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नयी दिल्ली, 11 मई। कांग्रेस ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया कि उसने प्रधानमंत्री के “करीबियों” के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि चुने हुए नेताओं को मनगढ़ंत मामलों में जेल में डाला जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में आरोप लगाया था कि कांग्रेस को "अडाणी और अंबानी" से "टेंपो में भरकर पैसा" मिल रहा है, जिसका जिक्र करते हुए पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने ईडी से सवाल किया।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “दो मौजूदा मुख्यमंत्रियों, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने मनगढ़ंत मामलों में जेल में डाल दिया। इस बीच, प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में अपने एक भाषण में खुलेआम कहा है कि अडाणी और अंबानी के पास काला धन भरा हुआ है। ऐसे में ईडी कुम्भकर्ण की नींद क्यों सो रही है?”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के करीबियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि जनता द्वारा चुने गए नेताओं को जेल में डाला जा रहा है?”
सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए एक जून तक की अंतरिम जमानत दी।
झारखंड के चतरा में मोदी की चुनावी रैली के दिन रमेश ने सरकार पर रेलवे कनेक्टिविटी की मांग पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि चतरा-गया रेल परियोजना पर कोई प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने भाजपा पर आदिवासियों के अधिकारों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पारित किया था, जिसके बाद से आदिवासियों का वर्षों का संघर्ष समाप्त हुआ था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। पिछले साल, जब प्रधानमंत्री मोदी ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पेश किया, तो इस सारी प्रगति पर पानी फिर गया।” (भाषा)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। एमएमए इंडिया चैम्पियनशिप का आज चौथे में सब जूनियर का यूथ फाइनल आज हुआ। इसमे ओवर ऑल इंडिया चैम्पियनशिप में 10 गोल्ड मैडल जीत कर महाराष्ट्र के बच्चो ने पहला स्थान प्राप्त किया है। वहीं दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ के बच्चों ने 8 गोल्ड मैडल जीते। और तीसरे स्थान पर 7 गोल्ड मैडल जीत कर जम्मूकश्मीर की टीम रही है।
इन सभी विजेता खिलाड़ियों को मैडल सर्टिफिकेट देकर उनका सम्मान किया गया। एमएमए का सेमीफाइनल फाइनल मैच में सीनियर टीम से 16 महिला खिलाड़ी और 34 पुरूष पहुंचे। इनके मैच कल खेले जाएंगे एमएमए इंडिया के सभी बोर्ड के सदस्य, ऑफिसियल, और नेशनल इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में भारत का नाम रौशन करने वाले महिला-पुरूष खिलाड़ियों को भी मंच में मैडल सर्टिफिकेट एवं किट देकर उन्हें सम्मानित किया गया। कल 12 शाम 4 बजे समापन के अवसर पर कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की गरिमामयी उपस्थित रहेगी।
नक्सलवाद के खिलाफ हमारी सरकार मजबूती से लड़ाई लड़ रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज ओडिशा में दो बड़ी जनसभाओं को संबोधित कर रायपुर लौटे। हेलीपेड पर उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
अरविंद केजरीवाल द्वारा भाजपा नेताओं के कैरियर को लेकर दिए बयान पर सीएम साय ने कहा कि वो लोग अपना घर पहले देखें, हमारा घर बिल्कुल मजबूत है, हमारी चिंता बिल्कुल न करें।
नक्सलवाद पर सीएम ने कहा कि हम जब से सरकार में है मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। कल 12 नक्सली मारे गए हैं, मेरी जानकारी के अनुसार आज भी एक नक्सली मारा गया है। 29 नक्सली भी एक दिन में मारे हैं। आगे भी मजबूती से लड़ेंगे, या तो वो आत्मसमर्पण कर दें और विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उनका तीसरी बार ओडिशा का दौरा था। उन्होंने बताया कि कालाहांडी लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभाओं नुआपारा और जूनागढ़ में लोकसभा प्रत्याशी मालविका देवी और दोनों विधानसभा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। दोनों सभा बहुत सफल रही, इतनी गर्मी के बावजूद भी भारी संख्या में वहां पर मतदाता आए। इस बार उड़ीसा में भी परिवर्तन दिख रहा है, लोगों को हम बता रहे हैं कि मजबूत सरकार और मजबूत प्रधानमंत्री बनाने से बहुत फायदे मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले बात-बात में जो पाकिस्तान गीदड़ भभकी दिखाता था, दो बार के सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद उसको अपना औकात पता चल गया। साथ ही हम जनता को बता रहे हैं कि डबल इंजन की सरकार से उसका क्या लाभ होता है। छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है तो 3 महीने में ही मोदी की गारंटी के बहुत सारे काम कर दिए गए हैं और उनसे भी आग्रह कर रहे हैं कि आप भी डबल इंजन की सरकार बनाएं।
ओडिशा में भी निश्चित रूप से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी और अधिकांश लोकसभा की सीटें भी भारतीय जनता पार्टी जीत रही है।
छत्तीसगढ़ पर भ्रष्टाचार एवं घोटालों पर हो रही जांच के सवाल पर पर श्री साय ने कहा कि जो भी विभिन्न घोटाले में संलग्न है, जांच एजेंसियां जांच कर रही है और जो दोषी पाए जा रहे हैं उन पर कार्रवाई भी हो रही है।
नयी दिल्ली, 11 मई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सह-संस्थापक अब्दुल सुभान कुरैशी को एक एक मामले में जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने उसके जेल में पांच साल बिताने पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि जमानत की शर्तों पर फैसला निचली अदालत करेगी।
पीठ ने कहा, ''यदि निचली अदालत द्वारा तय की गई किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है या अपीलकर्ता (कुरैशी) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी गवाह को धमकाने या प्रभावित करने का प्रयास करता है या मुकदमे में देरी करने का प्रयास करता है, तो अभियोजन पक्ष जमानत रद्द कराने की अपील करने के लिए स्वतंत्र है।''
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली कुरैशी की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है। दरअसल, निचली अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में कुरैशी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
सुभान कुरैशी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के तहत जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि एक विचाराधीन कैदी (यूटीपी) को निजी मुचलके पर अधिकतम संभावित सजा की आधी से अधिक सजा काटने पर जमानत मांगने का अधिकार है।
कुरैशी के वकील प्रशांत प्रकाश और कौसर खान ने अदालत से उसे लंबे समय तक विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में रहने के आधार पर जमानत देने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि वह मुकदमे के इंतजार में लगभग पांच साल से हिरासत में है, जो इस अपराध के लिये निर्धारित सजा का आधा हिस्सा है। कुरैशी को जिस अपराध के लिये जेल में रखा गया है, उसके लिये अधिकतम कारावास की सजा सात साल है।
वकीलों ने अदालत को बताया कि कथित अपराधों के लिए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (अपराध के लिए सजा), 120बी (आपराधिक साजिश) और यूएपीए की धारा 10 (प्रतिबंधित संघ का सदस्य होने के लिए जुर्माना) और धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत आरोप तय किए जा चुके हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कुरैशी इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सक्रिय सदस्य रहा।
