक़े के क़रीब पांच वार्ड इस भंडार के आसपास हैं.जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग के सचिव अमित शर्मा ने बीबीसी से रियासी ज़िले में पाए गए लिथियम के इन भंडारों पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने बताया, "भारत G-20 देशों की मेज़बानी कर रहा है, ऐसे समय में लिथियम के भंडार मिलना भारत के लिए सुखद संयोग है."
अमित शर्मा मानते हैं कि ये उपलब्धि एक गेमचेंजर है जो आने वाले वक़्त में देश के विकास की दिशा बदल सकती है.
वो कहते हैं, "लिथियम के भंडार मिलने से इस क्षेत्र में ग्लोबल मानचित्र पर हमारी उपस्थिति दर्ज हो गई है. अब पूरे विश्व में यह संदेश चला गया है कि देश इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन रहा है और जल्दी ही उसकी गिनती भी लिथियम निर्यात करने वाले बोलिविया, अर्जेंटीना, चिली, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों के साथ की जाने लगेगी."
अमित शर्मा इसे ग्रीन इंडिया और ईको फ्रेंडली इंडिया बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं.वो कहते हैं, "ये जम्मू-कश्मीर के लिए भी गेमचेंजर साबित होगा. उत्पादन उद्योग के लिए, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए, मोबाइल फ़ोन इंडस्ट्री के लिए भी ये गेमचेंजर हैं." बीबीसी हिंदी से फ़ोन पर बात करते हुए सलालकोट के सरपंच मोहिंदर सिंह ने बताया कि लिथियम के भंडार मिलने से पूरे इलाक़े की काया पलट सकती है और स्थानीय निवासियों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा हो सकते हैं.
मोहिंदर सिंह के अनुसार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के वैज्ञानिकों ने पिछले साल इस इलाक़े में सैंपलिंग का काम शुरू किया था.
2022 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में लिथियम के सबसे बड़े भंडार इन देशों में हैं-
- चिली - 9.2 मिलियन टन
- ऑस्ट्रेलिया - 5.7 मिलियन टन
- अर्जेन्टीना - 2.2 मिलियन टन
- चीन - 1.5 मिलियन टन
- अमेरिका - 0.9 मिलियन टन
भारत में 5.9 मिलियन टन का लिथियम रिज़र्व मिलने के बाद भारत इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर आ गया है.
2021 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में लिथियम की आपूर्ति करने वाले पांच मुख्य देश हैं-
- ऑस्ट्रेलिया - 52.0 फ़ीसदी
- चिली - 25.0 फ़ीसदी
- चीन - 13.0 फ़ीसदी
- अर्जेन्टीना - 6.0 फ़ीसदी
- ब्राज़ील - 1 फ़ीसदी
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हमने अमित शर्मा से पूछा कि अभी लिथियम के एक्सट्रैक्शन ओर उत्पादन में कितना समय लगेगा और जम्मू-कश्मीर सरकार ने इसके लिए क्या कार्य योजना तैयार की है.
उन्होंने बताया, "अभी तो ये शुरुआती चरण पर ही है. भारत सरकार ने हमें G3 स्टडी की रिपोर्ट सौंपी है. G2 एडवांस स्टडीज़ और फिर G1 स्टडी होना बाक़ी है. उसके बाद ही हम ई-ऑक्शन के बारे में बात कर सकेंगे."
अमित शर्मा ने बताया, "इसके लिए हम जल्दी ही एक समय-सारणी तैयार करेंगे और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की देखरेख में G2 और G1 स्टडीज़ करवाएंगे".अमित शर्मा के अनुसार उत्पादन शुरू होने पर कुशल, अकुशल और अर्धकुशल श्रमिकों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.उन्होंने यह भी कहा जिन राज्यों में खनिज पदार्थ मिलते हैं उनकी अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बन जाती है. अमित शर्मा ने बताया स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार का कष्ट न हो इसके लिए विशेष ध्यान रखा जायेगा.अमित शर्मा ने कहा कि, "जम्मू कश्मीर की सरकार खनिज क्षेत्रों से जुड़ी भारत सरकार की स्कीम लागू करवाने में देरी नहीं करेगी.हम सबसे पहली प्राथमिकता स्थानीय निवासियों को देंगे, उनके लिए काम के अवसर पैदा होंगे."