अभियोजन पक्ष का कहना था कि 27 सितंबर 2001 को केंद्र सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया था और उसी रात दिल्ली पुलिस को जाकिर नगर में संगठन द्वारा संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने की जानकारी मिली थी। उसने कहा कि जाकिर नगर में सिमी के कार्यालय पर छापा मारा गया, जहां संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था और संगठन के सदस्य भारत सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
उसने बताया कि पुलिस ने वहां छापेमारी कर संगठन के कुछ सदस्यों को मौके से गिरफ्तार कर लिया, जबकि कुरैशी समेत कुछ अन्य लोग वहां से भाग गए। इस दौरान पुलिस ने वहां से कुछ आपत्तिजनक सामान भी बरामद किये।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कुरैशी को एक जून, 2019 को गिरफ्तार किया था।
अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी को पहले ही भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया था और एक अन्य मामले में पकड़े जाने के बाद ही उसे इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने कहा कि महज इसलिए कि आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, इसे सीआरपीसी की धारा 436-ए के तहत प्रदान की गई राहत को अस्वीकार करने का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता है। (भाषा)
कोलकाता, 11 मई । वकील प्रशांत भूषण ने चुनावी बॉण्ड को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर शीघ्र सुनवाई शुरू करेगा जिसमें कॉरपोरेट संस्थाओं और राजनीतिक दलों के बीच ‘‘लाभ लेकर फायदा पहुंचाने’’ की कथित व्यवस्था की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।
भूषण ने ‘कोलकाता प्रेस क्लब’ में कहा, ‘‘शीर्ष अदालत में दायर की गई उस याचिका पर जल्द सुनवाई शुरू होगी जिसमें एसआईटी गठित करने का अनुरोध किया गया है। उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक निष्पक्ष एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए। एसआईटी में सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे भी इस मामले में आरोपी हैं।’’
भूषण ने कहा कि जांच से पता चलेगा कि ‘‘चुनावी बॉण्ड घोटाले’’ में कौन शामिल था और राजनीतिक दलों से पैसा कैसे वसूला जा सकता है। (भाषा)
इस्लामाबाद, 11 मई। अफगानिस्तान में हुई भारी मौसमी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ के चलते 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 1,000 से अधिक घर नष्ट हो गए। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा कि वह पिछले कुछ हफ्तों में अफगानिस्तान में आई बाढ़ पीड़ितों को खाद्य सामग्री वितरित कर रहा है। ज्यादातर पीड़ित उत्तरी प्रांत बगलान में हैं, जहां शुक्रवार को बाढ़ आई है।
पड़ोसी तखर प्रांत में, सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया संस्थानों ने बाढ़ से कम से कम 20 लोगों की मौत होने की खबर दी है।
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “इस विनाशकारी बाढ़ में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और काफी संख्या में लोग घायल हुए हैं।”
मुजाहिद ने बदख्शां, बगलान, घोर और हेरात प्रांतों को सबसे ज्यादा प्रभावित बताया। उन्होंने कहा कि “व्यापक तबाही” के परिणामस्वरूप “काफी वित्तीय नुकसान” हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को बचाने, घायलों को उपचार के लिए ले जाने और शवों को निकालने के लिए सभी उपलब्ध संसाधन जुटाने का आदेश दिया है।
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि देश की वायुसेना ने पहले ही बगलान में लोगों को निकालना शुरू कर दिया है और बड़ी संख्या में बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बचाया है और 100 घायलों को क्षेत्र के सैन्य अस्पतालों में पहुंचाया है। (एपी)
नयी दिल्ली/रांची, 11 मई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि इसने कथित तौर पर भूमि कब्जा करने से जुड़े धन शोधन मामले के सिलसिले में तीन और गिरफ्तारियां की हैं।
मामले में ईडी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था।
ईडी के अनुसार, धन शोधन (निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत नौ मई को संजीत कुमार, मोहम्मद इरशाद और तापस घोष को हिरासत में लिया गया था।
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘‘इन व्यक्तियों को छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत निर्धारित गैर-बिक्री योग्य भूमि के उपयोग की प्रकृति में बदलाव के लिए भू अभिलेखों की जालसाजी, उनमें छेड़छाड़ करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है।’’
बयान में कहा गया है कि इस अधिनियम का उद्देश्य आदिवासी और हाशिये पर मौजूद समुदायों के भू अधिकारों की रक्षा करना है।
बयान के अनुसार, कुमार और घोष कोलकाता के ‘रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस’ में संविदा कर्मचारी के रूप में काम करते हैं।
सोरेन सहित, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी छवि रंजन, राजस्व विभाग के पूर्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और अन्य को ईडी ने अपनी जांच के तहत गिरफ्तार किया है।
ईडी ने आरोप लगाया कि जांच में पाया गया कि उपरोक्त आरोपी व्यक्तियों द्वारा फर्जीवाड़ा और जालसाजी के जरिये हासिल की गई भूमि हेमंत सोरेन के अवैध कब्जे में है।
रांची में सोरेन द्वारा अवैध रूप से हासिल कुछ भूखंडों सहित 266 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन एजेंसी ने अब तक कुर्क की है, जबकि उसके द्वारा 64 तलाशी और सर्वेक्षण किये जाने के बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया।
ईडी ने दावा किया, ‘‘एक भूमि माफिया गिरोह झारखंड में सक्रिय है जो रांची और कोलकाता में भू अभिलेखों में छेड़छाड़ करने में संलिप्त है।’’
इसने कहा कि फर्जी भू अभिलेख के आधार पर इस तरह के भूखंड अन्य लोगों को बेच दिये गए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता सोरेन (48) ने यह कहते हुए भूमि कब्जा करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है कि उनके खिलाफ धन शोधन मामला राजनीतिक प्रतिशोध के तहत भाजपा नीत केंद्र सरकार की साजिश है।
झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें 31 जनवरी को रांची स्थित राजभवन से ईडी ने गिरफ्तार किया था। (भाषा)
राघवेंद्र राव
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद बनी थीं. भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर उन्हें इस सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया है.
हालांकि पार्टी ने इस बार मेनका गांधी के बेटे और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया है. उनकी जगह पार्टी ने कांग्रेस से बीजेपी में आए और योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को यहां से उतारा है.
बीबीसी से खास बातचीत में मेनका गांधी ने अपनी राजनीतिक यात्रा, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से लेकर वरुण गांधी के टिकट कटने पर बात की.
मेनका गांधी ने कहा कि वरुण गांधी काबिल इंसान हैं और अगर उनमें दम होगा तो वे बहुत आगे जाएंगे.
उन्होंने कहा कि वरुण गांधी को टिकट न मिलने पर वे खुश नहीं थीं लेकिन यह एक चुनाव ही है. वह 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे और तब से लाखों लोगों का दिल जीतते हुए आ रहे हैं.
मेनका ने कहा, "उनकी काबिलियत लिखने, प्रचार करने के अलावा कई चीज़ों में है. उन्होंने अर्थव्यवस्था पर दो बेस्ट सेलर किताबें लिखी हैं. वह कविता भी लिखते हैं. वह बहुत आगे जाएंगे."
वरुण गांधी अक्सर कई मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया पर अपने विचार खुलकर रखते हैं. कई बार वे अपनी ही पार्टी और बिना नाम लिए पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को घेर चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर जब मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीते मरने लगे तो वरुण गांधी ने कहा था, "विदेशी जानवरों की यह लापरवाह खोज तुरंत समाप्त होनी चाहिए."
जब मेनका गांधी से वरुण गांधी और बीजेपी के बीच जारी रस्साकशी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उसने (वरुण) ने जो कुछ भी लिखा, जो भी पढ़ा, वह मुद्दो पर था."
मेनका गांधी ने कहा कि जब वह वरुण गांधी से मिलती हैं, तो राजनीति की जगह परिवार और अपनी पोती के बारे में बात करती हैं, क्योंकि राजनीति के अलावा एक बहुत बड़ी जिंदगी हैं.
फिलहाल मेनका गांधी अकेले सुल्तानपुर में प्रचार करते हुए दिखाई दे रही हैं.
वरुण गांधी की चुनाव प्रचार में गैर मौजदूगी से जुड़ा सवाल जब मेनका गांधी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "वरुण आना चाहता है, लेकिन इस वक्त ज़रूरत नहीं है, हालांकि मैं चाहती हूं कि यहां पूरा परिवार रहे. हम लोग काफी व्यस्त हैं. इस वक्त चुनाव प्रचार अच्छा चल रहा है. फिलहाल सोने पर सुहागे की ज़रूरत नहीं है. मुझे लगा तो मैं जरूर वरुण को बुलाऊंगी."
मेनका गांधी ने कहा कि भले वरुण गांधी का टिकट कट गया हो लेकिन अगर वह मेरा चुनाव प्रचार करने के लिए सुल्तानपुर आते हैं तो इससे कोई विरोधाभास पैदा नहीं होगा बल्कि इससे उन्हें लाभ मिलेगा.
टिकट कटने के बाद ये कयास लगाए गए कि वरुण गांधी निर्दलीय या फिर वे कांग्रेस का हाथ पकड़ सकते हैं.
इसपर मेनका गांधी ने कहा, "ये सारे कयास मीडिया लगाती है. सुल्तानपुर में चाय की दुकान पर बैठकर हर घंटे लोग सरकारें गिराते और बनाते हैं, यही हाल अखबारों का है, लेकिन बदलाव तो कुछ नहीं हुआ. वरुण अभी भी वहीं हैं, जहां वह पहले थे."
राहुल गांधी, प्रियंका पर क्या कहा?
उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार से जुड़ी तीन सीटें हमेशा से सुर्खियों में रही हैं. इसमें रायबरेली, अमेठी और पीलीभीत शामिल है.
इस बार कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया है. साल 2019 में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने उन्हें अमेठी सीट पर हरा दिया था.
राहुल गांधी के अमेठी की जगह रायबरेली जाने पर मेनका गांधी ने कोई टिप्पणी नहीं की.
जब मेनका गांधी से पूछा गया कि वह राहुल गांधी की यात्रा को कैसे देखती हैं? तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि वो इवॉल्व हुए हैं. सिर्फ पदयात्रा करने से कोई इवॉल्व नहीं होता. मुद्दे उठाना, गहराई से स्टडी करना, नेतृत्व देना और बहादुरी दिखाना ये चाहिए होता है."
जब यही सवाल प्रियंका गांधी को लेकर किया तो उन्होंने कहा कि राहुल को लेकर कही गई मेरी सभी बातें प्रियंका गांधी पर भी लागू होती हैं. यानी राहुल की तरह प्रियंका गांधी भी खुद को इवॉल्व नहीं कर पाई हैं.
इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने 400 पार का नारा दिया है. क्या वाकई बीजेपी इस आंकड़े को पार कर लेगी?
इस सवाल के जवाब में मेनका गांधी ने कहा, "चुनाव के समय मुझे सिर्फ सुल्तानपुर दिखाई देता है. अगल-बगल और यहां तक की देश भी बाद में दिखाई देता है. पहले सुल्तानपुर की मुसीबतें और लोगों की ख्वाहिशें दिखती हैं. अगर उन्होंने (पीएम मोदी) 400 का नारा दिया है तो हो ही जाएगा या उसके नज़दीक रहेगा."
सैम पित्रोदा पर क्या कहा?
हाल ही में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने अमेरिका के इनहेरिटेंस (विरासत) टैक्स की वकालत की थी.
उन्होंने कहा था, "अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है. इसका मतलब है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद बच्चों को केवल 45 फ़ीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाकी 55 फ़ीसदी सरकार ले लेगी."
"ये काफ़ी दिलचस्प क़ानून है. ये कहता है कि आप अपने दौर में संपत्ति जुटाओ और अब जब आप जा रहे हैं, तो आपको अपनी धन-संपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी, सारी नहीं लेकिन उसकी आधी, जो मेरी नज़र में अच्छा है."
पित्रोदा के बयान को पीएम मोदी ने चुनावी मुद्दा बना दिया. एक चुनावी सभा में उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते कहा, "जब तक आप जीवित रहेंगे, तब तक कांग्रेस आपको ज्यादा टैक्स से मारेगी और जब जीवित नहीं रहेंगे, तब आप पर इनहेरिटेंस टैक्स का बोझ लाद देगी."
पीएम मोदी ने कहा, "अब कांग्रेस का कहना है कि वो इनहेरिटेंस टैक्स लगाएगी, माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी. आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी. कांग्रेस का पंजा वो भी आपसे लूट लेगा. कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट... जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी."
बीजेपी के हाई पिच कैंपेन और पीएम मोदी के बयानों में मुसलमान, घुसपैठिए और मंगलसूत्र जैसे शब्दों के ज़िक्र को लेकर जब मेनका गांधी से सवाल किया गया तो वे इससे बचती हुई दिखाई दी और उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा को यह बयान नहीं देना चाहिए था.
मेनका गांधी ने कहा, "मुझे लगता है कि पित्रोदा को इस वक्त ये नहीं बोलना चाहिए. व्यक्तिगत तौर पर मुझे राजनीतिक चीज़ से मतलब नहीं है. किसने क्या बोला, किसने क्या जवाब दिया. इनहेरिटेंस टैक्स हिंदुस्तान के लिए नहीं चलेगा. मैं निजी तौर पर उसके ख़िलाफ़ हूं. हमारे यहां ज्वॉइंट फैमिली है या परिवारों के बीच रिश्ते इतने मज़बूत हैं, जो जिंदगी भर पैसा कमाता है वो बच्चों के लिए करता है, फिर उसको आधा सरकार को देना पड़े, तो फिर उसने क्यों कमाया."