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- लिथियम एक हल्का खनिज होता है जिसका इस्तेमाल लिथियम आयन बैटरी में होता है.
- दुनिया में लिथियम का जितना उत्पादन होता है उसका74 फ़ीसदी बैटरियों में होता है.
- इसके अलावा सेरामिक और कांच, लुब्रिकेटिंग ग्रीस और पॉलिमर के उत्पादन में भी इसका इस्तेमाल होता है.
- उम्मीद की जा रही है कि 2030 तक लिथियम की मांग 30 लाख टन तक हो सकती है.
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कर्नाटक में भी है लिथियम का भंडार
इससे पहले साल 2021 में इसी तरह का एक लिथियम भंडार कर्नाटक में मिला था. हालांकि मात्रा के लिहाज़ से ये काफी छोटा है.
सरकार ने कहा था कि वो लिथियम जैसे दुर्लभ खनिज की आपूर्ति बढ़ाने के तरीकों पर विचार कर रही है, ताकि नई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र के विकास में तेज़ी आए. सरकार इसके लिए भारत से लेकर विदेशों तक में इसके स्रोतों की तलाश में थी.
मिंट अख़बार से बातचीत में खनिज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा था, "सरकार ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खोज अभियान तेज़ किया है."
हाल के दिनों में, ख़ासकर कोरोना महामारी के बाद भारत ही नहीं पूरी दुनिया में लिथियम की मांग बढ़ रही है. दूसरी तरफ तमाम देश जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने के लिए ग्रीन एनर्जी को अपनाने की तरफ बढ़ रहे हैं और इसमें भी लिथियम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है.
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लिथियम खनन में चीन का दबदबा
इसी साल चीन ने बोलिविया के विस्तृत खनिज भंडारों का दोहन करने के लिए उसके साथ एक अरब डॉलर का समझौता किया है. एक अनुमान के मुताबिक़ इन खादानों में 2.1 करोड़ टन लीथियम का भंडार है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार माना जा रहा है.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़ जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम करने का टार्गेट पूरा करने के लिए साल 2050 तक लिथियम जैसे खनिजों का खनन 500 फ़ीसदी तक बढ़ाना होगा.
हालांकि जानकारों का मानना है कि लिथियम के खनन की प्रक्रिया पर्यावरण के कतई अनुकूल नहीं है.
लिथियम धरती के अंदर नमकीन जलाशयों और सख्त चट्टानों से निकाला जाता है. ये ऑस्ट्रेलिया, चिली और अर्जेंटिना जैसे देशों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है.
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लिथियम के खनन के बाद इसे खनिज तेल का इस्तेमाल कर पकाया जाता है. इसकी वजह से वो जगह पूरी तरह जलकर सूख जाती है और वहां काले धब्बे बन जाते हैं. इसके अलावा इसे खदान से निकालने की प्रक्रिया में पानी का काफी इस्तेमाल होता है और वातावरण में इससे कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित होता है.
अर्जेन्टीना में लिथियम के खनन में भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल होने के कारण स्थानीय निवासी लिथियम के खनन प्रक्रिया का विरोध करते हैं.