उन्होंने कहा, "लोग विदेश में बैठे हैं, वे कुछ भी, कभी भी बोले, अपनी अक्ल छांटे लेकिन इसका गलत असर पार्टी पर पड़ता है. मुझे लगता है कि पित्रोदा को बोलना ही नहीं चाहिए था."
ध्रुवीकरण के आरोप
लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी से लेकर कई बीजेपी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रहे हैं.
एक चुनावी सभा में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी दलितों और पिछड़ों का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देना चाहती है.
चुनाव में बीजेपी के ध्रुवीकरण को बढ़ाने के आरोप पर मेनका गांधी ने कहा, "आप मेरे बारे में बता कर लें. हम लोग यहां (सुल्तानपुर) नहीं करते हैं. आप गांव में जाइये, कोई भी कौम हो. आपको ये आरोप सुनाई नहीं देगा."
अपने एक पुराने बयान पर भी उन्होंने सफाई दी, जो उन्होंने साल 2019 में दिया था. तब उनके बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसमें मेनका अपनी ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा था कि जीत के बाद अगर मुसलमान उनके पास काम करवाने आता है तो उन्हें इस बारे में सोचना होगा.
इस पर सफ़ाई देते हुए कहा कि वे बिना जात या धर्म देखे बिना लोगों के काम करती हैं, लेकिन अगर चुनाव में व्यक्ति को याद आए कि वह कौन है, तो बुरा लगता है. ऐसे में मैं सोचती हूं कि मैं काम क्यों करती हूं.
उन्होंने कहा, "पांच साल में हर जाति, कौम का व्यक्ति आया. हजारों लोगों की मदद हुई. हम फिर कोशिश कर रहे हैं कि मुद्दे जाति-धर्म के ना हों, ये मुद्दे तरक्की के हों, अभी भी मैं वही कह रही हूं कि खुशी से आइये, मेरा घर, मेरा दिल खुला है सबके लिए. यही मेरा मतलब तब था, यही अब भी है." (bbc.com/hindi)
एक महिला सरपंच का पति से झगड़ा हुआ तो गुस्से में वह बेटे-बेटी के साथ घर छोडक़र मायके जाने निकल गई। रास्ते में अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया पड़ा, और वहां यह महिला बच्ची को पहाड़ी पर छोडक़र आ गई। उससे पड़ोसियों को जानकारी मिली, फिर पति साथियों सहित जंगल में बच्ची को ढूंढने निकला, और तीन दिन बाद यह बच्ची भूख और प्यास से मरी हुई मिली। छत्तीसगढ़ का यह मामला देश भर में शादीशुदा जोड़ों के बीच चल रही तनातनी, और उससे उपजी हिंसा के अनगिनत मामलों में से एक है। हर दिन कई ऐसे मामले हो रहे हैं जिनमें महिला बच्चों सहित खुदकुशी कर रही है। पिता के साथ ऐसे तनाव की नौबत आती है तो वह पूरे परिवार को मारकर मरता है, लेकिन महिला के दिमाग में शायद यह बात रहती है कि उसके छोडक़र जाने के बाद बच्चों का जितना बुरा हाल होगा उससे बेहतर तो बच्चों को मारकर फिर खुद मरना है। लेकिन पारिवारिक हिंसा इतनी अधिक गंभीर होने पर भी परिवार के बाकी लोग, पड़ोसी, और यार-दोस्त बीच-बचाव करके हिंसा की नौबत आने से रोक क्यों नहीं पाते? क्या लोगों की पारिवारिक और सामाजिक जवाबदेही पुराने जमाने के मुकाबले अब कमजोर हो गई है, और अब लोग अधिक आत्मकेन्द्रित हो गए हैं? एक महिला सरपंच तो एक आम महिला के मुकाबले अधिक ताकतवर होनी चाहिए थी, लेकिन उसका निर्वाचित सरपंच होना, राजनीतिक ताकत, इन सबका कोई इस्तेमाल नहीं हो पाया, और तनाव के बीच वह पति को छोडक़र निकल जाने के बजाय बेटी को जंगल में छोडक़र आ गई। होना तो यह चाहिए था कि अगर पति के साथ रहना मुमकिन नहीं था, तो एक महिला सरपंच बच्चों के साथ अलग भी रह सकती थी।
भारत में तलाक के मामले तो पश्चिमी देशों के मुकाबले कम दिखते हैं, लेकिन पारिवारिक हिंसा वहां के मुकाबले बहुत अधिक है। पहले तो सिर्फ महिलाएं ही परिवार में हिंसा की शिकार होती थीं, लेकिन अब कई मामलों में यह भी सुनाई देता है कि कोई पत्नी भी पति को खत्म कर रही है, खुद अकेले, या किसी प्रेमी के साथ मिलकर। यह पहले के मुकाबले कुछ नई और अनोखी बात है। लेकिन चाहे जिस किस्म की हो, पारिवारिक हिंसा पूरे परिवार को खत्म कर देती है, किसी का कत्ल हो जाता है, और कोई उम्रकैद के लिए जेल चले जाते हैं। ऐसी किसी भी नौबत में बच्चे सबसे अधिक तकलीफ पाते हैं, और बाकी रिश्तेदारों या पड़ोसियों, या सरकारी इंतजाम में उनकी जिंदगी तबाह हो जाना तय सरीखा रहता है।
ऐसी पारिवारिक हिंसा को रोकने के लिए कोई नाटकीय कार्रवाई नहीं हो सकती, लेकिन जैसे-जैसे भारत में महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, समाज में बिना पति रहने वाली महिला के लिए कामकाजी हॉस्टल सरीखा सुरक्षित इंतजाम रहेगा, वैसे-वैसे हिंसा की नौबत आने के पहले महिला अलग हो सकेगी। आज भी कुछ गिनी-चुनी घटनाओं को अगर छोड़ दें, तो पारिवारिक हिंसा में आमतौर पर महिलाएं ही हिंसा की शिकार होती हैं। इसलिए उनकी आत्मनिर्भरता उन्हें परिवार के भीतर बेहतर सम्मान और जगह दिला सकती है, साथ ही समाज में अपने दम पर कमाने-खाने, और सुरक्षित रहने की संभावना भी दिला सकती है। जहां कहीं परिवारों में औरत और मर्द की ताकत में बहुत बड़ा फर्क होगा, वहां इन दोनों में से कमजोर पर हिंसा का खतरा अधिक रहेगा, जो कि भारत में महिला पर ही रहता है।
आर्थिक आत्मनिर्भरता का एक दूसरा जरिया भी होता है। शादीशुदा महिला के मायके के लोग अगर किसी मुसीबत की नौबत में उसके साथ खड़े रहते हैं, तब भी वह हिंसा झेलने के बजाय हिंसक पति-परिवार को छोडक़र निकल सकती है। इसके लिए मां-बाप और भाईयों को पिछले कुछ महीनों में दो अलग-अलग खबरों को देखना चाहिए जिनमें ससुराल में प्रताडि़त बेटी को पिता गाजे-बाजे के साथ बारात की शक्ल में अपने घर लेकर आए। अब तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिला का मां-बाप की संपत्ति में वैसे भी बेहतर हक स्थापित हो चुका है, इसलिए भाईयों को भी हिंसा से बचकर आई बहन को जगह देने में तंगदिली नहीं दिखानी चाहिए। भारतीय समाज में तलाक को लेकर जितनी बुरी सोच है, उसे भी बदलने की जरूरत है। अगर साथ रहना, साथ रहकर जिंदा रहना मुमकिन नहीं है, तो बच्चों की जिंदगी भी बर्बाद करने, खुद मरने-मारने के बजाय अलग रहना बेहतर है। ऐसे में लडक़ी का परिवार, समाज की सोच, और सरकार का कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल सरीखा इंतजाम, ये सब मिलकर हिंसक-रिश्ते में फंस गई महिला को वहां से निकलने में मदद कर सकते हैं। और आर्थिक आत्मनिर्भरता तो इन सबसे ऊपर है ही।