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह की खनन गतिविधियों से प्राकृतिक संसाधन खत्म होंगे और आगे चलकर पानी के संकट से जूझना पड़ेगा. (bbc.com/hindi)
एआईसीसी की नोटिस से हैरान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 फरवरी। एआईसीसी की नोटिस पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि दो साल पहले सीएम भूपेश बघेल ने उन्हें रिटायर होने की सलाह दी थी, जिसे मान लिया था, और रिटायर हो गए। ऐसे में नोटिस क्यों दिया गया है, यह तो देखने के बाद ही पता चलेगा।
कांकेर से पांच बार के सांसद, और पूर्व केन्द्रीय मंत्री नेताम को एआईसीसी ने भानुप्रतापपुर उपचुनाव में पार्टी के खिलाफ जाकर सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम का समर्थन करने पर नोटिस जारी किया है। इससे नेताम हैरान हैं।
उन्होंने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा वो अभी गांव में हैं, और उन्हें नोटिस की कोई जानकारी नहीं है। एआईसीसी ने उन्हें नोटिस क्यों दिया है, यह तो देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। नेताम ने आगे कहा कि दो साल पहले सीएम ने उन्हें रिटायर होने के लिए कहा था, और हम रिटायर हो गए। इसके बाद भी उन्हें एआईसीसी अधिवेशन की स्वागत समिति में रखा गया, हमने तो कभी नहीं कहा था कि उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें नोटिस दे दिया है, तो अधिवेशन में कैसे जाएंगे।
बताया गया कि नेताम विधानसभा आम चुनाव में सर्वआदिवासी समाज के बैनर तले आदिवासी बाहुल्य सीट पर उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस के कई बड़े नेता इससे नुकसान की आशंका को देखकर उन्हें पार्टी से अलग नहीं करने के पक्ष में है। प्रदेश प्रभारी सुश्री शैलजा की नेताम से चर्चा भी हुई थी। इन सबके बीच नोटिस थमाने के मायने तलाशे जा रहे हैं।
3 नाजुक, आरोपी से पूछताछ जारी
8 साल का बेटा देखता रहा खून खराबा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 11 फरवरी। खुर्सीपार थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक पिता ने अपनी पत्नी एवं तीन बेटियों पर तलवार से हमला कर दिया। इस हमले में मंझली बेटी की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य को गंभीर अवस्था में पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया है। घटना के समय घर में 8 वर्षीय बेटा भी था। पिता ने उसके ऊपर कोई हमला नहीं किया। वह काफी डरा हुआ है।
दुर्ग पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि खुर्सीपार श्रमिक क्षेत्र में केएलसी मोहल्ले में अमरदेव राय अपनी तीन बेटी एवं पत्नी के साथ रहता है। बीती देर रात्रि पारिवारिक विवाद के चलते अमर और उसकी पत्नी में विवाद हुआ। बेटियां भी विवाद के समय घर पर ही थीं और उन्होंने भी पिता से बहस की। बहस बढ़ती गई और इस बीच अमर ने पहले लाठी से मारपीट शुरू की। कुछ देर बाद उसने कमरे में रखी तलवार से पत्नी और बेटियों पर हमला कर दिया।
रात में सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को गिरफ्तार कर थाना लाई। घायलों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया है। आरोपी की घायल पत्नी और दो बेटियां हास्पिटल में भर्ती हैं जबकि मंझली बेटी को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया है।
पति पत्नी और बेटी में इतना बड़ा झगड़ा किस बात को लेकर हुआ कि पति को जानलेवा हमला करना पड़ा, इसका पता फिलहाल नहीं चल पाया है। पुलिस पड़ोसियों और आरोपी पति से पूछताछ कर रही है।
प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि घरेलू विवाद को लेकर झगड़ा हुआ था और देखते देखते काफी बढ़ गया। पुलिस ने पूरे घर को सील कर दिया है। फोरेंसिक टीम को बुलाया गया है।
मौके पर खुद दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव और एएसपी और सीएसपी छावनी पहुंचे हैं। उनके द्वारा मामले की जांच की जा रही है। इस जानलेवा हमले में अमर देव राय की 18 वर्षीय मंझली बेटी की मौत हो गई है, जबकि पत्नी और बाकी दो बेटी की भी हालत नाजुक बताई गई है।
सीएसपी प्रभात कुमार ने बताया कि आरोपी की घायल पत्नी देवंती राय (40 वर्ष), वंदना सिंह पति अभिषेक सिंह (20 वर्ष) (बड़ी बेटी), प्रीति राय (17 वर्ष) को अस्पताल में उपचारार्थ भर्ती कराया गया है जबकि मंझली बेटी ज्योति राय (18 वर्ष) की मौत हो गई है। अमर देव राय ट्रेलर चलाता है। वो शुक्रवार रात अपने घर पहुंचा था। इसके बाद रात से ही उनके घर में झगड़ा हो रहा था।
देर रात लगभग 3.30 बजे के करीब अचानक घर से चीखने की आवाज आने लगी। चीखें सुनकर पड़ोस में रहने वाली एक लडक़ी उनके घर पहुंची तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। जब पड़ोसी पिछले दरवाजे के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि अमर देव राय वहां से भाग रहा था। उसके पीछे खून से लथपथ दो बेटियां निकलीं और उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि अंदर मां और बहन हैं, उन्हें बचाओ। इसके बाद दोनों वहीं गिरकर बेहोश हो गईं। पड़ोसी तुरंत वहां गए और पुलिस को फोन किया। सूचना मिलते ही खुर्सीपार पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस ने देखा कि एक लडक़ी की मौत हो गई है, वहीं तीन की हालत गंभीर है। इसके बाद तीनों को शंकरा मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के समय घर में 8 वर्षीय बेटा अभिषेक राय भी था। पिता ने उसके ऊपर कोई हमला नहीं किया। वो पूरी तरह से सुरक्षित है। वो काफी डरा हुआ है। उसने बस इतना बताया है कि पापा ने मां और दीदी को तलवार से मारा है। पुलिस का कहना है कि बेटे की मानसिक स्थिति स्थिर होने पर उससे पूछताछ की जाएगी।
नई दिल्ली, 11 फरवरी । केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के इरादे से थोक विक्रेताओं को बेचे जाने वाले गेहूं की क़ीमत शुक्रवार को घटाने का फ़ैसला लिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सरकार ने ढुलाई पर आने वाला ख़र्च माफ़ करते हुए केवल 2,350 रुपए के रिज़र्व मूल्य पर गेहूं बेचने का निर्णय लिया है. गेहूं की ये बिक्री पूरे देश में ई-नीलामी के ज़रिए होगी.