भारत में तलाक और अलग रहने के बजाय यह परंपरागत सोच अधिक चली आ रही है कि लडक़ी की डोली पिता के घर से उठती है, और उसकी अर्थी पति के घर से उठनी चाहिए। इस पुरानी सोच को समाज के अधिकतर लोग इतनी गंभीरता से ले लेते हैं कि फिर चाहे उसकी अर्थी भरी जवानी में ही छोटे-छोटे बच्चों को छोडक़र या मारकर ही क्यों न निकल जाए। इस सोच को बदलने की जरूरत है। सरकारें महिलाओं के खातों में नगद रकम डालने से लेकर दूसरी कई किस्म की योजनाएं उनके लिए लागू करती रहती हैं। ऐसे में ही शहरों और कस्बों तक कामकाजी महिला हॉस्टल का विस्तार होना चाहिए, ताकि परेशानी में फंसी महिला पूरा मकान किराए पर लेने से बचे, और किसी अकेले मकान में रहने से वह पति की हिंसा के खतरे से भी परे रहे। ऐसा इंतजाम भारत में परिवार व्यवस्था को तोडऩे को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि महिला को तोडऩे की भारतीय पुरूषवादी सोच का खतरा घटाएगा, महिलाओं को नागरिक के रूप में बहुत बुनियादी हक देने के लिए ऐसा इंतजाम करना जरूरी है। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
बद्रीनाथ, 11 मई । विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार 12 मई को सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल रहे हैं। उत्तराखंड के चार धामों में से तीन धाम श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शुक्रवार अक्षय तृतीया के दिन खुल चुके हैं।
श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की ओर से तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। कपाट खुलने को लेकर बद्रीनाथ मंदिर को पुष्पों से सजाया जा रहा है।
हजारों की संख्या में तीर्थयात्री श्री बद्रीनाथ धाम पहुंच गए हैं और लगातार श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। दानदाताओं की ओर से जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया है। बद्रीनाथ में मौसम सर्द है और पर्वतों पर बर्फ साफ नजर आ रही है। वहीं मंदिर के आसपास और सड़क की बर्फ गल चुकी है और दिन में धूप खिली हुई है।
रविवार को ही श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित गणेश जी, घंटाकर्ण जी, आदि केदारेश्वर जी, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर, श्री माता मूर्ति मंदिर तथा तपोवन सुभाई (जोशीमठ) स्थित भविष्य बदरी मंदिर के भी कपाट खुल जायेंगे।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 11 मई। आज धमतरी जिले के थाना नगरी क्षेत्रान्तर्गत ग्राम भैसा मुंडा के जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में एक नक्सली ढेर हुआ। घटनास्थल की सर्चिंग में नक्सली साहित्य, नक्सली सामान एवं अन्य सामान बरामद किया गया।
पुलिस के अनुसार 11 मई को दोपहर एक बजे थाना नगरी क्षेत्रांतर्गत ग्राम भैसा मुंडा के जंगल में मैनपुर नुआपाड़ा संयुक्त डिवीजन के नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर डीआरजी धमतरी डीआरजी गरियाबंद की संयुक्त टीम नक्सली विरोधी अभियान पर निकली थी।
मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने एक नक्सली को मार गिराया। मुठभेड़ के बाद घटनास्थल की सर्चिंग की गई, जिसमें नक्सली साहित्य, नक्सली सामान एवं अन्य सामान बरामद किया गया।
कोलकाता, 11 मई । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राशन घोटाले के आरोपों की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत आने वाले राशन कार्ड धारकों की जानकारी मांगी है।
सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारी पश्चिम बंगाल में सक्रिय राशन कार्डों की संख्या के बारे में जानकारी चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी मामले की जांच के लिए बेहद जरूरी है। यदि कार्डधारक पीडीएस के तहत वितरित राशन को एक निश्चित अवधि तक नहीं लेता है, तो राशन कार्ड निष्क्रिय हो जाता है।
ईडी के अधिकारी यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या किसी निष्क्रिय कार्ड के तहत खाद्यान्न आवंटित किया गया।
गौरतलब है कि ईडी के अधिकारी मामले में पहले से ही तीन तरह से जांच कर रहे हैं।
पहला, पीडीएस के आटे और चावल की खुले बाजार में बिक्री। दूसरा, उत्पादकों से खाद्यान्न लेने के लिए नकली किसान सहकारी समितियों का गठन और तीसरा, न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर किसानों से अनाज की खरीद और खुले बाजार में अधिकतम दरों पर उनकी बिक्री।
मामले में पिछले साल ईडी ने राज्य के पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया था। वे तब से न्यायिक हिरासत में हैं।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप मामले में गिरफ्तार बर्खास्त पुलिस आरक्षक अर्जुन यादव का पूछताछ के हवाले से नए खुलासा किया है।
एक बयान में ईओडब्लू ने बताया है कि यादव, एप के 20 से अधिक पैनल आपरेट करता रहा। और वर्तमान में 4 पैनल श्रीलंका, 1 कोलकाता से। वह पैनल के कई ग्रुप के जरिए 200 से अधिक बैंक एकाउंट संचालित कर रहा था। इसमें 3 करोड़ रूपए मिले हैं जिन्हें फ्रीज कराया गया है। बर्खास्त सिपाही यादव से फार्चुनर कार जब्त किया गया जिसे उसने एप की ही कमाई से खरीदा था।
यादव इस समय पूछताछ के लिए 5 दिन की रिमाण्ड पर ब्यूरो के कब्जे में है।
उससे पैनलों के संबंध में मिली जानकारी के आधार पर रायपुर पुलिस की टीम कोलकाता भेजी गई है। आरोपी अर्जुन यादव के मोबाइल फोन में महादेव ऐप से जुड़े हुए बहुत से वाट्सएप ग्रुप भी मिले हैं जिनमें से कुछ ग्रुप आरटीजीएस एकाउन्ट से और कुछ ग्रुप फेक एकाउन्ट से संबंधित हैं।
नई दिल्ली, 11 मई । ओडिशा के बरगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता नाना पटोले के राम मंदिर का शुद्धिकरण करने वाले बयान को लेकर करारा जवाब दिया।
उन्होंने कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अयोध्या में रामलला के दर्शन करने गई थी। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा-अर्चना की और उन्होंने देश के कल्याण के लिए रामलला से आशीर्वाद मांगा। एक आदिवासी बेटी और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रामलला के दर्शन करके आई, तो उसके दूसरे दिन कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता ने घोषणा की कि अब हम राम मंदिर गंगाजल से धोकर इसका शुद्धिकरण करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि ये देश का, आदिवासी समाज का और माताओं-बहनों का अपमान है। ऐसे लोगों को भारत की राजनीति में रहने का हक नहीं है। अब मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान करने वाली कांग्रेस की लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर जमानत जब्त होनी चाहिए।"
दरअसल, महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने राम मंदिर को लेकर एक विवादित टिप्पणी की। नाना पटोले ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी और इंडिया गठबंधन की सरकार आएगी तो राम मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा, चारों शंकराचार्यों को बुलाकर राम मंदिर में विधिवत पूजा कराई जाएगी। मंदिर परिसर में भगवान राम का दरबार भी बनेगा।
कांग्रेस नेता के इस बयान पर शनिवार को पीएम मोदी ने ओडिशा की रैली में जिक्र करते हुए कांग्रेस को जमकर खरी-खरी सुनाई। पीएम मोदी ने कहा, "बड़ी जिम्मेदारी और बहुत ही विश्वास के साथ, जनता जर्नादन ने जो आशीर्वाद दिया है, उस आशीर्वाद के भरोसे सब साफ दिखा रहा है कि 4 जून को एनडीए का 400 पार करना पक्का हो चुका है। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी इस बार विपक्ष भी बन नहीं पाएगी। उसके लिए उनके शहजादे की उम्र से भी कम सीटें मिलने वाली हैं।"
उन्होंने राज्य की बीजेडी सरकार पर आगे कहा, "आज सुबह ही मैंने श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा एक संवेदनशील विषय देश और ओडिशा के सामने रखा है। जगन्नाथ जी मंदिर के श्री रत्न भंडार की चाबियां पिछले 6 साल से गायब हैं। श्री रत्न भंडार में अकूत धन-दौलत है। लेकिन, उसकी सही स्थिति सामने नहीं आ रही है। ओडिशा सरकार श्री रत्न भंडार की जांच रिपोर्ट को सामने नहीं आने दे रही है। आखिर ओडिशा सरकार किसका हित साध रही है?"
पीएम मोदी ने कहा कि यहां बरगढ़ में किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि के 400 करोड़ रुपए पहुंचे हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि बीजेडी सरकार आपको धोखा देने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। यहां 2,200 रुपये के आसपास धान का समर्थन मूल्य है, लेकिन किसान को 1,600 रुपये के आसपास ही मिलते हैं। बाकी पैसा बीजेडी के बिचौलियों की जेब में चला जाता है।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 11 मई। शनिवार को गंगालूर थाना क्षेत्र के मल्लूर गांव में तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी की चपेट में आने से एक युवती की मौत हो गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गंगालूर के मल्लूर गांव में नक्सलियों ने सुरक्षाबल के जवानों को निशाना बनाने के लिए आईईडी लगा रखा था। शनिवार को तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान युवती शांति पुनेम आईईडी की चपेट में आ गई और उसकी मौत हो गई। शांति मल्लूर गांव की ही रहने वाली थी।
असम सीएम का आभार माना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा शरमा ने ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान मंच से विष्णु सरकार की जनहितैषी योजनाओं की जम कर तारीफ की है। शरमा ने ओडिशा में भाजपा सरकार बनने पर इसे लागू करने की भी बात कही है। इस पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हिमंत बिश्वा शरमा का आभार प्रकट किया है।
सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है- धन्यवाद हिमंताजी।
हमारा यह सौभाग्य है कि ‘मोदी गारंटी’ को अच्छी नीयत के साथ पूरा करते रहने के कारण छत्तीसगढ़ आज भरोसे का पर्याय बन गया है। प्रदेश में पिछली सरकार ने भरोसे का जो संकट पैदा किया था, उससे उबर कर छत्तीसगढ़ ने विश्वास की एक नयी कहानी लिखी है।
निसंदेह आपकी शुभकामना से प्रदेश में विश्वास और विकास की यह डोर और अधिक मजबूत होगी। पुन: धन्यवाद।
गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा शरमा ने छत्तीसगढ़ सरकार की योजना की प्रशंसा करते हुए ओडिशा में भाजपा सरकार बनते ही किसानों व तेंदूपत्ता के साथ-साथ अन्य योजना को लागू करने की बात कही। श्री शरमा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों का ध्यान रख रही है और सरकार, किसानों से धान लेकर उचित मूल्य दे रही है।
वहीं ओडिशा में बीजेडी सरकार ने सिर्फ और सिर्फ लूटने का कार्य किया है। छत्तीसगढ़ सहित असम में रामभक्तों को अयोध्या में राम मंदिर दर्शन हेतु सरकारी खर्च पर ले जाया जा रहा है। ओडिशा राज्य बड़ा है यहां से भाजपा सरकार बनते ही पांच लाख लोगों को दर्शन कराने ले जाया जाएगा।
मोदी के लिए आरएसएस एक्टिव
लोकसभा चुनावों के बीच छत्तीसगढ़ में आरएसएस कार्यकर्ताओं में यह चर्चा है कि वे भाजपा के लिए नहीं, बल्कि मोदी के लिए एक्टिव हैं। दरअसल, राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद यह संदेश गया कि भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आरएसएस ने भी बड़ी मेहनत की। इसके बाद सरकार के निर्णयों और नियुक्तियों में आरएसएस के दखल की बात होने लगी। इसके विपरीत आरएसएस के लोगों का कहना था कि उनकी सिफारिशें सुनी ही नहीं गई। कई कार्यकर्ता, अफसर आरएसएस की सिफारिशें लिए घूमते रहे, लेकिन उन्हें न ओएसडी का पद मिला, न ही ? मनचाही पोस्टिंग मिली। संभव है कि चुनाव के बाद आरएसएस इस मसले पर आंखें तरेरे।
बृजमोहन की डिमांड ओडिशा में
केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान राज्य की सीमा से सटे ओडिशा के संबलपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वो प्रदेश भाजपा के सबसे ज्यादा समय तक प्रभारी रहे हैं। लिहाजा, यहां के छोटे-बड़े नेताओं से उनके व्यक्तिगत संबंध हैं। प्रधान के चुनाव में यहां के नेताओं की भी दिलचस्पी है।