सरकार ने साथ ही नाफ़ेड, नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (NCCF) और केंद्रीय भंडार को बेचे जाने वाले एफ़सीआई के गेहूं की क़ीमत दो रुपये घटा दी है. अब यह गेहूं 23.5 रुपए की जगह 21.5 रुपये में बेचा जाएगा.
ये संस्थान इस गेहूं को आटा बनाकर खुले बाज़ार में बेचते हैं. सरकार के अनुसार, इस आटे की क़ीमत 29.5 रुपए के बजाय 27.5 रुपये होगी.
इससे पहले, सरकार ने पिछले महीने एलान किया था कि गेहूं और आटे के दाम पर लगाम लगाने के इरादे से वो अपने बफ़र स्टॉक से 'खुले बाज़ार में बिक्री की योजना (OMSS)' के तहत 30 लाख टन गेहूं खुले बाज़ार में उतारेगी. (bbc.com/hindi)
बेंगलुरु, 11 फरवरी। बेंगलुरु में 13 फरवरी से शुरू होने जा रहे ‘एयरो इंडिया शो’ के दौरान लोगों को हवाई प्रदर्शन और करतब देखने को मिलेंगे।
‘एयरो इंडिया’ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 109 विदेशियों समेत 807 प्रदर्शकों ने येलहंका में वायुसेना स्टेशन पर आयोजित होने वाले ‘एयरो इंडिया शो’ में भाग लेने की पुष्टि की है।
रक्षा अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को शो का उद्घाटन करेंगे। शो के दौरान कई लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर प्रदर्शन करेंगे।
‘एयरो इंडिया शो’ में एक भारतीय मंडप होगा, जो इस क्षेत्र में भारत के विकास को प्रदर्शित करेगा।
भारत का हल्का लड़ाकू विमान तेजस भारतीय मंडप में आकर्षण का केंद्र होगा।
शो के दौरान हवाई करतबों के अलावा बैठकें और सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे। (भाषा)
अहमदाबाद, 11 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि फिजियोथेरेपी की तरह देश के विकास के लिए भी निरंतरता और दृढ़ संकल्प जरूरी है।
मोदी ने यहां ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट’ (आईएपी) के 60वें राष्ट्रीय सम्मेलन को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘फिजियोथेरेपी की तरह देश के विकास के लिए भी निरंतरता और दृढ़ संकल्प जरूरी है। फिजियोथेरेपिस्ट को लोगों को सही व्यायाम, सही मुद्रा और स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए सही चीजों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें भी कभी-कभी फिजियोथेरेपिस्ट की मदद की जरूरत पड़ती है, लेकिन उन्होंने इसे योग के साथ जोड़ने का सुझाव दिया।
दो दिवसीय 60वां राष्ट्रीय आईएपी सम्मेलन 16 वर्ष के अंतराल के बाद गुजरात में आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान भारत और विदेशों के विशेषज्ञ इस क्षेत्र में प्रगति पर विचार-विमर्श करेंगे।
सम्मेलन का एक आकर्षण चिकित्सकों के लिए पहली बार ‘वैज्ञानिक प्रस्तुतियां’ (पत्र और पोस्टर प्रस्तुतियां) हैं। (भाषा)
हैदराबाद, 11 फरवरी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को यहां कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं, पूर्वोत्तर में उग्रवाद और वामपंथी नक्सलवाद को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल रही है।
शाह ने यहां सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 74वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों की दीक्षांत परेड को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार की एजेंसियों के नेतृत्व में पूरे देश में पुलिस बलों ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) जैसे संगठन के खिलाफ एक ही दिन में एक सफल अभियान संचालित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार आठ साल बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं, पूर्वोत्तर में उग्रवाद और वामपंथी नक्सलवाद को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हाल में ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ पर प्रतिबंध लगाकर हमने दुनिया के सामने एक सफल उदाहरण पेश किया है।’’