सुनते हैं कि प्रधान ने स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को फोनकर प्रचार के लिए बुलाया है। बृजमोहन चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं। उनके साथ सीनियर नेताओं की एक टीम दो-तीन दिनों में संबलपुर पहुंचेगी। और प्रधान के चुनाव प्रचार का मोर्चा संभालेगी।
खास बात यह है कि संबलपुर इलाके में छत्तीसगढ़ी लोगों की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यहां के नेताओं के प्रचार से प्रधान को काफी फायदा होगा। अब छत्तीसगढ़ के नेताओं से प्रधान को कितनी मदद मिलती है यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद पता चलेगा।
एक अनार, सौ बीमार
चर्चा है कि लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल मंत्री पद छोड़ देंगे। राजनीतिक हल्कों में उनका चुनाव जीतना तय माना जा रहा है। खासबात यह है कि बृजमोहन की जगह लेने के लिए पार्टी के कई नेता अभी से जोड़-तोड़ में लग गए हैं।
बताते हैं कि कुछ नेताओं की तो बृजमोहन अग्रवाल से चर्चा भी हुई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, और धरमजीत सिंह भी बृजमोहन से मिलने उनके घर गए और चुनाव को लेकर चर्चा हुई। धरमलाल कौशिक का नाम मंत्री पद के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा था। लेकिन अंतिम समय में वो रह गए।
इसी तरह धरमजीत सिंह का नाम भी चर्चा में है। उनका नाम विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। इससे परे पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने पहले और दूसरे चरण का चुनाव निपटने के बाद रायपुर लोकसभा में प्रचार की कमान सम्हाली थी।
चंद्राकर भी सीनियर हैं और खुद पीएम नरेन्द्र मोदी ने बस्तर की सभा में उन्हें काफी तवज्जो दिया था। ऐसे मेें उनकी स्वाभाविक दावेदारी है। दौड़ में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और राजेश मूणत, लता उसेंडी व विक्रम उसेंडी भी पीछे नहीं है। देखना है कि साय कैबिनेट के दो खाली पद पर किसको मौका मिलता है।
लेकिन मंत्री पद के साथ-साथ बृजमोहन अग्रवाल विधायक पद भी ख़ाली कर सकते हैं, अगर वे सांसद बन जाते हैं। इसलिए उनके आसपास वे लोग भी टिकट मिलते ही मंडराने लगे हैं जो रायपुर दक्षिण से चुनाव लडऩा चाहते हैं। बृजमोहन के छोड़े जाने वाले शून्य पर दर्जन-दर्जन भर लोगों की नजऱ है।
अगले साल से पीएमश्री टॉपर?
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षाओं में पिछली बार की तरह इस बार भी स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों के विद्यार्थियों ने खासी सफलता हासिल की। प्रथम श्रेणी में आने वाले विद्यार्थियों का औसत भी इन स्कूलों में बाकी के मुकाबले अच्छा रहा। शिक्षकों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी इनमें भी रही, लेकिन दूसरे सरकारी स्कूलों के मुकाबले पढऩे का माहौल छात्र-छात्राओं को बेहतर मिला, जो नतीजों से साफ है। महंगी फीस वाले निजी स्कूलों से अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम रही।
दूसरी ओर पीएम श्री (पीएम- स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) सन् 2022 में घोषित केंद्र सरकार की योजना है। प्रदेश में अब तक 200 पीएम श्री स्कूल खुल चुके हैं। सन् 2024-25 में 400 और खोलने की तैयारी है। खबर यह है कि सरकार ने 311 पीएम श्री स्कूलों का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है और इन स्कूलों को स्वामी आत्मानंद स्कूलों की जगह पर ही खोला जाएगा। कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिनकी यह प्राथमिकता वाली योजना थी, ने कहा है कि स्वामी आत्मानंद स्कूलों का नाम बदलना साधु-संतो का अपमान होगा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी विरोध दिया है। एक पैरेंट्स एसोसियेशन की ओर से भी आपत्ति दर्ज कराई गई है।
स्वामी आत्मानंद स्कूलों के लिए शिक्षा विभाग ने पहले अलग से बजट नहीं रखा था। डीएमएफ फंड से इंफ्रास्ट्रक्चर और अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। इनके टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधा नहीं है। दूसरी ओर पीएम श्री योजना का पूरा फंड फिलहाल केंद्र से मिल रहा है। सन् 2027 तक केंद्र सरकार इसका खर्च उठाएगी, उसके बाद राज्यों को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।
इस तरह से पीएमश्री स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों का भविष्य अधिक सुरक्षित दिखाई देता है, मगर सवाल इस बात का है कि क्या नाम बदलेगा? स्वामी आत्मानंद प्रदेश के शीर्ष विभूतियों में से एक हैं। पर यह नामकरण कांग्रेस के कार्यकाल में किया गया है। इन स्कूलों का नाम लेते ही भूपेश सरकार की याद आ जाती है। दूसरी तरफ अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पीएम श्री से मोदी का नाम जुड़ा लगता है। बच्चों को इस सियासत से ज्यादा मतलब नहीं होगा। स्कूल चाहे स्वामी आत्मानंद नाम पर हो या पीएमश्री पर, पढ़ाई का माहौल ऐसा हो कि उन्हें उड़ान भरने का मौका मिले।
तपेदिक की दवा की दरकार
पिछले साल अक्टूबर में जब अखबारों में टीबी रोधी दवाओ की कमी की खबरें आईं तो केंद्र सरकार ने इसका खंडन कर दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सभी राज्यों में इसकी नियमित आपूर्ति की जा रही है और हमारे पास 6 माह का स्टाक है। पिछले महीने अप्रैल में जब राज्यों में संकट गहरा गया तो केंद्र ने हाथ खड़े कर दिये। उन्होंने राज्यों से कहा कि अपने स्तर पर निजी सप्लायरों से खरीदी कर लें। मगर, फार्मेसी वाले यह दवा रखते नहीं है। जिस दवा की मुफ्त में आपूर्ति की जाती हो उसका स्टाक भला वे क्यों रखें। हालत यह है कि देश के तमाम टीबी मरीजों को दवा नहीं मिल रही है। अकेले छत्तीसगढ़ में ऐसे 12 हजार मरीज हैं। विभिन्न रिपोर्ट्स को खंगालने से इतना ही पता चलता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा खरीद के लिए टेंडर जारी करने में देरी की। मगर इस बीच टीबी मरीजों की हालत बिगड़ रही है। टीबी का उन्मूलन राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। दवाओं की किल्लत ने इस लक्ष्य को वर्षों पीछे कर दिया है।
हाईवे के नीचे टाइगर...
मध्यप्रदेश के सिवनी से महाराष्ट्र के नागपुर तक जाने वाली सडक़ नेशनल हाईवे नंबर 44 घने जंगलों से गुजरती है। वन्य जीवों के विचरण वाले इलाकों में इस सडक़ को ऊंचा उठाकर नीचे पुलिया बना दी गई है ताकि बिना सडक़ क्रॉस किये वन्य प्राणी एक ओर से दूसरी ओर जा सकें। एक सैलानी ने इसी हाईवे के नीचे से गुजर रहे एक टाइगर की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली है। ([email protected])
नई दिल्ली, 11 मई । एलन मस्क द्वारा संचालित एक्स कॉर्प ने 26 मार्च से 25 अप्रैल के बीच भारत में 184,241 अकाउंट्स पर बैन लगा दिया। इनमें ज्यादातर अकाउंट बाल यौन शोषण और गैर-सहमति नग्नता को बढ़ावा देने वाले थे।
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए 1,303 अकाउंट्स को भी हटा दिया। कुल मिलाकर एक्स ने इस अवधि में 185,544 अकाउंट्स पर बैन लगाया।
एक्स ने नए आईटी नियम, 2021 के अनुपालन में अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा, "उसे अपने शिकायत निवारण तंत्र (ग्रीवेंस रिड्रेसल मैकेनिज्म) के माध्यम से एक ही समय सीमा में भारत में यूजर्स से 18,562 शिकायतें प्राप्त हुईं।"
इसके अलावा, कंपनी ने 118 शिकायतों पर कार्रवाई की जो अकाउंट सस्पेंशन (निलंबन) के खिलाफ अपील कर रही थीं।
कंपनी ने कहा, "स्थिति की बारीकियों की समीक्षा करने के बाद हमने इनमें से चार अकाउंट्स के निलंबन को पलट दिया। शेष रिपोर्ट किए गए अकाउंट निलंबित रहेंगे।"
हमें इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान अकाउंट्स के बारे में सामान्य सवालों से संबंधित 105 अनुरोध मिले।
भारत से अधिकांश शिकायतें प्रतिबंध उल्लंघन (7,555), इसके बाद घृणित आचरण (3,353), संवेदनशील वयस्क सामग्री (3,335) और दुर्व्यवहार/उत्पीड़न (2,402) के बारे में थीं।
(आईएएनएस)
श्रीनगर, 11 मई । जम्मू-कश्मीर की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) ने पार्टी अध्यक्ष सज्जाद लोन द्वारा एक्स पर शेयर एक गाने के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी करने पर उसकी आलोचना की है।
पार्टी प्रवक्ता अदनान अशरफ मीर ने कहा," यह गीत पार्टी ने नहीं, बल्कि कश्मीरी युवाओं ने तैयार किया है। यह कश्मीरियों की भावनाओं का प्रतीक है। यह उनकी पीड़ा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस गाने को चुनावी मानदंडों के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।"
उन्होंने चुनाव आयोग से नियमों को समान रूप से लागू करने का आग्रह किया।
प्रवक्ता ने कहा, “यह निराशाजनक है कि चुनाव आयोग दूसरों के प्रति उदारता दिखाते हुए हमारी पार्टी को जांच के लिए चुनता है। उन्होंने कहा, बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।''
(आईएएनएस)
कोलकाता, 11 मई । भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आगामी चार चरणों के लोकसभा चुनावों में 'प्रारंभिक कार्रवाई फॉर्मूला' अपनाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक सूत्र ने 'प्रारंभिक कार्रवाई फॉर्मूले' को समझाते हुए शनिवार को कहा कि यह रणनीति बहुआयामी होगी।
सबसे पहले, मतदान शुरू होने के पहले घंटे से ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवान मतदान केंद्रों के आसपास राजनीतिक दलों के समर्थकों को इकट्ठा होने से रोकेंगे।
सूत्र ने कहा, "संभावित उपद्रवियों व अपराधियों के मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी।"
दूसरा, चिन्हित किए गए "प्रभावशाली" स्थानीय नेताओं की लगातार निगरानी की जाएगी। उन्हें मतदान केंद्रों के पास अपने सहयोगियों के साथ लंबे समय तक इकट्ठा होने से रोका जाएगा।
इसे मतदान शुरू होने के पहले घंटे से ही लागू कर दिया जाएगा।
तीसरा, आदतन अपराधियों को दिन भर के लिए हिरासत में लिया जाएगा और मतदान बंद होने के एक घंटे पहले रिहा किया जाएगा, ताकि वे मतदान कर सकें।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि 'प्रारंभिक कार्रवाई फॉर्मूला' को सात मई को चुनाव के तीसरे चरण में एक सीमित सीमा तक लागू किया गया था।
सूत्रों ने कहा, "चौथे चरण से यह फॉर्मूला अधिक विस्तृत और सख्ती से लागू किया जाएगा।"
(आईएएनएस)
उत्तरकाशी, 11 मई । उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 2024 का विधिवत शुभारंभ 10 मई से हो गया। अक्षय तृतीया पर तीन धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस बीच यात्रा के पहले दिन यमुनोत्री धाम में 2 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
यात्रा शुरू हुए अभी एक दिन ही हुआ था कि पहले ही दिन यमुनोत्री धाम में 2 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। एक श्रद्धालु की पहचान मध्य प्रदेश के सागर जिले के रामगोपाल और दूसरे की उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की विमला देवी के रूप में हुई है।
पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की शाम अलग अलग स्थानों पर हार्ट अटैक से श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
एसएचओ संतोष सिंह कुंवर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पंचनामा की कार्रवाई की जा रही है।
बता दें कि 12 मई को सुबह 6 बजे चौथे धाम बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे।
(आईएएनएस)
विधि विभाग से राय मांगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। भारतीय पुलिस सेवा के जबरिया रिटायर किए गए अफसर जी.पी.सिंह की बहाली पर विचार चल रहा है। इस सिलसिले में विधि विभाग से राय मांगी गई है।
कैट ने एडीजी रैंक के अफसर जी.पी.सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश को खारिज कर दिया है। भूपेश सरकार की अनुशंसा पर 94 बैच के आईपीएस जी.पी.सिंह को करीब डेढ़ साल पहले रिटायर कर दिया गया था। उनके खिलाफ राजद्रोह का भी प्रकरण था जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
कैट ने जी.पी.सिंह को बहाल करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद राज्य सरकार कैट के आदेश का परीक्षण कर रही है। सूत्रों के मुताबिक विधि विभाग से परामर्श लिया जा रहा है।
वैसे तो जबरिया रिटायर किए गए दो आईपीएस अफसर ए.एम.जूरी, और के.सी.अग्रवाल को बहाल किया गया था। मगर जी.पी.सिंह का प्रकरण अलग है। उनके खिलाफ पिछली सरकार में आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुए थे।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार इस मामले में केन्द्र से मार्गदर्शन मांगने की तैयार कर रही है। इससे पहले पूर्व प्रमुख सचिव बी.एल.अग्रवाल के प्रकरण में भी कैट ने बहाली के आदेश दिए थे, लेकिन इसको केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद उनकी बहाली रूक गई थी। मगर जी.पी.सिंह के मामले में राज्य सरकार का रूख सकारात्मक है, और चर्चा है कि सरकार बहाली के लिए केन्द्र को लिख सकती है। बहरहाल, जी.पी.सिंह के प्रकरण पर जल्द फैसला होने के आसार हैं।