शाह ने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कितनी मजबूत हुई है।’’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति, आतंकवाद विरोधी कानूनों के लिए मजबूत ढांचे, एजेंसियों को मजबूत किए जाने और दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण आतंकवाद संबंधी घटनाओं में कमी आई है।
शाह ने कहा कि पिछले सात दशकों के दौरान देश ने आंतरिक सुरक्षा में कई उतार-चढ़ाव और कई चुनौतीपूर्ण समय देखे हैं।
उन्होंने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय में 36,000 से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
दीक्षांत परेड में 166 आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी प्रशिक्षुओं और विदेशों से 29 अधिकारी प्रशिक्षुओं सहित कुल 195 अधिकारी प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 फरवरी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फाइलेरिया रोग से निपटने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान शुरू किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
इस अभियान के तहत लोगों के घर-घर जाकर उन्हें फाइलेरिया रोधी दवा दी जाएगी। यह अभियान विशेष रूप से 10 प्रभावित राज्यों में चलाया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में फाइलेरिया से सर्वाधिक प्रभावित जिलों ने संयुक्त रूप से यह अभियान शुरू किया।
वैश्विक लक्ष्य से तीन साल पहले 2027 तक फाइलेरिया को खत्म करने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से समर्थन मिलने के एक महीने बाद यह अभियान शुरू किया गया।
भारत ने लसीका फाइलेरिया (एलएफ) को खत्म करने के प्रयासों को तेज कर दिया है, जो कि मच्छर-जनित बीमारी है। इसके कारण मरीज शारीरिक रूप से अक्षम भी हो सकता है।
भारत सरकार ने एलएफ के उन्मूलन के लिए पहले से ही नए सिरे से पांच-स्तरीय रणनीति शुरू की है।
इस अभियान की शुरुआत करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ‘‘ एलएफ से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है।’’ (भाषा)
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली के एक स्कूल में एक नाबालिग छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न पर सरकार से जवाब मांगा है.
पीड़िता ने स्कूल के एक खेल शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
एनएचआरसी ने बताया है कि दिल्ली नगर निगम संचालित पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल में एक नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न की सूचना पर दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया गया है.
दोनों अधिकारियों से चार हफ़्ते के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है.
आयोग की वेबसाइट के अनुसार गुरुवार को मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेकर यह क़दम उठाया है.
एनएचआरसी के अनुसार, पूर्वी दिल्ली के एक एमसीडी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ स्कूल के एक खेल शिक्षक ने कथित तौर पर बलात्कार करने की कोशिश की.
आयोग ने कहा है कि यदि यह ख़बर सही है तो यह पीड़िता के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला है.
एनएचआरसी ने कहा है कि पेश की जाने वाली रिपोर्ट में घटना के लिए ज़िम्मेदार शिक्षक के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई, जांच की मौजूदा स्थिति और पीड़िता को दी गई मदद और काउंसलिंग की जानकारी दी जाए. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 11 फरवरी। स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में पिछले साल तबादले हुए थे। तबादले में कई शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का प्रशासनिक तबादला हुआ था।
प्रशासनिक तबादलों को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। तबादलों को चुनौती देने के बाद कमेटी ने अनुशंसा कर दी है। कइयों का तबादला निरस्त किया गया है, तो कइयों के ट्रांसफर को यथावत रखा गया है। कमेटी की अनुशंसा पर कार्रवाई करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखा है.